हाइकु
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जीवन्त छन्द
रचें रचनाकार
कालजई हों
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मन की बात
जब मन ने कही
सबने सुनी
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विनम्र बनों
झुकते फल देते
पेड़ से बनों
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मिल ही गया
तिनके का सहारा
पार हो गया
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