शनिवार, 12 नवंबर 2022

पैसे दो, सब कुछ मिलेगा?

पैसे दो, सब कुछ मिलेगा? भ्र्ष्टाचार के कारण देश के विकाश में बाधाएं आती हैं। मोदीजी- योगीजी के कार्यकाल में ऊपरी स्तर के भ्र्ष्टाचार में तो बहुत कमी आयी है लेकिन निचले स्तर का भ्र्ष्टाचार पहले से ज्यादा ही हुआ है कम तो बिल्कुल नही हुआ है। अधिकांश सरकारी विभागों में बिना सुविधा शुल्क कार्य नही होता। महंगाई के हिसाब से सुविधा शुल्क में भी बढ़ोतरी हो गई है। पैसे दो, सब कुछ मिलेगा यह जुमला देश की जेलों में साक्षात रूप से चलता है। जैसा अपराधी वैसा व्यवहार। जैसे पैसे वैसा सहयोग। नेता लोगो के लिये तो जेल में वीआईपी सुविधा उपलब्ध हो ही जाती हैं लेकिन शातिर अपराधियों को भी सहयोग अनुसार सब कुछ उपलब्ध हो जाता है। बहुत शर्मनाक है ऐसा होना। अपराधी को रहने, खाने-पीने की चीजें उपलब्ध कराने तक तो बात समझ मे आती है लेकिन जेल से नशे का कारोबार हो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।बात तो यहां तक चिंताजनक है की जो आम आदमी छोटे- मोटे अपराध में जेल जाता है वह कुछ ही महीनों में नशेड़ी बन जाता है। सिर्फ नशेड़ी नहीँ बल्कि कर्जदार भी बन जाता है। सहारनपुर की जेल में ऐसा ही हो रहा है। सहारनपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन टाडा बहुत सतर्कता से नशे के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं। अनेक नशे के कारोबारियों को जेल भेज गया है लेकिन फिर भी आम नशेड़ी को पैसे देकर नशा मिल ही जाता है। जेल में नशे के कारोबारियों का बन्द होना और ज्यादा घातक है। वहां भी उनका कारोबार चलता रहता है। बल्कि यों कहिये की जो आप अपराधी जिसने कभी नशा नहीं किया वह भी इनकी चपेट में आ जाता है। उसके पास पैसे नहीं होते तब उसे नशे की वस्तु उधार दे देते हैं और कहते हैं पैसे बाद में दे देना। जेल में रहते हुए उसे नशेड़ी बना देते हैं। उसके जेल से बाहर आने के बाद उसके गुर्गे उससे पैसा बसूलते हैं। यह सब खाकी के संरक्षण में होता है। एक आम घरेलू अपराधी किसी मुक़दमे में जेल गया तो बाहर निकल कर शातिर अपराधी बन जाता है। जेल में सुविधाशुल्क का खेल तो देश की अधिकांश जेलों में चल रहा है लेकिन सुविधा सिर्फ रहने, खाने-पीने तक सीमित होती तब किसी का नुकसान तो नहीं होता लेकिन नशे के कारोबार से तो एक आम आदमी की जिंदगी भी दुष्कर हो रही है यह बहुत चिंता जनक है। सरकार एवं प्रशासन को इस ओर गम्भीरता से चिंतन कर कार्यवाही करनी चाहिये। सुनील जैन राना

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