मंगलवार, 11 सितंबर 2018



हुआ नहीं भारत बंद -अपनी कुल्हाड़ी अपने पैर मारी 
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पेट्रोल और डीजल के बढ़ते हुए दामों के विरोध में कांग्रेस के नेत्तृव में अन्य कुछ दलों द्वारा सोमवार १० सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया। ठीक है राजनीती में सदैव विपक्ष द्वारा ऐसा हल्ला मचाया जाता रहा ही है। भारत बंद का मिलाजुला असर रहा। जहां कांग्रेस का जोर था वहां बंद रहा जहां कांग्रेस का जोर नहीं था वहां बंद नहीं के बराबर हुआ। लेकिन इस बंद ने कांग्रेस की नीतियों पर ही सवाल खड़े कर दिये। जिस तरह दश भर में कुछ जगह आगजनी और तोड़फोड़ की गई इससे कांग्रेस की मानसिकता ही उजागर हुई है। क्या ही अच्छा होता बंद शांति पूर्वक होता। ऐसा करने से राहुल गांधी की इमेज सुधरती। कुछ दिन पहले sc /st के विरोध में कथित स्वर्णो ने भी बंद का एलान किया था। बंद सफल रहा या नहीं लेकिन देश भर में उन्होने एक संदेश दिया बिना किसी हल्ले -आगजनी-तोड़फोड़ के।

कल के बंद में चलती बसों -ट्रेनों पर पथराव की अनेको वीडियो सामने आयी हैं। सोचकर भी डॉ लगता है की वे पत्थर जिस किसी की फ़ोर्स के साथ लगे होंगे उनका क्या हाल हुआ होगा। हो सकता है उनमे कोई इन्ही पत्थरबाज़ो के घरवाले भी हों। वाहन तोड़ देना या बसें फूंक देना यह कैसी राजनीती है। राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुक्सान तो हम सभी का नुक्सान है। कांग्रेस समेत किसी सहयोगी दलोंने इन लोगो को नहीं रोका। इससे कांग्रेस को फायदे की जगह नुक्सान ही हुआ है। आम आदमी को इस तरह का भारत बंद समझ में नहीं आ रहा है। लोगो की प्रतिक्रिया यह है की यह तो राहुल गांधी का शक्ति प्रदर्शन था जो उनकी मानसिकता को दर्शा रहा है।

तेल का खेल या तेल के दाम की नीति तो कांग्रेस के समय से ही ऐसे ही चल रही है। अटलबिहारी बाजपेयी जी के समय तेल के दाम लगभग ४० रूपये रहे। उसके बाद कांग्रेस की मनमोहन सरकार के १० सालों में यह दाम बढ़कर ८२ रूपये तक हो गए थे। तब किसी ने हल्ला नहीं मचाया। अब पुनः ८२ रूपये के दामों पर भारत बंद कराया   जा रहा है।

जनता का तो कहना यह भी है की यह सब सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर चल रहे मुकदमे के फैसले को
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दबाने के लिए किया गया। यंग इंडिया और नेशनल हेराल्ड केस में इनपर आरोपित भ्र्ष्टाचार में इनकी याचिका
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खारिज हो जाने के मामले को भारत बंद में हल्ला बोलकर दबा दिया जाए।
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कुछ भी हो लेकिन बंद के दौरान जो भी हुआ सही नहीं हुआ। इससे कांग्रेस और सहयोगी दलों की साख गिरी ही है। केंद्र सरकार को भी तेल के दाम बढ़ने के कारण बताने चाहिए। यदि देश पर पिछली सरकारों द्वारा कोई कर्जा था जिसका भुगतान अब यह सरकार कर रही है तो यह बात जनता को बताये। तेल के टैक्स से होने वाला मुनाफा किस मद में लग रहा है यह जनता को बताये। पिछले तेल बांड का भुगतान यदि अब हो रहा है तो यह जनता को बताये। बीजेपी सरकार कहती है की हम बहुत विकास के कार्य कर रहे हैं लेकिन आम जनता फिर भी परेशान क्यों है ?सोशल मिडिया पर अनेक बाते लिखी आती हैं की जो वादे किये थे वे पुरे नहीं हुए हैं। बीजेपी सरकार उनपर अपना स्पष्टीकरण दे। अन्यथा किसी न किसी बात पर ऐसे बंद होते ही रहेंगे।
                                                                                                         http://suniljainrana.blogspot.com/

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