*आत्महत्या करने वालो,सुन लो जरा *मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ*
June 14, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
आत्महत्या करने वालो ,सुन लो जरा ,मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा ,नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ।
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है।
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी। शास्त्रों में लिखा है मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है।
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ * आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र। * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन *** निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है।
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी। शास्त्रों में लिखा है मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है।
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ * आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र। * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन *** निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर
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