तमिलनाडु की सरकार के द्वारा हिंदी विरोध को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसा सिर्फ कटुता का माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है.
दक्षिण में कभी -कभी ऐसे आंदोलनों को गति दी जाती रही है. यह सिर्फ अपनी राजनीती चमकाने को और अपने राज्य में हिंदी भाषियों का विरोध करने के लिए ऐसा किया जाता है. जबकि सभी जानते हैं की हिंदी के बिना उनका गुजारा नहीं है. दक्षिण वाले सभी राज्यों की जनता हिंदी समझ लेती है और बोल भी लेती है लेकिन कभी -कभी हिंदी विरोध पर भी उतर आती है.
भारत में हिंदी एक सर्वमान्य भाषा है. अन्य सभी भाषाओं की माँ जैसी. हिंदी बोलने में सहज है, सरल है. हिंदी अन्य सभी भाषाओं के माथे की बिंदी है. सभी भारतीयों को सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें