सोमवार, 26 फ़रवरी 2018



प्रवक्ता या बकता
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समाचार चैनलों पर भ्र्ष्टाचार -चौकीदार और कुछ

अन्य अनर्गल शब्द बहुतायत में गाये जा रहे हैं। कुछ

दलों के प्रवक्ता भाषा की मर्यादा लाँघ अमर्यादित शब्द

बोलने से भी नहीं हिचक रहे हैं। जिससे लगता है की वे

प्रवक्ता कम बकता ज्यादा हैं।

टीवी पर किसी भी विषय के मुद्दे पर बातचीत के लिए

देश के बुद्धिजीवी या विशेषज्ञ बुलाये जाने चाहिए। ना

की किसी भी चार दलों के चार वक्ताओं को। राजनीति

में पक्ष -विपक्ष में विचारधारा में भिन्नता तो होती ही है।

ऐसे में चार दलों के वक्ताओं की बात बहस में बदल

जाती है और विषय से हटकर आपसी रंजिश में बदल

जाती है जो देश के लिए हानिकारक है। इससे किसी

भी मुद्दे का हल निकलने की बजाय और ज्यादा गहरा

जाता है। 

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