मंगलवार, 7 सितंबर 2021

सदैव विरोध करना हितकर नहीं होता

विश्व में कोरोना महामारी ने लाखों जाने ले ली। भारत में भी इसका व्यापक असर हुआ और इसकी चपेट में लाखों लोग आ गए इनमे से बहुत से मृत्यु को भी प्राप्त हुए। पिछले वर्ष कोरोना प्रकोप में हुए लोक डाउन में सभी अपने घरो में कैद तो रहे लेकिन उनमें भय का माहौल नहीं था। घर पर रहकर खानपान का मज़ा लिया था लेकिन इस बार के लोक डाउन में भय का माहौल था ,ऐसा कोई घर होगा जिसके परिचितों में से कोई न कोई कोरोना से मृत्यु को प्राप्त न हुआ होगा। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के लिए व्यापक कदम उठाये गए लेकिन मई के महीने में दी जा रही सुविधा कम पड़ जाने से भी कुछ जाने गई। कोरोना से लड़ने को कोरोना का टीका होना लाजमी हो गया था ,इसपर केंद्र सरकार ने देश की बड़ी दवा कम्पनियों को कोरोना वैक्सीन बनाने को प्रोत्साहित किया। कई दवा कंपनियों ने दिन रात मेहनत करके कोरोना की वैक्सीन बना ही ली। ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ की किसी माहमारी की वैक्सीन एक साल के अंदर ही बना ली गई हो। कोरोना वैक्सीन से पहले देश में एड्स का टीका नहीं बना ,पोलियो का टीका नहीं बना ,खसरे का टीका नहीं बना ,मलेरिया का टीका नहीं बना ,चिकन पॉक्स का टीका नहीं बना ये सभी टीके विदेशो से आयात किये जाते रहे हैं। पिछले ६० सालों में कांग्रेस के राज में कोई टीका नहीं बना और अब कोरोना का टीका मोदीजी के प्रोत्साहन से जल्दी बन गया तो इस पर भी कांग्रेस सवाल करती है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। देश में १३० करोड़ जनता को टीका लगाना भी कोई मामूली कार्य नहीं है। फिर भी टीकाकरण का कार्य अन्य विकसित देशो के मुकाबले बहुत तेज़ गति से हो रहा है। कोरोना काल में कामधन्दे बंद हो जाने से देश की अर्थ व्यवस्था डगमगा रही थी फिर भी मोदीजी के नेत्तृव में कोरोना का टीका सभी को मुफ्त लगाया जा रहा है यह कोई साधारण बात नहीं है। विदेशी टीके ७०० रूपये से १००० रूपये की कीमत के बताये जा रहे हैं। यदि देश में कोरोना का टीका न बनता तो सोचो देश पर कितना आर्थिक बोझ पड़ता। देश में कोरोना का टीका बनने से जहां देश को विदेशी मुद्रा की बचत हुई वहीं दूसरी ओर देश की कम्पनियों को फायदा हुआ और मेक इन इंडिया को बल मिला। विश्व भर में मोदीजी के कार्यो की धूम मची है लेकिन अपने ही देश के विपक्ष के लोग प्रत्येक अच्छे कार्य में भी सरकार को कोसते रहते हैं। किसी गलत कार्य का विरोध करें तो समझ में आता है लेकिन बीजेपी विरोध में अच्छे कार्यो का विरोध करना हितकर नहीं है। देश की जनता यह सब देख रही है चुनावों में जबाब देगी। * सुनील जैन राना *

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