शनिवार, 29 जुलाई 2017
पाकिस्तान में सियासी भूचाल
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भारत के बिहार की तर्ज पर पाकिस्तान में तो
सियासी भूचाल ही आ गया।
पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ़ जो शरीफ़
नहीं हैं उनपर भ्र्ष्टाचार के मुकदमें चल रहे हैं।
उन्ही में से एक मुकदमा पैनामा लीक्स के फैसले
में पाकिस्तान की कोर्ट ने नवाज़ को दोषी पाते हुए
पद के अयोग्य घोषित कर दिया, अर्थात तत्काल
प्रभाव से बर्खास्त।
पाकिस्तान की नियति ही ऐसी है की सत्ता के लिए
मरना -मारना -भ्र्ष्टाचार करना आम बात है। अब
कौन बनेगा प्रधानमंत्री ?पता नहीं।
दरअसल कुत्ते के नक्शे जैसा ,कुत्ते की दुम जैसा
टेहड़ा पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा। सत्ता की
लोलुपता ,सेना का दख़ल ,आतंकवादियों का
समर्थन ,कश्मीर का राग। यह पाकिस्तान की
विशेषताएँ हैं। पाकिस्तान के आकाओं से अपना
देश तो सम्भलता नहीं। अपने आवाम को बरगलाने
के लिए कश्मीर राग गाये रहते हैं।
यदि भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन
समता -संयम से काम लेकर भारत से दोस्ती करें
तो तीनों देश का विकास हो साथ ही विश्व में इनका
डंका बजेगा। भगवान इन्हें सतबुद्धि दे।
शुक्रवार, 28 जुलाई 2017
बिहार में बहार
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शायद भारत की राजनीति में ऐसा पहली बार
हुआ होगा की किसी राज्य के मुख्यमंत्री ने
स्तीफा देकर मात्र १५ घंटो में दोबारा मुख्यमंत्री
पद की शपथ ले ली हो।
बिहार में ऐसा ही हुआ। नितीश कुमार ने लालू
परिवार के कारनामों और भ्र्ष्टाचार से परेशान
हो लालू परिवार को छोड़ अपनी पुरानी पार्टी
बीजेपी का साथ ले फिर से मुख्यमंत्री बन गये।
सत्ता का नशा अजीब ही होता है। जिसे हो गया
वह अपने आपे में नहीं रहता। ऐसा ही लालू के
पुत्रो के साथ हुआ। अपने पिता के काले कारनामों
और जेल जाने से सबक ना लेकर खुद उसी राह
पर चल पड़े। ऊपर से अहंकार ने उन्हें आज
सत्ता से तो बेदखल किया ही अब उनपर लगे
भ्र्ष्टाचार के मुकदमों को भी झेलना पड़ेगा।
लालू पुत्र तेजस्वी यादव को अब यह समझ नहीं
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आ रहा की स्तीफा नितीश कुमार ने दिया या
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उनसे दिलवाया गया।
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राजनीति में नए नवेले लालू पुत्र यदि अपने पिता
की सलाह मानकर स्तीफा दे देते तो आज उनका
यह हाल नहीं होता। लेकिन सत्ता का नशा ऐसा की
विनाशकाले विपरीत बुद्धि।
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बिहार में जो कुछ भी हुआ लगता है बिहार की जनता
के लिए अच्छा ही हुआ। मोदीजी की बीजेपी बेदाग़ है
नितीश कुमार ने पहले भी बिहार में जितना विकास
किया बीजेपी के साथ मिलकर ही किया। अब फिर से
बिहार की जनता को सुसाशन मिला है।
बुधवार, 26 जुलाई 2017
नितीश कुमार का CM पद से स्तीफा
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बिहार की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया।
लालू परिवार की हरकतों से परेशान हो नितीश कुमार ने
मुख्यमंत्री पद से स्तीफा दे दिया।
राजनीति में कहते हैं की कुछ भी असम्भव नहीं। ये वही
नितीश कुमार हैं जिन्होंने वर्षो तक लालू के विरुद्ध लड़ाई
लड़ी और बीजेपी के साथ रहे। फिर वही नितीश कुमार
ने बीजेपी को साम्प्रदायिक करार दे चुनाव के बाद लालू
के साथ मिलकर सरकार बना ली। अब एक बार फिर
कुमार ने लालू परिवार के कारनामों से परेशान हो CM
पद से स्तीफा दे दिया।
लालू परिवार अपनी हेकड़ी पर है। नितीश के स्तीफा
देते ही लालू ने ढाई दशक पुराने हत्या के मामले को
उजागर कर दिया जिसमे संभवतः कुमार को दोषी
बताया गया।
अब देखना है की बिहार की राजनीति का ऊँट किस
करवट बैठता है। क्या नितीश कुमार बीजेपी के समर्थन
से सरकार बनायेंगे या बिहार में राष्ट्रपति शासन लगेगा।
मंगलवार, 25 जुलाई 2017
टमा -टमा लोगे ,टमा टमा लोगे टमा
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ऐसा एक गाना बहुत प्रचलित हुआ था।
तब इसके मायने लोगो को पता नहीं चल
पाये थे। आज पता चल रहे हैं।
गाने में पूछा जा रहा था की टमा यानि
टमाटर लोगे क्या ?आज जब लोगो को
टमाटर की जरूरत है तो कोई पूछ नहीं
रहा। टमाटर के भाव आम के भाव से भी
दुगने हुए जा रहे हैं।
अभी कुछ सप्ताह पूर्व ही टमाटर के दाम
धरती पर थे। आज आसमान में हैं। बेचारा
किसान है परेशान। थोड़े दिन पहले उसके
टमाटर २ से ५ रूपये किलो बिक रहे थे
तब नुक्सान में था। आज इतने महंगे बिक
रहे हैं तो भी उसका फायदा किसान को
नहीं बल्कि बिचौलियों को मिल रहा है।
कुछ मिडिया को जरूर गला साफ़ करने
का मसाला मिल गया है.
बेचारे टमाटर की यही नियति है शायद।
रविवार, 23 जुलाई 2017
पाक के गधे चीन में
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पिछले दिनों यह समाचार सुर्खियों में था
की पाकिस्तान के गधे चीन में भेजे जा रहे।
खबर की खबर लेने पर मालूम पड़ा की
चीन ने लगभग 50 अरब का एक प्रोजक्ट
शुरू किया है जिसमे गधो की खाल से
दवाइयाँ बनाई जायेंगी।
चीन को पिछले कुछ समय से पाकिस्तान
दोस्ती के लायक लग रहा है। अब चीन
देख रहा है की वह पाकिस्तान से क्या क्या
फायदा उठा सकता है। शायद चीन को नापाक
में काम आने वाली चीज़ गधे ही लगी होगी।
बाकी तो वहाँ के नेता शायद गधो से भी गये
गुजरे से हों।
शनिवार, 22 जुलाई 2017
ख़ुफ़िया बातें सार्वजनिक क्यों
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आज टीवी पर कई चैनलों द्वारा यह बताया गया की
भारत के पास सिर्फ 10 दिन का गोला बारूद है।
यह सब CAG की रिपोर्ट के आधार पर खबर का
बतंगड़ बनाया गया।
महत्वपूर्ण बात यह है की CAG एक सरकारी संस्था
है। कई अहम बातो की समीक्षा कर जबाब देना CAG
का कार्य है। लेकिन देश की सुरक्षा जैसी अहम बात
और वह भी ऐसे माहौल में सार्वजनिक करना क्या
देशहित में है ?
यह कोई साधारण बात नहीं है। CAG की रिपोर्ट
गलत है या सही है ,उसे सार्वजनिक करना देश की
सुरक्षा से खिलवाड़ करने जैसा ही है। केंद्र सरकार
को इसपर कार्यवाही करनी चाहिए।
शुक्रवार, 21 जुलाई 2017
रेल का खाना मत खाना
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आज CAG की रिपोर्ट में रेल का खाना खाने योग्य
नहीं बताया गया है। रेल की पैंट्री का खाना गुणवत्ता
के आधार पर खरा नहीं उतरा।
हमारे रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु रेलवे के लिए रात दिन
कार्य कर रहे हैं। नई नई योजनायें बना रहे हैं। लेकिन
पिछले 70 सालों में रेल चली तो जरूर लेकिन भविष्य
की जरूरत को ध्यान में रखकर कार्य नहीं हुआ। आज
वही पुरानी पटरियां ,वही पुराना सिस्टम। अब इनको
बदलने में समय तो लगेगा ही।
लेकिन रेल मंत्री जी की बुलेट ट्रैन वाली बात जनता को
हज़म नहीं हो रही। रेलवे के पास अभी ना तो इतना धन
है की बुलेट ट्रैन चलाये ना ही पटरियों की ऐसी स्तिथि है।
क्या ही अच्छा हो की रेल मंत्री जी अभी चल रही ट्रेनों को
ही चुस्त -दुरुस्त कराये ?पैंट्री के खाने की गुणवत्ता पर
ध्यान दें। साथ ही ए सी कोच में कॉकरोच-चुहियाँ न हों,
ओढ़ने बिछाने के साफ़ सुथरे कपड़े मिले ऐसी व्यवस्था
कराये। अति कृपा होगी।
गुरुवार, 20 जुलाई 2017
बुधवार, 19 जुलाई 2017
भारत-चीन बॉर्डर पर सेनाएँ तैनात
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पिछले काफी समय से भारत और चीन में बॉर्डर पर
तनातनी चल रही है। तनातनी इस हद तक बढ़ गई
है की अब चीन कई बार भारत को युद्ध की धमकी
भी दे चुका है।
हालांकि भारत ने भी चीन को जता दिया है की भारत
पहले वाला भारत नहीं है।अब गलत बात का जबाब
दिया जायेगाऔर दिया जा रहा है। लेकिन फिर भी
चीन से युद्ध होना भारत के लिए हानिकारक ही होगा।
चीन एक शक्तिशाली देश है। आधुनिकी के प्रत्येक
क्षेत्र में चीन ने महारथ हासिल कर रखी है।
भारत को चीन की धमकी को अनदेखा नहीं करना
चाहिए। चीन और पाकिस्तान दोनों विश्वासघात करने
में कभी पीछे नहीं रहते। इन दोनों की दोस्ती भारत को
परेशान करने के लिए ही हुई है। चीन एक तरफ भारत
की जमींन पर कब्जा करने की कोशिश करता रहता है
तो दूसरी तरफ चीन ने पाकिस्तान से दोस्ती के बदले
POK और अन्य क्षेत्रों में कब्जा कर अपने व्यापार और
सुरक्षा हेतु सड़के आदि बना दी हैं।
हालांकि अब मोदीजी ने विश्व के अनेक देशों से दोस्ती
कर चीन को चारों तरफ से घेरने की कोशिश की है।
विश्व के अधिकांश विकसित देश आज भारत के साथ
कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। फिर भी युद्ध के परिणाम
अच्छे नहीं होते। देश दशकों पीछे चला जाता है। युद्ध
से अच्छा है आपस में बातचीत से किसी निर्णय पर पहुंचा
जाये।
कुछ भी लेकिन बॉर्डर पर जिस तरह की परिस्तिथी बन
रही है भारत को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिये।
मंगलवार, 18 जुलाई 2017
कर्नाटक में अलग झंडे की मांग
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बहुत विडंबना की बात है की आज देश के एक राज्य
कर्नाटक से अलग झंडे की मांग उठी है।
यह सब देश को बाँटने की साज़िस जैसा लगता है।
महत्वपूर्ण बात यह है की इस बेबुनियादी मांग का
समर्थन कांग्रेस कर रही है।
इतिहास गवाह है की कश्मीर समस्या कांग्रेस की
देन है। कश्मीर को अलग विशेष राज्य का दर्जा
और उसका अलग झंडा कांग्रेस की नीति के कारण
ही हुआ था।
आज फिर एक बार जैसे देश को बाटने की साज़िस
के जैसा प्रयास कांग्रेस के समर्थन से हो रहा है। बहुत
दुर्भाग्यपूर्ण है यह सब।
रविवार, 16 जुलाई 2017
गोमाता बनाम गोरक्षक
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देश में गाय बचाओ आंदोलन जोर -शोर से चल रहा है।
गोरक्षक गाय को बचाने के लिए जी जान से जुटे हैं।
सरकार भी गो रक्षा के लिए कार्य कर रही है। लेकिन
कहीं कहीं कार्य ठीक होने की बजाय गलत भी होता
दिखाई दे रहा है। कई बार गोरक्षक कानून अपने हाथ
में ही ले लेते हैं। कई जगह हमला करने वाली भीड़ का
ही पता नहीं चलता की इसमें कौन लोग शामिल हैं।
कुछ भी हो लेकिन यदि हमे गाय बचानी है तो पहले
अपने आप को ही इस योग्य बनाना चाहिए। आज
गोपालक गाय को दूहकर सड़क पर छोड़ देता है
चरने के लिए। गोशाला वाले सिर्फ दुधारू गाय को
ही गोशाला में रखना चाहते हैं। आवारा गाय को कोई
रखना नहीं चाहता। गाय के बछड़ा देते ही बछड़े को
बेच देते हैं। गाय के बाँझ होते ही गाय को बेच देते हैं।
तब हम यह भी नहीं सोचते की जिस गाय को हम बेच
रहे हैं उसका खरीददार कौन होगा -शायद कसाई ?
शनिवार, 15 जुलाई 2017
इस्लाम और चीन
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इस्लाम के नाम पर जहाँ पाकिस्तान और उसके
आतंकी संग़ठन भारत में आतंकी गतिविधियाँ
चलाते हैं वहीँ दूसरी ओर खुद पाकिस्तान के
आकाओं ने भारत को नेस्तनाबूदँ करने के लिए
इस्लाम विरोधी चीन से हाथ मिला लिया है।
पाकिस्तान के कटटरपंथी संगठन इस्लाम का
हवाला देकर आतंक फैलाते हैं लेकिन चीन पर
चुप रहते हैं। चीन में मुसलमानों की आबादी
बढ़ती जा रही है। कुछ जगह ज्यादा ही बढ़ गई
है। ऐसे में चीनी सरकार भी इनपर दबाब बनाकर
रखती है। चीन में मुसलमानों पर अनेक पाबंदियाँ
लगाई गई हैं। वहाँ मुसलमानों को ढाढ़ी रखने पर
पाबंदी है। ओरतो को बुरका पहनने पर पाबंदी है।
मस्जिदों में लाउडस्पीकरों से अज़ान पर पाबंदी है।
सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी है।
कटटरपंथी आतंकी संग़ठन चीन पर चुप रहते हैं।
जबकि भारत समेत अनेक देशों में उन्होंने आतंक
फैला रखा है।
यही नहीं पाकिस्तान की सरकार भी यह सब जानते
हुए भी अनजान बनी हुई है। क्योकि पुरे विश्व में अलग
थलग पड़ने के बाद पाकिस्तान को चीन का ही सहारा
मिलता दिखाई दे रहा है। भारत का विरोध करने में
उसे चीन ही अपने साथी के रूप में दिखाई दे रहा है।
पाकिस्तान इस बात को भी नज़र अंदाज़ कर रहा है
की उसकी चीन से दोस्ती पाकिस्तान और इस्लामियत
दोनों पर भारी पड़ेगी। पाकिस्तान का बुद्धिजीवी वर्ग
भी इस दोस्ती के विरुध्द है लेकिन पाकिस्तान के प्रधान
मंत्री नवाज़ जो खुद अनेक भ्र्ष्टाचार के मुकदमों में फ़से
हैं उन्हें
शुक्रवार, 14 जुलाई 2017
गुरुवार, 13 जुलाई 2017
तेल बचाओ
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सरकार कह रही है की देश में डीजल -तेल
की खपत कम करनी चाहिये।
ठीक बात है ,लेकिन तेल बचाने में अहम रोल
सरकार का ही है।
1 यदि देश की सड़कें ठीक हो तो तेल बचे।
2 यदि बिजली पूरी मिले तो तेल बचे।
3 जाम से मुक्ति मिले तो तेल बचे।
4 रेल लेट न हो तो तेल बचे।
5 हवाईजहाज समय से लैंड हो तो तेल बचे।
6 ई- वाहन बनाओ तो तेल बचे।
7 नेताओ-मंत्रियों के साथ काफ़िले न चले तो तेल बचे।
बुधवार, 12 जुलाई 2017
मंगलवार, 11 जुलाई 2017
अमरनाथ यात्रा पर हमला
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कल रात अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकियों ने
एक बस पर लगातार गोलियां दागी जिसमे लगभग
सात यात्रियों की मौत हो गई और अनेको घायल हो
गये।
बताया जाता है की बस गुजरात से आयी हुई थी।
बस के ड्राइवर के कारण अनेक लोगो की जान
बच गई। ड्राइवर ने हमला होने पर बस को और
तेज भगाकर सबकी जान बचाई। बस ड्राइवर एक
भारतीय मुसलमान है। जिसने आतंकवाद की निंदा
करते हुए इसे जड़ से खत्म कर देने की बात कही।
आज दिनभर टीवी चैनलों पर इसी मुद्दे पर डिबेट
चलती रही। विडंबना की बात है की ये टीवी वाले
अलगाववादियों -पाकिस्तानियों -समर्थको जैसे को
टीवी पर बुलाते ही क्यों हैं। ये सब भारत विरोधी
बात करते हैं। आज शबनम लोन कई टीवी चैनलों
पर दिखाई दी। एंकर की सीधी बात का एक बार
भी उन्होंने सीधा जबाब नहीं दिया। वो कभी भी
पाकिस्तान के आतंकी को आतंकी नहीं कहती।
बस हर बात में भारत सरकार की खामियाँ गिनाती
रहती हैं।
दरअसल मुख्य बात यह है की कश्मीर समस्या का
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समाधान कभी नहीं होगा। क्योकि कश्मीरी आवाम
भले ही पाकिस्तान की बोली बोलता हो ,पाकिस्तान
के झंडे लगाता हो लेकिन वह कभी भी पाकिस्तान
के साथ नहीं जाना चाहेगा। आज भी कश्मीरी आवाम
भारत के साथ ही सहज है।
कश्मीरी तो कश्मीर को आज़ाद मुल्क बनाना चाहते
हैं। वे दोनों देशों को गाली बकते हैं। वे खाते हो भले
ही भारत का लेकिन भारत के प्रति उनकी मानसिकता
ठीक नहीं है। इसमें बहुत बड़ा हाथ अलगाववादियों
का है। अलगाववादियों ने अपनी नेतागिरी चमकाने और
सरकारी मदद पाने को यह हंगामा मचा रखा है।
सोचने की बात यह है की ये अलगाववादी नेता खुद तो
मौज से रहते हैं। इनके बच्चे विदेशो में पढ़ते हैं। कश्मीरी
आवाम के बच्चों के हाथ में पत्थर देकर सेना के आगे
भेज देते हैं। कश्मीरी आवाम को चंद रुपयों की खातिर
इन्होने गलत राह पर भेज दिया है।
इस सबका हल क्या है ?
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जब तक कश्मीरी अलगाववादियों का हुक्का पानी बंद
नहीं होगा ,इनपर समुचित कार्यवाही नहीं होगी ये लोग
कश्मीर को शांत नहीं होने देंगे। ये सब पाकिस्तान से
मिले हुए हैं और आतंकवादियों से इनके संबंध हैं जिससे
ये कश्मीर को सुलगता ही रहना देना चाहते हैं।
रविवार, 9 जुलाई 2017
हिन्दी पर हंगामा क्यों
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आज अमर उजाला में सुधीर पचौरी जी का सुन्दर लेख पढ़ा।
उन्होंने किसी रामचंद्र गुहा के कालम में हिंदी को अंध राष्ट्रवाद
बताया है पर अपने विचार रखे।
दरअसल बात यह है की हिंदुस्तान में आज भी हिंदी सर्व मान्य
नहीं है। लेकिन यह भी सत्य है की आज हिंदुस्तान में हिंदी के
बिना गुजारा भी नहीं है।
गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में अधिकांश लोग हिंदी जानते -समझते हैं।
पता नहीं क्यों हिंदी से विरोध भी अपनाये रहते हैं ?जबकि आज
हिंदी के बिना गुजारा नहीं है। देश में नाम चमकाना है तो हिंदी
से ही चमकेगा। नेता हो या अभिनेता सबका हिंदी के बिना गुजारा
नहीं।गैर हिंदी भाषी भले ही हिंदी की उपेक्षा करते हो लेकिन वे
जानते हैं की उन्हें आगे बढ़ना है तो हिंदी का सहारा लेना ही पड़ेगा।
हिंदी का विरोध करने वाले रामचंद्र गुहा को भी अपनी बात चर्चा में
लाने को हिंदी में ही छपवानी पड़ी। हिंदी को अंध राष्ट्रवाद बताना
गलत है। बल्कि ऐसे ही लोग अंध राष्ट्रवादी कहलाते हैं। यह तो वही
बात हुई की जिस थाली में खायें उसी में छेद करें।
हिंदुस्तान में हिंदी मात्र भाषा नहीं बल्कि मातृ भाषा है। यह अन्य
सभी भाषाओं की बड़ी बहन जैसी है। सभी भाषाएँ एक परिवार के
जैसी हैं। हम सभी भारतीयों को सभी भाषाओं का सम्मान करना
चाहिए।
शनिवार, 8 जुलाई 2017
बुरे आदमी की बरसी
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कश्मीर में हुर्रियत और अलगाववादियों ने
आतंकी बुरहान बानी की बरसी पर बन्द का
एलान किया है। अच्छा ही है ,कश्मीर कुछ
सालों के लिए बन्द हो जाए तो इन सबको
अक्ल आ जाए।
सेना द्वारा सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम
किये गए हैं। कई अलगाववादी नेताओ को
नज़रबन्द कर दिया गया है।
विडंबना की बात तो यह है की एक आतंकी
के समर्थन में कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज़
तो यह कहते हैं की मै होता तो बुरहान को
मरने नहीं देता। सम्पूर्ण कांग्रेस आज भी इन
देशद्रोहियों से बात करे सरकार यह कहती
नहीं थकती।
इसीलिए देश कांग्रेस मुक्त हो रहा है ,लेकिन
इन्हे फिर भी समझ नहीं आ रही।
शुक्रवार, 7 जुलाई 2017
लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापे
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आज लालू यादव के 12 ठिकानों पर CBI ने एक साथ
छापामारी कर दी। इनमें कई होटल और प्रॉपर्टी शामिल
हैं। इन सबके मालिकाना हक में लालू परिवार शामिल है।
अब लालू यादव इसे बदले की कार्यवाही बता रहे हैं।
कुछ भी हो लेकिन एक बात सारा बिहार जानता है की
लालू परिवार भी गरीब परिवार हुआ करता था। फिर
ऐसी क्या करामात हुई की कुछ ही सालो में यह परिवार
करोड़ो -अरबो का मालिक बन गया ?
राहुल गांधी उवाच
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भारतीय राजनीति में राहुल गाँधी की भूमिका
सभी जानते हैं। रचनात्मक कुछ करते नहीं ,
हल्ला मचाते हैं,जब थक जाते हैं विदेश चले
जाते हैं ,आकर फिर हल्ला मचाते हैं।
अब विदेश से आकर पूछ रहे हैं की चीन पर
मोदीजी कुछ बोलते क्यों नहीं ?यही विडंबना
है की इसराइल में मोदीजी बोले तब ये सुनते
नहीं। ये चाहते हैं की मोदीजी इनकी बातो का
जबाब दे तो राहुल गांधी को परिपक़्व हो जाना
चाहिए। इतनी बड़ी राजनितिक पार्टी कांग्रेस के
युवराज को यह सोचना चाहिए की पिछले 10 साल
में कांग्रेस के सूत्रधार रहे हैं राहुल गांधी। इनके
रहते देश कांग्रेस मुक्त क्यों हो रहा है ?
चीन एक ताकतवर -चतुर -चालाक देश है। भारत
उसका मुकाबला बराबरी से नहीं कर सकता। हाल
ही में सीमा पर दोनों देशों में तकरार चल रही है।
ऐसा पहली बार हो रहा है की भारत की तरफ से
सीना तानकर जबाब दिया जा रहा है। यही बात
चीन को बर्दास्त नहीं हो रही है। यह सब मोदीजी
की विदेश नीति के कारण सम्भव हुआ है। आज
विश्व के अधिकांश देश भारत के साथ हैं। यह बात
राहुल गाँधी को क्यों नहीं दिखाई दे रही है ?
गुरुवार, 6 जुलाई 2017
रेल टिकट सब्सिडी
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सूत्रों से ज्ञात हुआ की सरकार द्वारा जनता से
गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील के बाद अब
रेल टिकट सब्सिडी छोड़ने की अपील करने
वाली है।
इस पर जनता का कहना है की कुछ हज़ार
करोड़ की सब्सिडी जनता से छीनी जा रही है
जबकि देश के बड़े घरानों (कॉरपोरेट्स )पर
बैंको के लाखों करोड़ बकाया हैं। उनसे वसूली
क्यों नहीं कर रही सरकार ?इन सब की सम्पत्ति
क्यों नहीं जब्त कर रही सरकार ?
इतने धन से गरीब जनता के लिए अनेक अच्छी
कल्याणकारी योजनायें शुरू जा सकती हैं।
बुधवार, 5 जुलाई 2017
भारत से आया मेरा दोस्त
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यह शब्द एक छोटे से महान देश इसराइल
के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के हैं।
भारत के प्रधानमंत्री मोदीजी के इसराइल दौरे
पर इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सारे
प्रोटोकॉल तोड़ मोदीजी का एयरपोर्ट पर
गले लगाकर स्वागत किया और हिंदी में बोले
आपका स्वागत है मेरे दोस्त।
70 साल बाद भारत का प्रधानमंत्री इसराइल
गया है। वो हैं मोदीजी जी। मोदीजी की कार्य
प्रणाली ,देश के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा पूरा
विश्व देख रहा है।
इसराइल एक छोटा देश है लेकिन कई मायनों
में महान देश है। सिर्फ 90 लाख जनसंख्या वाला
यह देश नए अविष्कारों और नई तकनीक का
जन्मदाता है। एक मात्र यहूदी देश जो किसी से
घबराता नहीं। यहां की जनता में देशभक्ति कूट
कूट कर भरी हुई है।
अपने जरूरत की सभी चीजें बहुत कम संसाधनों
से नई तकनीक से पूरी कर लेता है। पर्यावरण की
दृष्टि से भी यह देश बहुत आगे है।
अब देखना यह है की मोदीजी के जाने से भारत को
कितना फायदा होता है। इसराइल की तकनीक कितनी
भारत को मिल पाती हैं। वहॉँ की तकनीकों से मेक इन
इंडिया को कितना लाभ मिलेगा।
कुछ भी हो लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा
की पहली बार भारत का कोई शेर इसराइल की शेरगाह
में गया है। इसका लाभ भी जरूर भारत को मिलेगा।
मंगलवार, 4 जुलाई 2017
पुराने नोट फिर बदले जाये ?
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देश में नोटबंदी हुई -अफरातफरी मची -कुछ परेशान हुए ,
कुछ के मज़े आये। काफ़ी समय दिया गया पुराने नोट बदलवाने
के लिए। लगभग सभी के बदले भी गए।
सफेद धन वालो के खातों में बदले गए ,काले धन वालो के बातों
से बदले गए। अब इसमें किसका कितना दोष यह तो सरकार
पता लगा रही है। काफी का पता लगा भी लिया है।
अब एक बार फिर से सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार
लगाई है की क्यों नहीं एक बार फिर से पुराने नोट बदलने का
मौका दे रही सरकार ?
हालाँकि इसमें सही लोग और सही नोट वालो की बात कही
गई है लेकिन समझ में यह नहीं आ रहा की अब आठ महीने
बाद सुप्रीमकोर्ट को क्या याद आ गई सही लोगो और सही नोटों
की ?ये सही लोग और सही नोट वाले तब क्या सो रहे थे ?
जनता में हलचल है की ऐसा करने का अब क्या ओचित्य है ?
कुछ जनता ऐसी वाणी भी बोल रही है की कुछ बड़े नेताओं ,
कुछ राजनीतिक पार्टियों के पास आज भी गोदाम भर भर कर
पुराने नोट हैं जो समय रहते बदले नहीं जा सके थे।
ऐसे में क्या ये नेता लोग नोट बदलने का फायदा नहीं उठाएंगे ?
सरकार तो सुप्रीमकोर्ट को जबाब देगी ही लेकिन आम जनता
अब दोबारा नोट बदलने की बात से सहमत नहीं है।
शनिवार, 1 जुलाई 2017
देश में GST लागू हो गया
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30 जून की रात 12 बजे देश में Gst लागू हो गया।
इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने संसद में बैठे
सैकड़ो सांसद -राजनेता -उद्योगपति एवं गणमान्य
लोग। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं प्रधानमंत्री मोदीजी
ने रात्रि के 12 बजे घंटी बजाकर देश में Gst लागू किया।
कांग्रेस और ममता बैनर्जी ने विरोध स्वरूप भाग नहीं
लिया।
अब आगे क्या होगा ?अभी Gst पर ना सरकार की पूर्ण
तैयारी है और ना किसी अधिकारी -CA को सही बात पता
है। यहां तक की बिलबुक का परफोर्मा कैसा होगा यह भी
ठीक तरह से नहीं पता। इसीलिए आज एक जुलाई को देश
भर के अधिकांश व्यापारियों द्वारा कार्य नहीं हुआ। बिलबुक
बने तभी बिल कटेगा और माल बिकेगा और भेजा जाएगा।
जबकि सरकार और वित्तमंत्री पूर्ण तैयारी का दावा करते
दिखाई दे रहे हैं।
खैर कोई बात नहीं नई व्यवस्था है थोड़ा समय लगेगा और
फिर सब ठीक हो जाएगा। जब कभी वैट लगा था तब भी ऐसे
ही हंगामा मचा था लेकिन बाद में सब ठीक हो गया था।
अब मुख्य बात यह है की क्या Gst से सब बिल से मिलने
लगेगा ?क्या कच्चा -पक्का खत्म होकर सिर्फ पक्के में कार्य
होने लगेगा ?क्या Gst से राजस्व बढ़ेगा ?यह सब सवालों का
जबाब 3 से 6 महीने में मिलेगा।
सब व्यापारी अपना सब कारोबार Gst से करेंगे इसमें संदेह
लगता है। दरअसल व्यापारी और अधिकारी के बीच ऐसा
संबन्ध बन गया है जिससे दोनों खुश रहते हैं। अनेक कानूनों
का पालन व्यापारी कर नहीं पाता। जिसकी पूर्ती कुछ देकर
कर लेता है। इससे व्यापारी की जान बची और अधिकारी की
जेब भरी। कोई शिकायत नहीं कोई शिकवा नहीं।
मोदीजी और जेटली जी जो चाह रहे हैं उतना तो शायद ही
सम्भव हो। क्योंकि दोनों तरफा असहजता होगी। आज बिना
दिए छूटकारा नहीं। ऐसी व्यवस्था सी बन गई है। सब करोबारी
अपने को रजिस्टर्ड करायेंगे यह भी सम्भव नहीं लगता। क्योकि
जो दर्ज हो जाता है उसको ही दर्द मिलता है। ऐसा देखने में आता
है। कच्चे में कार्य करने वाले कहते हैं की बिल से नहीं दिल से
कार्य करो।
Gst की तर्ज पर खाद्य गुणवत्ता कानून है यानि fassi
इस विभाग के पास इतनी ताकत है की उसके एवज में इनके मजे
आ रहे हैं। खाद्य पैकेट पर इतने कानून बना दिए की छोटी कम्पनी
तो दूर बड़ी कम्पनी भी उनको पूरा नहीं कर पाती। इसकी पूर्ति
कुछ देकर हो जाती है। हर साल लइसेंस रिनिवल के नाम पर उगाही
सैंपल के नाम पर उगाही ,जो दे रहा उसका भरा नहीं जा रहा ,जो
नहीं दे रहा उसका उत्पीड़न और सेम्पल भरा जाता है। इसी कारण
अनेक लघु उद्योगों ने बिना नाम पते के कार्य करना शुरू कर दिया।
महीना बाँध दिया और झंझट खत्म किया।
यदि एक शहर में अपने नाम से पैकिंग कर खाद्य पदार्थ बेचने वाले
50 हैं तो बिना नाम से बेचने वाले 500 होंगे। इनपर कोई कानून नहीं।
इनको हर बात में सुविधा ,सरकारी खर्च भी नहीं ,कोई लइसेंस नहीं ,
कोई टैक्स नहीं ,कोई हिसाब किताब नहीं।
बस यही बात है जिसके कारण कच्चा -पक्का होता है। इसीपर
सरकार को दोनों पहलू देख नियम -कानून बनाने चाहिए। अन्यथा
पढ़े मेरा लेख *जो दर्ज है उसे दर्द है *
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