पूर्व सरकारी उपक्रम एयर इंडिया सदैव हज़ारो करोड़ के घाटे में रहा, लेकिन जबसे टाटा ने उसे खरीदा है वह घाटे से मुनाफे में ले आये. इससे कुछ सरकारी महकमों में निठल्ले पन और लापरवाही दिखाई देती है. अक्सर विपक्ष सरकार पर सरकारी उपक्रम बेचने का आरोप लगा देता है लेकिन वह इस सच्चाई को नहीं जानना चाहता की उपक्रम क्यों बेचा.
एयर इंडिया से सरकार को प्रतिवर्ष हज़ारो करोड़ का नुकसान हो रहा था. उसे बेचने से नुकसान बचा और बेचकर रकम मिली.
जबसे टाटा ने इसे खरीदा है तब से इसका रखरखाव कर वे इसे घाटे से मुनाफे में ले आये. लेकिन अभी भी उनको बहुत कुछ कटना बाकि रह गया है. पिछले दिनों हमारे कृषि मंत्री जो इतने सीधे हैँ की साधन से श्रेणी में ही यात्रा कर लेते हैं. लेकिन दुर्भाग्य वश उनकी ही सीट सही नहीं थी ऐसा उन्होंने इल्जाम लगाया. यह बहुत बड़ी बात है.
अभी कल ही के समाचार में एयर इंडिया के विमान में स्तिथ 12 में से 11 टॉयलेट काम ही नहीं कर रहे थे. ऐसा होना तो बहुत गलत बात है. ऐसे तो टाटा का एयर इंडिया अपनी टाटा वाली साख पर धब्बा लगा देगा.
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