रविवार, 14 नवंबर 2021

ऑनलाइन पढ़ाई, काम न आई

ऑनलाइन पढ़ाई,काम न आई कोरोना काल ने भारत समेत अनेको देशों की अर्थव्यवस्था समेत अन्य जरूरी व्यवस्थाएं भी कोरोना की भेंट चढ़ जाने से सभी को बहुत हानि हुई है।इसी से सम्बन्घित हानि बच्चों के भविष्य से जुड़ी हुई है।लगभग डेढ़ साल हो गया बच्चों के स्कूल बंद हुए। पहले साल तो शिक्षा का वातावरण हो न बन सका। इस साल कोरोना का प्रकोप कम होने से बच्चों को पढ़ाई के लिये जागरूक किया जा रहा है।कुछ जगह स्कूल भी खुलने लगे हैं। कुछ स्कूलों में दो शिफ्टों में पढ़ाई हो रही है कुछ में एक ही शिफ्ट चल रही है।लगता है जल्दी ही सभी स्कूल खुलने लगेंगे। अभी तक घर पर ही ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही थी।इसके नतीजे कुछ अच्छे कुछ बुरे दिखाई दिये गए। इस बात को हम दो वर्गों में बाट सकते है। एक सम्पन्न वर्ग, एक मध्यम वर्ग यानी बड़े स्कूल एवं छोटे स्कूल।बड़े स्कूलों के सम्पन्न बच्चों को घर पर भी सभी सुविधायें मिली लेकिन छोटे स्कूलों के मध्यम वर्ग के बच्चों एवं स्कूलों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिये न तो पर्याप्त नेट मिला, न ही स्कूलों में ऐसे शिक्षक मिले न ही ऐसे बच्चों को घर में पर्याप्त मोबाईल, टैब आदि उपलब्ध हो पाए। यह स्तिथी तो शहरों नगरों की रही गांवो में रहने वाले बच्चों एवं शिक्षकों को तो अनेको समस्याओं से जूझना पड़ा । मध्यम वर्ग जो कोरोना काल मे मुश्किल से गुजारा कर रहा था उस पर ऑनलाइन पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ पड़ गया। भारत जैसे देश मे अभी डिजिटल क्रांति की शुरुवात ही है। अभी इस कार्य मे बहुत सी सुविधाओं का अभाव है। सबसे ज्यादा परेशानी उन अभिवावकों को हुई है जिनके बच्चे अभी प्ले या नर्सरी में एडमिट होने थे,ऐसे बच्चों को अभी स्कूल के मैनर्स नही आ पाए हैं। जिन बच्चों के हाथ मे हम कभी मोबाईल देना ही नही चाहते थे आज छोटे छोटे बच्चे मोबाईल का इस्तेमाल कर रहे हैं।अभी से छोटे बच्चों की आंखों पर चश्मा चढ़ने लगा है। कुल मिलाकर ऐसा ही लग रहा है की ऑनलाइन पढ़ाई से फायदा कम नुकसान ज्यादा दिखाई दे रहा है।

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