बिहार में बहार
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शायद भारत की राजनीति में ऐसा पहली बार
हुआ होगा की किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने
स्तीफा देकर मात्र १५ घंटो में दोबारा मुख्यमंत्री
पद की शपथ ले ली हो।
बिहार में ऐसा ही हुआ। नितीश कुमार ने लालू
परिवार के कारनामों और भ्र्ष्टाचार से परेशान
हो लालू परिवार को छोड़ अपनी पुरानी पार्टी
बीजेपी का साथ ले फिर से मुख्यमंत्री बन गये।
सत्ता का नशा अजीब ही होता है। जिसे हो गया
वह अपने आपे में नहीं रहता। ऐसा ही लालू के
पुत्रो के साथ हुआ। अपने पिता के काले कारनामों
और जेल जाने से सबक ना लेकर खुद उसी राह
पर चल पड़े। ऊपर से अहंकार ने उन्हें आज
सत्ता से तो बेदखल किया ही अब उनपर लगे
भ्र्ष्टाचार के मुकदमों को भी झेलना पड़ेगा।
लालू पुत्र तेजस्वी यादव को अब यह समझ नहीं
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आ रहा की स्तीफा नितीश कुमार ने दिया या
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उनसे दिलवाया गया।
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राजनीति में नए नवेले लालू पुत्र यदि अपने पिता
की सलाह मानकर स्तीफा दे देते तो आज उनका
यह हाल नहीं होता। लेकिन सत्ता का नशा ऐसा की
विनाशकाले विपरीत बुद्धि।
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बिहार में जो कुछ भी हुआ लगता है बिहार की जनता
के लिए अच्छा ही हुआ। मोदीजी की बीजेपी बेदाग़ है
नितीश कुमार ने पहले भी बिहार में जितना विकास
किया बीजेपी के साथ मिलकर ही किया। अब फिर से
बिहार की जनता को सुसाशन मिला है।
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