सोमवार, 26 अक्तूबर 2020
शनिवार, 24 अक्तूबर 2020
म्यूचलफंड -सही नहीं है यार
सोमवार, 19 अक्तूबर 2020
यह कैसी कोरोना सुरक्षा ?
रविवार, 18 अक्तूबर 2020
गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020
डाकघर -डाकबाबू -सर्वर डाउन
रविवार, 11 अक्तूबर 2020
मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020
बिना साबुन हाथ धोयें -स्वस्थ रहें
सोमवार, 5 अक्तूबर 2020
बुधवार, 30 सितंबर 2020
बैंक में धोखाधड़ी
शनिवार, 19 सितंबर 2020
सच्चा सिक्का भी खोटा
शनिवार, 12 सितंबर 2020
हिंदी दिवस
रविवार, 6 सितंबर 2020
गुरुवार, 3 सितंबर 2020
ऊपर वाले की नज़र
बुधवार, 2 सितंबर 2020
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म
उत्तम आकिंचन धर्म
रविवार, 30 अगस्त 2020
उत्तम त्याग धर्म
शनिवार, 29 अगस्त 2020
उत्तम तप धर्म
उत्तम संयम धर्म
गुरुवार, 27 अगस्त 2020
जैन दसलक्षण धर्म -एक बार जरूर पढ़ें
बुधवार, 26 अगस्त 2020
उत्तम सत्य धर्म
मंगलवार, 25 अगस्त 2020
सोमवार, 24 अगस्त 2020
उत्तम मार्दव धर्म
रविवार, 23 अगस्त 2020
उत्तम क्षमा
गुरुवार, 20 अगस्त 2020
नई पीढ़ी कैसे रहेगी स्वस्थ ?
बुधवार, 12 अगस्त 2020
अस्पताल -डॉक्टर , भगवान भी -शैतान भी
मंगलवार, 11 अगस्त 2020
शुक्रवार, 7 अगस्त 2020
राम राम जी - जय श्री राम
राम राम जी - जय श्री राम
बुधवार, 5 अगस्त 2020
बुधवार, 29 जुलाई 2020
लोमड़ी से भी चालाक चीन
भारत अकेला चीन का सामना नहीं कर सकता लेकिन मोदीजी के नेत्तृव में आज अमेरिका समेत विश्व के कई बड़े देश चीन की दग़ाबाज़ी से परेशान होकर संयुक्त रूप से भारत का साथ देने को तैयार हैं। यही नहीं अपने आधुनिकतम हथियार एवं लड़ाकू जहाज भी भारत को दे रहे हैं। गलवान घाटी में पिटने के बाद चीन भले ही शांति का दिखावा कर रहा हो पर चीन कब विश्वासघात कर बैठे कोई भरोसा नहीं। भारतीय व्यापार बंदिशों से बौखलायें चीन पर भरोसा करना कतई ठीक नहीं है। यही उचित समय है सभी देश मिलकर लोमड़ी से चालाक चीन से अपनी-अपनी भूमि मुक्त करायें और चीन का सामना कर उसे उसकी औकात दिखायें।
चीन के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना इतना जरूर करे की जानें -अनजानें कुछ बम नापाक की धरती की तरफ़ भी धकेल दे। भारत से दुश्मनी के कारण पाकिस्तान के नेता चीन को अपना ईमान -सामान सब बेच रहे हैं। नापाक नेता अपनी आवाम की भलाई का धन एटम बमों में लगाया बताकर खुद खा जाते हैं और आवाम को महंगाई -बेइजत्ती से रहने को मज़बूर कर रहे हैं। जबकि उनके आधे अधूरे एटम बम किसी लायक नहीं हैं, यदि उनमें से एक भी चलाया तो वह वहीं फट जायेगा ,लेकिन फिर भी नापाक नेता अनर्गल बयानबाज़ी से बाज़ नहीं आ रहे।
यही उचित समय है चीन विरोधी सभी देशों को मिलकर चीन को उसकी औकात बताने का। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। *सुनील जैन राना *
सोमवार, 27 जुलाई 2020
शुक्रवार, 24 जुलाई 2020
बरसात का पानी धरती में जाये -पर कैसे ?
बरसात का पानी धरती में जाये पर कैसे ,इसके लिए बड़े पैमाने पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ योजनायें बनाकर कार्य करने की जरूरत है। हिंदी पखवाड़े की तर्ज पर भूगर्भ जल सप्ताह मनाकर बरसात का पानी धरती में नहीं भेजा जा सकता। सरकारी -गैसरकारी स्तर पर प्रत्येक नगर -शहर-कस्बे -गाँव आदि के स्कूलों ,सरकारी कार्यालयों ,अस्पतालों ,होटलों आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने बहुत जरूरी हैं। इसी प्रकार खेत -बाग़ -जोहड़ -तालाब अदि में भी यह सिस्टम लगाया जाये। गली -मोहल्लो में बह रहा नालियों का पानी नालों में जाता है। यदि नालों के अंत में यह सिस्टम लगा दिया जाये तो भी बरसात के अधिकांश पानी को बरबाद होने से बचाया जा सकता है।
पानी का अंधाधुंध दोहन तो हो रहा लेकिन साथ ही पानी बचाने की सोच का भी दोहन हो गया है। यदि हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में आज जहां भरपूर पानी है वहां भी पानी की किल्ल्त हो जायेगी। केंद्र /राज्य सरकारें मनरेगा का इस्तेमाल नहरें बनाने में कर नहरों के द्वारा ज्यादा पानी को कम पानी की जगह उपलब्ध करा सकती हैं। सरकार के साथ जनता में जागरूकता होनी बहुत जरूरी है। ऐसा सब हो जाये तभी बरसात का पानी धरती में जाये। तभी हमारी मातृभूमि सभी को वर्ष भर भरपूर पानी दे पायेगी। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 20 जुलाई 2020
शनिवार, 18 जुलाई 2020
कोरोना - एक अदृश्य भूत
आधुनिक -भौतिक युग में कोई भूत की बात करे तो उसे अंधविश्वासी या मुर्ख करार दे दिया जायेगा। ठीक भी है लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में आज भी अनेकों रहस्यों ,बीमारी -झाड़फूंक उपचार आदि की सत्यता को कोई झुठला नहीं सकता। पुराने जमाने में जैसे कहावत थी की वहां मत जाना वरना भूत चिपट जायेगा ठीक उसी प्रकार आज के नए जमाने में भी कहा जा रहा है की बाहर मत जाना वरना कोरोना हो जायेगा। अर्थात कोरोना एक ऐसे अदृश्य भूत समान कोई है जो न दिखाई देता है और न ही उसे किसी ने देखा है। जिस प्रकार पहले कहा जाता था की इसे भूत चिपट गया अब कहा जाता है की इसे कोरोना चिपट गया अर्थात हो गया। जो हो तो जाता है लेकिन दिखाई नहीं देता।
चीन से लेकर भारत तक इस अदृश्य कोरोना ने लाखों लोगो को निगल लिया है। विश्व के सभी बड़े देश कोरोना की पहचान कर इसकी रोकथाम में लगे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। भारत में पतंजलि जैसी नामी आयुर्वेद कम्पनियों ने कोरोना रोकथाम का सस्ता -कारगर उपाय भी दिया है लेकिन शायद महंगा विदेशी उपचार ही विश्व को मंजूर होगा। दुष्कर बात तो यह है की अभी तक कोरोना का कोई ईलाज नहीं लेकिन अस्पतालों में सबसे महंगा ईलाज हो रहा है कोरोना का। पता नहीं ईलाज के नाम पर क्या हो रहा है ?
मज़े की बात यह भी है की अभी तक यह पता नहीं चला है की कोरोना किसको और क्यों हो रहा है ?भारत में लाखों कर्मचारी -मज़दूरो ने अपने घरो को भारी भीड़ में पलायन किया लेकिन उनमें से हज़ारो को भी कोरोना होने की बात सामने नहीं आयी। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जैसे महानायक जो दुसरो को कोरोना से बचने के उपाय बताते रहे उन्हें खुद कोरोना ने लपक लिया। ऐसे ही अनेको छोटे -बड़े लोग जो कोरोना से बचाव में लगे थे खुद कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में निष्कर्ष यह निकलता है की शारीरिक मेहनत करने वालों को जल्दी से कोरोना नहीं होता। इसलिए मेहनत करो ,इम्युनिटी बढ़ाओ ,घर का भोजन करो और स्वस्थ रहो। * सुनील जैन राना *
बुधवार, 15 जुलाई 2020
यह कैसी कांग्रेस
विनाशकाले विपरीत बुद्धि नहीं बल्कि सत्ता जाए विपरीत बुद्धि। कभी जन -जन कांग्रेस आज एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। ऐसा नहीं है की आज कांग्रेस में होनहारों की कमी है लेकिन आज गाँधी परिवार ने कांग्रेस को अपनी बपौती समझ लिया है।जो नेता कभी विरोध में कुछ बोला उसे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी कारण एक-एक कर कोंग्रेसी नेता कांग्रेस से निकल रहे हैं।
जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह दस साल पीएम रहे यदि उनके अनुसार देश चलता तो आज कांग्रेस भारत मुक्ति की ओर न होती। गाँधी परिवार ने उन्हें रोबोट की तरह कार्य करने दिया। ऐसे ही चापलूसी ने कांग्रेस को खो दिया। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता गाँधी परिवार को ही अपना भगवान मानते हैं क्या ?मोतीलाल वोरा जैसे बुजुर्ग नेता राहुल गाँधी के पैर छूते नज़र आते हैं। गाँधी परिवार आज भी बयान देता है लेकिन शायद सोशल मिडिया पर जनता के जबाब नहीं पढ़ता।
राहुल गाँधी के नेत्तृव में कांग्रेस ३० से ज्यादा चुनाव हारी फिर भी अध्यक्ष पद पर किसी अन्य को देना मुनासिब नहीं समझते। कांग्रेस अध्यक्ष या तो माँ रहेगी या बेटा। इस समय देश कोरोना और चीन से संकट घिरा है,ऐसे में सभी दलों को एकजुट होकर सरकार का साथ देना चाहिए लेकिन राहुल गाँधी सदैव आलोचना में लगे रहते हैं। पिछला इतिहास देंखे तो चीन और पाकिस्तान को खुद कांग्रेस ने सिर पर बैठाया था। आज पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी गई है और चीन को उसी की भाषा में जबाब दिया जा रहा है। घोटालो से कांग्रेस-गाँधी परिवार का शायद पुराना रिश्ता है जिसके उजागर होने पर ही जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इस पर भी राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन से दान या धन आने का पता चलना देश के लिए शर्मनाक ही है। गाँधी परिवार में सिर्फ तीन प्राणी तीनो अलग-अलग आलीशान सरकारी बंगलो में रहते हैं। क्या यह सत्ता का दुरूपयोग नहीं है ?
राहुल गाँधी अक्सर देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े नज़र आते हैं। JNU के टुकड़े गैंग का साथ उन्होंने दिया। उनकी कार्यशैली से सिंधिया -पायलट जैसे युवा होनहार नेता समेत अन्य कई कांग्रेस छोड़कर निकल रहे हैं। कांग्रेस मुक्त भारत खुद कांग्रेस ही कर रही है बीजेपी नहीं। देश की जनता अब कांग्रेस को नकार चुकी है। अब जब तक कांग्रेस गाँधी परिवार से बाहर नहीं निकलेगी तब तक कांग्रेस का वापस सत्ता में आना मुश्किल ही लगता है। * सुनील जैन राना *
रविवार, 12 जुलाई 2020
शुक्रवार, 10 जुलाई 2020
अपराध-अपराधी-संरक्षण-विधवा विलाप
राजनीति में अपराधीकरण को अपनाकर रंक से राजा बने विकास दुबे के बड़े-बड़े सफ़ेदपोश लोगो ,पुलिस-प्रशासन से रोटी-बोटी का रिश्ता बनाकर कोर्ट-कचहरी आदि महकमों में भी इज्जत के साथ पहुँच रखता था। उसकी दबंगई और धन-बल से स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि उपरोक्त सभी उसके आगे नतमस्तक रहते थे , इसी कारण दर्जनों वारदातों के बाद भी सज़ा न मिल सकी।
लेकिन यमराज ने शायद उसके अहंकार भरे शब्द सुन लिये थे। बस फिर क्या था, विकास दुबे पुलिस के द्वारा मारा गया। अब विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पक्ष-विपक्ष के नेताओं का अनर्गल विलाप टीवी चैनलों पर शुरू हो गया है। इसमें शर्मनाक बात तो यह है की अधिकांश विपक्ष विधवा विलाप में लग गया है। इसे जिन्दा क्यों नहीं पकड़ा-इसे मार क्यों दिया?जिन्दा पकड़ा जाता तो कहते यह अपने धन-बल से छूट जायेगा,मार दिया तो कहते हैं की अपनों को बचाने हेतु मार डाला। ऐसे खुद से भ्र्ष्ट नेता कभी नहीं सुधरेंगे,हर कार्य की आलोचना करना ही इनका मुख्य कार्य है।
राजनीति के समर्थन से अपराधीकरण पर कब लगाम लगेगी?कब तक बाहुबलियों के डर से बेबस पुलिस-प्रशासन एवं गवाह के मुकरने से संदेह का लाभ उठाकर अपराधी बचते रहेंगे?अक्सर यही होता रहा है,अपराधी अपराध कर खाकी -खादी का संरक्षण पाकर फ़रार हो जाता है। न्याय की चौखट पर पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है,उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। ऐसे में यदि दुर्दांत अपराधी एनकाउंटर में मार दिया जाता है तो विधवा विलाप नहीं करना चाहिए। बहुत शर्मनाक है ऐसे दुर्दांत अपराधियों के पक्ष में अनर्गल भाषा बोलना। * सुनील जैन राना *
रविवार, 5 जुलाई 2020
शनिवार, 4 जुलाई 2020
ऑनलाइन पढ़ाई - फ़ायदा कम ,नुकसान ज्यादा
मध्यम वर्ग जिसके पास स्मार्ट फोन -लैपटॉप -नेटवर्क नहीं होता वह क्या करेगा ?किसी के पास स्मार्ट फोन है लेकिन २ या ३ बच्चे हैं तो वह कैसे मैनेज करेगा ?अपना कार्य करेगा या बच्चों को पढ़ायेगा ,इतना डेटा कहाँ से लाएगा ?बड़े नगरों -शहरों में ही अभी नेटवर्क डाउन रहता है ऐसे में छोटे शहर -कस्बे -गाँव वाले कैसे बच्चों को पढ़ा पायेंगे ?
कोरोना कार्यकाल में रोजगार -व्यापार -कमाई के साधन कम हो गए ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त खर्चे कैसे बर्दास्त होंगे ?स्कूलों की फ़ीस क्यों नहीं माफ़ की गई? इस पर भी ऑनलाइन पढ़ाई कराने वाली अनट्रेंड टीचर जो स्कूल में ही ढंग से नहीं पढ़ा पाती थी अब ऑनलाइन कैसे पढ़ा रही होंगी ,कभी यह सोचा है किसी ने ?बड़े स्कूलों -बड़े घर के बच्चों की बात छोड़ दे तो अन्य बच्चों में तो हीन भावना ही जन्म ले रही है।
कभी किसी ने सोचा है की अधिकांश बच्चो की आँखे तो पहले से ही कमजोर रहती थी अब ऑनलाइन पढ़ाई से उनकी आँखों पर कितना जोर पड़ेगा ?मोबाईल पर कुछ घंटो की पढ़ाई ,फिर मोबाईल को बार -ंबार खोलकर देखकर होम वर्क पूरा करना। हम सभी अंदाजा लगा सकते हैं की इससे बच्चों की आँखों पर कितना जोर पड़ता होगा ?आने वाले समय में लगभग सभी बच्चों की आँखों पर चश्मा तो लगा ही होगा। आजकल के बच्चे मोबाईल पर ही लगे रहते हैं लेकिन मोबाईल देखना और मोबाईल से पढ़ने कार्य करने में बहुत अंतर् है।
कोरोना महामारी तो समय के साथ खत्म हो ही जाएगी लेकिन साल -छ महीने की पढ़ाई कराकर बच्चों का भविष्य खराब मत करो। ऐसे में बच्चों की आँखे खराब हो गई तो उनके भविष्य पर असर पड़ेगा। जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं उनमें हीन भावना जन्म ले रही है जो उनके भविष्य के लिए घातक हो सकती है। मध्यम वर्ग के अभिभावक दोहरी मार से मरे जा रहे हैं। फ़ीस माफ़ हो नहीं रही ऊपर से अतिरिक्त खर्चा कैसे बर्दास्त करें?इस पर सरकार को, स्कूल वालो को ,अभिभावकों को मंथन करना ही चाहिए। * सुनील जैन राना * सहारनपुर -२४७००१
बुधवार, 1 जुलाई 2020
देर से उठाया सही कदम
मोदीजी के कार्यकाल में आज विश्व अधिकांश देशों से भारत अच्छे संबन्ध हैं। मोदीजी ने पाकिस्तान और चीन से भी अच्छे संबन्ध रखने का भरपूर प्रयास किया लेकिन दोनों देश गद्दारी करने से बाज़ नहीं आये।कमजोर पाकिस्तान तो आज दुनिया में भीख का कटोरा लेकर इमदाद मांगने जाता है लेकिन कोई भी देश अब उसपर विश्वास ही नहीं करता। ताकतवर चीन आज अपनी कार्य प्रणाली से विश्व के अधिकांश देशों से अछूता हो गया। दूसरे देशो की भूमियों पर कब्ज़ा करने की उसकी चाह अब उसी पर भारी पड़ रही है। विश्व के अनेक बड़े देश आज चीन के खिलाफ हो गए हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने धोखे से २० भारतीय सैनिको की हत्या कर दी। हालाँकि भारतीय सैनिको ने भी चीनी सैनिको के छक्के छुड़ाकर कई दर्जन चीनी सैनिको को मार डाला। लेकिन उसके बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। भारत भी अब पहले वाला भारत नहीं है। मोदीजी के नेत्तृव में अब चीन से आर -पार की लड़ाई लड़ी जा रही है। साम-दाम -दंड -भेद अपनाकर चीन से सभी मोर्चों पर सामना किया जा रहा है।
हाल ही में मोदी सरकार ने ५९ चीनी एप्प पर पाबंदी लगा दी है। चीन से आयात होने वाली १२०० बस्तुओं पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। जरूरी सामान की आपूर्ति को मित्र देशों से बातचीत की जा रही है। चीन में लगी अन्य देशों की फैक्ट्रियों को भारत में लाने पर बातचीत चल रही है। हालाँकि यह सब आसान नहीं है फिर भी मोदी सरकार देश की सुरक्षा -संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। शायद यह देर से उठाया सही कदम है। युद्ध के किसी भी हालातों से निपटने को सीमा पर भारतीय जवान आधुनिक हथियारों ,लड़ाकू जहाजों से लैस हैं। जरूरत पड़ने पर विश्व के कई बड़े देश भारत का साथ देने को तैयार हैं। * सुनील जैन राना *
रविवार, 28 जून 2020
गुरुवार, 25 जून 2020
गरीब कौन - बेरोजगार कौन ?
ऐसा क्यों है इसके लिए हमें पहले यह देखना होगा की गरीब -बेरोजगार कौन हैं? पिछले तीन महीने कोरोना कार्यकाल को छोड़ कर देंखे तो राशन की लाइन में अच्छे कपड़े पहने हाथों में स्मार्ट फोन लिए लाइन में खड़ा व्यक्ति गरीब है क्या? सरकार द्वारा किसी योजना हेतु जनधन खाते में ५०० रूपये निकालने को ७० हज़ार की मोटर साईकल पर अपनी पत्नी को लाइन में लगाने आया व्यक्ति गरीब है क्या?अपना घर योजना में सरकारी मदद से अपना घर बनाकर उसे किराये पर देकर या बेचकर फिर से झोपड़ पट्टी में रहने वाला गरीब है क्या?सुबह को राशन की लाइन में और शाम को दारु की दुकान पर लाइन में लगने वाला व्यक्ति गरीब है क्या?
दरअसल कुछ गरीब तो वास्तव में बहुत गरीब हैं लेकिन ज्यादातर गरीबी का चोला ओढ़े गरीब हैं। ऐसीही बात बेरोजगारी की है। यदि हम सब अपने आस -पास के १० -१० पड़ोसियों को देंखे तो लगभग सभी व्यस्त मिलेंगे। काम करने को कोई आदमी नहीं मिलता ,जिसे देखो वही व्यस्त। बेरोजगारी तो गरीबी की तरह ही जुमला जैसी ही बात है।
दरअसल भारत देश में आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा तो दिया लेकिन गरीबी हटाने की सोच नहीं दी। आज गरीबी इतनी नहीं है जितनी ज्यादा सोच है। नेताओ ने गरीबी को हथियार बना रखा है। गरीबो के नाम पर अपने पेट भरे जा रहे हैं। कोरोना कार्यकाल में गरीब -बेरोजगारों के लिए राशन आदि का बेहताशा निःशुल्क वितरण हुआ ,क्या वह पूर्णतः सही तरह से हुआ?क्या सभी गरीबों को राशन मिला ?जबाब अलग -अलग होंगे। कुछ गरीबों को राशन नहीं मिला जबकि कुछ कथित गरीबों को कई -कई जगहों से मिला।
हकीकत तो यह है की सरकार द्वारा जारी मुफ़्त की योजनाओं से कथित गरीब आदमी निठल्ला होता जा रहा है। योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी तक पूर्णतः नहीं पहुंच रहा है। गरीबी कम करने को गरीबों की सोच बदलनी होगी। रोजगार के साधन उपलभ्ध कराने होंगे जो की मोदी सरकार में किये जा रहे हैं। अन्यथा तो फ्री का चंदन घिस मेरे नंदन। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 22 जून 2020
गुरुवार, 18 जून 2020
चीन की विस्तारवादी -साम्राज्यवादी और विश्वासघाती नीति से विश्व के अनेको देश पीड़ित हैं। विश्व के कई देशो को चीन ने चीनी सामान और कर्ज देकर अपने मकड़जाल में उलझा कर उनपर कब्जा करने की योजना बना रखी है। जिससे अनेको देश चीन के विरोध में एकत्र हो चीन से छुटकारा चाहते हैं। यही नहीं चीन की छलकपट की नीति से अनेक विकसित देश भी हैरान -परेशान हैं। फिर भी चीन अपने धन -बल के अहंकार में अनैतिक कार्य करने से बाज़ नहीं आ रहा है।
भारत भी अब १९६२ वाला भारत नहीं है। अब यह मोदी का भारत है जिसका सूत्र वाक्य है की किसी की छेड़ेंगे नहीं -कोई छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं। चीन भले ही ताकतवर है लेकिन अब भारत भी अकेला नहीं है। अमेरिका समेत विश्व के १४२ देश भारत के साथ हैं जो चीन के विरुद्द भारत का साथ देने और चीन का बहिष्कार करने को तैयार हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीरों को नमन करते हुए हम सब भारतीयों को यह प्रण करना चाहिये की देश की सीमा पर जवान देश के लिए शहीद हो जाते हैं तो हम सभी इतना तो कर ही सकते हैं की चीनी सामानों और चीनी एप्प आदि सभी का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचायें। भारतीय सामानों को खरीदकर मेक इन इंडिया का परचम लहराकर देश से बेरोजगारी दूर करने में सहायक बनें। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 15 जून 2020
रविवार, 14 जून 2020
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है।
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी। शास्त्रों में लिखा है मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है।
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ * आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र। * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन *** निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर
बुधवार, 10 जून 2020
चालबाज़ कोरोना - कोरोना को सस्ते में लो ना। भारत के राज्यों में कोरोना की गति मंद हो गई है तो कुछ राज्यों में कोरोना और अधिक फैलता जा रहा है। जिन शहरों में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है वहां की जनता लापरवाह हो जाने से लगता है फिर से कोरोना अधिक मात्रा में फैलेगा और पुनः लॉक डाउन लगेगा। हम सभी को कोरोना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हम सबको भीड़ से बचना चाहिए ,मास्क आदि का उपयोग करना ही चाहिए ,बहुत जरूरत पर ही घर से निकलना चाहिए अन्यथा ?
सहायक शिक्षकों की भर्ती - उत्तर प्रदेश में काफी समय से सहायक शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका पड़ा था जिसे अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुलझाया। जिसमे ६९००० सहायक शिक्षकों की भर्ती में ३७३३९ को छोड़कर बाकि का रास्ता साफ़ हुआ। इनमें कुछ शिक्षामित्र हैं बाकी सामान्य अभ्यर्थी हैं अन्य को १४जुलाई तक रोक लगाई गई है।
इस विषय में जनमानस का कहना है की शिक्षा में योग्यता से समझौता नहीं होना चाहिए। आज अनेको सरकारी स्कूलों में आधा लाख वेतन पाने वाले शिक्षकों को हिंदी -अंग्रेजी खुद पढ़ना -पढ़ना नहीं आता। कुछ जगह शिक्षकों ने अपनी जगह सस्ते में शिक्षक रख लिए और खुद ऐश कर रहे हैं। ऐसे में देश की भावी पीढ़ी को कैसी शिक्षा मिलेगी चिंतनीय बात है। ऐसे मे कम पढ़े -लिखे का शिक्षक बन जाना सभी के साथ अन्याय ही है। शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता से समझौता करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 8 जून 2020
बुधवार, 3 जून 2020
पाकिस्तान जैसा तुच्छ देश जिसकी जनता भूखे मर रही है ,इमरान खान भीख का कटोरा लिए घूमता है कोई भीख भी नहीं देता। जनता त्राहि -त्राहि कर रही है और नेता लोग मज़े कर रहे हैं अब वहां की जनता सरकार के ख़िलाफ़ सड़को पर उतर कर बगावत करने वाली है। लगता है पाकिस्तान खुद ही टूटकर ३ -४ टुकड़ो में बट जाने वाला है।
चीन विश्व के अग्रणी देशों में शुमार है लेकिन अपनी कूटनीति -चालाकी -धोखेबाज़ी से विश्व के नज़रो से गिरता जा रहा है। कोरोना काल में चीन की विश्वासघाती नीति से अनेक देश स्तब्ध हैं। अमेरिका समेत विश्व के अनेको देश चीन की विस्तारवादी नीति और विश्वासघात करने की नीति से क्षुब्ध होकर चीन के खिलाफ एकत्र होकर उसका बहिष्कार करने और कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं। यही नहीं चीन में चीनी लोग भी सरकार दमनकारी नीति, कोरोना पर झूठे बयानों एवं मरने वालो की संख्या में झूठ से से नाराज होकर सड़को पर उतरने की सोच रहे हैं।
भारत के लद्दाख में ,अरुणाचल में तिब्बत में चीन अपनी मनमानी करता ही रहता है। लेकिन अब भारत अकेला नहीं है। विश्व के अनेको देश चीन के खिलाफ भारत का साथ देने को तैयार हैं। ये सभी देश चीनी सामानों के बहिष्कार कर आपसी सहयोग से सामानों की आपूर्ति करने की योजना बना रहे हैं। हम भारतीयों को भी चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीनी सामानों का बहिष्कार करना ही होगा। मोबाईल पर चीनी एप्प की जगह भारतीय एप्प इस्तेमाल करने चाहियें। सैन्य ताकत में भले ही चीन ताकतवर हो लेकिन आर्थिक चोट से चीन बिखर ही जायेगा। विश्व के बहिष्कार और एकत्र होकर लड़ने वाली सैन्य ताकत के आगे चीन टुकड़े -टुकड़े हो ही जाएगा। *सुनील जैन राना *
सोमवार, 1 जून 2020
गुरुवार, 28 मई 2020
लेकिन अब धीरे -धीरे कश्मीरी जनता इनकी बातें समझ रही है और भारत सरकार से प्राप्त सुविधाएं और अधिकारो का लाभ प्राप्त कर रही है। अब वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर की जनता इन अलगाववादियों के खिलाफ सड़को पर उतर आयेगी। ये अलगाववादी नेता पाकिस्तान के झण्डे लहराते हैं जबकि सभी जानते हैं की आज पाकिस्तान की क्या हालत है?आवाम महंगाई से त्रस्त है ,अधिकांश जनता भूखे पेट सो रही है। पाक सेना की तानाशाही के विरुध्द कई राज्य आंदोलन की राह पर हैं। POK के लोग तो इमरान खान और पाक सेना के विरुद्ध सड़को पर उतर ही आये हैं। इनमे से अधिकांश लोग POK का विलय भारत में ही चाहते हैं। POK को पाकिस्तान ने आतंक का अड्डा बनाकर नापाक कश्मीर ही बना दिया है।
पिछले छह सालों में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लेकर अनेक समस्याओं को दूर कर दिया है। मोदी सरकार में किसी भी मंत्री -मंत्रालय पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं हैं। देश में बिजली -पानी -सड़क की स्तिथी में व्यापक सुधार हुआ है। कोरोना वायरस की महामारी से विश्व के अनेकों देश बुरी तरह प्रभावित हैं। उनके मुकाबले १३५ करोड़ जनता का भारत देश कम प्रभावित है। सरकार की चौतरफ़ा व्यवस्था के बावजूद मज़दूरों को बरगलाकर अव्यवस्था फैलाई जा रही है। गांधी परिवार अपने कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान -महाराष्ट्र की बेहताशा बिगड़ती हालत को छोड़ पता नहीं क्यों उत्तर प्रदेश में बसों की राजनीति का खेल खेल रही है। अच्छा होता पहले अपने शासित राज्यों पर ध्यान देती। इस विपदा की घड़ी में हम सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित -जनताहित को सर्वोपरि रखना चाहिए। * सुनील जैन राना *
रविवार, 24 मई 2020
चीन के वुहान से विश्व भर में फैला कोरोना वायरस की जांच में WHO पर चीन के दबाब में कार्य करने और जांच को प्रभावित करने के आरोप अमेरिका समेत दर्जनों देश WHO पर लगा चुके हैं। ऐसे में 34 सदस्यीय विश्व स्वास्थ्य संगठन का चेयरमैन पद की बागडौर भारत के हाथों में आना हम सबके लिए गौरव की बात है।
कोरोना वायरस महामारी की लड़ाई में मोदीजी के नेत्तृव में भारत अगुआ देश बनकर सामने आया है। भारत द्वारा सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों को दवाईयां एवं अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराये हैं। भारत के इस कार्य को विश्व भर में सराहना मिली है।
अब ऐसा लगता है मोदीजी ने जैसे भारतीय योग को विश्वभर में पहचान दिलाई उसी प्रकार एलोपैथी के साथ साथ भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्द्ति आयुर्वेद को भी विश्वभर में पहचान मिलेगी। कोरोना से लड़ने में आयुर्वेद के नुख्शों की भी अहम भूमिका रही है।
हमनें politicalpetrol.page पर WHO नहीं - अब WHF जिसकी बागडौर भारत के हाथों में हो शीर्षक से लेख लिखा था। अब यह लेख ,यह सपना साकार हो गया है। मोदीजी हैं तो मुमकिन है। *सुनील जैन राना * सहारनपुर -247001
सोमवार, 18 मई 2020
बुधवार, 13 मई 2020
कोरोना के चतुर्थ फेस से पूर्व प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा राष्ट्र के नाम सम्बोधन देश को नई ऊर्जा दे गया। जहां एक ओर कोरोना के कारण विश्व भर में मंदी व्याप्त है ,कोरोना विकाशशील देशों की अर्थ व्यवस्था को लील गया है वहीं दूसरी ओर भारत में कोरोना से लड़ने और बंद पड़े व्यापार -उद्योग धंधो को पटरी पर लाने ,गरीब -किसान -बेरोजगार को यथासंभव सहायता करने के उद्देश्य से २० लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है जो भारतीय अर्थ व्यवस्था का १०% के लगभग होता है।
लेकिन हमारे देश में विपक्ष का कार्य हर बात में सिर्फ विरोध करना ही रह गया है। कांग्रेस के कुछ सदस्य इस पैकेज को देशहित में बता रहे हैं लेकिन बाकि ज्यादातर इसे जुमला बताकर विरोध करने में जुट गए हैं। कुछ कहते हैं की इतने पैसे कहां से आएंगे ,कुछ कहते हैं की पैकेज में खोट है ,कुछ कहते हैं की खाली कागज है तो कुछ कहते हैं की हमें क्या मिलेगा ? टीवी पर यही सियासत -विधवा विलाप शुरू हो गया है।
बहुत विडंबना की बात है की सिर्फ विरोध करने की नीति कब तक चलेगी ? किसी गलत बात का विरोध होना ही चाहिए लेकिन हर बात का विरोध जायज नहीं है। ऐसी भयंकर मंदी में जब सम्पूर्ण विश्व की अर्थ व्यवस्था चरमरा गई हो ऐसे में भारत देश के पीएम मोदीजी द्वारा देश को आगे बढ़ाने ,स्वदेशी अपनाने ,आत्मनिभर्र होने ,मेक इन इण्डिया सपना पूरा करने ,बेरोजगारों को रोजगार देने ,लघु उद्योगों को राहत देने ,गरीब -मजदूर -किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए इतना विशाल पैकेज देश को समर्पित करने का विरोध कोई कैसे कर सकता है यह समझ नहीं आता।
मोदीजी के नेत्तृव में देश आगे बढ़ रहा है। पिछले ६ सालों में बिना किसी भ्र्ष्टाचार के देश में अनेको योजनाएं फ़लीभूत हो रही हैं। फिर भी सिर्फ विरोध करने वालो को तो बस भगवान ही सत्बुद्धि दे सकता है। *सुनील जैन राना *
ध्वजारोहण
*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...