शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

म्यूचलफंड -सही नहीं है यार

म्यूचलफंड - सही नहीं है यार October 24, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर पिछले कुछ सालो से म्यूचलफंड सही है यार का विज्ञापन कर आम से लेकर ख़ास आदमी को यह बताया जा रहा है की म्यूचलफंड में निवेश करना हितकारी है। साथ ही धीरे से यह भी बता दिया जाता है की सोच समझकर निवेश करें। विज्ञापनों में बड़े -बड़े धुरंधर खिलाडी जिन्हे विज्ञापन के करोड़ो रूपये मिले होंगे हो सकता है की उनमे से कुछ को म्यूचलफंड की जानकारी ही न हो। म्यूचलफंड में निवेश पर कोई गारंटीड लाभ मिलेगा ऐसा नहीं है। गारंटीड लाभ या ब्याज तो सिर्फ बैंक /डाकघर की एफडी पर ही मिलता है या कोई सरकारी पत्र जैसे किसान विकास पत्र आदि पर। पिछले तीन सालो में यदि किसी ने भी म्यूचलफंड में निवेश किया होगा तो इस साल मार्च -अप्रैल २०२० में अधिकांश फण्ड २० से ४० प्रतिशत तक दाम कम हो गये थे। अप्रैल के बाद बाजार फिर से सम्भला तो कुछ फण्ड फिर से सम्भले ,कुछ फण्ड आज भी तीन सालो में लगाई रकम पूरी नहीं कर पा रहे हैं। कोरोना के कारण सम्पूर्ण विश्व मंदी की चपेट में है। चीन से युद्ध जैसे हालत हैं ,यदि युद्ध हुआ तो हो सकता है की थर्ड वर्ल्डवार ही न हो जाए। ऐसे में सुरक्षित निवेश ही ठीक है। कुछ भी अनिष्ट होते ही शेयर बाजार धड़ाम हो जाता है। शेयर बाजार के गिरते ही म्यूचलफंड धड़ाम हो जाते हैं ,ऐसे में मयूचलफंड में निवेश करना जोखिम भरा ही है। पिछली सरकारों के समय से आज तक बैंको के एनपीए पर लगाम नहीं लग पाई है। कॉर्पोरेट्स +नेतागण +बैंक अधिकारीयों की मिलीभगत से जनता की भलाई का धन लूटा जा रहा है. हालांकि मोदी सरकार में ऐसे लाखो फर्जी कंपनियां बंद कर दी गई हैं फिर भी आज तक कुछ बैंको में एनपीए होना बंद नहीं हो पाया है। लोन देने के नियम सख्त बना दिए गए हैं लेकिन अभी भी और ज्यादा सख्ती की जरूरत है। म्यूचलफंड तभी सही हो सकता है जब कम्पनी निवेशित धनराशि पर निश्चित मात्रा में ब्याज एवं धनराशि कम न होने की गारंटी दे। अन्यथा तो म्यूचलफंड -सही नहीं है यार। * सुनील जैन राना *

उत्तम विचार

ज्ञानी -अज्ञानी

सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

यह कैसी कोरोना सुरक्षा ?

यह कैसी कोरोना सुरक्षा ? October 19, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित देश भर में पिछले छह माह से अधिक समय से कोरोना की रोकथाम को सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर सुरक्षा उपाय किये जा रहे हैं। लेकिन कुछ राज्यों में अब लापरवाही के संकेत मिलने लगे हैं। उत्तराखंड राज्य में एन्ट्री से पहले पुलिस नाके बनाकर वाहनों की चैकिंग की जा रही है। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी वाहन की नंबर प्लेट देखते है ,यदि वाहन उत्तराखंड का है तो जाने देते हैं ,यदि वाहन अन्य राज्य का है तो उसे पुलिस थाने में ई पास आदि बनवाने को भेज देते हैं। वहां कई खिड़कियों पर लाइने लगी होती हैं ,नंबर आने पर पता चलता है की पहले उक्त खिड़की पर ई पास बनवाओ ,फिर दोबारा लाईन में लगकर रजिस्टर में चढ़वाओ ,तब रसीद लेकर गेट पर दिखाकर निकल जाओ।ई पास बनाने को २० रूपये लिए जा रहे हैं जिन्हे कम्प्यूटर और मोबाईल पर बनाया जा रहा है। इस सब कोरोना सुरक्षा के कार्य में न कहीं सेनेटाइजर दिखा न ही कहीं ताप मापक यंत्र दिखाई दिया। बाहर से आने वाले वाहनों एवं यात्रियों के नाम पते दर्ज कर खानापूर्ति हो रही है जबकि वापसी का कोई रिकॉर्ड रखा नहीं जा रहा है। गंभीर बात यह है की यदि गाड़ी /वाहन उत्तराखंड की है तो उसकी कोई जांच नहीं की जा रही है। भले ही वह वाहन कोरोना प्रभावित राज्य या जगह से आया हो। कार्यरत पुलिस कर्मियों से यह सब पूछने पर जबाब मिला की हम तो सरकारी आदेशों की पूर्ति कर रहे हैं। यह कैसी कोरोना सुरक्षा हो रही है ?यह तो ऐसा ही हो रहा है जैसे कहीं -कहीं बाढ़ से राहत को नदी किनारे डंडा लेकर पुलिस कर्मी बैठा दिए जाते हैं। * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

डाकघर -डाकबाबू -सर्वर डाउन

डाकबाबू - डाकघर - सर्वर डाउन October 15, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित मोदीजी देश को डिजिटल बनाना चाह रहे और हमारे डाकबाबू और डाकघर का अधिकांश समय सर्वर ही डाउन रहता है। कुछ बहुत बड़े शहरों का तो पता नहीं लेकिन छोटे शहर -कस्बों -गाँवों के डाकघरों एवं डाक बाबुओ की कार्यप्रणाली देखकर उपभोक्ता का ही सर्वर डाउन हो जाता है। पैसे जमा कराओ ,निकालो ,पासबुक में एंट्री कराओ ,रजिस्टरी कराओ ,लेकिन कब कराओ जब नेट चलेगा ,अभी तो सर्वर डाउन है ?ऐसा जबाब अधिकांश उपभोक्ता को मिलता होगा। मैं अपने साप्ताहिक समाचार पत्र पॉलिटिकल पेट्रोल का डाक पंजीयन रिनीवल कराने नगर के बड़े पोस्टऑफिस प्रवर डाक घर में गया। बताया गया की सितंबर के बाद ५० रूपये की फ़ीस लगेगी अतः डाक काउंटर से ५० रूपये के लेट फ़ीस टिकट ले आओ। मैं गया लाईन लगी हुई थी दो लड़कियां चाय की चुस्कियां ले रही थी और अधिकांश उपभोक्ता को बाद में आना अभी सर्वर डाउन है कहकर टरका रही थी। मेरा नंबर आया मैंने लेटफीस हेतु ५० रूपये के टिकट आदि देने को कहा तो जबाब मिला क्या दें ?फिर आपस में खुसर फुसर कर बोली अभी कम्प्यूटर खराब है तब ठीक होगा तब प्रिंट निकलेगा। फिर मैं अपने घर के पास के डाकघर गया उनसे ५० रूपये के लेटफीस हेतु टिकट आदि देने को कहा तो उन्हें भी यह समझ नहीं आया की क्या देना है ?ऐसे समझदार हैं हमारे डाकबाबू ? अब बात करें डाक वितरण की तो यह हाल है की मेरा अपना समाचार पत्र मेरे पते पर दो साल में १०४ अंको में से मात्र १० अंक भी नहीं पहुंचे। दो साल से लिखित में की गई कई शिकायतों का कोई जबाब नहीं मिला।मेरे पास प्रतिदिन अनेक पत्र -पत्रिकाएं आती थी अब सिर्फ रजिस्टर्ड डाक आती है अन्य कुछ नहीं। ऐसी शिकायत अनेक लोगो की हैं। डाकिये से पूंछो तो वह दांत निकालकर कह देता है जितनी डाक मिलती है बाट देता हूँ।किसी की कोई जबाबदेही नहीं। मोदीजी के डिजिटल इंडिया में यह हाल है डाकखानों का। * सुनील जैन राना *

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

बिना साबुन हाथ धोयें -स्वस्थ रहें

बिना साबुन हाथ धोयें -स्वस्थ रहें https://suniljainrana.blogspot.com/ October 6, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित जी हाँ ,बहुत उपयोगी और लाभकारी है बिना साबुन के हाथ धोने की क्रिया करना। सम्पूर्ण शरीर के जोड़ो की अकड़न -जकड़न दूर हो जाती है ऐसा करने से। हमारे शरीर की अधिकांश ग्रंथियां हमारे हाथों की हथेलियों से ताल्लुक रखती हैं। यदि हम प्रतिदिन प्रातः और जब भी समय मिले पांच मिनट हथेलियों की कसरत में लगा दें तो अनेक प्रकार के जोड़ो से संबंधित रोगो से छुटकारा मिल सकता है। मैं खुद ऐसा करता हूँ जिससे मेरे घुटनो के दर्द में आराम है। कैसे करें ? जिस प्रकार हम शौच के बाद साबुन से हाथ धोते हैं ठीक उसी प्रकार प्रातः बिना साबुन लगाये हाथ धोने की क्रिया करें अर्थात दोनों हाथो को आपस में सीधे -उल्टे ,आगे पीछे ,ऊपर नीचे ,उँगलियों में उँगलियाँ डालकर खूब रगड़ें। हथेलियों के पर्वतों को आपस में ठोकें ,तालियां बजायें ,यानि की हथेलियों के प्रत्येक भाग को आपस में रगड़ें। ऐसा करने से आपको अपने शरीर के जोड़ो में आराम मह्सूस होगा। दरअसल हमारी हथेलियों में अधिकांश शरीर की ग्रंथियां होती हैं ,ऐसे में उन्हें आपस में रगड़ने से कमजोर सुस्त नसें चलायमान हो जाती हैं। इसी प्रकार हमारी उँगलियों के पोरो से शरीर के अधिकांश अंग जुड़े होते हैं। इन पोरो को अलग -अलग दबाने से संबंधित अंग के रोग में आराम मिलता है। यदि किसी पोरे को दबाने से दर्द होता है तो इसका मतलब उससे संबंधित अंग में व्याधि है। पोरो को दबाना एक्यूप्रेशर की तरह काम करता है। हम काफी समय खाली बैठे रहते हैं ,हमे खाली समय का सदुपयोग करना चाहिये। ऐसी बहुत सी कसरतें हैं जो हम खाली बैठे बैठे कर सकते हैं। अनुलोम -विलोम ,कपालभाति आदि से लेकर बिना साबुन हाथ धोने की क्रिया आदि से हम बिना खर्च अनेकों व्याधियों से मुक्ति पा सकते हैं। इसमें कोई हानि भी नहीं है। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 30 सितंबर 2020

बैंक में धोखाधड़ी

बैंक इंश्योरेंस में धोखाधड़ी https://suniljainrana.blogspot.com/ September 30, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है की देश के सरकारी -गैरसरकारी बैंको ने पहले जनता की भलाई का धन बैंक अधिकारियो ,कॉर्पोरेट्स और नेताओ की मिलीभगत से लाखों करोड़ रूपये एनपीए बनाकर लूट डाला और अब इंश्योरेंस के नाम पर धोखाधड़ी हो रही है। कुछ बैंक वृध्द ,रिटायर लोगो के खाते में पड़े पर्याप्त धन लालच देकर इंश्योरेंस पॉलिसी में तब्दील कराकर लम्बी किस्तें बना देते हैं जिन्हे उपभोक्ता पूरी नहीं कर पाता और उसका धन डूब जाता है। ऐसे अनेक किस्से वृध्द -रिटायर्ड लोगो से सुन सकते हैं। ऐसा ही एक किस्सा एक वृध्द बीमार विधवा महिला जिसका खाता पंजाब नेशनल बैंक में है अपनी बची खुची राशि में से एक लाख की एफडी बनाने को कर्मचारी को चैक दिया। कर्मचारी ने कहा की बैंक में बन जायेगी कागजात मै घर लाकर दे दूंगा। कुछ दिन बाद कर्मचारी ने कागजात घर लाकर दे दिए। कुछ समय पश्चात महिला को बीमारी के ईलाज हेतु धन की जरूरत पड़ी तो उन्होंने उसी कर्मचारी से एफडी तुड़वाकर कुछ धनराशि देने को कहा। जब उसने जबाब नहीं दिया तो बीमार वृध्द महिला बैंक गई और मैनेजर से बात की तो मैनेजर ने बताया की आपके एक लाख की एफडी नहीं बल्कि पीएनबी मेटलाइफ पॉलिसी बना दी गई है जिसमें आपको पांच साल तक एक लाख जमा कराने होंगे। यह सरासर धोखाधड़ी की बात हुई। धोखाधड़ी सिर्फ इतनी ही नहीं बल्कि पॉलिसी पर भी महिला एवं नोमिनी की फोटो की जगह अन्य फोटो लगी है एवं दोनों के हस्ताक्षर भी फर्जी हैं। जिस पर भी बैंक वालो ने इसे मेटलाइफ का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। इस पर उक्त महिला ने एक पत्र धोखाधड़ी का बनाकर रजिस्टर्ड डाक से बैंक मैनेजर /मेटलाइफ /हेड ऑफिस /वित्त मंत्री को भेजा जिसका लगभग दो माह बाद भी कहीं से भी कोई जबाब नहीं आया। यह मामला पीएनबी रामपुर मनिहारन,जिला सहारनपुर ,उत्तर प्रदेश का है। सूत्रों से पता चला है की आजकल कुछ बैंको में संबंधित इंश्योरेंस सेक्टर के बंदे बैठे रहते हैं जो ज्यादा कमीशन के लालच दिए गए टारगेट पूर्ति को कुछ उपभोक्ताओं निशाना बना लेते हैं। वित्त मंत्रालय को इस विषय में संज्ञान लेकर पीड़ित उपभोक्ताओं को राहत पहुंचानी ही चाहिए।

शनिवार, 19 सितंबर 2020

सच्चा सिक्का भी खोटा

सच्चा सिक्का भी खोटा ? September 19, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित हमारे देश में अफवाहों के कारण अनेक ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो देश के लिए हानिकारक होती हैं। ऐसी ही अफवाह एक रूपये के छोटे सिक्के एवं दस रूपये के सिक्के जिसके बीच में दस अंकित है आज भी सरकार के कहने के बाद की ये दोनों सिक्के असली हैं फिर भी आम चलन से बाहर हो गए हैं। आम जनता तो दूर सरकारी बैंक भी इन्हें लेने से मना कर देते हैं। सरकारी बैंक, सरकारी करेंसी और सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आम आदमी से कोई भी बैंक इन सिक्कों को नहीं लेता है। कहावत थी की वक्त पर खोटा सिक्का काम आ गया लेकिन यहां तो सच्चा सिक्का भी खोटा हो गया। रिजर्व बैंक द्वारा नये -नये नोट छाप दिए गये। एक हज़ार के नोट की सख्त जरूरत है वह नहीं बनाया गया जबकि बाजार दस के नोटों की बहुतायत से पीड़ित है फिर भी दस के नये नोट बहुतायत में छापे जा रहे हैं। छोटा व्यापारी जब उन्हें बैंक में जमा कराने जाता है तो बैंक वाले आनाकानी करते हैं ,कुछ बैंक प्रत्येक पैकेट के अगल से कुछ रूपये लेते हैं,ऐसा क्यों है ? मामूली कटे -फ़टे नोट बैंक वाले क्यों नहीं लेते हैं? पुरे पैकेट में से ऐसे नोट निकाल कर वापस कर देते हैं। जबकि बाजार में बट्टे पर कुछ कम धनराशि पर वही नोट बदल दिए जाते हैं। इसका मतलब साफ़ यह है की बैंक वाले आम आदमी से कटे -फ़टे नोट नहीं लेते लेकिन बट्टे वालो से ले लेते हैं शायद कुछ सांठ -गाँठ होती होगी। ऐसी अनेकों समस्याओं से आम आदमी पीड़ित है। ऐसे में बैंको को सख्त हिदायत होनी चाहिए की इस प्रकार समस्याओं का समाधान किया जाए। * सुनील जैन राना *

शनिवार, 12 सितंबर 2020

हिंदी दिवस

हिन्दी दिवस September 12, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित हिन्दुस्तान में हिन्दी दिवस की तर्ज पर अन्य किसी भी देश में शायद वहां की राष्ट्र भाषा दिवस ही मनाया जाता होगा। यहां तो हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है। अनेक सरकारी -गैरसरकारी जगह हिंदी की महत्ता अंग्रेजी में बताई जाती है। कुल मिलाकर हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है। हिंदी मात्र भाषा नहीं बल्कि मातृ भाषा जैसी है। हिंदी सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है। हिंदी बोलने -सुनने में सहज -सरल भाषा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यदि कोई आम भाषा है तो वह हिंदी ही है। हिंदी अन्य सभी भाषाओं की माँ -मौसी -बहन के समान है जो अपने सभी भाषाई भाई -बहनों को आपस में जोड़े रखती है। देश के अनेक क्षेत्रों में हिंदी न बोली जाती हो लेकिन समझते सभी हैं। क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले हिंदी के बिना अधूरे से ही हो जाते हैं। भारतीय राजनीति हो ,फ़िल्मी दुनिया हो ,टीवी चैनल आदि सभी हिंदी के बिना अधूरे से ही लगते हैं। देश के कुछ राज्यों में भले ही हिंदी का विरोध होता हो लेकिन उनको भी अपनी बात देश भर में पहुंचाने के लिए हिंदी का सहारा लेना ही पड़ता है। साहित्य जगत के विख्यात कवि सूर -कबीर -तुलसी -रसखान आदि हिंदी भाषी ही रहे हैं। हिंदी के सीरियल ,हिंदी फिल्में ,हिंदी गीत खासकर देशभक्ति के हिंदी गीत आज भी गुनगुनाने को मन करता ही है। सच बात तो यही है की हिंदी का कोई विकल्प नहीं है। हिंदी सभी भाषाओं माथे की बिंदी जैसी है। सरकारी कामकाज में हिंदी में प्रयोग होने वाले अनेकों शब्द कठिन होने के कारण पूर्णरूप से इस्तेमाल नहीं हो पाते, ऐसे में आम बोलचाल वाले अन्य भाषाई शब्द प्रयोग करने में कोई हानि नहीं है। अन्त में सिर्फ इतना ही की मेरा देश महान हो -सभी भाषाओं का सम्मान हो। *सुनील जैन राना

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

ऊपर वाले की नज़र

ऊपर वाले की नज़र September 3, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित कुछ इंसान पता नहीं कब हैवान हो गये ,हैवान भी ऐसे की न वे नीचे वाले से डर रहे न ही ऊपर वाले से डर रहे हैं। वह ये भी भूल गये की हम सभी कैमरे की नज़र में हैं। फर्क सिर्फ इतना है की नीचे वाले का कैमरा तो कभी बंद भी हो जाता है लेकिन ऊपर वाले के कैमरे से कोई बच नहीं सकता। विश्वव्यापी कोरोना महामारी भारत में भी काबू नहीं आ रही है। भारत सरकार अपनी पूरी ताकत से कोरोना वायरस से लड़ने और कोरोना से प्रभावित जनता को यथासम्भव सहूलियत उपलब्ध कराने को सदैव तत्पर है। इन सहूलियतों में गरीब जनता को मुफ्त राशन -दवाई -उपचार एवं कुछ राशि उपलब्ध कराई जा रही है। जिस पर लाखों करोड़ रूपये व्यय हो रहें हैं। कोरोना के कारण पिछले छ माह में देश के उद्योग धंधे ,व्यापार ,रोजगार आदि सभी की हालत खराब हो गई है। ऊपर से पड़ोसी देशों ने युद्ध के से हालात बना रखे हैं। जिसके कारण अर्थव्यवस्था से बहुत बड़ा धन हथियार आदि की आपूर्ति में खर्च हो रहा है। मोदी सरकार में इतना सब होने के बावजूद अन्य अनेक देशों के मुकाबले बहुत क्षमता पूर्वक कार्य किये जा रहे हैं। लेकिन विडंबना की बात तो यह है की जब देश ऐसे गंभीर संकटो से गुज़र रहा है तब भी कुछ हैवान रूपी इंसान गरीब जनता के राशन ,अस्पतालों में फ़र्ज़ी बिल ,सेनेटाइजर के नाम पर अंधाधुंध खर्च दिखा लूटपाट में लगे हैं। पुलिस के डंडो से त्रस्त जनता के मुख से दुकाने -फड़ी लगाने -हटाने के नाम पर बसूली के किस्से भी सुनने को मिलते ही रहते हैं। हम इंसान हैं तो हमें इंसानियत दिखानी चाहिये। पेट सबका भर जाता है पेटी नहीं भरती। हमारे अच्छे -बुरे कर्म ही हमारे साथ जायेंगे। हम आपस में एक -दूसरे को धोखा दे सकते हैं लेकिन ऊपर वाले की नज़र से नहीं बच सकते। ऊपर वाले को सब दिखाई दे रहा है और सब उसके बहीखाते में दर्ज़ हो रहा है। सभी हैवानों को इसपर चितन -मनन जरूर करना चाहिये। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 2 सितंबर 2020

दसलक्षण धर्म

जैन मनाते दसलक्षण धर्म आत्म ध्यान के सुनील जैन राना

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर सुंदर हाइकु। उ०ब्रह्मचर्य निज आत्मा को ध्याऊँ शील बचाऊँ सुनील जैन राना

उत्तम आकिंचन धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम आकिंचन धर्म पर सुंदर हाइकु। उ०आकिंचन छुटे पर पदार्थ हो बेड़ा पार सुनील जैन राना

रविवार, 30 अगस्त 2020

उत्तम त्याग धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम त्याग धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम त्याग पाप,कषायें त्यागूँ त्यागूँ मिथ्यात्व सुनील जैन राना

शनिवार, 29 अगस्त 2020

उत्तम तप धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम तप धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम तप इच्छा निरोधों तपः मोक्ष का मार्ग सुनील जैन राना

उत्तम संयम धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम संयम धर्म पर सुंदर हाइकु संयम धर्म विषय भोग त्यागूँ पाप नशाऊँ सुनील जैन राना

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

जैन दसलक्षण धर्म -एक बार जरूर पढ़ें

एक बार जरूर पढ़ें -जैन दसलक्षण धर्म संक्षिप्त में August 27, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित भारत में अनेकों धर्म प्रचलित हैं ,सभी धर्म आत्मा से परमात्मा की बात बताते हैं। ऐसे ही जैन धर्म में पावन पर्व दसलक्षण धर्म बहुत शुद्धता -भक्ति से मनाया जाता है। इस पर्व की खासियत यह है की इन दस दिनों हमें धर्म में क्या करना है यह बताया जाता है। सिर्फ मंदिरजी जाकर भजन -कीर्तन -भक्ति काफी नहीं होती है हमें अपने जीवन में क्या बदलाव लाने चाहिये इस पर जोर दिया जाता है। हम आपको संक्षिप्त रूप में दस धर्म के विषय में बता रहे हैं। प्रथम दिन क्षमा धर्म - साधारण बोलचाल में क्रोध न करने को ही क्षमा मान लिया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है ,क्षमा तो तब है जब विपरीत परिस्थितियों में भी क्रोध तो उतपन्न ही न होवे बल्कि मन में दूसरे प्रति अपशब्द -बैरभाव -द्वेष आदि भी उतपन्न नहीं होवे। द्वितीय दिन मार्दव धर्म - से तातपर्य अहंकार -मान कषाय को त्यागकर अपने मन को निर्मल -कोमल बनाना। तृतीय दिन आर्जव धर्म - से तातपर्य मन -वचन -काय में एकरूपता रख छलकपट -मायाचारी भावों को त्यागना। चतुर्थ दिन सत्य धर्म - से तातपर्य झूठ तो बोलना ही नहीं सिर्फ सच ही बोलना। जैसा देखा -सुना -जाना वैसा ही बोलने को सत्य कहा जाता है। पंचम दिन शौच धर्म - से तातपर्य सिर्फ नहाधोकर शरीर की शुध्दि शौच नहीं है बल्कि अपने मन में पवित्रता -शुचिता लाना शौच धर्म कहलाता है। छटा दिन संयम धर्म - से तातपर्य विवेकपूर्ण कार्य करते हुए हिंसा आदि न होने देना। अपने मन एवं इन्द्रियों पर संयम रखना। सातवां दिन तप धर्म - से तातपर्य सिर्फ तप कर शरीर को कष्ट देना नहीं बल्कि इच्छा निरोधो तपः अर्थात हमें अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाकर धर्ममय होना चाहिये। आठवां दिन त्याग धर्म - से तातपर्य सिर्फ दान करना त्याग नहीं है। त्याग तो अपनी बुरी आदतों का ,मोह -राग द्वेष का ,अहंकार का ,कषायों का करना चाहिये। नौवां दिन आकिंचन धर्म - से तातपर्य संसारिक वस्तुओं से विरक्ति कर अपने मन को अपनी आत्मा में लीन करना। दसवां दिन ब्रह्मचर्य - से तातपर्य ब्रह्म का अर्थ है निजात्मा और चर्य का अर्थ है आचरण करना अर्थात संसारिक झंझटो को त्यागकर अपनी आत्मा में लीन होकर मुक्ति के मार्ग पर चलना। दसलक्षण धर्म के बाद क्षमावाणी पर्व आता है जो वास्तव में सिर्फ जैन धर्म नहीं बल्कि सभी धर्मो में मनाया जाना चाहिये। इस दिन सभी जैन लोग एक दूसरे से जाने -अनजाने हुई गलतियों के लिये आपस में क्षमा मांगते हैं ,क्षमा करते हैं। इन दसलक्षण धर्म से पहले उत्तम शब्द लगाया जाता है जो विषय को गूढ़ कर आत्मा प्राप्ति का संदेश देता है। वास्तव में ये दस धर्म नहीं बल्कि धर्म के दस लक्षण होते हैं। सभी धर्मी जीवों को इनका पालन करना चाहिये। *सुनील जैन राना *

उत्तम शौच धर्म

उत्तम शौच धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम शौच मन मे पवित्रता शुचिता लाऊँ सुनील जैन राना

बुधवार, 26 अगस्त 2020

उत्तम सत्य धर्म

उत्तम सत्य धर्म पर सुंदर हाइकु उत्तम सत्य सत स्वभावी आत्मा उर में लाऊं सुनील जैन राना

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

आर्जव धर्म

आर्जव धर्म पर सुंदर हाइकु आर्जव धर्म छलकपट त्यागूँ कर्म नशाऊँ सुनील जैन राना

सोमवार, 24 अगस्त 2020

उत्तम मार्दव धर्म

उत्तम मार्दव धर्म पर एक सुंदर हाइकु मार्दव धर्म अहंकार नशाऊँ प्रभु को ध्याऊँ सुनील जैन राना

रविवार, 23 अगस्त 2020

उत्तम क्षमा

आज से दिगम्बर जैन धर्म के पावन पर्व दसलक्षण धर्म प्रारम्भ हो गए हैं।आज प्रथम दिन उत्तम क्षमा का दिन है।उत्तम क्षमा पर एक सुंदर हाइकु। उत्तम क्षमा वीरों का आभूषण उर में लाऊँ सुनील जैन राना

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

नई पीढ़ी कैसे रहेगी स्वस्थ ?

नई पीढ़ी कैसे रहेगी स्वस्थ ? https://suniljainrana.blogspot.com/ August 20, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित पुराने जमाने के हमारे माँ -बाप जो कहते हैं की हमने तो देशी घी खाया है अधिकांशतः स्वस्थ ही रहते हैं। बीच के जमाने के हम यानि ४० से ६० साल वाले भी जैसे -तैसे अपना जीवन जी रहे हैं। हमारे बच्चे यानि २० से ३० वाले युवा -शादीशुदा भी दवाइयों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। अब मुख्य बात यह की पैदा होने से लेकर पांचवी कक्षा तक के बच्चे ,उनका रहन -सहन ,पढ़ाई -लिखाई ,खाना -पीना आदि बातें चिंता प्रधान हैं। समझ में नहीं आ रहा की यह नई पीढ़ी कैसे स्वस्थ रहेगी ?बाजार में वैसे ही कुछ भी असली नहीं मिल रहा है। दूध -घी -मावा सिंथेटिक ,फल -सब्ज़ी कैमिकल युक्त। यह सब तो आज की पीढ़ी कम ही खाती है जो खाती है वह इन सबसे भी ज्यादा हानिकारक है कोल्डड्रिंक -टॉफी -चॉकलेट - फास्टफूड पिज़ा -बर्गर -चौमिन आदि अनेको जंकफूड आज की पीढ़ी ख़ुशी से खाती है ,घर का भोजन पसंद नहीं करती। ऐसे में बच्चों का स्वास्थ कैसे ठीक रहेगा ?जंकफूड बच्चों का पेट खराब कर रहा है एवं टॉफी -चॉकलेट से दाँत खराब हो रहे हैं। बाकी रही सही कसर मोबाईल ने पूरी कर दी है जिसके ज्यादा देखने के कारण छोटेपन से हो बच्चो की आँखों पर चश्मे लगने शुरू हो गये हैं ऊपर से ऑनलाइन पढ़ाई सोने में सुहागा का कार्य कर रही है। आधुनिक -भौतिक युग में बच्चो के माँ -बाप छोटेपन से ही बच्चो को दूध पिलाते ,खाना खिलाते समय मोबाईल दिखाते हैं जो आगे चलकर बहुत गंभीर समस्या बन जाती है। थोड़ा समझदार होते ही बच्चो को नेट वाला मोबाईल चाहिए होता है। दरअसल आज के युग के व्यस्त माता -पिता खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे है। बच्चा न रोये इस कारण उसकी हर मांग पूरी करना बहुत दुखदायी हो जाता है। लेकिन शायद मियां बीबी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी वाली बात हो रही है। मांग पूरी करने से बच्चा भी खुश ,माँ -बाप भी खुश। चिंता की बात तो यह लगती है की भविष्य के इन बच्चों में अधिकांश की आँखों पर मोटा चश्मा लगा होगा ,पेट की आंते खराब होंगी, ,मुँह के दाँत ठीक नहीं रहेंगे। इसलिए युवा माँ -बापों थोड़ा चिंतन कर सम्भल जाओ और अपने सुख की खातिर अपने प्यारे बच्चो के स्वास्थ से मत खेलों। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 12 अगस्त 2020

अस्पताल -डॉक्टर , भगवान भी -शैतान भी

अस्पताल -डॉक्टर ,भगवान भी -शैतान भी https://suniljainrana.blogspot.com/ August 12, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित देश के अनेक अस्पताल एवं अनेक डॉक्टर मरीज के लिए मंदिर और भगवान जैसे हैं। लालच से रहित अपने कार्य के प्रति निष्ठा और कर्मठता उनकी पहचान होती है। लेकिन इसके विपरीत कुछ अस्पताल और डॉक्टर शैतान जैसे प्रतीत होते हैं। उनमें मानवता तो जैसे होती ही नहीं बस धन कमाना ही उनका मुख्य उद्देश्य होता है। सूत्र बताते हैं की कुछ अस्पतालों में डॉक्टरों की सेलरी उनको दिये गये टारगेट के हिसाब से तय होती है अर्थात जितना कमाकर दोगे उसके हिसाब से मिलेगा। इसी कारण कई बार सुनने में आता है की फलां मरीज धन की कमी से उपचार पूरा न होने से मर गया। कई बार मृतक की बॉडी तब तक नहीं दी जाती जब तक पुरे बिल का भुगतान न हो जाये। ऐसे समाचार भी मिल रहे हैं की कोरोना से मृतक की बॉडी से कुछ मुख्य अंग निकाल लिए गये। कोरोना काल में डॉक्टरों के पास मरीजों की कतार लगी रहती है। डॉक्टर और मरीज दोनों ही सुरक्षा से लापरवाह दिखाई दे रहे हैं। मास्क और सेनिटाइज़र का कोई इंतजाम दिखाई नहीं दे रहा है। कोरोना मरीज भर्ती अस्पतालों में मरीजों का नंबर नहीं आ रहा है। मज़े की बात यह है की जिस बीमारी का कोई उपचार नहीं उस बीमारी के उपचार का बिल बहुत तगड़ा आ रहा है। कुछ ही दिनों के ईलाज का बिल लाखों में आ रहा है, डिटेल बताने को कोई तैयार नहीं, कहने -सुनने वाला भी कोई नहीं। कुछ सर्जन डॉक्टर जिन्होंने अपना नर्सिंगहोम बना लिया है अब उस खर्च को पूरी मेहनत से मुहमांगे दामों पर उपचार कर बसूलने में लग गये हैं। विभिन्न प्रकार के ऑपरेशनों का ठेका बता दिया जाता है या फिर बेहताशा दवाइयों आदि का खर्च जो बार -बार करवाया जाता है। ऑपरेशन के समय बेहताशा दवाइयों का डब्बा उन्ही के मेडिकल स्टोर से मंगवाया जाता है जो शायद ज्यों का त्यों पिछले रस्ते से वापस होकर फिर अगले मरीज़ के काम आता है। कई जगह तो दवाई के साथ साबुन की टिक्की भी लिखी होती है। पता नहीं वह डॉक्टर एक दिन में कितने साबुन से हाथ धोता होगा? ऐसे अनेकों किस्से सुनने में आते ही रहते हैं। अस्पताल और डॉक्टर मंदिर और भगवान समान मानें जाते हैं ,ऐसे में कुछ जगह यदि ऐसे गलत कार्य होंगे तो बहुत विडंबना की बात है। अस्पतालों में व्यवस्था की कमीं हो सकती है लेकिन डॉक्टरों में मानवता की कमी होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है। सबके कर्मों का लेखाजोखा लिखा जा रहा है। सबको जबाब देना ही पड़ेगा। मानव जीवन मिला है तो क्यों न कुछ परोपकार ही कर लें। धन यहीं रह जायेगा परोपकार ही साथ जायेगा। * सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

राम राम जी - जय श्री राम

राम राम जी--जय श्री राम August 6, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित राम मात्र एक शब्द नहीं अपितु भारत समेत अनेक देशों के लोगो की आस्था का नाम है राम।राम जन्मभूमि पर सिर्फ एक मंदिर बनाना उद्देश्य नहीं है बल्कि देश भर में श्री राम जी के आदर्शों की स्थापना करना मुख्य उद्देश्य है।संघर्ष और समर्पण की राम कहानी के बाद अब राम जी टाट से ठाट के मंदिर में विराजमान होंगे। आपदाओं से ग्रस्त साल 2020 की 5 अगस्त 2020 तारीख इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखी जायेगी।बहुत विडम्बना की बात है की रामजी के देश मे राम मंदिर के लिये इतना संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण ही रहा।सेकुलरिज़्म का चश्मा लगाए कुछ विरोधी लोगो ने शीर्ष अदालतों के फैसलों को दरकिनार कर जनता को बरगलाने,भड़काने का कार्य की किया है अब भी कर रहे हैं। राजनीति में कुछ चन्द कथित नेता वोटो की राजनीति चमकाने को अनर्गल आलाप कर रहे हैं।भारत में हिन्दू -मुस्लिम आपस में सुई धागे की तरह हैं जो एक दूसरे के पूरक हैं। किसी के बरगलाने से बहकने वाले नहीं हैं। इतिहास गवाह है की मुगल आक्रांताओ ने देश मे लगभग 30 हज़ार से अधिक मन्दिर तहस नहस किये।दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर में आज भी इस आशय का शिलालेख मौजूद है जिस पर लिखा है कि कुतुब परिसर 27 हिन्दू जैन मंदिरों को तोड़कर उसके मलबे से निर्मित किया गया है।ऐसा अनेको जगह किया गया है।फिर भी देश मे भाई चारा कायम है।अकबर के काल मे दो आने का सिक्का जारी किया गया जिसके एक तरफ राम दरबार दूसरी तरफ कमल बना हुआ है।उस सिक्के की सार्थकता अब पूरी हो रही है।कमल के शासनकाल में राम जी का मंदिर बन रहा है।विश्व के कई देशों में आज भी राम मंदिर हैं एवम रामलीला का मंचन भी होता है। अयोध्या नगरी में प्रधानमंत्री मोदीजी के द्वारा श्री राम जन्मभूमि मन्दिर का भूमि पूजन बहुत श्रद्धा ,भक्ति एवम उल्हास के साथ सम्पन्न हुआ।अब वहां शीघ्र ही भव्य, दिव्य मन्दिर जी का निर्माण प्रारम्भ हो जायेगा।इस मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी शहीदों को नमन एवम सभी कार्यकर्ताओं को साधुवाद। * सुनील जैन राना *

राम राम जी - जय श्री राम

राम राम जी--जय श्री राम - पॉलिटिकल पेट्रोल - https://politicalpetrol.page/article/raam-raam-jee-jay-shree-raam/Le2Vxj.html

बुधवार, 29 जुलाई 2020

लोमड़ी से भी चालाक चीन


लोमड़ी से भी चालाक चीन -अभी नहीं तो फिर कभी नहीं https://suniljainrana.blogspot.com/
July 29, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
अहंकारवादी ,विस्तारवादी ,साम्राज्यवादी चीन अपनी ताकत के गुमान में भारत समेत विश्व के कई बड़े देशों के साथ भी छलकपट कर रहा है। किसी की भूमि पर कब्जा जताना ,किसी को कर्ज के जाल में जकड़कर धीरे -धीरे उसपर कब्जा करना चीन की नीति का हिस्सा गया है। कोरोना वायरस पर चीन के झूठ  सम्पूर्ण विश्व त्रस्त है। 
भारत अकेला चीन का सामना नहीं कर सकता लेकिन मोदीजी के नेत्तृव में आज अमेरिका समेत विश्व के कई बड़े देश चीन की दग़ाबाज़ी से परेशान होकर संयुक्त रूप से भारत का साथ देने को तैयार हैं। यही नहीं अपने आधुनिकतम हथियार एवं लड़ाकू जहाज भी भारत को दे रहे हैं। गलवान घाटी में पिटने के बाद चीन भले ही शांति का दिखावा कर रहा हो पर चीन कब विश्वासघात कर बैठे कोई भरोसा नहीं। भारतीय व्यापार बंदिशों से बौखलायें चीन पर भरोसा करना कतई ठीक नहीं है। यही उचित समय है सभी देश मिलकर लोमड़ी से चालाक चीन से अपनी-अपनी भूमि मुक्त करायें और चीन का सामना कर उसे उसकी औकात दिखायें।
चीन के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना इतना जरूर करे की जानें -अनजानें कुछ बम नापाक की धरती की तरफ़ भी धकेल दे। भारत से दुश्मनी के कारण पाकिस्तान के नेता चीन को अपना ईमान -सामान सब बेच रहे हैं। नापाक नेता  अपनी आवाम की भलाई का धन एटम बमों में लगाया बताकर खुद खा जाते हैं और आवाम को महंगाई -बेइजत्ती से रहने को मज़बूर कर रहे हैं। जबकि उनके आधे अधूरे एटम बम किसी लायक नहीं हैं, यदि उनमें से एक भी चलाया तो वह वहीं फट जायेगा ,लेकिन फिर भी नापाक नेता अनर्गल बयानबाज़ी से बाज़ नहीं आ रहे। 
यही उचित समय है चीन विरोधी सभी देशों को मिलकर चीन को उसकी औकात बताने का। अभी नहीं तो फिर कभी नहीं।         *सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

बरसात का पानी धरती में जाये -पर कैसे ?


बरसात का पानी धरती जाये - पर कैसे? https://suniljainrana.blogspot.com/
July 24, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
बरसात के चार महीनें देश के कुछ राज्य बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त हैं, ऐसा दशकों से होता रहा है। ऐसे में राज्य के खेत -खलिहान -सड़के -मकान -दुकान आदि सभी कुछ जलमग्न होकर व्यवस्था को तहस -नहस हो जाते हैं। इससे बचने के उपाय तो हैं लेकिन इच्छा शक्ति एवं धन की कमी के कारण योजनायें किर्यान्वत नहीं हो सकी। 
बरसात का पानी धरती में जाये पर कैसे ,इसके लिए बड़े पैमाने पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ योजनायें बनाकर कार्य करने की जरूरत है। हिंदी पखवाड़े की तर्ज पर भूगर्भ जल सप्ताह  मनाकर बरसात का पानी धरती में नहीं भेजा जा सकता। सरकारी -गैसरकारी स्तर पर प्रत्येक नगर -शहर-कस्बे -गाँव आदि के स्कूलों ,सरकारी कार्यालयों ,अस्पतालों ,होटलों आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने बहुत जरूरी हैं। इसी प्रकार खेत -बाग़ -जोहड़ -तालाब अदि में भी यह सिस्टम लगाया जाये। गली -मोहल्लो में बह रहा नालियों का पानी नालों में जाता है। यदि नालों के अंत में  यह सिस्टम लगा दिया जाये तो भी बरसात के अधिकांश पानी को बरबाद होने से बचाया जा सकता है। 
पानी का अंधाधुंध दोहन तो हो रहा लेकिन साथ ही पानी बचाने की सोच का भी दोहन हो गया है। यदि हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में आज जहां भरपूर पानी है वहां भी पानी की किल्ल्त हो जायेगी। केंद्र /राज्य सरकारें मनरेगा का इस्तेमाल नहरें बनाने में कर नहरों के द्वारा ज्यादा पानी को कम पानी की जगह उपलब्ध करा सकती हैं। सरकार के साथ जनता में जागरूकता होनी बहुत जरूरी है। ऐसा सब हो जाये तभी बरसात का पानी धरती में जाये। तभी हमारी मातृभूमि सभी को वर्ष भर भरपूर पानी दे पायेगी।  * सुनील जैन राना *

शनिवार, 18 जुलाई 2020

कोरोना - एक अदृश्य भूत

कोरोना - एक अदृश्य भूत https://suniljainrana.blogspot.com/
July 18, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति

आधुनिक -भौतिक युग में कोई भूत की बात करे तो उसे अंधविश्वासी या मुर्ख करार दे दिया जायेगा। ठीक भी है लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में आज भी अनेकों रहस्यों ,बीमारी -झाड़फूंक उपचार आदि की सत्यता को कोई झुठला नहीं सकता। पुराने जमाने में जैसे कहावत थी की वहां मत जाना वरना भूत चिपट जायेगा ठीक उसी प्रकार आज के नए जमाने में भी कहा जा रहा है की बाहर मत जाना वरना कोरोना हो जायेगा। अर्थात कोरोना एक ऐसे अदृश्य भूत समान कोई है जो न दिखाई देता है और न ही उसे किसी ने देखा है। जिस प्रकार पहले कहा जाता था की इसे भूत चिपट गया अब कहा जाता है की इसे कोरोना चिपट गया अर्थात हो गया। जो हो तो जाता है लेकिन दिखाई नहीं देता। 

चीन से लेकर भारत तक इस अदृश्य कोरोना ने लाखों लोगो को निगल लिया है। विश्व के सभी बड़े देश कोरोना की पहचान कर इसकी रोकथाम में लगे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। भारत में पतंजलि जैसी नामी आयुर्वेद कम्पनियों ने कोरोना रोकथाम का सस्ता -कारगर उपाय भी दिया है लेकिन शायद महंगा विदेशी उपचार  ही विश्व को मंजूर होगा। दुष्कर बात तो यह है की अभी तक कोरोना का कोई ईलाज नहीं लेकिन अस्पतालों में सबसे महंगा ईलाज हो रहा है कोरोना का। पता नहीं ईलाज के नाम पर क्या हो रहा है ?

मज़े  की बात यह भी है की अभी तक यह पता नहीं चला है की कोरोना किसको और क्यों हो रहा है ?भारत में लाखों कर्मचारी -मज़दूरो ने अपने घरो को भारी भीड़ में पलायन किया लेकिन उनमें से हज़ारो को भी कोरोना होने की बात सामने नहीं आयी। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जैसे महानायक जो दुसरो को कोरोना से बचने के उपाय बताते रहे उन्हें खुद कोरोना ने लपक लिया। ऐसे ही अनेको छोटे -बड़े लोग जो कोरोना से बचाव में लगे थे खुद कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में निष्कर्ष यह निकलता है की शारीरिक मेहनत करने वालों को जल्दी से कोरोना नहीं होता। इसलिए मेहनत करो ,इम्युनिटी बढ़ाओ ,घर का भोजन करो और स्वस्थ रहो।  * सुनील जैन राना *

बुधवार, 15 जुलाई 2020

यह कैसी कांग्रेस

यह कैसी कांग्रेस, जो डुबो रही खुद को https://suniljainrana.blogspot.com/
July 14, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति

विनाशकाले विपरीत बुद्धि नहीं बल्कि सत्ता जाए विपरीत बुद्धि। कभी जन -जन कांग्रेस आज एक परिवार तक सिमट कर रह गई है। ऐसा नहीं है की आज कांग्रेस में होनहारों की कमी है लेकिन आज गाँधी परिवार ने कांग्रेस को अपनी बपौती समझ लिया है।जो नेता कभी विरोध में कुछ बोला उसे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसी कारण एक-एक कर कोंग्रेसी नेता कांग्रेस से निकल रहे हैं।

जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह दस साल पीएम रहे यदि उनके अनुसार देश चलता तो आज कांग्रेस भारत मुक्ति की ओर न होती। गाँधी परिवार ने उन्हें रोबोट की तरह कार्य करने दिया। ऐसे ही चापलूसी ने कांग्रेस को खो दिया। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता गाँधी परिवार को ही अपना भगवान मानते हैं क्या ?मोतीलाल वोरा जैसे बुजुर्ग नेता  राहुल गाँधी के पैर छूते नज़र आते हैं। गाँधी परिवार आज भी बयान देता है लेकिन शायद सोशल मिडिया पर जनता के जबाब नहीं पढ़ता।  

राहुल गाँधी के नेत्तृव में कांग्रेस ३० से ज्यादा चुनाव हारी फिर भी अध्यक्ष पद पर किसी अन्य को देना मुनासिब नहीं समझते। कांग्रेस अध्यक्ष या तो माँ रहेगी या बेटा। इस समय देश कोरोना और चीन से संकट  घिरा है,ऐसे में सभी दलों को एकजुट होकर सरकार का साथ देना चाहिए लेकिन राहुल गाँधी सदैव आलोचना में लगे रहते हैं। पिछला इतिहास देंखे तो चीन और पाकिस्तान को खुद कांग्रेस ने सिर पर बैठाया था। आज पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी गई है और चीन को उसी की भाषा में जबाब दिया जा रहा है। घोटालो से कांग्रेस-गाँधी परिवार का शायद पुराना रिश्ता है जिसके उजागर होने पर ही जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इस पर भी राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन से दान या धन आने का पता चलना देश के लिए शर्मनाक ही है। गाँधी परिवार में सिर्फ तीन प्राणी तीनो अलग-अलग आलीशान सरकारी बंगलो में रहते हैं। क्या यह सत्ता का दुरूपयोग नहीं है ?

राहुल गाँधी अक्सर देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े नज़र आते हैं।  JNU के टुकड़े गैंग का साथ उन्होंने दिया। उनकी कार्यशैली से सिंधिया -पायलट जैसे युवा होनहार नेता समेत अन्य कई कांग्रेस छोड़कर निकल रहे हैं। कांग्रेस मुक्त भारत खुद कांग्रेस ही कर रही है बीजेपी नहीं। देश  की जनता अब कांग्रेस को नकार चुकी है। अब जब  तक कांग्रेस गाँधी परिवार से बाहर नहीं निकलेगी तब तक कांग्रेस का वापस सत्ता में आना मुश्किल ही लगता है।   * सुनील जैन राना *



शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

अपराध-अपराधी-संरक्षण-विधवा विलाप

अपराध-अपराधी-संरक्षण-विधवा विलाप https://suniljainrana.blogspot.com/
July 10, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
अपराधी फ़रार हो गया ,अपराधी पकड़ा गया ,अपराधी मारा गया आदि ऐसे शब्द अक्सर समाचारों में पढ़े-सुने जाते रहे हैं। दर्जनों हत्या-लूटपाट-रंगदारी के मुकदमों से सुसज्जित विकास दुबे आख़िरकार मारा ही गया। आठ पुलिस वालो की हत्या में शरीक,फिर भी बेखौफ होकर सड़क के रास्ते कानपुर से १२०० किलोमीटर उज्जैन तक बैलोरो कार में  होकर रास्ते भर पुलिस की गहन चैकिंग को धता पिलाकर महाकाल के दर तक पहुँच गया। जबकि पुलिस की दर्जनों टीमें उसे तलाश करने में लगी थी। ऐसी हैं हमारी सुरक्षा प्रणाली। 
राजनीति में अपराधीकरण को अपनाकर रंक से राजा बने विकास दुबे के बड़े-बड़े सफ़ेदपोश लोगो ,पुलिस-प्रशासन से रोटी-बोटी का रिश्ता बनाकर कोर्ट-कचहरी आदि महकमों में भी इज्जत के साथ पहुँच रखता था। उसकी दबंगई और धन-बल से स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि उपरोक्त सभी उसके आगे नतमस्तक रहते थे , इसी कारण दर्जनों वारदातों के बाद भी सज़ा न मिल सकी। 
लेकिन यमराज ने शायद उसके अहंकार भरे शब्द सुन लिये थे। बस फिर क्या था, विकास दुबे पुलिस के द्वारा मारा गया। अब विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पक्ष-विपक्ष के नेताओं का अनर्गल विलाप टीवी चैनलों पर शुरू हो गया है। इसमें शर्मनाक बात तो यह है की अधिकांश विपक्ष विधवा विलाप में लग गया है। इसे जिन्दा क्यों नहीं पकड़ा-इसे मार क्यों दिया?जिन्दा पकड़ा जाता तो कहते यह अपने धन-बल से छूट जायेगा,मार दिया तो कहते हैं की अपनों को बचाने हेतु मार डाला। ऐसे खुद से भ्र्ष्ट नेता कभी नहीं सुधरेंगे,हर कार्य की आलोचना करना ही इनका मुख्य कार्य है। 
राजनीति के समर्थन से अपराधीकरण पर कब लगाम लगेगी?कब तक बाहुबलियों के डर से बेबस पुलिस-प्रशासन एवं गवाह के मुकरने से संदेह का लाभ उठाकर अपराधी बचते रहेंगे?अक्सर यही होता रहा है,अपराधी अपराध कर खाकी -खादी का संरक्षण पाकर फ़रार हो जाता है। न्याय की चौखट पर पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है,उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। ऐसे में यदि दुर्दांत अपराधी एनकाउंटर में मार दिया जाता है तो विधवा विलाप नहीं करना चाहिए। बहुत शर्मनाक है ऐसे दुर्दांत अपराधियों के पक्ष में अनर्गल भाषा बोलना।  * सुनील जैन राना *

शनिवार, 4 जुलाई 2020

ऑनलाइन पढ़ाई - फ़ायदा कम ,नुकसान ज्यादा

ऑनलाइन पढ़ाई -फ़ायदा कम नुक्सान ज्यादा https://suniljainrana.blogspot.com/
July 4, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
भारत जैसे देश में जहां सभी बच्चों को स्कूल नसीब न होता हो, बड़े स्कूलों की महंगी पढ़ाई 5%बच्चों को भी नसीब न हो पाती हो, जहां मध्यम-छोटे स्कूलों की भरमार तो हो लेकिन उनमें शिक्षा की गुणवत्ता,शिक्षकों की गुणवत्ता ,बेसिक जरूरतें भी पूरी न हो पाती हों तो ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई का क्या ओचित्य रह जाता है? कभी किसी नें यह सर्वे भी नहीं किया होगा की कितने स्कूलों में कितने बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं ?
मध्यम वर्ग जिसके पास स्मार्ट फोन -लैपटॉप -नेटवर्क नहीं होता वह क्या करेगा ?किसी के पास स्मार्ट फोन है लेकिन २ या ३ बच्चे हैं तो वह कैसे मैनेज करेगा ?अपना कार्य करेगा या बच्चों को पढ़ायेगा ,इतना डेटा कहाँ से लाएगा ?बड़े नगरों -शहरों में ही अभी नेटवर्क डाउन रहता है ऐसे में छोटे शहर -कस्बे -गाँव वाले कैसे बच्चों को पढ़ा पायेंगे ?
कोरोना कार्यकाल में रोजगार -व्यापार -कमाई के साधन कम हो गए ऐसे में ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त खर्चे कैसे बर्दास्त होंगे ?स्कूलों की फ़ीस क्यों नहीं माफ़ की गई? इस पर भी ऑनलाइन पढ़ाई कराने वाली अनट्रेंड टीचर जो स्कूल में ही ढंग से नहीं पढ़ा पाती थी अब ऑनलाइन कैसे पढ़ा रही होंगी ,कभी यह सोचा है किसी ने ?बड़े स्कूलों -बड़े घर के बच्चों की बात छोड़ दे तो अन्य बच्चों में तो हीन भावना ही जन्म ले रही है। 
कभी किसी ने सोचा है की अधिकांश बच्चो की आँखे तो पहले से ही कमजोर रहती थी अब ऑनलाइन पढ़ाई से उनकी आँखों पर कितना जोर पड़ेगा ?मोबाईल पर कुछ घंटो की पढ़ाई ,फिर मोबाईल को बार -ंबार खोलकर देखकर होम वर्क पूरा करना। हम सभी अंदाजा लगा सकते हैं की इससे बच्चों की आँखों पर कितना जोर पड़ता होगा ?आने वाले समय में लगभग सभी बच्चों की आँखों पर चश्मा तो लगा ही होगा। आजकल के बच्चे मोबाईल पर ही लगे रहते हैं लेकिन मोबाईल देखना और मोबाईल से पढ़ने कार्य करने में बहुत अंतर् है। 
कोरोना महामारी तो समय के साथ खत्म हो ही जाएगी लेकिन साल -छ महीने की पढ़ाई कराकर बच्चों का भविष्य खराब मत करो। ऐसे में बच्चों की आँखे खराब हो गई तो उनके भविष्य पर असर पड़ेगा। जो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं उनमें हीन भावना जन्म ले रही है जो उनके भविष्य के लिए घातक हो सकती है। मध्यम वर्ग के अभिभावक दोहरी मार से मरे जा रहे हैं। फ़ीस माफ़ हो नहीं रही ऊपर से अतिरिक्त खर्चा कैसे बर्दास्त करें?इस पर सरकार को, स्कूल वालो को ,अभिभावकों को मंथन करना ही चाहिए। * सुनील जैन राना  *  सहारनपुर -२४७००१ 

बुधवार, 1 जुलाई 2020

देर से उठाया सही कदम

*देर से उठाया सही कदम* युद्ध में साम-दाम-दंड-भेद जरूरी* https://suniljainrana.blogspot.com/
June 30, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
धोखेबाज़ चीन आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान की तरह अपनी साख खो चुका है। जिस तरह आज विश्व में पाकिस्तान को आतंकी देश के रूप में देखा जाता है उसी प्रकार आज विश्व में चीन को झूठा -मक्कार -धोखेबाज़ -विश्वासघाती देश के रूप में देखा जाने लगा है। 
मोदीजी के कार्यकाल में आज विश्व  अधिकांश देशों से भारत  अच्छे संबन्ध हैं। मोदीजी ने पाकिस्तान और चीन से भी अच्छे संबन्ध रखने का भरपूर प्रयास किया लेकिन दोनों देश गद्दारी करने से बाज़ नहीं आये।कमजोर पाकिस्तान तो आज दुनिया में भीख का कटोरा लेकर इमदाद मांगने जाता है लेकिन कोई भी देश अब उसपर विश्वास ही नहीं करता। ताकतवर चीन आज अपनी  कार्य प्रणाली से विश्व के अधिकांश देशों से अछूता हो गया। दूसरे देशो की भूमियों पर कब्ज़ा करने की उसकी चाह अब उसी पर भारी पड़ रही है।  विश्व के अनेक बड़े देश आज चीन के खिलाफ हो गए हैं। 
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने धोखे से २० भारतीय सैनिको की हत्या कर दी। हालाँकि भारतीय सैनिको ने भी चीनी सैनिको के छक्के छुड़ाकर कई दर्जन चीनी सैनिको को मार डाला। लेकिन उसके बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। भारत भी अब पहले वाला भारत नहीं है। मोदीजी के नेत्तृव में अब चीन से आर -पार की लड़ाई लड़ी जा रही है। साम-दाम -दंड -भेद अपनाकर चीन से सभी मोर्चों पर सामना किया जा रहा है। 
हाल ही में मोदी सरकार ने ५९ चीनी एप्प पर पाबंदी लगा दी है। चीन से आयात होने वाली १२०० बस्तुओं पर लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है। जरूरी सामान की आपूर्ति को मित्र देशों से बातचीत की जा रही है। चीन में लगी अन्य देशों की फैक्ट्रियों को भारत में लाने पर बातचीत चल रही है। हालाँकि यह सब आसान नहीं है फिर भी मोदी सरकार देश की सुरक्षा -संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। शायद यह देर से उठाया सही कदम है। युद्ध के किसी भी हालातों से निपटने को सीमा पर भारतीय जवान आधुनिक हथियारों ,लड़ाकू जहाजों से लैस हैं। जरूरत पड़ने पर विश्व के कई बड़े देश भारत का साथ देने को तैयार हैं।  * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 25 जून 2020

गरीब कौन - बेरोजगार कौन ?

गरीब कौन - बेरोजगार कौन ? https://suniljainrana.blogspot.com/
June 25, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
सरकार गरीबो -बेरोजगारों के लिए अनेक योजनाएं बनाती है। निःशुल्क या सस्ते राशन वितरण से लेकर रोजगार करने के लिए सस्ते लोन -सब्सिडी आदि देकर मदद करती है फिर भी देश में से गरीबों की संख्या कम नहीं हो रही है। 
ऐसा क्यों है इसके लिए हमें पहले यह देखना होगा की गरीब -बेरोजगार कौन हैं? पिछले तीन महीने कोरोना कार्यकाल को छोड़ कर देंखे तो राशन की लाइन में अच्छे कपड़े पहने हाथों में स्मार्ट फोन लिए लाइन में खड़ा व्यक्ति गरीब है क्या? सरकार द्वारा किसी योजना हेतु जनधन खाते में ५०० रूपये निकालने को ७० हज़ार की मोटर साईकल पर अपनी पत्नी को लाइन में लगाने आया व्यक्ति गरीब है क्या?अपना घर योजना में सरकारी मदद से अपना घर बनाकर उसे किराये पर देकर या बेचकर फिर से झोपड़ पट्टी में रहने वाला गरीब है क्या?सुबह को राशन की लाइन में और शाम को दारु की दुकान पर लाइन में लगने वाला व्यक्ति गरीब है क्या?
दरअसल कुछ गरीब तो वास्तव में बहुत गरीब हैं लेकिन ज्यादातर गरीबी का चोला ओढ़े गरीब हैं। ऐसीही बात बेरोजगारी की है। यदि हम सब अपने आस -पास के १० -१० पड़ोसियों को देंखे तो लगभग सभी व्यस्त मिलेंगे। काम करने को कोई आदमी नहीं मिलता ,जिसे देखो वही व्यस्त। बेरोजगारी तो गरीबी की तरह ही जुमला जैसी ही बात है। 
दरअसल भारत देश में आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा तो दिया लेकिन गरीबी हटाने की सोच नहीं दी। आज गरीबी इतनी नहीं है जितनी ज्यादा सोच है। नेताओ ने गरीबी को हथियार बना रखा है। गरीबो के नाम पर अपने पेट भरे जा रहे हैं। कोरोना कार्यकाल में गरीब -बेरोजगारों के लिए राशन आदि का बेहताशा निःशुल्क वितरण हुआ ,क्या वह पूर्णतः सही तरह से हुआ?क्या सभी गरीबों को राशन मिला ?जबाब अलग -अलग होंगे। कुछ गरीबों को राशन नहीं मिला जबकि कुछ कथित गरीबों को कई -कई जगहों से मिला। 
हकीकत तो यह है की सरकार द्वारा जारी मुफ़्त की योजनाओं से कथित गरीब आदमी निठल्ला होता जा रहा है। योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी तक पूर्णतः नहीं पहुंच रहा है। गरीबी कम करने को गरीबों की सोच बदलनी होगी। रोजगार के साधन उपलभ्ध कराने होंगे जो की मोदी सरकार में किये जा रहे हैं। अन्यथा तो  फ्री का चंदन घिस मेरे नंदन। * सुनील जैन राना *


गुरुवार, 18 जून 2020

धोखेबाज़ चीन मानेगा नहीं -बहिष्कार जरूरी
June 18, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिको पर हमला कर चीन ने अपनी धोखेबाज़ी की फ़ितरत को जता दिया है। मुँह में राम बगल में छुरी यही है चीन की नीति। अब समय आ गया है की सीमा पर जवान चीन को उसकी ही भाषा में जबाब देंगे और देश के अंदर हम सब भारतीय चीनी सामानों का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर अपना फर्ज निभायेंगे। 
चीन की विस्तारवादी -साम्राज्यवादी और विश्वासघाती नीति से विश्व के अनेको देश पीड़ित हैं। विश्व के कई देशो को चीन ने चीनी सामान और कर्ज देकर अपने मकड़जाल में उलझा कर उनपर कब्जा करने की योजना बना रखी है। जिससे अनेको देश चीन के विरोध में एकत्र हो चीन से छुटकारा चाहते हैं। यही नहीं चीन की छलकपट की नीति से अनेक विकसित देश भी हैरान -परेशान हैं। फिर भी चीन अपने धन -बल के अहंकार में अनैतिक कार्य करने से बाज़ नहीं आ रहा है। 
भारत भी अब १९६२ वाला भारत नहीं है। अब यह मोदी का भारत है जिसका सूत्र वाक्य है की किसी की छेड़ेंगे नहीं -कोई छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं। चीन भले ही ताकतवर है लेकिन अब भारत भी अकेला नहीं है। अमेरिका समेत विश्व के १४२ देश भारत के साथ हैं जो चीन के विरुद्द भारत का साथ देने और चीन का बहिष्कार करने को तैयार हैं। 
लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीरों को नमन करते हुए हम सब भारतीयों को यह प्रण करना चाहिये की देश की सीमा पर जवान देश के लिए शहीद हो जाते हैं तो हम सभी इतना तो कर ही सकते हैं की चीनी सामानों और चीनी एप्प आदि सभी का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचायें। भारतीय सामानों को खरीदकर मेक इन इंडिया का परचम लहराकर देश से बेरोजगारी दूर करने में सहायक बनें।   * सुनील जैन राना *

रविवार, 14 जून 2020

*आत्महत्या करने वालो,सुन लो जरा *मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ*
June 14, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
आत्महत्या करने वालो ,सुन लो जरा ,मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा ,नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ। 
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है। 
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी।  शास्त्रों में लिखा है  मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है। 
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र।  * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन ***    निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर 

बुधवार, 10 जून 2020

धोखेबाज़ चीन -चालबाज़ कोरोना -अनपढ़ शिक्षक https://suniljainrana.blogspot.com/
June 10, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
चीन एक ऐसा देश जिसे अब अधिकांश देश धोखेबाज़ चीन की निगाह से देखते हैं। अपनी विस्तारवादी नीति के कारण चीन विश्व के कई देशो को आँखे दिखाता रहता है। ताइवान,हॉन्कॉन्ग,तिब्बत से लेकर भारत आदि के क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमाता रहता है। भारत में अब मोदी सरकार ने चीन को लद्दाख से हटने को मजबूर कर दर्शा दिया है की यह पहले वाला भारत नहीं है। लेकिन चीन विश्वासघात करने से बाज़ नहीं आयेगा। अब समय आ गया है की अमेरिका समेत विश्व के कई देश चीन के खिलाफ रणनीति बनाकर चीन को सबक सिखाने का, तभी चीन बाज़ आयेगा। 
चालबाज़ कोरोना - कोरोना को सस्ते में लो ना। भारत के  राज्यों में कोरोना की गति मंद हो गई है तो कुछ राज्यों में कोरोना और अधिक फैलता जा रहा है। जिन शहरों में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है वहां की जनता लापरवाह हो जाने से लगता है फिर से कोरोना अधिक मात्रा में फैलेगा और पुनः लॉक डाउन लगेगा। हम सभी को कोरोना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हम सबको भीड़ से बचना चाहिए ,मास्क आदि का उपयोग करना ही चाहिए ,बहुत जरूरत पर ही घर से निकलना चाहिए  अन्यथा ?
सहायक शिक्षकों की भर्ती - उत्तर प्रदेश में काफी समय से सहायक शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका पड़ा था जिसे अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुलझाया। जिसमे ६९००० सहायक शिक्षकों की भर्ती में ३७३३९ को छोड़कर बाकि का रास्ता साफ़ हुआ। इनमें कुछ शिक्षामित्र हैं बाकी सामान्य अभ्यर्थी हैं अन्य को १४जुलाई तक रोक लगाई गई है।
इस विषय में जनमानस का कहना है की शिक्षा में योग्यता से समझौता नहीं होना चाहिए। आज अनेको सरकारी स्कूलों में आधा लाख वेतन पाने वाले शिक्षकों को हिंदी -अंग्रेजी खुद पढ़ना -पढ़ना नहीं आता। कुछ जगह शिक्षकों ने अपनी जगह सस्ते में शिक्षक रख लिए और खुद ऐश कर रहे हैं। ऐसे में देश की भावी पीढ़ी को कैसी शिक्षा मिलेगी चिंतनीय बात है। ऐसे मे  कम पढ़े -लिखे का शिक्षक बन जाना सभी के साथ अन्याय ही है। शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता से समझौता करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा।     * सुनील जैन राना *

बुधवार, 3 जून 2020

तेरे टुकड़े -टुकड़े होंगे -जरूर -जरूर https://suniljainrana.blogspot.com/
June 3, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
भारत में देश विरोधी मानसिकता वाले लोगो की कमी नहीं है। राजनीति में तो यह सब चलता  लेकिन JNU जैसे शिक्षा संस्थानों में देश के टुकड़े -टुकड़े होंगे जैसे नारे लगना कतई देश हित में नहीं है। अब ऐसे गैंग शिकंजे में कसे भी जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है की इन देश विरोधी गैंगों की बद्दुआ इनके जैसी सोच वाले पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन को लगने वाली है। ये दोनों ही देश भारत एवं विश्व से गद्दारी करने में लगे रहते हैं। 
पाकिस्तान जैसा तुच्छ देश जिसकी जनता भूखे मर रही है ,इमरान खान भीख का कटोरा लिए घूमता है कोई भीख भी नहीं देता। जनता त्राहि -त्राहि कर रही है और नेता लोग मज़े कर रहे हैं अब वहां की जनता सरकार के ख़िलाफ़ सड़को पर उतर कर बगावत करने वाली है। लगता है पाकिस्तान खुद ही टूटकर ३ -४ टुकड़ो में बट जाने वाला है। 
चीन विश्व के अग्रणी देशों में शुमार है लेकिन अपनी कूटनीति -चालाकी -धोखेबाज़ी से विश्व के नज़रो से गिरता जा रहा है। कोरोना काल में चीन की विश्वासघाती नीति से अनेक देश स्तब्ध हैं। अमेरिका समेत विश्व के अनेको देश चीन की विस्तारवादी नीति और विश्वासघात करने की नीति से क्षुब्ध होकर चीन के खिलाफ एकत्र होकर उसका बहिष्कार करने और कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं। यही नहीं चीन में चीनी लोग भी सरकार दमनकारी नीति, कोरोना पर झूठे बयानों एवं मरने वालो की संख्या में झूठ से से नाराज होकर सड़को पर उतरने की सोच रहे हैं। 
भारत के लद्दाख में ,अरुणाचल में तिब्बत में चीन अपनी मनमानी करता ही रहता है। लेकिन अब भारत अकेला नहीं है। विश्व के अनेको देश चीन के खिलाफ भारत का साथ देने को तैयार हैं। ये सभी देश चीनी सामानों के बहिष्कार कर आपसी सहयोग से सामानों की आपूर्ति करने की योजना बना रहे हैं। हम भारतीयों को भी चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीनी सामानों का बहिष्कार करना ही होगा। मोबाईल पर चीनी एप्प की जगह भारतीय एप्प इस्तेमाल करने चाहियें। सैन्य ताकत में भले ही चीन ताकतवर हो लेकिन आर्थिक चोट से चीन बिखर ही जायेगा। विश्व के बहिष्कार और एकत्र होकर लड़ने वाली सैन्य ताकत के आगे चीन टुकड़े -टुकड़े हो ही जाएगा। *सुनील जैन राना *

गुरुवार, 28 मई 2020

कश्मीर -नापाक कश्मीर -नापाक किस्तान
May 28, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
दुनिया में शायद भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें बाहरी दुश्मनों से ज्यादा भीतर के देश विरोधी लोगो से देश ज्यादा त्रस्त है। दुनिया भर में भारत के नाम का डंका बज रहा है लेकिन भारत में मोदी विरोधी विरोध करने में ही लगे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन देश विरोधी ताकतों ने कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय समस्या ही बना डाला था। जिसे अब मोदी सरकार ने पुनः समस्या रहित कर भारतीय कश्मीर बना दिया। लेकिन कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को यह मंजूर नहीं हो पा रहा है क्योंकि कश्मीर से धारा ३७० आदि हट जाने से उनके अधिकार -ऐशो आराम -इमदाद आदि सभी बंद हो गए हैं। ये लोग अपनी सत्ता कायम रखने को कश्मीरी जनता को आज़ादी का पाठ पढ़ाकर बरगलाते रहे हैं। इनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं और ये कश्मीरी बच्चो को सेना के आगे पत्थर देकर खड़े करवाते रहे हैं। 
लेकिन अब धीरे -धीरे कश्मीरी जनता इनकी बातें समझ रही है और भारत सरकार से प्राप्त सुविधाएं और अधिकारो का लाभ प्राप्त कर रही है। अब वह दिन दूर नहीं जब कश्मीर की जनता इन अलगाववादियों के खिलाफ सड़को पर उतर आयेगी। ये अलगाववादी नेता पाकिस्तान के झण्डे लहराते हैं जबकि सभी जानते हैं की आज पाकिस्तान की क्या हालत है?आवाम महंगाई से त्रस्त है ,अधिकांश जनता भूखे पेट सो रही है। पाक सेना की तानाशाही के विरुध्द कई राज्य आंदोलन की राह पर हैं। POK के लोग तो इमरान खान और पाक सेना के विरुद्ध सड़को पर उतर ही आये हैं। इनमे से अधिकांश लोग POK का विलय भारत में ही चाहते हैं। POK को पाकिस्तान ने आतंक का अड्डा बनाकर नापाक कश्मीर ही बना  दिया है। 
पिछले छह सालों में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लेकर अनेक समस्याओं को दूर कर दिया है। मोदी सरकार में किसी भी मंत्री -मंत्रालय पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं हैं। देश में बिजली -पानी -सड़क की स्तिथी में व्यापक सुधार हुआ है। कोरोना वायरस की महामारी से विश्व के अनेकों देश बुरी तरह प्रभावित हैं। उनके मुकाबले १३५ करोड़ जनता का भारत देश कम प्रभावित है। सरकार की चौतरफ़ा व्यवस्था के बावजूद मज़दूरों को बरगलाकर अव्यवस्था फैलाई जा रही है। गांधी परिवार अपने कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान -महाराष्ट्र की बेहताशा बिगड़ती हालत को छोड़ पता नहीं क्यों उत्तर प्रदेश में बसों की राजनीति का खेल खेल रही है। अच्छा होता पहले अपने शासित राज्यों पर ध्यान देती। इस विपदा की घड़ी में हम सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित -जनताहित को सर्वोपरि रखना चाहिए।  * सुनील जैन राना *

रविवार, 24 मई 2020

सच हुआ लिखना - WHO के चेयरमैन बने हर्षवर्धन
May 23, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
सच हुआ लिखना, 2 मई को WHO पर एक लेख लिखा था जो साकार हुआ। WHO वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन की बागडौर भारत के हाथ में आ गई है। भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी ने WHO एक्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन का प्रभार ग्रहण कर लिया है। शुक्रवार को पद ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा की वर्तमान में कोविड -19 महामारी से जूझते विश्व को महामारी से पार लगाना है।
चीन के वुहान से विश्व भर में फैला कोरोना वायरस की जांच में WHO पर चीन के दबाब में कार्य करने और जांच को प्रभावित करने के आरोप अमेरिका समेत दर्जनों देश WHO पर लगा चुके हैं। ऐसे में 34 सदस्यीय विश्व स्वास्थ्य संगठन का चेयरमैन  पद की बागडौर भारत के हाथों में आना हम सबके लिए गौरव की बात है। 
कोरोना वायरस महामारी की लड़ाई में मोदीजी के नेत्तृव में भारत अगुआ देश बनकर सामने आया है। भारत द्वारा सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों को दवाईयां एवं अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराये हैं। भारत के इस कार्य को विश्व भर में सराहना मिली है। 
अब ऐसा लगता है मोदीजी ने जैसे भारतीय योग को विश्वभर में पहचान दिलाई उसी प्रकार एलोपैथी के साथ साथ भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्द्ति आयुर्वेद को भी विश्वभर में पहचान मिलेगी। कोरोना से लड़ने में आयुर्वेद के नुख्शों की भी अहम भूमिका रही है। 
हमनें  politicalpetrol.page पर  WHO नहीं - अब WHF जिसकी बागडौर भारत के हाथों में हो शीर्षक से लेख लिखा था। अब यह लेख ,यह सपना साकार हो गया है। मोदीजी हैं तो मुमकिन है।  *सुनील जैन राना * सहारनपुर -247001

बुधवार, 13 मई 2020

सियासत -पैकेज में खोट -विधवा विलाप * https://suniljainrana.blogspot.com/
May 13, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
कोरोना में कुछ लोगो को हर बात में है रोना क्योंकि विपक्ष या विरोधी पक्ष का मुख्य कार्य यही है की सरकार की हर बात में खामी ढूंढकर विरोध करना और टीवी पर रोना। 
कोरोना के चतुर्थ फेस से पूर्व प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा राष्ट्र के नाम सम्बोधन देश को नई ऊर्जा दे गया। जहां एक ओर कोरोना के कारण विश्व भर में मंदी व्याप्त है ,कोरोना विकाशशील देशों की अर्थ व्यवस्था को लील गया है वहीं दूसरी ओर भारत में कोरोना से लड़ने और बंद पड़े व्यापार -उद्योग धंधो को पटरी पर लाने ,गरीब -किसान -बेरोजगार को यथासंभव सहायता करने के उद्देश्य से २० लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है जो भारतीय अर्थ व्यवस्था का १०% के लगभग होता है। 
लेकिन हमारे देश में विपक्ष का कार्य हर बात में सिर्फ विरोध करना ही रह गया है। कांग्रेस के कुछ सदस्य इस पैकेज को देशहित में बता रहे हैं लेकिन बाकि ज्यादातर इसे जुमला बताकर विरोध करने में जुट गए हैं। कुछ कहते हैं की इतने पैसे कहां से आएंगे ,कुछ कहते हैं की पैकेज में खोट है ,कुछ कहते हैं की खाली कागज है तो कुछ कहते हैं की हमें क्या मिलेगा ? टीवी पर यही सियासत -विधवा विलाप शुरू हो गया है। 
बहुत विडंबना की बात है की सिर्फ विरोध करने की नीति कब तक चलेगी ? किसी गलत बात का विरोध होना ही चाहिए लेकिन हर बात का विरोध जायज नहीं है। ऐसी भयंकर मंदी में जब सम्पूर्ण विश्व की अर्थ व्यवस्था चरमरा गई हो ऐसे में भारत देश के पीएम मोदीजी द्वारा देश को आगे बढ़ाने ,स्वदेशी अपनाने ,आत्मनिभर्र होने ,मेक इन इण्डिया  सपना पूरा करने ,बेरोजगारों को रोजगार देने ,लघु उद्योगों को राहत देने ,गरीब -मजदूर -किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए इतना विशाल पैकेज देश को समर्पित करने का विरोध कोई कैसे कर सकता है यह समझ नहीं आता। 
मोदीजी के नेत्तृव में देश आगे बढ़ रहा है। पिछले ६ सालों में बिना किसी भ्र्ष्टाचार के देश में अनेको योजनाएं फ़लीभूत हो रही हैं। फिर भी सिर्फ विरोध करने वालो को तो बस भगवान ही सत्बुद्धि दे सकता है। *सुनील जैन राना *

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...