शनिवार, 19 सितंबर 2020

सच्चा सिक्का भी खोटा

सच्चा सिक्का भी खोटा ? September 19, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित हमारे देश में अफवाहों के कारण अनेक ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो देश के लिए हानिकारक होती हैं। ऐसी ही अफवाह एक रूपये के छोटे सिक्के एवं दस रूपये के सिक्के जिसके बीच में दस अंकित है आज भी सरकार के कहने के बाद की ये दोनों सिक्के असली हैं फिर भी आम चलन से बाहर हो गए हैं। आम जनता तो दूर सरकारी बैंक भी इन्हें लेने से मना कर देते हैं। सरकारी बैंक, सरकारी करेंसी और सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आम आदमी से कोई भी बैंक इन सिक्कों को नहीं लेता है। कहावत थी की वक्त पर खोटा सिक्का काम आ गया लेकिन यहां तो सच्चा सिक्का भी खोटा हो गया। रिजर्व बैंक द्वारा नये -नये नोट छाप दिए गये। एक हज़ार के नोट की सख्त जरूरत है वह नहीं बनाया गया जबकि बाजार दस के नोटों की बहुतायत से पीड़ित है फिर भी दस के नये नोट बहुतायत में छापे जा रहे हैं। छोटा व्यापारी जब उन्हें बैंक में जमा कराने जाता है तो बैंक वाले आनाकानी करते हैं ,कुछ बैंक प्रत्येक पैकेट के अगल से कुछ रूपये लेते हैं,ऐसा क्यों है ? मामूली कटे -फ़टे नोट बैंक वाले क्यों नहीं लेते हैं? पुरे पैकेट में से ऐसे नोट निकाल कर वापस कर देते हैं। जबकि बाजार में बट्टे पर कुछ कम धनराशि पर वही नोट बदल दिए जाते हैं। इसका मतलब साफ़ यह है की बैंक वाले आम आदमी से कटे -फ़टे नोट नहीं लेते लेकिन बट्टे वालो से ले लेते हैं शायद कुछ सांठ -गाँठ होती होगी। ऐसी अनेकों समस्याओं से आम आदमी पीड़ित है। ऐसे में बैंको को सख्त हिदायत होनी चाहिए की इस प्रकार समस्याओं का समाधान किया जाए। * सुनील जैन राना *

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