आधुनिक -भौतिक युग में कोई भूत की बात करे तो उसे अंधविश्वासी या मुर्ख करार दे दिया जायेगा। ठीक भी है लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में आज भी अनेकों रहस्यों ,बीमारी -झाड़फूंक उपचार आदि की सत्यता को कोई झुठला नहीं सकता। पुराने जमाने में जैसे कहावत थी की वहां मत जाना वरना भूत चिपट जायेगा ठीक उसी प्रकार आज के नए जमाने में भी कहा जा रहा है की बाहर मत जाना वरना कोरोना हो जायेगा। अर्थात कोरोना एक ऐसे अदृश्य भूत समान कोई है जो न दिखाई देता है और न ही उसे किसी ने देखा है। जिस प्रकार पहले कहा जाता था की इसे भूत चिपट गया अब कहा जाता है की इसे कोरोना चिपट गया अर्थात हो गया। जो हो तो जाता है लेकिन दिखाई नहीं देता।
चीन से लेकर भारत तक इस अदृश्य कोरोना ने लाखों लोगो को निगल लिया है। विश्व के सभी बड़े देश कोरोना की पहचान कर इसकी रोकथाम में लगे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। भारत में पतंजलि जैसी नामी आयुर्वेद कम्पनियों ने कोरोना रोकथाम का सस्ता -कारगर उपाय भी दिया है लेकिन शायद महंगा विदेशी उपचार ही विश्व को मंजूर होगा। दुष्कर बात तो यह है की अभी तक कोरोना का कोई ईलाज नहीं लेकिन अस्पतालों में सबसे महंगा ईलाज हो रहा है कोरोना का। पता नहीं ईलाज के नाम पर क्या हो रहा है ?
मज़े की बात यह भी है की अभी तक यह पता नहीं चला है की कोरोना किसको और क्यों हो रहा है ?भारत में लाखों कर्मचारी -मज़दूरो ने अपने घरो को भारी भीड़ में पलायन किया लेकिन उनमें से हज़ारो को भी कोरोना होने की बात सामने नहीं आयी। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन जैसे महानायक जो दुसरो को कोरोना से बचने के उपाय बताते रहे उन्हें खुद कोरोना ने लपक लिया। ऐसे ही अनेको छोटे -बड़े लोग जो कोरोना से बचाव में लगे थे खुद कोरोना की चपेट में आ गए। ऐसे में निष्कर्ष यह निकलता है की शारीरिक मेहनत करने वालों को जल्दी से कोरोना नहीं होता। इसलिए मेहनत करो ,इम्युनिटी बढ़ाओ ,घर का भोजन करो और स्वस्थ रहो। * सुनील जैन राना *
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