गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

डाकघर -डाकबाबू -सर्वर डाउन

डाकबाबू - डाकघर - सर्वर डाउन October 15, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित मोदीजी देश को डिजिटल बनाना चाह रहे और हमारे डाकबाबू और डाकघर का अधिकांश समय सर्वर ही डाउन रहता है। कुछ बहुत बड़े शहरों का तो पता नहीं लेकिन छोटे शहर -कस्बों -गाँवों के डाकघरों एवं डाक बाबुओ की कार्यप्रणाली देखकर उपभोक्ता का ही सर्वर डाउन हो जाता है। पैसे जमा कराओ ,निकालो ,पासबुक में एंट्री कराओ ,रजिस्टरी कराओ ,लेकिन कब कराओ जब नेट चलेगा ,अभी तो सर्वर डाउन है ?ऐसा जबाब अधिकांश उपभोक्ता को मिलता होगा। मैं अपने साप्ताहिक समाचार पत्र पॉलिटिकल पेट्रोल का डाक पंजीयन रिनीवल कराने नगर के बड़े पोस्टऑफिस प्रवर डाक घर में गया। बताया गया की सितंबर के बाद ५० रूपये की फ़ीस लगेगी अतः डाक काउंटर से ५० रूपये के लेट फ़ीस टिकट ले आओ। मैं गया लाईन लगी हुई थी दो लड़कियां चाय की चुस्कियां ले रही थी और अधिकांश उपभोक्ता को बाद में आना अभी सर्वर डाउन है कहकर टरका रही थी। मेरा नंबर आया मैंने लेटफीस हेतु ५० रूपये के टिकट आदि देने को कहा तो जबाब मिला क्या दें ?फिर आपस में खुसर फुसर कर बोली अभी कम्प्यूटर खराब है तब ठीक होगा तब प्रिंट निकलेगा। फिर मैं अपने घर के पास के डाकघर गया उनसे ५० रूपये के लेटफीस हेतु टिकट आदि देने को कहा तो उन्हें भी यह समझ नहीं आया की क्या देना है ?ऐसे समझदार हैं हमारे डाकबाबू ? अब बात करें डाक वितरण की तो यह हाल है की मेरा अपना समाचार पत्र मेरे पते पर दो साल में १०४ अंको में से मात्र १० अंक भी नहीं पहुंचे। दो साल से लिखित में की गई कई शिकायतों का कोई जबाब नहीं मिला।मेरे पास प्रतिदिन अनेक पत्र -पत्रिकाएं आती थी अब सिर्फ रजिस्टर्ड डाक आती है अन्य कुछ नहीं। ऐसी शिकायत अनेक लोगो की हैं। डाकिये से पूंछो तो वह दांत निकालकर कह देता है जितनी डाक मिलती है बाट देता हूँ।किसी की कोई जबाबदेही नहीं। मोदीजी के डिजिटल इंडिया में यह हाल है डाकखानों का। * सुनील जैन राना *

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