रविवार, 14 दिसंबर 2025
शनिवार, 13 दिसंबर 2025
S I R से फायदा
📍 *SIR की दिलचस्प बातें:*
*SIR फॉर्म आया तो पूरा समाज एक लाइन में खड़ा हो गया। तीन अक्षरों का फॉर्म, लेकिन उद्देश्य इतना गहरा कि अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे लोगों का “हम तो सब जानते हैं” वाला भ्रम टूट गया।*
1️⃣ रिश्तों की रियलिटी चेक
*SIR ने साफ बता दिया- मां-बाप, दादा-दादी ही असली रिश्ते हैं, बाकी सब “जान-पहचान की सूची” में आते हैं।*
और मज़ेदार बात ये कि— *बेटियाँ शादी के बाद कितनी भी दूर चली जाएँ, रिश्ता मायके से ही साबित होता है— कागजों में, समाज में, और दिल में।*
2️⃣ टूटे हुए रिश्तों में नेटवर्क सिग्नल वापस
*वर्षों से बात न करने वाले लोग अब SIR फॉर्म भरवाने के नाम पर पत्नी के मायके जा रहे हैं, बेटियाँ गाँव लौट रही हैं, लोग दस्तावेज़ ढूँढते-ढूँढते वंशावली खोज रहे हैं। SIR ने वो रिश्ते जोड़ दिए जो व्हाट्सऐप भी नहीं जोड़ पाया।*
3️⃣ धर्म का भ्रम… SIR के आगे फ़ेल
*हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई— सब एक ही काउंटर पर लाइन में खड़े, एक ही पेन से फॉर्म भरते हुए। SIR ने वो कर दिया जो नेताओं की रैलियाँ नहीं कर पाई सबको एक ही नाव में सवार कर दिया।*
4️⃣ पुरानी यादें Rewind Mode में
*लोग आज फिर वही जगह ढूँढ रहे जहाँ— माँ-बाप रहा करते थे, दादा-दादी की छाया थी, और बचपन की धूल थी।* *किराएदार अपने मां-बाप का नाम उसी मकान मालिक से पूछ रहे हैं।*
*जिसे कभी किराया देना पड़ता था। इतिहास अब फेसबुक पोस्ट नहीं— घर-घर की खोज बन गया है।*
5️⃣ शिक्षा की असली औकात सामने
*SIR ने बता दिया— यह दुनिया पैसा नहीं, दस्तावेज़ माँगती है।*
*शिक्षा सिर्फ नौकरी नहीं, अपना वंश और पहचान जानने की योग्यता भी है।*
6️⃣ पुरखे सिर्फ फोटो नहीं—साक्ष्य हैं
*SIR ने साबित कर दिया— मां-बाप मरकर भी काम आते हैं, वे कागज़ों में, यादों में, और वंश में ज़िंदा रहते हैं।*
इसलिए:
*उन्हें याद करो, सम्मान दो, और अपनी वंशावली बच्चों को भी बताओ।*
7️⃣ सबसे चुभता सच
जब किसी से पूछा— *“तुम्हारे दादा-दादी, नाना-नानी का नाम?” तो आधे लोग नेटवर्क खोजते हैं, बाकी आधे गूगल नहीं, मम्मी को कॉल करते हैं। ये सिर्फ जानकारी नहीं— कटी हुई जड़ों की निशानी है।*
*SIR अभी शुरू हुआ है…*
*आगे कितने किस्से, कितनी कहानियाँ और कितने राज खुलेंगे— बस इंतज़ार करिए, देश भर में वंशावली का महाकाव्य लिखने वाला है*।
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शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025
गुरुवार, 11 दिसंबर 2025
सेना के जूते
.
*भारतीय सेना के जूते की दास्तान*
जयपुर की कंपनी सेना के लिए
जूते बनाती है,
फिर वह जूते इजराइल को बेचते थे,
फिर इजराइल वही जूते
भारत को बेचता था.
और फिर वे जूते भारतीय सैनिकों को
नसीब होते थे.
भारत एक नग जूते के
Rs. 25,000/- देता था,
और यही सिलसिला काँग्रेस द्वारा
कई सालों से चल रहा था.
जैसे ही पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को
यह पता चला, वो चौंके और
आग बबूला हो गए.
और तुरंत जयपुर कंपनी के
CEO को मिले, कारण पूछा, तो ...
जवाब मिला :
*भारत को डायरेक्ट जूते बेचने पर*
*भारत का सरकारी तंत्र सालों तक*
*पेमेंट नहीं देता था.*
इसलिए
हम दूसरे देशों में एक्सपोर्ट करने लगे.
मनोहर पर्रिकर ने कहा :
*एक दिन, सिर्फ एक दिन भी*
*पेमेंट लेट होता है, तो आप मुझे*
*तुरंत कॉल कीजिए.*
बस .... आपको हमें
डायरेक्ट जूते बेचना है,
आप प्राइस बताएं.
और इस तरह आखिर पर्रिकर ने
वही जूते सिर्फ *2200/-* में
फाइनल किया !!
सोचिए ... जूते के *25,000/-* देकर
काँग्रेस ने सालों तक
कितनी लूट मचा रखी थी !!
विश्वास नहीं हुआ ना ??
कोई बात नहीं.
RTI लगाइए या
Google खँगालिये.
😎 Google सर्च पर बस
इतना लिखिए 👇🏽
*भारतीय सेना के जूते की दास्तान*
सच सामने होगा.
मंगलवार, 9 दिसंबर 2025
सदैव प्रसन्न रहें
मेरा यह निरीक्षण है कि यदि आप दुखी हैं तो आप किसी दुखी व्यक्ति को ही पाएँगे। दुखी लोग दुखी लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं—और यह अच्छा है, स्वाभाविक है। अच्छा है कि दुखी लोग खुश लोगों की तरफ आकर्षित नहीं होते, नहीं तो वे उनकी खुशी नष्ट कर देंगे। यह बिल्कुल ठीक है।
💛 केवल खुश लोग खुश लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं।
जैसा, वैसा आकर्षित करता है। बुद्धिमान लोग बुद्धिमानों की तरफ; मूर्ख लोग मूर्खों की तरफ।
आप हमेशा अपने ही स्तर के लोगों से मिलते हैं।
इसलिए पहली बात याद रखने की है: यदि संबंध दुख से उपजा है तो वह कड़वा ही होगा।
पहले खुश हों, आनन्दित हों, उत्सवमय हों—तब आपको कोई दूसरा उत्सव मनाता हुआ आत्मा मिलेगी और दो नाचती हुई आत्माओं का मिलन होगा, जिससे एक महान नृत्य जन्म लेगा।
अकेलेपन से संबंध मत माँगिए—नहीं!
वरना आप गलत दिशा में जा रहे हैं। तब आप दूसरे को एक साधन की तरह इस्तेमाल करेंगे और दूसरा आपको। और कोई भी साधन की तरह इस्तेमाल होना नहीं चाहता।
हर व्यक्ति अपने आप में एक लक्ष्य है—स्वयं में पूर्ण।
💛 पहले अकेले रहना सीखिए। ध्यान, अकेले होने की कला है।
यदि आप अकेले खुश रह सकते हैं, तो आपने खुश रहने का रहस्य सीख लिया।
अब आप साथ में भी खुश रह सकते हैं।
यदि आप खुश हैं, तो आपके पास कुछ देने के लिए है। और जब आप देते हैं तभी आपको मिलता है—यह उल्टा नहीं है।
तभी किसी से प्रेम करने की आवश्यकता महसूस होती है।
सामान्यतः लोगों की आवश्यकता होती है कि कोई उन्हें प्रेम करे। यह गलत आवश्यकता है, बचकानी है, अपरिपक्व है।
यह बच्चे का दृष्टिकोण है।
बच्चा जन्म लेता है—स्वाभाविक है कि वह माँ को प्रेम नहीं कर सकता, क्योंकि वह जानता ही नहीं कि प्रेम क्या है, और माँ कौन है। वह असहाय है, उसकी सत्ता अभी गठित नहीं हुई। वह केवल एक संभावना है।
माँ को प्रेम लुटाना होता है, पिता को प्रेम देना होता है, परिवार को प्रेम वर्षा करनी होती है।
यही देख–देखकर बच्चा सीखता है कि सबको उसे प्रेम करना चाहिए। वह यह कभी नहीं सीखता कि उसे भी प्रेम देना है।
वह बड़ा हो जाता है, लेकिन यदि यह दृष्टिकोण पकड़े रहता है कि सबको मुझे प्रेम करना चाहिए, तो वह पूरी जिंदगी दुख झेलता है।
उसका शरीर बड़ा हो गया, पर मन बचकाना ही रह गया।
💛 एक परिपक्व व्यक्ति वह है जिसे यह दूसरी आवश्यकता पता चलती है: अब मुझे किसी से प्रेम करना है।
प्रेम पाने की आवश्यकता बचकानी है।
प्रेम देने की आवश्यकता परिपक्व है।
और जब आप प्रेम देने के लिए तैयार हो जाते हैं, तभी एक सुंदर संबंध जन्म लेता है—अन्यथा नहीं।
“क्या यह संभव है कि संबंध में दो लोग एक–दूसरे के लिए बुरे हों?”
हाँ—यही दुनिया भर में हो रहा है। अच्छा होना बहुत कठिन है।
आप अपने प्रति ही अच्छे नहीं हैं—तो दूसरे के प्रति कैसे होंगे?
💛 आप स्वयं से प्रेम नहीं करते—तो किसी और से कैसे प्रेम करेंगे?
पहले स्वयं से प्रेम करें। अपने प्रति अच्छे बनें।
और आपके धार्मिक संतों ने आपको हमेशा सिखाया है कि अपने प्रति कठोर बनो, अपने प्रति प्रेम मत करो! दूसरों के प्रति कोमल रहो और अपने प्रति कठोर—यह बेतुका है।
मैं आपको सिखाता हूँ: सबसे पहला और सबसे ज़रूरी काम है—अपने प्रति प्रेममय होना।
अपने ऊपर कठोर मत बनो, कोमल रहो।
अपने प्रति care करो।
बार–बार, सात बार, सत्तर–सात बार, सात सौ सत्तर–सात बार—अपने आपको क्षमा करना सीखो।
अपने प्रति विरोधी मत बनो।
फिर आप खिल उठेंगे।
और जब आप खिलते हैं, तब आप किसी दूसरे फूल को आकर्षित करते हैं—यह स्वाभाविक है।
पत्थर पत्थरों को आकर्षित करते हैं; फूल फूलों को।
तब एक ऐसा संबंध जन्म लेता है जिसमें गरिमा है, सुंदरता है, वरदान है।
यदि आप ऐसा संबंध पा सकें, तो आपका संबंध प्रार्थना में बदल जाएगा, आपका प्रेम परमानंद बन जाएगा—और प्रेम के माध्यम से आप जानेंगे कि परमात्मा क्या है।
— ओशो,
Ecstasy: The Forgotten Language,
Chapter 2
सोमवार, 8 दिसंबर 2025
अग्नि तांडव
गोवा में एक नाईट वलब में कार्यक्रम के दौरान आग लगने से दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मृत्यु. कई घायलों को अस्पताल भेजा.
दरअसल इज प्रकार की लापरवाही पहले भी कई बार हो चुकी है. नियम कायदो को ताक पर रख सुविधा शुल्क देकर सबके काम चल जाते हैं. जब कोई हादसा हो जाता है तो लीपापोती कर मामले को शांत कर दिया जाता है.
दिल्ली में अनेकों भीड़ भरे बाज़ार,, पतली गलियां सबको दिखाई देती हैं, प्रशासन को छोड़कर.
खारी बावली, सदर बाज़ार जैसे बाजारों में हादसा होने पर एम्बुलेंस तो दूर की बात पैदल भी चलना मुश्किल होता है. अब यदि वहाँ हादसा हो जाये तो बहुत अनर्थ हो सकता है.
फायदा ब्रिगेड की NoC तो शायद ही किसी के पास होती होगी.
बुधवार, 3 दिसंबर 2025
सोनी जी की नसिया, अजमेर
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ यानि भगवान ऋषभदेव (Tirthankara Of Jainism) के युग में भारतवर्ष में स्थापित अयोध्यानगरी (Golden Temple Ayodhya Nagari) के अद्भुत व स्वर्णिम दृश्य देखने हैं तो धार्मिक शहर अजमेर ही ऐसी जगह है, जहां हम उस काल के स्वर्णयुग की सैर कर सकते हैं।
जी हां, अजमेर स्थित सोनी जी नसियां स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में देश की एकमात्र स्वर्णिम अयोध्या नगरी का निर्माण कर रखा है। जैन धर्म के किसी भी मंदिर में इस तरह की अद्भुत अयोध्यानगरी (Golden Temple Ayodhya Nagari ) की रचना नहीं है। इसलिए देश-दुनिया के लाखों लोग हर वर्ष अजमेर के सोनीजी की नसियां के जैन मंदिर (Ajmer Jain Temple ) में दर्शन करने के लिए आते हैं और यहां स्वर्णिम अयोध्या नगरी का दर्शन कर गौरवांवित महसूस करते हैं।
स्वर्णिम अयोध्या नगरी की रचना इतनी सुन्दर व कलात्मक तरीके से की गई हैं कि घंटों तक इसको देखने की इच्छा रहती है। लकड़ी व कांच पर सोने की अनूठी कारीगिरी हर किसी को आकर्षित करती है। नसिया में एक बड़े हिस्से में बनी इस अयोध्यानगरी को संत-महात्मा ही अंदर जाकर देख सकते हैं। शेष दर्शक व पर्यटक इस अयोध्या नगरी का दर्शन पारदर्शी कांच की दीवारों व खिड़कियों से ही कर सकते हैं।
सेठ मूलचंद नेमीचंद सोनी ने इसका निर्माण 1864 में शुरू कराया था, जिसे पूरा होने में २५ वर्ष लगे। सेठ भागचंद सोनी ने इसका निर्माण पूर्ण किया था। इसे श्री सिद्धकूट चैत्यालय एवं करौली के लाल पत्थरों से निर्मित होने के कारण लाल मंदिर भी कहा जाता है। नसियां में स्वर्णिम अयोध्या नगरी सर्वाधिक दर्शनीय है।
भगवान ऋषभदेव के पंच कल्याणक का दृश्यांकन किया गया है। अयोध्या नगरी में सुमेरू पर्वत का निर्माण जयपुर में कराया गया था। आचार्य जिनसेन द्वारा रचित आदिपुराण पर आधारित है। मूर्तियों में स्वर्ण की परत का प्रयोग किया गया है।
#यह_हैं_स्वर्णिम_अयोध्या_के_पंच_कल्याणक :
#गर्भ_कल्याणक :
माता मरुदेवी के रात्रि में 16 स्वप्न देखे थे, जिसके फलानुसार भावी तीर्थंकर का अवतरण अयोध्या में हुआ। इसमें देवविमान और माता के स्वप्न दर्शाए गए हैं।
#जन्म_कल्याणक :
ऋषभदेव (Bhagwan Adinath ) के जन्म पर इंद्र के आसन कंपायमान होने, ऐरावत हाथी पर बालक ऋषभवदेव को सुमेरू पर्वत ले जाने, पांडुकशिला पर अभिषेक और देवों की शोभायात्रा को दर्शाया गया है।
#तप_कल्याणक :
महाराज ऋषभदेव के दरबार में अप्सरा नीलांजना का नृत्य, ऋषभदेव के संसार त्याग कर दिगंबर मुनि बनने और केशलौंचन को दर्शाया गया है।
#केवलज्ञान_कल्याणक :
हजार वर्ष की तपस्या में लीन ऋषभदेव, कैलाश पर्वत पर केवल ज्ञान प्राप्ति, राजा श्रेयांस द्वारा मुनि ऋषभवदेव को प्रथम आहार को दर्शाया गया है।
#मोक्ष_कल्याणक :
भगवान ऋषभदेव (Tirthankara Of Jainism ) का कैलाश पर्वत से निर्वाण का स्वर्ण कमल दृश्य, पुत्र भरत द्वारा 72 स्वर्णिम मंदिर को दर्शाया गया है।
जय ऋषभदेव 🙏
Source-Alok jain
#jainism #follower #highlightsシ゚ #followerseveryone #jaintemple #ajmernews
मंगलवार, 2 दिसंबर 2025
बीत रही पुरानी बातें.
*बच्चों में बचपन*
जवानी में यौवन
शीशों में दर्पण
जीवन में सावन
गाँव में अखाड़ा
शहर में सिंघाड़ा
टेबल की जगह पहाड़ा
और पायजामे में नाड़ा
*ढूँढते रह जाओगे*
चूड़ी भरी कलाई
शादी में शहनाई
आँखों में पानी
दादी की कहानी
प्यार के दो पल
नल नल में जल
तराजू में बट्टा
और लड़कियों का दुपट्टा
*ढूँढते रह जाओगे*
गाता हुआ गाँव
बरगद की छाँव
किसान का हल
मेहनत का फल
चहकता हुआ पनघट
लम्बा लम्बा घूँघट
लज्जा से थरथराते होंठ
और पहलवान का लंगोट
*ढूँढते रह जाओगे*
आपस में प्यार
भरा पूरा परिवार
नेता ईमानदार
दो रुपये उधार
सड़क किनारे प्याऊ
संबोधन में चाचा ताऊ
परोपकारी बंदे
और अरथी को कंधे
*ढूँढते रह जाओगे।*
🙏🙏🙏
सोमवार, 1 दिसंबर 2025
शनिवार, 29 नवंबर 2025
ओषधि सिर्फ दवाई नहीँ
*औषधि क्या हैं?*
1. जल्दी सोना और जल्दी उठना औषधि है।
2. सुबह ईश्वर का स्मरण औषधि है।
3. योग, प्राणायाम और व्यायाम औषधि हैं।
4. सुबह और शाम की सैर भी औषधि है।
5. उपवास सभी रोगों की औषधि है।
6. सूर्य का प्रकाश भी औषधि है।
7. घड़े का पानी पीना औषधि है।
8. ताली बजाना भी औषधि है।
9. अच्छी तरह चबाना औषधि है।
10. पानी पीना और ध्यानपूर्वक भोजन करना औषधि है।
11. भोजन के बाद वज्रासन में बैठना औषधि है।
12. प्रसन्न रहने का निर्णय लेना औषधि है।
13. कभी-कभी मौन रहना भी औषधि है।
14. हँसी-मजाक औषधि है।
15. संतोष औषधि है।
16. मन और शरीर की शांति औषधि है।
17. ईमानदारी और सकारात्मकता औषधि है।
18. निस्वार्थ प्रेम और भावनाएँ भी औषधि हैं।
19. दूसरों का भला करना औषधि है।
20. पुण्य देने वाला काम करना ही औषधि है।
21. दूसरों के साथ मिल-जुलकर रहना ही औषधि है।
22. खाना-पीना और परिवार के साथ समय बिताना ही औषधि है।
23. हर सच्चा और अच्छा दोस्त बिना पैसों के एक पूरा मेडिकल स्टोर है।
24. मस्त, व्यस्त, स्वस्थ और उत्साही रहना ही औषधि है।
25. हर नए दिन का पूरा आनंद लेना ही औषधि है।
26. *अंततः...* किसी को यह संदेश भेजकर एक नेक काम करने की खुशी भी औषधि है। *प्रकृति की महानता* को समझना ही औषधि है। ये सभी औषधियाँ बिना किसी दुष्प्रभाव के पूरी तरह निःशुल्क हैं!! यह संदेश प्रेम और दुनिया में जागरूकता फैलाने की इच्छा से भेजा गया है।
*What are Medicines?*
1. Sleeping early and waking up early is medicine.
2. Remembering God in the morning is medicine.
3. Yoga, pranayama, and exercise are medicines.
4. Morning and evening walks are also medicines.
5. Fasting is medicine for all diseases.
6. Sunlight is also medicine.
7. Drinking clay-pot water is a medicine.
8. Clapping hands is also medicine.
9. Chewing well is medicine.
10. Drinking water and eating mindfully are medicines.
11. Sitting in vajrasana after eating is medicine.
12. Deciding to be happy is medicine.
13. Sometimes, silence is medicine.
14. Laughter and jokes are medicines.
15. Contentment is medicine.
16. Peace of mind and body is medicine.
17. Honesty and positivity are medicines.
18. Selfless love and emotions are also medicines.
19. Doing good to others is medicine.
20. Doing something that gives virtue is medicine.
21. Living in harmony with others is medicine.
22. Eating, drinking, and spending time with family is medicine.
23. Each true and good friend is a complete medical store without money.
24. Staying cool, busy, healthy, and enthusiastic is medicine.
25. Enjoying each new day fully is medicine.
26. *Finally...* The joy of doing a good deed by sending this message to someone is also medicine. Understanding the *greatness of nature* is medicine.
These medicines are all completely free without any side effects!!
This message is sent with love and a desire to spread awareness to the world.
शुक्रवार, 28 नवंबर 2025
बुधवार, 26 नवंबर 2025
अद्धभुत है हमारा शरीर
*चिंतन*
1. *टायर चलने पर घिसते हैं, लेकिन पैर के तलवे जीवनभर दौड़ने के बाद भी नए जैसे रहते हैं।*
2. *शरीर 75% पानी से बना है, फिर भी लाखों रोमकूपों के बावजूद एक बूंद भी लीक नहीं होती।*
3. *कोई भी वस्तु बिना सहारे नहीं खड़ी रह सकती, लेकिन यह शरीर खुद को संतुलित रखता है।*
4. *कोई बैटरी बिना चार्जिंग के नहीं चलती, लेकिन हृदय जन्म से लेकर मृत्यु तक बिना रुके धड़कता है।*
5. *कोई पंप हमेशा नहीं चल सकता, लेकिन रक्त पूरे जीवनभर बिना रुके शरीर में बहता रहता है।*
6. *दुनिया के सबसे महंगे कैमरे भी सीमित हैं, लेकिन आंखें हजारों मेगापिक्सल की गुणवत्ता में हर दृश्य कैद कर सकती हैं।*
7. *कोई लैब हर स्वाद टेस्ट नहीं कर सकती, लेकिन जीभ बिना किसी उपकरण के हजारों स्वाद पहचान सकती है।*
8. *सबसे एडवांस्ड सेंसर भी सीमित होते हैं, लेकिन त्वचा हर हल्की-से-हल्की संवेदना को महसूस कर सकती है।*
9. *कोई भी यंत्र हर ध्वनि नहीं निकाल सकता, लेकिन कंठ से हजारों फ्रीक्वेंसी की आवाजें पैदा हो सकती हैं।*
10. *कोई डिवाइस पूरी तरह ध्वनियों को डिकोड नहीं कर सकती, लेकिन कान हर ध्वनि को समझकर अर्थ निकाल लेते हैं।*
*ईश्वर ने हमें जो अमूल्य वस्तुएं दी हैं, उनके लिए उसका आभार मानिए और उससे शिकायत करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।*
मंगलवार, 25 नवंबर 2025
बुधवार, 19 नवंबर 2025
यही सही है
दुनिया का सबसे छोटा संविधान चीन का है: कोई अपराधी बचता नहीं है।सबसे भारी भरकम संविधान भारत का है: कोई अपराधी फंसता नहीं है।
सरकारी राशन के दुकान पर भीड़ देखिये।हाथ में 20000 का मोबाइल लेकर 70000 के बाइक पर बैठकर 2 रुपये किलो चावल लेने आते है ये गरीब लोग।
जिस देश में नसबन्दी कराने वाले को सिर्फ़ 1500₹ मिलते हों और बच्चा पैदा होने पर 6000₹ मिलते हों तो जनसंख्या कैसे नियन्त्रित होगी?????
एक बादशाह ने गधों को क़तार में चलता देखा तो धोबी से पूछा, "ये कैसे सीधे चलते है..?"
धोबी ने जवाब दिया, "जो लाइन तोड़ता है उसे मैं सज़ा देता हूँ, बस इसलिये ये सीधे चलते हैं।"
बादशाह बोला, "मेरे मुल्क में अमन क़ायम कर सकते हो..?"
धोबी ने हामी भर ली।
धोबी शहर आया तो बादशाह ने उसे मुन्सिफ बना दिया, और एक चोर का मुक़दमा आ गया, धोबी ने कहा चोर का हाथ काट दो।
जल्लाद ने वज़ीर की तरफ देखा और धोबी के कान में
बोला, "ये वज़ीर साहब का ख़ास आदमी है।"
धोबी ने दोबारा कहा इसका हाथ काट दो, तो वज़ीर ने सरगोशी की कि ये अपना आदमी है ख़याल करो।
इस बार धोबी ने कहा, "चोर का हाथ और वज़ीर की ज़ुबान दोनों काट दो, और एक फैसले से ही मुल्क में अमन क़ायम हो गया…।
बिलकुल इसी न्याय की जरुरत हमारे देश को है ।
सरपंच की सैलरी 3000 से लेकर 5000 तक होती है समझ में नहीं आता है 2 साल बाद स्कॉर्पियो फॉर्च्यूनर कहा से ले आते हैं.....?
जज के कुर्सी से मात्र 5 मीटर की दूरी पर पेशकार 100-200 रूपये लेता है ज़िसे आजतक कोई जज नहीं देख सका।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत?????
copied
सोमवार, 17 नवंबर 2025
जनता अब समझदार होती जा रही है
कोई माने तो न!
(जैसा मिला वैसा भेजा)
घोर परिवारवाद की लालटैन बुझ गई , पंजा टूट गया ....
तेजस्वी द्वारा शर्ट और जीन्स पहनकर राहुल की नकल करने की राजनीति नहीं चली , दोनों को ले डूबी .....
चुनाव होते ही भाई बहन के विदेश निकल जाने की राजनीति समझ नहीं आई....
देश के संवैधानिक संस्थानों पर लगातार अटैक करने की राजनीति अब नहीं चलती .....
80 साल से लगातार एक ही विचारधारा का वोटबैंक बने मुस्लिम समाज को कम से कम अब तो समझ लेना चाहिए कि राष्ट्र की मुख्यधारा में आए बगैर वे सामाजिक समरसता का हिस्सा नहीं बन पाएंगे । राष्ट्रीय स्वाभिमान की समरसता में बहने के लिए उन्हें लगातार पिछलग्गू बनने बचना चाहिए । यह देश मुसलमानों का भी उतना ही है जितना हिंदुओं का । राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें भी प्रवेश करना चाहिए ।
लेकिन अफसोस ! जब कभी भी राष्ट्रीय मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर मिलता है , वे विपक्षी दलों के उन दलों का 100% पिट्ठू बन जाते हैं , जिनका नेतृत्व हिन्दू नेताओं के पास दादलाई चला आ रहा है । मुस्लिम दोस्तों को मुस्लिम समाज के एकमात्र राष्ट्रवादी नेता असाउद्दीन ओवैसी से सबक सीखना चाहिए । ओवैसी मुस्लिम राजनीति अवश्य करते हैं , लेकिन कभी भी राष्ट्रप्रेम प्रदर्शित करने में पीछे नहीं रहते । बिहार ने एक तगड़ा संदेश दमघोटू राजनीति को दिया है जिसे सभी को पढ़ना चाहिए ।
बिहार ने बताया है कि सत्ता कड़ी मेहनत , कठोर साधना , गहन रणनीति बनाने और लम्बी तैयारियों के बाद मिलती है । सत्ता गाड़ी में बैठकर सावन में मछली खाने , नवरात्र में लालू के घर जाकर मीट पकाना सीखने , नाव से तालाब में कूद जाने या होटल में घुसकर समोसे तलने से नहीं मिलती । खेत में उतरकर धान रोपने अथवा मोटर मैकेनिक बनने का नाटक करने से सत्ता नहीं मिलती । चुनाव शुरू होने और मतगणना से पहले विदेश भाग जाने से बिल्कुल नहीं मिलती ।
जेन जी को भड़काने अथवा चोर चोर चिल्लाने से तो बिल्कुल मिलती ही नहीं । और हां तेजस्वी यादव ! बिहारी जनता सरकारी नौकरी पसंद करती है , यह ठीक है । लेकिन बिहारी तुम्हारे पिता लालू और तुम्हारी तरह रामद्रोही नहीं हैं ? तुम्हारा खानदान चारा चोर और जमीन चोर हो सकता है , बिहारी जनमानस राष्ट्रभक्त है , स्वाभिमानी है । तो देखो , बड़ी बड़ी हॉक रहे थे । आ गिरे न चारों खाने चित्त जमीन पर ? जीभ भी पूरी की पूरी बाहर निकल आई न ?
हम बिहार की राष्ट्रभक्त , रामभक्त , परिश्रमी और स्वाभिमानी जनता को हजारों सैल्यूट देते हैं । बिहारियों ने दिखा दिया कि जबरिया आतंकवाद की आग में झोंके जा रहे देश की रक्षा में जो तत्पर हैं , बिहारी उनके साथ हैं । बिहार ने दिखा दिया कि उन्हें काम करने वालों और देश को लूटने वालों के बीच फर्क ढूंढना खूब आता है । जो लोग बिहार की छठ पूजा को विश्वव्यापी बनाते हैं , यूनेस्को तक ले जाते हैं , राम मंदिर बनाते हैं , सीतामढ़ी सजाते हैं , सुशासन लाते हैं , बिहारी उनके साथ हैं । बिहार अपनी सेनाओं के साथ है , विकास के साथ है । राष्ट्रीय मुख्यधारा में बहते हुए बिहार की जनता ने जैसा स्पष्ट संदेश दिया , एक बार हम फिर उस जज्बे को सैल्यूट देते हैं ।
,,,,,,,कौशल सिखौला
शनिवार, 15 नवंबर 2025
मोदीजी हैं तो मुमकिन है.
कुछ अच्छा लगे तो सराहना तो बनती है!
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(जैसा मिला वैसा भेजा)
आज टीवी पर देखा कि बिहार चुनाव परिणाम के बाद मोदी जी भाजपा कार्यालय आए तो उन्होंने गमछा घुमा कर कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया ।
उसके बाद मोदी जी को मखाने की माला पहनायी गई ।
उस व्यक्ति को आप कैसे हराओगे जो स्थानीय प्रतीकों का इतना सूक्ष्म अवलोकन भी करता है और उसे प्रयोग में भी लाता है ।
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद कुछ लोगों को लगने लगा था कि मोदी मैजिक कम हो रहा है ।
लेकिन मोदी और अमित शाह की खास बात ये है कि ये प्रतिकूल परिणाम आने पर दूसरों को दोष नहीं देते , बहाने नहीं बनाते बल्कि चिंतन मनन करते हैं कि गलती कहाँ रह गई ।
महाराष्ट्र और हरियाणा में लोकसभा चुनाव अनुकूल नहीं रहे पर उसके विधानसभा में आशातीत सफलता प्राप्त की ।
दिल्ली में केजरीवाल ने कहा था कि इस जन्म में तो हमे दिल्ली से कोई नहीं हरा सकता ।
वो दिल्ली के साथ साथ अपनी ख़ुद की सीट हार गए ।
भाजपा की एक टीम निरंतर चुनाव की तैयारी में लगी रहती है और ये शोर्ट टर्म और लांग टर्म दोनों गोल ले कर चलती है ।
शोर्ट टर्म वहाँ जहाँ ये मजबूत हैं और लांग टर्म वहाँ जहाँ इनका संगठन कमजोर हैं ।
और आप देखियेगा आने वाले सालों में भाजपा बंगाल , केरल , तेलंगाना यहाँ तक कि तमिलनाडु में भी सत्ता में आएगी ।
हो सकता है शुरू में गठबंधन में आए पर बाद में अपने दम पर भी आएगी ।
भाजपा की चुनावी सफलताएं उत्कृष्ट चुनावी प्रबंधन का परिणाम है , इनके अंदर जनता की नब्ज पकड़ने की खूबी है ।
वो ये भी जानते हैं कि जो ग़लतियाँ अतीत में वाजपेयी जी ने की वो वापस नहीं करनी हैं जैसे कि अति आदर्शवाद ।
अमित शाह का सीधा फ़ंडा है " if you are bad then I am your dad "
सत्ता में रहोगे तो परिवर्तन ला पाओगे , बाहर हो गए तो बस बैठ के खीझते रहोगे ।
भाजपा ने भी थोड़ा बहुत रेवड़ियों की राजनीति सीख ही ली ।
लाडली बहन योजना , महिलाओं के खाते में पैसे भेजना , फ्री राशन देना आदि ऐसी योजनाएं रहीं जिन्होने विभिन्न राज्यों में भाजपा के पक्ष में विशेष रूप से महिलाओं को मोड़ा ।
कुल मिला कर जनता परिपक्व हुई हैं, जंगल राज की पुनरावृत्ति नहीं चाहती , अपराध मुक्त समाज चाहती है , विकास के पथ पर दौड़ना चाहती है , तुष्टिकरण की राजनीति को नकारना चाहती है ।
रही बात तेजस्वी की तो ये तो कहना पड़ेगा कि कुछ लोग विरासत में अपने माँ बाप की ख्याति और सत्कर्म ले कर आते हैं जो उनके जीवन को काफ़ी हद तक आसान कर देता है ।
तेजस्वी को ज़िन्दगी भर लालू और राबड़ी के समय के जंगल राज का खामियाजा भुगतना पड़ेगा और जब सामने भाजपा जैसा प्रतिद्वंदी हो तो ये टोकरा और भी भारी हो जाएगा ।
ऐसा भी नहीं है कि नीतीश कुमार के 20 साल अन्य मुख्य मंत्रियों की तुलना में चमत्कारिक रहे हों पर लालू के जंगल राज से जब भी तुलना होगी वो चमत्कारिक ही माने जाएँगे ।
अब कम से कम अपराधियों को उस प्रकार से सत्ता का सीधा संरक्षण प्राप्त नहीं है ।
पता नहीं क्यों इस बार बिहार के चुनाव परिणामों को ले कर पिछली दो बार की तरह पेट में पानी नहीं हुआ ।
ये तो पता ही था कि NDA वापस आ रहा है पर ऐसी बम्पर जीत होगी ये तो शायद NDA को ख़ुद भी अनुमान नहीं होगा ।
बिहार की जनता को बधाई कि आपने थोड़ा अच्छा और बहुत ख़राब में थोड़ा अच्छा को चुना ।
उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की जनता भी अगले चुनाव में बहुत अच्छे और बहुत ख़राब में बहुत अच्छे को चुनेगी
शुक्रवार, 7 नवंबर 2025
सत्ता परिवर्तन के बाद.....
प्रायः मैं दिन में सिर्फ दो बार चाय पीता हूँ लेकिन न जाने क्यों, कल शाम की चाय के बाद सोचने लगा और फिर ख्याल आया कि 😘
1. कांग्रेस सरकार जाने के बाद मुंबई में फिर कोई हाजी़ मस्तान, करीम लाला, दाऊद इब्राहिम पैदा क्यों नहीं हुआ ?
2. बसपा सरकार जाने के बाद मायावती के जन्मदिन पर उसे हीरे, ताज, नोटों से क्यों नहीं तौला गया ?
3. यूपी में योगी जी के सीएम बनने के बाद अब अतीक अहमद, आजम खान, मुख्तार अंसारी जैसा बाहुबली क्यों नहीं पैदा हुआ है ?
4. मोदी के आने के बाद , पी.चिदंबरम अपने बंगले के गमलों में 6 करोड़ की गोभी क्यों नहीं उगा पा रहा है ??
5. आजकल सुप्रिया सुले अपनी दस एकड़ जमीन में 670 करोड़ की फसल क्यों नहीं उगा पाती हैं ?
6. हरियाणा में कांग्रेस की सरकार चले जाने के बाद रोबर्ट वाड्रा ने वहाँ कोई जमीन क्यों नहीं खरीदी ?
7. यूपी से सरकार चले जाने के बाद अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव क्यों नहीं मनाया ?
8. यस बैंक के मालिक राणा कपूर को ढाई करोड़ की पेंटिंग बेचने के बाद, प्रियंका गांधी ने फिर कोई पेंटिंग क्यों नहीं बेची ?
9. ए.के.एंटनी ने अपनी पत्नी के हाथ की पेंटिंग सरकार को 28 करोड़ में बेचने के बाद अपनी पत्नी से फिर कोई पेंटिंग क्यों नहीं बनवाई ?
10. यूपीए के दस वर्षीय (2004-14) शासनकाल में सोनिया अपनी "अज्ञात" बीमारी के इलाज के लिये प्रत्येक छ:माह के अन्तराल पर "अज्ञात" देश को नियमित रुप से जाती थी. वह रहती दिल्ली में है, पर उसकी उडा़न हमेशा केरल के एयरपोर्ट से होती थी और उसके लगेज में 4-5 बडे़-बडे़ ट्रंक हमेशा हुआ करते थे. किसी प्रकार की सिक्योरिटी-चेक का सवाल ही नहीं था, क्योंकि वह उस समय भारत की "सुपर पीएम" थी. 2014 में सत्ता परिवत्तॆन के बाद आश्चयॆजनक रुप से सोनिया की "अज्ञात" बीमारी उड़न छू कैसे हो गई ?
अभी सुबह की कड़क चाय पिऊंगा और फिर सोंचूँगा! आप भी एक बार इस बारे में जरूर सोचना!! प्रश्न वाकई गंभीर हैं...
अनोखा जी.
शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
एकता दिवस
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के निधन के एक घंटे बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक घोषणा की और आदेश जारी किया।
आदेश में दो मुख्य बातें यह थी कि सरदार पटेल को दी गई सरकारी कार तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए।
दूसरी बात यह थी कि गृहमंत्रालय के सचिव/अधिकारी वगैरह जो भी सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में बंबई जाना चाहते हैं वो अपने व्यक्तिगत खर्चें पर जाएं।
लेकिन उस समय के तत्कालीन गृह सचिव वी पी मेनन ने एक अचानक बैठक बुलाई और सभी अधिकारियों को अपने खर्चे पर बबंई भेज दिया और नेहरू के आदेश का जिक्र ही नहीं किया।
नेहरू ने कैबिनेट की तरफ़ से तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को सलाह भिजवाया कि सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल ना हों लेकिन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने कैबिनेट की सलाह नहीं माना और सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में शामिल होने का निर्णय लिया।
जब यह बात नेहरू को पता चली तो वंहा सी राजगोपालाचारी को भेज दिया और सरकारी स्मारक पत्र पढ़ने के लिए राष्ट्रपति के बजाय सी राजगोपालाचारी को दे दिया।
कुछ दिनों बाद कांग्रेस में ही मांग उठी कि इतने बड़े नेता के सम्मान में कुछ करना चाहिए स्मारक वगैरह बनना चाहिए पहले तो नेहरू ने मना कर दिया फिर तैयार हुए।
फिर नेहरू ने कहा सरदार पटेल किसानों के नेता थे हम उनके नाम पर गांवों में कुंए खोदेंगे यह योजना कब आई कब बंद हुई कोई कुंआ खुदा भी या नहीं किसी को नहीं पता।
नेहरू के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में सरदार पटेल को रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता पुरूषोत्तम दास टंडन को पार्टी से निकाल दिया।
सरदार पटेल को अगर असली सम्मान किसी ने दिया है तो वो है भाजपा।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल को असली सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे।
कांग्रेस का सरदार पटेल से नफ़रत का आलम यह है कि आज भी कांग्रेस नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से दूरी बनाए रखते हैं।🔥🙏
शनिवार, 25 अक्टूबर 2025
गुणकारी गुड़
गुड के औषधीय गुण
गुड़ गन्ने से तैयार एक शुद्ध, अपरिष्कृत पूरी चीनी है। यह खनिज और विटामिन है जो मूल रूप से गन्ने के रस में ही मौजूद हैं। यह प्राकृतिक होता है। पर लिए ज़रूरी है की देशी गुड लिया जाए , जिसके रंग साफ़ करने में सोडा या अन्य केमिकल ना हो। यह थोड़े गहरे रंग का होगा।इसे चीनी का शुद्धतम रूप माना जाता है। गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया मे किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों मे गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है।
- देशी गुड़ प्राकृतिक रुप से तैयार किया जाता है तथा कोई रसायन इसके प्रसंस्करण के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे इसे अपने मूल गुण को नहीं खोना पड़ता है, इसलिए यह लवण जैसे महत्वपूर्ण खनिज से युक्त होता है।
- गुड़ सुक्रोज और ग्लूकोज जो शरीर के स्वस्थ संचालन के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन का एक अच्छा स्रोत है।
- गुड़ मैग्नीशियम का भी एक अच्छा स्रोत है जिससे मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को थकान से राहत मिलती है।
- गुड़ सोडियम की कम मात्रा के साथ-साथ पोटेशियम का भी एक अच्छा स्रोत है, इससे रक्तचाप को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है।
- भोजन के बाद थोडा सा गुड खा ले ; सारा भोजन अच्छे से और जल्दी पच जाएगा।
- गुड़ रक्तहीनता से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह लोहे का एक अच्छा स्रोत है यह शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर को बढाने में मदद करता है।
- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।
- गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और जस्ता होता है जो बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
- यह रक्त की शुद्धि में भी मदद करता है, पित्त की आमवाती वेदनाओं और विकारों को रोकने के साथ साथ गुड़ पीलिया के इलाज में भी मदद करता है।
- गुड़ शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है। सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है।
- यह खांसी, दमा, अपच, माइग्रेन, थकान व इसी तरह की अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से निपटने में मदद करता है। - यह संकट के दौरान तुरन्त ऊर्जा देता है।
- लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।
- गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है।
- यह व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।
- गुड़ शरीर में जल के अवधारण को कम करके शरीर के वजन को नियंत्रित करता है।
- उपरोक्त गुणों के अतिरिक्त गुड़ उच्च स्तरीय वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों को इससे लड़ने में मदद करता है, संक्षेप में कहें, तो गुड़ एक खाद्य पदार्थ कम, औषधि ज्यादा है।
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025
संघ पर आरोप
केरल में होमोसेक्सुयेलिटी से पीड़ित व्यक्ति द्वारा आत्महत्या और उसके सूसाइड नोट में संघ का नाम विचारणीय प्रश्न है। किसी एक व्यक्ति की कमी संगठन की कमी नहीं हो सकती। सूसाइड नोट में वह आदमी बार बार इस कुकृत्य का शिकार होने की बात कह रहा है लेकिन किसी का नाम क्यों नहीं लिख रहा? ये केरल वही है जिसमें सैकड़ों संघ स्वयंसेवकों की हत्या हुई है और इन्हीं ब्रह्मचारी कम्युनिस्ट और कांग्रेसियों ने की है वहाँ एक स्वयंसेवक की हत्या और सूसाइड नोट में आरोप एक सोची समझी साज़िश मालूम देती है। यदि ऐसा न होता तो सूसाइड नोट में किसी का नाम नहीं होता?
संघ में आजन्म अविवाहित जीवन व्रती स्वयंसेवक होने की परंपरा जन्म से है। कम्युनिस्टों के संघ विरोधी आरोपों में से ये भी एक है। आज से तकरीबन पचास साल पहले मेरे एक रिश्ते में बड़े भाई जो उच्च शिक्षित आईएएस अधिकारी थे कार्डहोल्डर कम्युनिस्ट थे और बहुत प्रभावी थे। संघ और कम्युनिज्म को लेकर चर्चा में जब वे पिछड़ने लगे तो उन्होंने संघ में समलैंगिकता का आरोप लगाया। मैंने उनसे कहा कि ये व्यक्ति विशेष का दुर्गुण हो सकता है संस्था का नहीं। उन्होंने पलट कर कही नहीं ये संघ में आम है। मैंने फिर भी उनसे इस आरोप को वापस लेने का आग्रह किया लेकिन वे और तल्ख हो गये। उनके एक श्रद्धेय समलैंगिकता में रुचि रखते थे और कांग्रेसी थे मैंने उनसे पूंछा कि क्या वे संघ स्वयंसेवक हैं? वे बहुत गुस्से में आ गए और बोले छोटे होकर ये बदतमीजी दे रहे हो। मैंने कहा भाई जब आप समलैंगिकता को पूरे संघ का दुर्गुण बता रहे हैं इसका मतलब मेरे पिता जो संघ स्वयंसेवक हैं आप उनको भी समलैंगिक बता रहे हैं। बस बात वहीं खत्म हो गयी। उसके बाद आज ये आरोप सुनने को मिला है जो एक साधारण स्वयंसेवक की हत्या कर लगाया गया है।
ये टुकड़े टुकड़े गैंग कुछ भी कर सकता है। संघ के बढ़ते प्रभाव और ईसाइयों से मिल रहा समर्थन टुकड़े टुकड़े गैंग की साजिश है। ये टूलकिट है।
बुधवार, 15 अक्टूबर 2025
पान की महत्ता
दूल्हे को पान क्यो खिलाते हैं?
पान के पत्ते में कत्था चुना सुपारी आदि लपेटकर जो व्यंजन तैयार होता है उसे बीड़ा कहते हैं।पुराने समय मे जब राजा महाराजा हुआ करते थे तब एक प्रथा प्रचलित थी,जब भी राज्य को किसी कार्य विशेष को करना होता था तो राजसभा में एक प्लेट में बीड़ा रख दिया जाता था और सभा मे ये एलान कर दिया जाता था कि वो कौन सा वीर है जो इस कार्य को सम्पन्न करेगा।जो भी वीर इस कार्य की जिम्मेदारी लेने चाहता हो वो इस बीड़े को उठा ले। पान के इस बीड़े को उठाने का मतलब था कि अबसे इस कार्य की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उस व्यक्ति की रहेगी।तभी से बीड़ा उठाना एक कहावत के रूप में प्रचलित हुई है।
अब आते हैं दूल्हे को पान क्यो खिलाया जाता है इस पर।
उसका सम्बन्ध भी इसी कहावत से जुड़ा है।पान की बीड़ा दूल्हे को देने का अर्थ है कि अब से दुल्हन के शेष जीवन के निर्वहन की तथा दुल्हन के साथ मिलकर पारिवारिक, सामाजिक जिम्मेदारी अब से आपकी है आपको इस जिम्मेदारी का बीड़ा दिया जाता है।और दूल्हा उस बीड़े को स्वीकार कर अपनी स्वीकृति प्रदान करता है।
लेकिन अफसोस अधिकतर लोग इस प्रथा से अनभिज्ञ है और बस इसे एक प्रथा समझकर ढो रहे हैं।
अनोखा जी
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
मोदीजी हैं तो मुमकिन है
*लो करलो अपना खून गरम।*
*जम कर मोदी को गाली दो।*
*दुनियाँ के 25 सबमसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी, भारत आया नम्बर 3 पर, हम से आगे अमेरिका, रूस हैं l*
*यह है मोदी युग*
*🔺दूसरी उपलब्धि*
*1.4- 1.5 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन, ये है एक चाय वाले का अर्थशास्त्र*
*🔺तीसरी उपलब्धि*
*नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में, अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ , भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर*
*🔺 चौथी उपलब्धि*
*2017-18 में दो गुना हुआ, सौर ऊर्जा का उत्पादन, चीन और अमेरिका भी दंग हैं*
*🔺 पाँचवी उपलब्धि*
*भारत की आसमान छू रही, GDP को देखकर ,,, भारत की GDP 8.2% , चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2%, अब भी कहेंगे, भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं*
*🔺 छठी उपलब्धि*
*जल,थल और आकाश, तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला, दुनियाँ का पहला देश बना भारत,ये है मोदी युग, अगर आपको गर्व हुआ हो, तो जय हिन्द लिखना न भूलें*
*🔺 सातवीं उपलब्धि*
*70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा,लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया, भारतीय नकली नोटों का व्यापार था, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया*
*🔺 आठवीं उपलब्धि*
*को भी पढ़ें, एक बात समझ में नहीं आयी,, 2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ. के. एंटोनी ने कहा था , देश कंगाल है , हम राफेल तो क्या , छोटा जेट भी नहीं ले सकते, पर मोदीजी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया, राफेल डील भी करली, S-400 भी ले रहे हैं ! आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था*
*🔺नवीं उपलब्धि*
*सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच,,जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो*
*🔺दसवीं उपलब्धि*
*अब आपको बताता हूँ , भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ,,अर्थ व्यवस्था में Japan को पीछे ढकेल नम्बर 4 बना*
*🔺ग्यारहवीं उपलब्धि*
*ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना*
*🔺बारहवीं उपलब्धि*
*बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना*
*🔺 तेरहवीं उपलब्धि*
*टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना*
*🔺 चोदहवीं उपलब्धि*
*मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना*
*🔺पंद्रहवी उपलब्धि*
*स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना*
*🔺 सोलहवीं उपलब्धि*
*चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना*
*🔺 सतरहवीं उपलब्धिओ ,,,*
*हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में *राष्ट्रवाद*
*जगा दिया , पूरी दुनियां के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है ! मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूँ ।*
*आतंकियों का सफाया '8' महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया*
*कृपया करके :-- 2 minute का समय निकाल कर इसे देश हित में जरूर शेयर करें विशेष रूप से मोदी जी से अविश्वास करने वाले लोगों को।🙏*
*🚩वन्दे मातरम्*🇮🇳
🩷❤️🧡💛💚🩵💙💜
मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025
जूता क्यों फेका?
जूता फेंका गया उसके लिए लोग बहुत उद्वेलित हैं , लेकिन एक बारीक बात की तरफ ध्यान दिलाना चाहूंगा कि जूता फेंका जाना इसलिए अधिक तकलीफ दे रहा है क्योंकि #सनातन के नाम पर , #सनातन के अपमान पर फेंका गया है। सत्तर साल के एक पढ़े लिखे , कानून के जानकार ने अचानक तैश में आकर यह जूता नहीं फेंका है।मुझे पूरा विश्वाश है कि उन्होंने इस पर अवश्य विचार किया होगा , किंतु पीड़ा , छोभ इतनी गहरी कि उससे बाहर निकल पाने का यही एक तरीका उन्हे उचित प्रतीत हुआ होगा।
तरीका अनुचित है , इसमें कोई संदेह नहीं , किंतु एक धर्म का , उसके आराध्यों का आप लगातार अपमान करते रहेंगे , अन्य धर्मों पर सबको सांप सूंघ जाएगा , उसके अवैध निर्माण तोड़ने पर आपका संवेदनशील ह्रदय कांप उठेगा और कोई हिंदू अपनी समस्या लेकर आपके पास जाएगा तो उसका समाधान करना तो दूर आप उसके आराध्य पर कटाक्ष करोगे।
भीख मत दो लेकिन कटोरा भी तो मत तोड़ो , धर्म के नाम पर देश के टुकड़े कर एक संप्रदाय को सौंपने के पश्चात भी हिंदू शांति से अपने त्यौहार नहीं मना सकता। कोई राज्य सरकार उनके विरोध में कार्यवाही करेगी तो ऊपर से आदेश आ जाएगा , रुकिए आप गलत कर रहे हैं।
यह जूता भले एक व्यक्ति ने फेंका है , गलत किए है , लेकिन उसकी गलती से करोड़ों लोग सहमत हैं।
बहुसंख्यकों को हताशा की अतल खाई में फेंकना बंद करिए , उसके एक अंश ने भी धैर्य छोड़ दिया तो देश के लिए समाज के लिए परिणाम बहुत भयावह होंगे।
पर सच्चाई यह है कि हिंदुओं पर चौतरफा हमला हो रहा है , मुस्लमान हो , ईसाई हो , बौद्ध हो , सिख हो सबकी आंख में हिंदू खटक रहा है। जिस दिन हिंदू की आंख में जलन होने लगी , उसके कान भी किसी की आस्था के स्वर सुनकर फटने लगे तो समय कितना कठिन हो जाएगा आज हम और आप इसका अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं।
#कुमार_अश्विनी
शुक्रवार, 26 सितंबर 2025
गलत निर्णय?
*भारत सरकार द्वारा फल- सब्जी को भी मांसाहारी बनाने का दुश्चक्र*
-चिरंजी लाल बगड़ा, कोलकाता
# अभी हाल ही में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा FCO (Fertilizer Control Order) 1985 में संशोधन करते हुए 13 अगस्त 2025 को गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से ऐसे प्रावधान जोड़े हैं जिनके तहत अब बायो-स्टिमुलेंट में पशु- आधारित अमीनो एसिड (Animal Source Amino Acid) को वैध कर दिया गया है।
# गजट नोटिफिकेशन के आईटम नंबर 26 के अनुसार मछलियों के मांस और खाल से निकाले गये प्रोटीन हाईड्रोलाईजेट को आलू की फसलों में फर्टिलाइजर के रूप में उपयोग करने की रिकमेंडेशन है। इसी तरह आईटम 30 के अनुसार गौजातीय/Bovine पशुओं के मांस और चमड़े से प्राप्त किये गये प्रोटीन हाईड्रोलाईजेट को टमाटर की फसलों में फर्टिलाइजर के रुप में उपयोग करने की रिकमेंडेशन है। जबकि आलू और टमाटर ऐसी सब्जियां हैं जिनका शाकाहारी समाज द्वारा भरपूर उपयोग किया जाता है।
₹ फर्टिलाइजर के लिये आवश्यक अमीनो एसिड प्राकृतिक रूप से पौधों, दलहन, सोयाबीन, समुद्री शैवाल आदि से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। गजट में लिखा भी है। इसके बावजूद भी मंत्रालय ने कत्लखानों एवं चमड़ा घरों से निकली गंदगी (हड्डियाँ, खून, चमड़ा, आंतरिक अवशेष आदि) से बने उत्पादों को कृषि उत्पादन में उपयोग करने की मंजूरी दी है, जो कि एक अक्षम्य कृत्य है।
# यह भ्रष्ट कृत्य न सिर्फ शाकाहारी समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, बल्कि चुपके से भारतीय कृषि और खाद्य श्रृंखला में _गौजातीय पशुओं के वेस्ट_ को घुसाने का षड्यंत्र भी है।
# स्लॉटर हाउस और मीट इंडस्ट्री के पास तो प्रतिदिन लाखों टन वेस्ट बचता है। अब इस वेस्ट को बायो-स्टिमुलेंट के नाम पर फर्टिलाइज़र में खपाने का रास्ता मंत्रालय ने खोल दिया है, जिसका सीधा लाभ स्लॉटर हाउस लॉबी को होगा। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह निर्णय सरकार और मीट लाबी की मिली भगत का नतीजा है?
# यह आदेश करोड़ों शाकाहारी लोगों की धार्मिक आस्था और जीवनशैली के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है।
# उपरोक्त निर्णय संपूर्ण अहिंसक शाकाहारी समाज के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
शनिवार, 20 सितंबर 2025
पुरानी बातें
👉 हमारी या आपकी दादी या नानी माँ ने कहीं से MBA नहीं किया था लेकिन संयुक्त परिवार का संयोजन और अर्थ का प्रबंधन वो सबसे सुंदर ढंग से करतीं थीं।
👉 उन्होंने कोई समाज शास्त्र या राजनीतिशास्त्र नहीं पढ़ा था पर अपने आसपास के समाज से, पूरे गांव से उनके मधुर संबंध होते थे और अपने व्यवहार से उन्होंने पूरे गांव को आत्मीय रिश्तों से जोड़ कर रखा था।
👉 उन्होंने कोई मेडिकल साइंस नहीं पढ़ी थी पर सर्दी, जुकाम, बदन दर्द, मोच, चेचक और बुखार जैसी बीमारियों को ठीक कर देने का सामर्थ्य रखतीं थी।
👉 उन्होंने कहीं से स्ट्रेस मैनेजमेंट या इंस्प्रेशनल वीडियो नहीं देखे थे पर परिवार के हर हतोत्साहित में उत्साह का संचार कर देती थी।
👉 वो पेटा या किसी और ऐसे संगठन की मेंबर नहीं थीं पर सुबह गाय को पहली रोटी डालने से लेकर दरवाजे पर बैठने वाले कुत्ते, बिल्लियों, बैल और चिड़ियों की चिंता करती थी।
👉 उसे वोट लेना नहीं था, न ही अपने कामों के फोटो फेसबुक या व्हाट्सएप पर अपलोड करना था पर तब भी वो दरवाजे पर आने वाले हर भिखारी, भांट, नट इत्यादि को अन्न, पैसे और भोजन देती थी।
👉 उसे अपनी स्थानिक बोली को छोड़कर ठीक से हिंदी बोलना भी नहीं आता था पर वो भारत के सारे तीर्थस्थानों का भ्रमण कर लेती थीं।
👉 उसने रामायण, महाभारत या पुराण नहीं पढ़े थे पर उसे दर्जनों पौराणिक आख्यान स्मरण थे।
👉 वो कोई पर्यावरणविद नहीं थीं लेकिन गंगा को गंगा जी, यमुना को यमुना जी कहतीं थीं और पेड़ के पत्ते को भी बिना जरूरत तोड़ने से मना करतीं थीं।
👉 उन्होंने जैव विविधता पर कोई कोर्स नहीं किया था लेकिन हमें कहती थीं कि अनावश्यक जीव हत्या नहीं करनी।
शुक्रवार, 19 सितंबर 2025
चर्बी से बनते पेंट एवं घी
चमड़ा सिटी के नाम से मशहूर कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 किलोमीटर के दायरे में आप घूमने जाओ
तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी,
यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं,
इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता है,
इस चर्बी से मुख्यतः 3 चीजे बनती हैं।
1- एनामिल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं)
2- ग्लू (फेविकोल इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं)
3- और तीसरी जो सबसे महत्वपूर्ण चीज बनती है वो है "शुध्द देशी घी"
जी हाँ " शुध्द देशी घी"
यही देशी घी यहाँ थोक मंडियों में 120 से 150 रूपए किलो तक भरपूर बिकता है,
इसे बोलचाल की भाषा में "पूजा वाला घी" बोला जाता है,
इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भंडारे कराने वाले करते हैं। लोग 15 किलो वाला टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके पुण्य कमा रहे हैं।
इस "शुध्द देशी घी" को आप बिलकुल नही पहचान सकते
बढ़िया रवेदार दिखने वाला ये ज़हर सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता है,
औद्योगिक क्षेत्र में कोने कोने में फैली वनस्पति घी बनाने वाली फैक्टरियां भी इस ज़हर को बहुतायत में खरीदती हैं, गांव देहात में लोग इसी वनस्पति घी से बने लड्डू विवाह शादियों में मजे से खाते हैं। शादियों पार्टियों में इसी से सब्जी का तड़का लगता है। जो लोग जाने अनजाने खुद को शाकाहारी समझते हैं। जीवन भर मांस अंडा छूते भी नहीं। क्या जाने वो जिस शादी में चटपटी सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं उसमें आपके किसी पड़ोसी पशुपालक के कटड़े (भैंस का नर बच्चा) की ही चर्बी वाया कानपुर आपकी सब्जी तक आ पहुंची हो। शाकाहारी व व्रत करने वाले जीवन में कितना बच पाते होंगे अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
अब आप स्वयं सोच लो आप जो वनस्पति घी आदि खाते हो उसमे क्या मिलता होगा।
कोई बड़ी बात नही कि देशी घी बेचने का दावा करने वाली कम्पनियाँ भी इसे प्रयोग करके अपनी जेब भर रही हैं।
इसलिए ये बहस बेमानी है कि कौन घी को कितने में बेच रहा है,
अगर शुध्द घी ही खाना है तो अपने घर में गाय पाल कर ही आप शुध्द खा सकते हो, या किसी गाय भैंस वाले के घर का घी लेकर खाएँ, या खुद घर मे बनाये, हम घर मे ही बनाते है। यही बेहतर होगा ||
आगे जैसे आपकी इच्छा.....
🙏
गुरुवार, 18 सितंबर 2025
कांग्रेस का कालापन
सरदार पटेल की जब मृत्यु हुई तो एक घंटे बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी घोषणा की।
घोषणा के तुरन्त बाद उसी दिन एक आदेश जारी किया। उस आदेश के दो बिन्दु थे। पहला यह था की सरदार पटेल को दिया गया सरकारी कार उसी वक्त वापिस लिया जाय और दूसरा बिन्दु था की गृह मंत्रालय के वे सचिव/अधिकारी जो सरदार पटेल के अन्तिम संस्कार में बम्बई जाने चाहते हैं वो अपने खर्चे पर जायें।
लेकिन तत्कालीन गृह सचिव वी पी मेनन ने प्रधानमंत्री नेहरु के इस पत्र का जिक्र ही अपनी अकस्मात बुलाई बैठक में नहीं किया और सभी अधिकारियों को बिना बताये अपने खर्चे पर बम्बई भेज दिया।
उसके बाद नेहरु ने कैबिनेट की तरफ से तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद को सलाह भेजवाया की वे सरदार पटेल के अंतिम संस्कार में भाग न लें। लेकिन राजेंद्र प्रसाद ने कैबिनेट की सलाह को दरकिनार करते हुए अंतिम संस्कार में जाने का निर्णय लिया। लेकिन जब यह बात नेहरु को पता चली तो उन्होंने वहां पर सी राजगोपालाचारी को भी भेज दिया और सरकारी स्मारक पत्र पढने के लिये राष्ट्रपति के बजाय उनको पत्र सौप दिया।
इसके बाद कांग्रेस के अन्दर यह मांग उठी की इतने बङे नेता के याद में सरकार को कुछ करना चाहिए और उनका स्मारक बनना चाहिए तो नेहरु ने पहले तो विरोध किया फिर बाद में कुछ करने की हामी भरी।
कुछ दिनों बाद नेहरु ने कहा की सरदार पटेल किसानों के नेता थे इसलिये सरदार पटेल जैसे महान और दिग्गज नेता के नाम पर हम गावों में कुआँ खोदेंगे। यह योजना कब शुरु हुई और कब बन्द हो गयी किसी को पता भी नहीं चल पाया।
उसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव में नेहरु के खिलाफ सरदार पटेल के नाम को रखने वाले पुराने और दिग्गज कांग्रेसी नेता पुरुषोत्तम दास टंडन को पार्टी से बाहर कर दिया।
ये सब बाते बरबस ही याद दिलानी पङती हैं जब कांग्रेसियों को सरदार पटेल का नाम जपते देखता हूं।
शनिवार, 13 सितंबर 2025
नामकरण संस्कार
🌹नामकरण : संस्कृति और पहचान🌹
भारतीय धर्मों के परिवार आजकल बच्चों के नाम पाश्चात्य तर्ज़ पर रखने लगे हैं। पूर्व में, विशेषकर तमिलनाडु में दिगम्बर जैन समुदाय में नामकरण की परंपरा तीर्थंकरों, जैन कथानकों में वर्णित पात्रों तथा जैन अधिष्ठाता देव–देवियों के नामों पर आधारित होती थी। आज भी कुछ परिवार इस परंपरा को संजोए हुए हैं। लेकिन देखने-सुनने में आता है कि श्वेताम्बर जैन परिवारों में पाश्चात्य तर्ज़ पर नाम रखने का चलन अधिक बढ़ गया है। जैसे—निकिता, आनवी, युवीर, येदांत, साख , अयान आदि। कई बार बुज़ुर्ग इन नामों का सही उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं । प्रश्न यह है कि क्या हमें अपने बच्चों के नाम भी विदेशों से आयात करने चाहिए ?
वहीं दूसरी ओर विदेशी धर्मावलंबी आज भी परंपरागत नामों को महत्व देते हैं। उनके नाम से ही धर्म की पहचान हो जाती है। इसके विपरीत भारतीय धर्मों में नामों से पहचान करना कठिन होता जा रहा है। विदेशी शैली पर नाम रखकर हम क्या सिद्ध करना चाहते हैं ? याद कीजिए—लॉर्ड मैकाले ने सौ वर्ष पहले कहा था कि भारत पर स्थायी विजय पाने के लिए भारतीय संस्कृति को समाप्त करना आवश्यक है। अंग्रेजों के शासनकाल में यह पूरी तरह संभव नहीं हो पायी । लेकिन उनके जाने के बाद धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति में ह्रास शुरू हो गया।
भाषा बदली—लोग अंग्रेज़ी में बात करना अपनी शान समझने लगे। पहनावा बदला—रीति-रिवाज़ बदल गए।खानपान बदला—पढ़ाई और शिक्षा पद्धति बदली। स्वरोज़गार के बजाय नौकर बनना ज़्यादा पसंद आने लगा। मंदिरों की पूजा-पद्धति और समय में भी बदलाव होने लगा। जन्मदिन, नववर्ष जैसे पाश्चात्य जश्न ने धार्मिक पर्वों का स्थान लेना शुरू कर दिया।
अब समय है कि हम गंभीर चिंतन और मनन करें। नामकरण से लेकर जीवनशैली तक भारतीय बने रहें, यही हमारी असली पहचान है। यदि हम अपने बच्चों को भारतीय और धार्मिक नाम देंगे तो उनमें संस्कार, आस्था और परंपरा स्वतः जीवित रहेगी। नाम केवल पहचान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के संस्कार का आधार है। आइए हम संकल्प लें कि भारतीय संस्कृति की धरोहर को जीवित रखें और इसे गर्व के साथ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ।
सुगालचन्द जैन, चेन्नई
शुक्रवार, 12 सितंबर 2025
क्या होगा नेपाल का?
अब क्या होगा नेपाल का
सरकार गिरा दी.
संसद फूक दी.
जेल से अपराधी भगा दिए.
किसी को जिन्दा जला दिया.
किसी का घर जला दिया.
राष्ट्रपति भवन जला दिया.
सुप्रीम कोर्ट जला दिया.
क्या यह सही किया?
सिर्फ सरकार बदलनी थी
बाकी सब क्या जरूरी था?
जोश में होश खो बैठना
जनता का ही नुकसान है
अब पुनः निर्माण होगा
जनता की भलाई का धन
निर्माण कार्य में लगेगा
जो दस्तावेज जल गये
उनकी पूर्ति कैसे होगी?
नई सरकार क्या ठीक होगी?
क्या उसमेँ भृष्टाचारी नहीं होंगे?
किसी भी देश में कैसा भी
आंदोलन हो उसमेँ
आगजनी से जनता का ही
नुकसान है. हो सकता है
ऐसे में अराजक तत्व ही
आगजनी करते हो
ऐसे तत्वों का ध्यान
बाकी जनता को रखना चाहिए.
देश की सम्पत्ति का नुकसान
जनता का नुकसान भी होता है.
बुधवार, 10 सितंबर 2025
चिंतनीय विचार
एक करोड़ का सोने -जवाहर का कलश जैन मंदिर से चोरी हो गया था. चोर भी मिल गया और कलश भी मिल गया.
लेकिन समझ में नहीं आता आखिरकार क्यों जैन मंदिरो में सोने - चांदी का इतना प्रयोग हो रहा है. आज के समय में जैन तिरथो को बचाना ही मुश्किल हो रहा है. सुरक्षा के उपाय बहुत कम हैँ.
हमारे मुनिगण भी नये -नये भव्य करोड़ो की लागत से मंदिर बनवा रहे हैं. कौन करेगा उनकी देखभाल? इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है.
जैन पॉपुलैशन कम होती जा रही है. नई पीढ़ी पढ़ लिखकर जॉब कर रही है. वह कभी कभाक जैन मंदिर भी चली जाये तो बड़ी बात है.ऐसे में प्रबुद्ध जैन समुदाय को गहरा चिंतन करना चाहिए.
मंदिर तो देशभर में बहुत हैं, अब जैन ओशधालय, स्कूल, कॉलेज बनवाने चाहिए. जो सबके काम आ सकें.
सुनील जैन राना, सहारनपुर
सोमवार, 8 सितंबर 2025
क्षमावाणी पर्व
🙏 क्षमावाणी 🙏
मेरे द्वारा मेरे वचनों से, मेरे व्यवहार से, मेरे आचरण से, कोई ठेस पहुँची हो तो मैं विनम्रता पूर्वक आपसे क्षमा माँगता हूँ। 🙏
🌹सुनील जैन राना 🌹
रविवार, 7 सितंबर 2025
हमारा ब्रह्मान्ड
ब्रह्मांड का 95% भाग अदृश्य क्यों है?
हम रात के आकाश में असंख्य तारे,ग्रह और आकाशगंगाएँ देखते हैं। आधुनिक टेलिस्कोप हमें अरबों प्रकाश-वर्ष दूर तक झाँकने की क्षमता देते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जो कुछ हम देख सकते हैं,वह सिर्फ 5% है। बाकी 95% ब्रह्मांड पूरी तरह अदृश्य है। आखिर ऐसा क्यों है?
1. दृश्य ब्रह्मांड कितना है?
हमारे चारों ओर जितने तारे,ग्रह,निहारिकाएँ और आकाशगंगाएँ हैं,ये सब साधारण पदार्थ यानी प्रोटॉन,न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन से बने हैं। यही पदार्थ प्रकाश के साथ क्रिया करता है इसलिए हमें दिखाई देता है,लेकिन इसका योगदान पूरे ब्रह्मांड में मात्र 5% है।
2. डार्क मैटर लगभग 27%
* डार्क मैटर ऐसा पदार्थ है जिसे हम सीधे देख नहीं सकते,क्योंकि यह प्रकाश को न तो उत्सर्जित करता है और न ही अवशोषित।
* फिर भी यह गुरुत्वाकर्षण बल डालता है।
* वैज्ञानिकों ने आकाशगंगाओं के घूमने की गति का अध्ययन करके पाया कि वहाँ जितना दृश्य पदार्थ है,उससे कहीं ज्यादा द्रव्यमान होना चाहिए।
* यही “अदृश्य द्रव्यमान” डार्क मैटर कहलाता है।
* यही डार्क मैटर गैलेक्सियों को एक साथ बांधे रखता है और ब्रह्मांड की संरचना को स्थिर बनाए रखता है।
3. डार्क एनर्जी लगभग 68%
* 1990 के दशक में वैज्ञानिकों ने खोजा कि ब्रह्मांड का विस्तार सिर्फ जारी नहीं है बल्कि वह लगातार तेज़ी से बढ़ रहा है।
* गुरुत्वाकर्षण तो वस्तुओं को पास लाने का काम करता है तो फिर ब्रह्मांड तेज़ी से क्यों फैल रहा है?
* इसका मतलब है कि कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही है जो अंतरिक्ष को फैलाने पर मजबूर कर रही है।
* इस रहस्यमयी शक्ति को वैज्ञानिकों ने नाम दिया,डार्क एनर्जी।
* डार्क एनर्जी ब्रह्मांड की कुल ऊर्जा का सबसे बड़ा हिस्सा है और आज भी विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली बनी हुई है।
4. अदृश्य क्यों है यह सब?
* हमारी आँखें और टेलिस्कोप प्रकाश पर निर्भर करते हैं।
* लेकिन डार्क मैटर और डार्क एनर्जी प्रकाश के साथ कोई क्रिया नहीं करते।
* वे न तो चमकते हैं,न रोशनी को रोकते हैं।
* इसलिए हम इन्हें सीधे नहीं देख सकते,बस इनके गुरुत्वाकर्षण और विस्तार पर असर से इनके अस्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं।
5. वैज्ञानिक चुनौती
आज तक वैज्ञानिकों ने न तो डार्क मैटर के कणों को पकड़ा है और न ही डार्क एनर्जी की सही प्रकृति को समझ पाए हैं।
लेकिन टेलिस्कोप,पार्टिकल एक्सपेरिमेंट और कॉस्मिक सर्वे लगातार इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
संभव है आने वाले दशकों में हमें पता चले कि असल में यह “अदृश्य ब्रह्मांड” क्या है।
निष्कर्ष
ब्रह्मांड का 95% हिस्सा हमें दिखाई नहीं देता क्योंकि यह डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बना है जो प्रकाश के साथ क्रिया नहीं करते। हम इन्हें केवल उनके प्रभावों से महसूस कर सकते हैं गैलेक्सियों की गति और ब्रह्मांड के विस्तार में। यह अदृश्य ब्रह्मांड हमारे लिए सबसे बड़ी खगोलीय पहेलियों में से एक है और इसे समझना आने वाले विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाएगा।
शुक्रवार, 29 अगस्त 2025
वोट चोर कौन?
भारतीय राजनीति के इतिहास में एक ऐसा दौर आया जब लोकतंत्र की परीक्षा ली गई। यह तस्वीर देखिए, जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू साथ बैठे हुए हैं। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे चुनाव की, जहां वोटों की चोरी का आरोप लगा। 😠
14 वोटों के मुकाबले सिर्फ 1 वोट से नेहरू की जीत हुई, और नतीजा था नेहरू का सत्ता में आना। यह घटना 1946 की कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की है, जब देश आजादी के करीब था। क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं था? 🤔
जब देश गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने को बेताब था, तब कांग्रेस के अंदर भी सत्ता की लड़ाई चल रही थी। 15 प्रांतीय कांग्रेस समितियों में से 12 ने सरदार पटेल को नामित किया, 3 ने बहिष्कार किया, लेकिन नेहरू का नाम एक भी समिति ने नहीं रखा। फिर भी, गांधीजी के हस्तक्षेप से पटेल को नाम वापस लेना पड़ा। 😔
नेहरू को अध्यक्ष बनाया गया, जो बाद में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने वाले थे। यह 1 वोट बनाम 14 का खेल था, जहां नेहरू की जीत ने इतिहास बदल दिया। क्या यह वोट चोरी का उदाहरण नहीं? 💔
इस घटना ने साबित कर दिया कि राजनीति में कभी-कभी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा देशहित से ऊपर हो जाती है। पटेल जैसे मजबूत नेता को दरकिनार कर नेहरू को चुना जाना, कई इतिहासकारों के अनुसार एक बड़ी भूल थी। मौरिस आसद ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि अगर पटेल चुने जाते तो भारत का इतिहास अलग होता। 📖 नेहरू की जीत ने कांग्रेस को एक नया मोड़ दिया, लेकिन क्या यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान नहीं था? 😡 14 वोटों की ताकत को 1 वोट ने हरा दिया, और नतीजा सबके सामने है।
आजादी के बाद नेहरू प्रधानमंत्री बने, लेकिन इसकी नींव 1946 के उस विवादास्पद चुनाव पर टिकी थी। पटेल को होम मिनिस्टर बनाया गया, लेकिन कई लोग मानते हैं कि अगर वे पीएम होते तो देश की आंतरिक सुरक्षा और एकीकरण ज्यादा मजबूत होता। 🇮🇳 नेहरू की विदेश नीति पर सवाल उठे, खासकर 1962 के युद्ध में, लेकिन यह सब उस एक वोट की जीत से शुरू हुआ। क्या हम ऐसी राजनीति को भूल सकते हैं? 🙄 वोट चोर का ताज नेहरू के सिर पर सजा, और देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
इस कहानी से सीख मिलती है कि सत्ता के खेल में सच्चाई अक्सर दब जाती है। सरदार पटेल जैसे 'लौह पुरुष' को नजरअंदाज कर नेहरू को चुना जाना, आज भी चर्चा का विषय है। 🏛️ 14 वोटों का समर्थन पटेल के पास था, लेकिन गांधीजी के दबाव में सब कुछ बदल गया। नतीजा नेहरू की जीत, लेकिन क्या यह न्यायपूर्ण था? 😢 राजनीति में वोटों की कीमत जानिए, और इतिहास से सबक लीजिए। यह घटना हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र में पारदर्शिता कितनी जरूरी है।
अंत में, यह तस्वीर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या नेहरू की विरासत इस एक वोट की जीत पर टिकी हुई थी? 🤷♂️ 14 वोट बनाम 1 वोट, और नतीजा नेहरू की सत्ता। आज के युवा वर्ग को ऐसी कहानियां जाननी चाहिए, ताकि भविष्य में वोट चोरी जैसी घटनाएं न हों। 💪 जय हिंद! 🇮🇳
#VoteChori #Nehru #Congress #rajniti #politicalgyan
मंगलवार, 26 अगस्त 2025
धन और धर्म
*मनुष्य की चाल धन से भी बदलती*
*है और धर्म से भी बदलती है..*
*जब धन संपन्न होता है तब अकड़*
*कर चलता है, और जब धर्म संपन्न होता है,*
*तो विनम्र होकर चलता है..!!*
*जिंदगी भले छोटी देना मेरे भगवन्..*
*मगर देना ऐसी -*,
*कि सदियों तक लोगो के दिलों मे -*
*जिंदा रहूँ और हमेशा अच्छे कर्म कर सकूं..!!*
*परिस्थितियां*
*स्वभाव बदल देतीं हैं*
*इंसान तो कल भी वही था*
*आज भी वही है*
रविवार, 24 अगस्त 2025
रविवार, 17 अगस्त 2025
हवन का महत्व
*फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः*
*आम की लकड़ी पर किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है।जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है ।तथा वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला।*
*गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।*
*टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।*
*हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की । क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्द होता है और जीवाणु नाश होता है ?अथवा नही ? उन्होंने ग्रंथों में वर्णिंत हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया कि ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा कि सिर्फ आम की लकड़ी १ किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए । पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर ९४ % कम हो गया।*
*यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया कि कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के २४ घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से ९६ प्रतिशत कम था। बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था।*
*यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र* *(resarch journal of Ethnopharmacology 2007) में भी दिसंबर* *२००७ में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का भी नाश होता है। जिससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है ।*
_लेख को पढ़ने के उपरांत आगे साझा अवश्य करें.......!!
*ये सामान्यजन उपयोगी है 🙏*
*सनातन, हिंदू धर्म और हिंदुत्व की सदैव ही जय*
गुरुवार, 14 अगस्त 2025
कुत्ते बेचारे कुत्ते
कुत्ते ये कुत्ते
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कुत्ते - एनीमल राइट्स v/s ह्यूमन राइट्स
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शीर्षक से ही मन में कुछ अजब तरह के विचार आने लगते हैं। उनका आना भी स्वाभाविक है। जब देश का सर्वोच्च न्यायालय इनको इंगित कर कोई फैसला ले और अनुपालना के लिए संबंधित सरकारों और संस्थाओं को निर्देशित करे तो कहने का हक तो बनता ही है।
वैसे तो हर प्राणी के बच्चे बहुत ही प्यारे होते हैं, जिनसे हमारा पाला पड़ता है अर्थात जो पालतू पशुओं की श्रेणी में आते हैं। गाय, भैंस, घोड़ा, हाथी, ऊँट, बकरी, भेड़, खरगोश, बंदर यहाँ तक कि मनुष्य के भी! पक्षियों के बच्चे तो और भी प्यारे लगते हैं, जब चींचीं-चींचीं करते हैं। कुत्ते-बिल्ली के बच्चे तो बच्चों को खूब भाते हैं, विशेष कर कुत्ते के पिल्ले जिनसे वे अपना स्नेह खूब उड़ेलते हैं। इसके लिए बच्चों के माँ-बाप या तो स्ट्रीट डाॅग को गोद ले लेते हैं या फिर किसी प्रतिष्ठित कुत्ते विक्रेताओं से पिल्ले क्रय कर लेते हैं। दोनों ही स्थितियों में वह प्राणी घर का सदस्य बन जाता है। उसका लालन-पालन भी अपने बच्चे की तरह ही होता है। समय-समय पर डी-वर्मिंग, वैक्सीनेशन और फिर बीमार होने पर अच्छी प्रकार से ध्यान भी बच्चों की तरह ही दिया जाता है।
सवाल जो उठता है या उठा है, वह स्ट्रीट के आवारा कुत्तों को लेकर है। इनकी फौज दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और कहीं-कहीं तो आतंक का पर्याय भी बन रही है। इसी पर विस्तृत, सारगर्भित बातें इस आलेख में की जाएँगी।
आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक-पक्ष
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असल में मनुष्य ही कुत्ते जैसा व्यवहार करने लगा है। एक दूसरे को देखते ही भोंकने लगता है, काटने लगता है! मनुष्य नहीं चाहता कि उसके अलावा और कोई इस ब्रह्माण्ड में रहे।अन्य जीव के लिए वह एक इंच भी नहीं छोड़ना चाहता, जबकि ईश्वर ने तो यह संसार सभी जीवों, चींटी से लेकर हाथी तक के लिए बनाया है।पर मनुष्य नाम का जीव सब पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है और ऐसा करने में वह अपने सामाजिक संस्कार, सरोकारों को भी तिलांजलि दे चुका है। जब वह अपने माता-पिता तक को अपने आँगन में सहन नहीं कर सकता तो फिर अन्य जीव के बारे में सोचना तो उसके लिए असंभव-सा कार्य लगता है। गाँव में और गाँव से शहर में विस्थापित, चलो स्थापित कह देते हैं, उनके घरों में अब भी पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते की निकलती ही निकलती है, ऐसा करने के पीछे उनकी परोपकार की भावना छिपी रहती है। हमारे बाबा जी के अनुसार ये तो बे झोली के फकीर हैं, इनका ध्यान रखना हम सब मनुष्यों का कर्तव्य है। भूख में प्राणी खूँखार हो ही जाता है, तब वह जीविका के लिए अन्य साधन खोजता है। आपने देखा होगा, जब से घरों में जाली वाले डोर लगे हैं, बिल्लियों ने , दूध-दही,चूहों के विकल्प तलाश लिए हैं।अब वे छत पर जाती हैं और एक कबूतर कुटक लेती हैं और फिर पूरे दिन मस्त हो सोती हैं!
कुत्ते के वफादारी के किस्से भी खूब समाज में विद्यमान हैं। प्रशिक्षित कुत्ते सेना और पुलिस के अभियान में विशेष भूमिका निभाते हैं। इसमें इनकी सूँघने की शक्ति काम आती है। हमारे मित्र की बेटी स्नान घर में लगे गैस गीजर से निकली गैस से दम घुटने से बेहोश हो गई।इसकी सूचना बार-बार भोंक कर उनकी पत्नी को देकर दरवाजा तोड़ कर जान बचाई गई। चोरों से सावधान करने के तो अनेक किस्से हैं। हमारे बाबा हमें बंजारे के बिना सोचे-समझे कुत्ते को मौत के घाट उतार कर पछताने का किस्सा खूब सुनाते थे। मुहावरे कुत्तों को लेकर खूब बने हैं। "कुत्ते की मौत मरेगा" एक प्रसिद्ध मुहावरा है। फिल्मी डायलॉग भी - "कुत्ते-कमीने मैं तेरा खून पी जाऊँगा।" कुत्ते के आगे रोटी का टुकड़ा फे़कने पर और कुत्ते के पूँछ हिलाने को भी व्यंग्यात्मक रूप से लिया जाता है। अब तो हाॅट-डाॅग बाजारी फूड (जंक फूड) में शुमार हो चुका है। नाम में क्या रखा है, पर नाम में ही सबकुछ छुपा है!
कुत्ता एक भावुक प्राणी है। यह रिश्ते निभाना जानता है।अपनी जान देकर यह रिश्ता निभाता है।पांडवों के स्वर्गारोहण के साथ कुत्ते का भी जिक्र आता है। काले कुत्ते को काल भैरव का वाहन माना जाता है।
वैज्ञानिक-पक्ष
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स्ट्रीट डाॅग का एंटी रैबीज का वैक्सीनेशन तो होता नहीं है। पागलपन (रैबीज) से ग्रस्त कुत्ते काटने का कुकर्म भी कर लेते हैं, यह उनके स्वभाव के विपरीत है, पर एस मानसिक रोग में उनका स्वयं पर भी नियंत्रण नहीं होता! अब स्थानीय निकायों पर एक ही विकल्प कि वे इनकी नशबंदी करा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ताकि इनकी जनसंख्या पर लगाम लगे।
हाँ, एक बात तो आवश्यक है कि जो कुत्ते पालतू हैं, उनका प्रतिष्ठित पशु चिकित्सक से एंटी रैबीज वैक्सीनेशन करा के रक्खें। बच्चों को पालतू कुत्तों से भी दूर रक्खें। कुछ ब्रीड के कुत्ते कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो जाते हैं। ऐसी अनेकों घटनाएँ हम देख ही चुके हैं।
सांख्यिकीय-पक्ष
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अकेले दिल्ली में दस लाख कुत्ते हैं। बाइट के अड़सठ हजार केस 2024 में और छब्बीस हजार इस साल में। सैंतीस लाख केस पूरे देश में 2024 में और इसी साल में 54 मौत रैबीज के कारण पूरे देश में हुईं। देश में मणिपुर और विश्व में नीदरलैंड में आवारा कुत्ते नहीं हैं।
न्यायिक-पक्ष
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अब इस समस्या पर सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश पारित किए हैं कि दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्ते 8 हफ्तों में सड़कों से हटाएँ। स्ट्रीट डाॅग्स के लिए दिल्ली में विशेष सैल्टर होम बनाए जाएँ। कोर्ट ने इस काम में बाधा डालने वालों व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा, कोई व्यक्ति या संगठन बाधा बना तो अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है । मासूम बच्चों को किसी भी कीमत पर रैबीज का शिकार नहीं होना चाहिए।खुशी को ऐसे ही नहीं छीना जा सकता। लोग निर्भीक होकर घूम फिर सकते हैं बिना किसी खौफ के। कोई व्यक्ति या संगठन इसमें अवरोध पैदा करेगा, इस आदेश की अवमानना मान कर स्वतत: संज्ञान लेकर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि 6-8 सप्ताह में 5000कुत्तों के लिए शैल्टर होम बनाए जाएँ और 8 सप्ताह में इसकी रिपोर्ट दें। कोई कुत्ता बाहर न जाए, इसकी निगरानी सीसीटीवी से की जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि नसबंदी कर वहीं छोड़ना बेतुका है।
निश्चित ही इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा, यह विश्वास कर सकते हैं क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या के निदान का वीणा उठाया है। अब कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए सरकार, स्थानीय निकाय व संबंधित विभागों को संगठित होकर,कटिबद्ध होकर जुटना होगा।
सरकार का पक्ष
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केंद्र सरकार ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएँ बढ़ने और लावारिस पशुओं द्वारा नुकसान पहुँचाने की घटनाओं पर चिंता जताई है। संबंधित विभिन्न मंत्रालयों ने ऐसे पशुओं पर नियंत्रण के लिए मास्टर एक्सन प्लान बनाया है।
पशु-प्रेमियों का पक्ष
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पेटा इंडिया
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कुत्तों को जेल में डालना कभी कारगर नहीं रहा। इससे रैबीज कम नहीं होगा, नहीं काटने से बचाव होगा, क्यों कि कुत्ते अंततः अपने इलाकों में लौट आते हैं।
कुत्तों को उनके आसपास से हटाना अमानवीय, असंवैधानिक है। कुत्ता एक टैरीटोरियल एनीमल है, विस्थापित होने पर भुखमरी, कुपोषण की समस्या पैदा होगी जिनकी परिणिति में डाॉग-बाइट और रैबीज के केस और बढ़ेंगे।
मेनका गांधी
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गुस्से में दिया अजीब फैसला है। दिल्ली में एक भी शेल्टर होम नहीं है। इन्हें बनाने में 15 हजार करोड़ खर्च करने होंगे।3000 ऐसी जगहें ढूँढ़नी होंगी जहाँ कोई नहीं रहता।
कुत्तों को हटाने का निर्णय क्रूर निर्णय है । समाधान ज़रूर हो लेकिन इस तरह नहीं । पहले उनके रहने का ठिकाना खोजा जाना था । उनकी नसबंदी होनी थी । उनका टीकाकरण होना था । कुुत्तों को शहर से गायब कर देना ये अमेरिका के पदचिन्हो पर चलने वाला काम है ।
एस सी ने बिना सोच-विचार के फैसला लिया।
संध्या सिंह
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इन्सान की बढ़ती जनसंख्या सबको खा जायेगी । मुझे तो लगता है, इन्सान और जानवर सबकी संख्या सुनियोजित तरीके से कम होनी चाहिये । चिड़िया, तोते से ले कर शेर तक नहीं बचे । सबसे बड़ा भू माफ़िया इन्सान है और दुख की बात ये है कि इन्सान के खिलााफ़ कोई नियम नहीं । जानवरों के पक्ष में कोई कानून नहीं । जो हैं भी वो सब छद्म साबित हो रहे हैं ।
एक बात और ग़ौर तलब है, ये रील बना-बना कर कमाई करने वाले डॉग लवर्स के बाद आखिर क्यों कुत्तों के व्यवहार में परिवर्तन आया ? पहले कुत्ते इतने आक्रामक नहीं थे । अब कुत्ते भी आक्रामक और डॉग लवर्स भी आक्रामक ।
मेरे विचार से डॉग लवर्स बोरे भर भर खाना सड़क पर डालने के बजाय इनकी संख्या और इनकी नसबंदी पर फोकस करें । इन्हें गोद लेने के लिये पब्लिक को मोटीवेट करिए ।
मेरे घर में 13 साल के हैल्दी जब्बो को देख कर मेरे कई मित्रों ने पप्पी गोद लिये ।
मेरे ख्याल से कुत्तों को हटाने के निर्णय के खिलाफ अपील होनी चाहिये । और कुत्तों के इंतज़ाम के लिये कोर्ट को थोड़ा समय देना चाहिये । ये बहुत भावुक प्राणी है । इनके बदलते व्यवहार के कारण पता करने चाहिये और उन्हें दूर करना चाहिये ।
आदेश पर संतुलित प्रतिक्रिया
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राष्ट्र किंकर
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मुख्य रोड पर रहने के कारण कुत्तों के आतंक से परिचित हूं। ये कुत्ते राह निकलते लोगों पर झपटते हैं। अचानक कुत्ता झपटने से दोपहिया वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है। बच्चे और बूढ़े इन कुत्तो के कारण चोटिल भी होते हैं। कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज जैसी असाध्य रोग के दुष्प्रभाव को एक निकट मित्र के अनुभव से देखा जाना है जिसका इलाज केवल मृत्यु है ।
दूसरों को कोर्ट का आदेश मानने की नसीहत देने वालों को सड़कों से आवारा कुत्ते हटाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को नाकारा बनाने के लिए सक्रिय देखकर कष्ट होता है। इनके मन में कुत्तों के प्रति 'मानवता' उमड़ रही है लेकिन इन कुत्तों ने जिन मानवों को काटा है उनके लिए इन्होंने क्या किया या क्या करेंगे, वे इस पर मौन है। आखिर पशु आवारा होने ही क्यों चाहिए? स्वयंभू पशु प्रेमियों को अपने घर में कुत्ते पालने से कौन रोकता है? लेकिन सड़क या गली में कुत्तों को दूध मांस आदि परोसने का अधिकार उन्हें किसने दिया?
माना कि कुत्ता वफादार होता है लेकिन उसका जो उसे पलता है। जिसे वफादारी चाहिए वह नियमानुसार कुत्ते पाले लेकिन अपने परिसर में। कुत्तों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करने वाले क्या मानवीय सुरक्षा को कमतर मानते हैं? सड़क पर कुत्तों को भोजन और दूध आदि प्रस्तुत कर स्वयं को सगर्व जीव प्रेमी बताने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
राहुल गांधी
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ये बेजुबान आत्माएँ हैं, कोई समस्या नहीं! जन कल्याण के साथ-साथ पशु कल्याण की बातें जरूरी हैं। बिना क्रूरता के भी सड़कों को सुरक्षित रख सकते हैं। मानवीय समाधान चाहिए।
प्रियंका गांधी
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इससे बेहतर और उदारता से निबटना चाहिए।
वरुण गांधी
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यह आदेश उन पर लागू है जो अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते।
जाॅन अब्राहम
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ये आवारा नहीं, सामुदायिक कुत्ते हैं। पत्र लिखकर फैसले की समीक्षा की गुहार लगाई।
जाह्नवी कपूर
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आदेश कैद जैसा।
व्यंग्यात्मक-टिप्पणियाँ
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1-आवारा कुकुर....
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भईया मुद्दा भावनात्मक नहीं.... मामला अब उससे ज्यादा है
में बीहड़ में जिया हूँ.... यहीं बचपन गुजरा...
कुत्ते या अन्य जीव छोड़िये साँप छिपकली भी मारे जाने या उनके परिवेश से छेड़छाड़ के सख्त खिलाफ़ हूँ
बहुत प्यार है वन्य जीवन से....
और चुंकि प्यार है..... उसे जानता हूँ
इस लिए कहता हूँ ये सड़कों के कुत्ते गंभीर आने वाला संकट है भारत में...
कुत्ते सबसे सफल शिकारी हैं 90% से ऊपर का सफलता का औसत है इनका...शेर का 4% होता है .. ये अगर तय कर लेते हैं... जान लेते हैं
हाँ कुत्ता मानव का सबसे पुराना साथी है.... पर फ़र्क़ समझें.... 5 लोगों के बीच 1 कुत्ता दोस्त है...
लेकिन 50 कुत्तों के बीच एक मानव....... सिर्फ भोजन
जैसे ही इनका 5-10 का झुण्ड बनता है मूलवृति जाग जाती है.... ये अपना लीडर चुनते हैं और उसे फ़ॉलो करते हैं...... और फिर भोजन और मादाओं की संख्या का संघर्ष.... आगे झुण्ड को तेजी से बढ़ाना....
और फिर भोजन के इलाके में वर्चस्व.....
बस यहाँ आप और वे आमने सामने होते हैं....
और इस आमने सामने में हद 10 साल लगेंगे......
आज वो बुजुर्ग बच्चों पर छुट पुट हमले कर रहे हैं
ये तुम्हारे घर में घुस कर जान लेंगे बस थोड़ा इंतज़ार करो
सारा प्रेम तिरोहित हो जाएगा-----
मुझे उनसे न घृणा है.... न बैर
पर में जानता हूँ हमें इन्हे अंततः मारना ही होगा.....
ऑस्ट्रेलिया के खरगोश जैसा व्यापक अभियान चला
खोज के पढ़ लो सिर्फ एक खरगोश लवर के 7 खरगोश ने क्या दुर्गत की थी ऑस्ट्रेलिया की जो अब भी जारी है
तो भावनाओं को डालो सही जगह और समस्या को समझो!
सुरेन्द्र विक्रम सिंह
2- कुलीन कुत्ते और आवारा कुत्ते
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सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से कुत्ता कुल या कुल कुत्ते सदमे मे है। कुछ विद्रोही मुद्रा मे न्याय व्यवस्था को कोस रहे है। कुत्ते मे भी आवारा और संभ्रान्त। न्याय व्यवस्था गरीबो एवं कमजोरो के टोटल खिलाफ है। कुछ कह रहे है आतंकवादी,और बांग्लादेशी तो निकाल नही पाते सारी समस्या हमी है।
हम कुत्तो ने आखिर क्या बिगाडा है किसी का । सर्प दंश से तो मौत तक हो जाती है फिर भी ऐसा भयानक निर्णय उनके भी खिलाफ नही आया।
हमारी ही बिरादरी के कुछ शहरी कुत्ते भाई भोजन, भ्रमण एवं मार्ग उत्सर्जन संरक्षण स्वाभिमान के साथ कर रहे है। अफसर पत्नियो के वे अत्यन्त प्रिय पात्र है। घूस उनके रखरखाव के लिए आवश्यक है। समाज मे भ्रष्टाचार बढाने मे परोक्ष सहायता कर रहे है। लेकिन उनकी ओर किसी की दृष्टि नही जाती। वर्गवाद का शिकार हम लोग हो गए है। भूखे रहकर भी हम सुरक्षा मे रहते है फिर भी ये नाइंसाफी।
काश! हमारे भी वोट होते। तो हमारा भी PDA पालतू डाग एवं आवारा संगठन देश मे हमारे हक की लड़ाई लड़ाई। लेकिन लोकतंत्र मे हम वैसे ही है जैसे और तमाम गरीब, बेसहारा।
कालोनियो की आठ मे छुपा काल गाय, गिद्ध , बंदर, शेर,चीता, सबको नेवादा बना रहा है आहिस्ता-आहिस्ता।
फिल हाल सरकारी और अमीरो द्वारा संरक्षित कुत्ता कल्चर बचा रहे यही विस्थापित कुत्ते समाज की आखिरी ख्वाहिश है। जब हम धर्मराज के साथ चले गए थे तो हमे दिल्ली वापस नही आना था।
बिन मारे मर जाएगा, सारा श्वान समाज
निर्भय होकर कीजिए अब दिल्ली पर राज।
संजय मिश्र
राजनैतिक-पक्ष
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कुकुर के लिए मेनका गाँधी को तकलीफ होती है। राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा भी परेशान हैं। उनका पशु प्रेम उमड़ पड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली सहित भारत की सड़कों पर आने जाने वाली आम जनता और उनके बच्चों के प्रति उनकी संवेदना शून्य है। जो करोर्डों लोग देश भर के गली मोहल्लों, कालोनियों में रहते हैं उनके, उनके परिजनों और बच्चों से वोट तो चाहिए। उनको आवारा कुत्ते काटें, वे लोग रेबीज से मरें इनको कोई मतलब नहीं।
प्राणियों के प्रति इनकी, इनके समर्थकों की, साथ ही तमाम पशु प्रेमियों की करुणा जाग उठती है कि क्योंकि ये बेजुबान हैं। वैसे जो भेड़, बकरियाँ हैं, मुर्गे, मुर्गी हैं। सुअर हैं। गाय, बैल, साँड़ हैं। नील गाय, बंदर सहित तमाम प्राणी हैं जिनमें से कुछ को रोज काटा जाता है, मारा जाता है। पकड़ कर इधर से उधर कर दिया जाता है वे सब इनको जुबानदार दिखते हैं।
यदि इन लोगों को कुत्तों से इतना ही प्रेम है तो अपने करोड़ों करोड़ की संपत्ति से कुछ शेल्टर होम बनवा दें। खुद आम आदमी की तरह परिवार के साथ बड़े सुरक्षित बंगलों को त्याग कर गली मोहल्लों में रहना शुरू करें। आम आदमी की तरह सड़कों पर पैदल, साइकल, ऑटो, स्कूटी, मोटर साइकिल आदि आदि साधनों पर चलें। आम भारतवासी का भय, तकलीफ समझ आने लगेगी।
इन लोंगों के कुत्तों के प्रति इतने प्रेम का एक कारण इलीट क्लास के वे डॉग ब्रीडर भी हैं जो तथा कथित हाई सोसाइटी में अपने कुत्तों को बेचेते हैं, प्रदर्शित करते हैं । अगर आम आदमी की जान की कीमत कुत्तों से अधिक लगती है तो अपने चुनाव घोषणा पत्र और नीतियों में लिखें, " कुत्ते पहले आम जनता बाद में "। " बेजुबान प्राणी भारत में सिर्फ कुत्ते हैं "। हाँ अपने बड़े बड़े बंगलों के लॅान में कुत्ते रख लें और अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी इसे अनिवार्य एक शर्त बना दें।
हम तो भारत के विभिन्न शहरों में रहे हैं । शहर में रात को घर लौटते हैं तो चार किलोमीटर के मार्ग में 150 से अधिक कुत्तों से बच कर चलने का युद्द जीवन का हिस्सा बन गया है। यह हमारे जैसे हजारों लाखों देश वासियों की पीड़ा है। कुत्ते के अधिकारों को लड़ने वालों को इस से क्या लेना देना। एक सुझाव है कुत्ते के लिए लड़ने वालों के लिए। एक पार्टी बना लें। कुत्ते पार्टी" जो कुत्ते जितना अधिक आम आदमी को काटे उसे टिकट देकर विभिन्न सदनों का सदस्य बनवा दें।
(साभार ... श्री निशीथ जोशी)
कवि भी पीछे क्यों रहें
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बस यों ही....
एकजुट हो रहे हैं, देश के समस्त श्वान
श्वान का भी स्वाभिमान, उसको बचाइए।
रोड से निकाला गया, बन्धनों में डाला गया
श्वान को भी योजना में, गेह दिलवाइये।
आदमी ही आदमी को, वोट करता रहा है
श्वान जी को श्वान से भी, वोट दिलवाइये।
बढ़ रहे श्वान पर, आदमी के अत्याचार
एक श्वान अधिकार, बोर्ड बनवाइये।।
(राहुल द्विवेदी 'स्मित')
( समाचार और कुछ सामग्री दैनिक भास्कर दिनांक: 12अगस्त,2025 से साभार और बहुत-कुछ संदर्भित व्यक्ति की पोस्ट से)
लेखक/संयोजक/संपादक
डा आर पी सारस्वत
सहारनपुर
9557828950
बुधवार, 13 अगस्त 2025
सत्ता में आने की छटपटाहत
*"वोट चोरी" का प्रोपगंडा खड़ा करके अमेरिकी कठपुतलियों को स्थापित करने के लिए एक हथियार के रूप में किया जाता है।*
कुछ हालिया उदाहरण:
जॉर्जिया (2003): #वोटचोरी के आरोपों के कारण रोज़ क्रांति हुई। अमेरिका समर्थक सरकार सत्ता में आई।
यूक्रेन (2014): #वोटचोरी के आरोपों के कारण यानुकोविच को हटाया गया। अमेरिका समर्थक सरकार सत्ता में आई।
किर्गिस्तान (2005): #वोटचोरी के आरोपों के कारण अकायेव को हटाया गया। अमेरिका समर्थक सरकार सत्ता में आई।
पाकिस्तान (2022): #वोटचोरी के आरोपों के कारण इमरान खान को हटाया गया। अमेरिका समर्थक मुनीर सरकार सत्ता में आई।
बांग्लादेश (2024): #वोटचोरी के आरोपों के कारण शेख हसीना सरकार को हटाया गया। अमेरिका समर्थक सरकार सत्ता में आई।
भारत (2025): #वोटचोरी के आरोपों को कांग्रेस पार्टी और रवीश, बनर्जी और ध्रुव राठी जैसे यूट्यूबर्स जैसे डीप स्टेट एजेंटों का इस्तेमाल करके फैलाया जा रहा है। हिंसक विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई जा रही है। क्या अमेरिका भारत को गुलाम बनाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
रविवार, 10 अगस्त 2025
गोडसे बनाम गाँधी
आखिर क्या कारण है जो कुछ लोग गोडसे को हीरो और गाँधी को विलेन मानते है कुछ तथ्य पेश है-
अगर रोना चाहे तो बिलकुल पढे :-
क्या थी विभाजन की पीड़ा ?
विभाजन के समय हुआ क्या क्या ?
विभाजन के लिए क्या था विभिन्न राजनैतिक पार्टियों दृष्टिकोण ?
क्या थी पीड़ा पाकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थियों की … मदन लाल पाहवा और विष्णु करकरे की?
क्या थी गोडसे की विवशता ?
क्या गोडसे नही जानते थे की आम आदमी को मरने में और एक राष्ट्रपिता को मरने में क्या अंतर है ?
क्या होगा परिवार का ?
कैसे कैसे कष्ट सहने पड़ेंगे परिवार और सम्बन्धियों को और मित्रों को ?
क्या था गांधी वध का वास्तविक कारण ?
क्या हुआ 30 जनवरी की रात्री को … पुणे के ब्राह्मणों के साथ ?
क्या था सावरकर और हिन्दू महासभा का चिन्तन ?
क्या हुआ गोडसे के बाद नारायण राव आप्टे का .. कैसी नृशंस फांसी दी गयी उन्हें l
यह लेख पढने के बाद कृपया बताएं कैसे उतारेगा भारतीय जनमानस हुतात्मा नाथूराम गोडसे जी का कर्ज….
आइये इन सब सवालों के उत्तर खोजें ….
पाकिस्तान से दिल्ली की तरफ जो रेलगाड़िया आ रही थी, उनमे हिन्दू इस प्रकार बैठे थे जैसे माल की बोरिया एक के ऊपर एक रची जाती हैं.अन्दर ज्यादातर मरे हुए ही थे, गला कटे हुए lरेलगाड़ी के छप्पर पर बहुत से लोग बैठे हुए थे, डिब्बों के अन्दर सिर्फ सांस लेने भर की जगह बाकी थी l बैलगाड़िया ट्रक्स हिन्दुओं से भरे हुए थे, रेलगाड़ियों पर लिखा हुआ था,,” आज़ादी का तोहफा ” रेलगाड़ी में जो लाशें भरी हुई
थी उनकी हालत कुछ ऐसी थी की उनको उठाना मुश्किल था, दिल्ली पुलिस को फावड़ें में उन लाशों को भरकर उठाना पड़ा l ट्रक में भरकर किसी निर्जन स्थान पर ले जाकर, उन पर पेट्रोल के फवारे मारकर उन लाशों को जलाना पड़ा इतनी विकट हालत थी उन मृतदेहों की… भयानक बदबू……
सियालकोट से खबरे आ रही थी की वहां से हिन्दुओं को निकाला जा रहा हैं, उनके घर, उनकी खेती, पैसा-अडका, सोना-चाँदी, बर्तन सब मुसलमानों ने अपने कब्जे में ले लिए थे l मुस्लिम लीग ने सिवाय कपड़ों के कुछ भी ले जाने पर रोक लगा दी थी. किसी भी गाडी पर हमला करके हाथ को लगे उतनी महिलाओं- बच्चियों को भगाया गया.बलात्कार किये बिना एक भी हिन्दू स्त्री वहां से वापस नहीं आ सकती थी … बलात्कार किये बिना…..?
जो स्त्रियाँ वहां से जिन्दा वापस आई वो अपनी वैद्यकीय जांच करवाने से डर रही थी….
डॉक्टर ने पूछा क्यों ???
उन महिलाओं ने जवाब दिया… हम आपको क्या बताये हमें क्या हुआ हैं ?
हमपर कितने लोगों ने बलात्कार किये हैं हमें भी पता नहीं हैं…उनके सारे शारीर पर चाकुओं के घाव थे.
“आज़ादी का तोहफा”
जिन स्थानों से लोगों ने जाने से मना कर दिया, उन स्थानों पर हिन्दू स्त्रियों की नग्न यात्राएं (धिंड) निकाली गयीं, बाज़ार सजाकर उनकी बोलियाँ लगायी गयीं और उनको दासियों की तरह खरीदा बेचा गया l
1947 के बाद दिल्ली में 400000 हिन्दू निर्वासित आये, और इन हिन्दुओं को जिस हाल में यहाँ आना पड़ा था, उसके बावजूद पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने ही चाहिए ऐसा महात्मा गाँधी जी का आग्रह था…क्योकि एक तिहाई भारत के तुकडे हुए हैं तो भारत के खजाने का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान को मिलना चाहिए था l
विधि मंडल ने विरोध किया, पैसा नहीं देगे….और फिर बिरला भवन के पटांगन में महात्मा जी अनशन पर बैठ गए…..पैसे दो, नहीं तो मैं मर जाउगा….एक तरफ अपने मुहँ से ये कहने वाले महात्मा जी, की हिंसा उनको पसंद नहीं हैं l दूसरी तरफ जो हिंसा कर रहे थे उनके लिए अनशन पर बैठ गए… क्या यह हिंसा नहीं थी .. अहिंसक आतंकवाद की आड़ में
दिल्ली में हिन्दू निर्वासितों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी, इससे ज्यादा बुरी बात ये थी की दिल्ली में खाली पड़ी मस्जिदों में हिन्दुओं ने शरण ली तब बिरला भवन से महात्मा जी ने भाषण में कहा की दिल्ली पुलिस को मेरा आदेश हैं मस्जिद जैसी चीजों पर हिन्दुओं का कोई ताबा नहीं रहना चाहिए l निर्वासितों को बाहर निकालकर मस्जिदे खाली करे..क्योंकि महात्मा जी की दृष्टी में जान सिर्फ मुसलमानों में थी हिन्दुओं में नहीं…
जनवरी की कडकडाती ठंडी में हिन्दू महिलाओं और छोटे छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर पुलिस ने मस्जिद के बाहर निकाला, गटर के किनारे रहो लेकिन छत के निचे नहीं l क्योकि… तुम हिन्दू हो….
4000000 हिन्दू भारत में आये थे,ये सोचकर की ये भारत हमारा हैं….ये सब निर्वासित गांधीजी से मिलाने बिरला भवन जाते थे तब गांधीजी माइक पर से कहते थे क्यों आये यहाँ अपने घर जायदाद बेचकर, वहीँ पर अहिंसात्मक प्रतिकार करके क्यों नहीं रहे ??
यही अपराध हुआ तुमसे अभी भी वही वापस जाओ..और ये महात्मा किस आशा पर पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये देने निकले थे ?
कैसा होगा वो मोहनदास करमचन्द गाजी उर्फ़ गंधासुर … कितना महान … जिसने बिना तलवार उठाये … 35 लाख हिन्दुओं का नरसंहार करवाया
2 करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं का इस्लाम में धर्मांतरण हुआऔर उसके बाद यह संख्या 10 करोड़ भी पहुंची l
10 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को खरीदा बेचा गया l
20 लाख से ज्यादा हिन्दू नारियों को जबरन मुस्लिम बना कर अपने घरों में रखा गया, तरह तरह की शारीरिक और मानसिक यातनाओं के बाद
ऐसे बहुत से प्रश्न, वास्तविकताएं और सत्य तथा तथ्य हैं जो की 1947 के समकालीन लोगों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों से छुपाये, हिन्दू कहते हैं की जो हो गया उसे भूल जाओ, नए कल की शुरुआत करो …
परन्तु इस्लाम के लिए तो कोई कल नहीं .. कोई आज नहीं …वहां तो दार-उल-हर्ब को दार-उल-इस्लाम में बदलने का ही लक्ष्य है पल.. प्रति पल
विभाजन के बाद एक और विभाजन का षड्यंत्र …
आपने बहुत से देशों में से नए देशों का निर्माण देखा होगा, U S S R टूटने के बाद बहुत से नए देश बने, जैसे ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान आदि … परन्तु यह सब देश जो बने वो एक परिभाषित अविभाजित सीमा के अंदर बने l
और जब भारत का विभाजन हुआ .. तो क्या कारण थे की पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान बनाए गए… क्यों नही एक ही पाकिस्तान बनाया गया… या तो पश्चिम में बना लेते या फिर पूर्व में l
परन्तु ऐसा नही हुआ …. यहाँ पर उल्लेखनीय है की मोहनदास करमचन्द ने तो यहाँ तक कहा था की पूरा पंजाब पाकिस्तान में जाना चाहिए, बहुत कम लोगों को ज्ञात है की 1947 के समय में पंजाब की सीमा दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र तक होती थी … यानी की पाकिस्तान का बोर्डर दिल्ली के साथ होना तय था … मोहनदास करमचन्द गाँधी के अनुसार l
नवम्बर 1968 में पंजाब में से दो नये राज्यों का उदय हुआ .. हिमाचल प्रदेश और हरियाणा l
पाकिस्तान जैसा मुस्लिम राष्ट्र पाने के बाद भी जिन्ना और मुस्लिम लीग चैन से नहीं बैठे …
उन्होंने फिर से मांग की … की हमको पश्चिमी पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान जाने में बहुत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं l
1. पानी के रास्ते बहुत लम्बा सफर हो जाता है क्योंकि श्री लंका के रस्ते से घूम कर जाना पड़ता है l
2. और हवाई जहाज से यात्राएं करने में अभी पाकिस्तान के मुसलमान सक्षम नही हैं l इसलिए …. कुछ मांगें रखी गयीं 1. इसलिए हमको भारत के बीचो बीच एक Corridor बना कर दिया जाए….
2. जो लाहोर से ढाका तक जाता हो … (NH – 1)
3. जो दिल्ली के पास से जाता हो …
4. जिसकी चौड़ाई कम से कम 10 मील की हो … (10 Miles = 16 KM)
5. इस पूरे Corridor में केवल मुस्लिम लोग ही रहेंगे l
30 जनवरी को गांधी वध यदि न होता, तो तत्कालीन परिस्थितियों में बच्चा बच्चा यह जानता था की यदि मोहनदास करमचन्द 3 फरवरी, 1948 को पाकिस्तान पहुँच गया तो इस मांग को भी …मान लिया जायेगा
तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार तो मोहनदास करमचन्द किसी की बात सुनने की स्थिति में था न ही समझने में …और समय भी नहीं था जिसके कारण हुतात्मा नाथूराम गोडसे जी को गांधी वध जैसा अत्यधिक साहसी और शौर्यतापूर्ण निर्णय लेना पडा l
हुतात्मा का अर्थ होता है जिस आत्मा ने अपने प्राणों की आहुति दी हो …. जिसको की वीरगति को प्राप्त होना भी कहा जाता है l
यहाँ यह सार्थक चर्चा का विषय होना चाहिए की हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जीने क्या एक बार भी नहीं सोचा होगा की वो क्या करने जा रहे हैं ?
किसके लिए ये सब कुछ कर रहे हैं ?
उनके इस निर्णय से उनके घर, परिवार, सम्बन्धियों, उनकी जाती और उनसे जुड़े संगठनो पर क्या असर पड़ेगा ?
घर परिवार का तो जो हुआ सो हुआ …. जाने कितने जघन्य प्रकारों से समस्त परिवार और सम्बन्धियों को प्रताड़ित किया गया l
परन्तु ….. अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले मोहनदास करमचन्द के कुछ अहिंसक आतंकवादियों ने 30 जनवरी, 1948 की रात को ही पुणे में 6000 ब्राह्मणों को चुन चुन कर घर से निकाल निकाल कर जिन्दा जलाया l
10000 से ज्यादा ब्राह्मणों के घर और दुकानें जलाए गए l
सोचने का विषय यह है की उस समय संचार माध्यम इतने उच्च कोटि के नहीं थे, विकसित नही थे … फिर कैसे 3 घंटे के अंदर अंदर इतना सुनियोजित तरीके से इतना बड़ा नरसंहार कर दिया गया ….
सवाल उठता है की … क्या उन अहिंसक आतंकवादियों को पहले से यह ज्ञात था की गांधी वध होने वाला है ?
जस्टिस खोसला जिन्होंने गांधी वध से सम्बन्धित केस की पूरी सुनवाई की… 35 तारीखें पडीं l
अदालत ने निरीक्षण करवाया और पाया हुतात्मा पनदिर नाथूराम गोडसे जी की मानसिक दशा को तत्कालीन चिकित्सकों ने एक दम सामान्य घोषित किया l पंडित जी ने अपना अपराध स्वीकार किया पहली ही सुनवाई में और अगली 34 सुनवाइयों में कुछ नहीं बोले … सबसे आखिरी सुनवाई में पंडित जी ने अपने शब्द कहे “”
गाँधी वध के समय न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर सुनाने की अनुमति मांगी थी और उसे यह अनुमति मिली थी | नाथूराम गोडसे का यह न्यायालयीन वक्तव्य भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था |इस प्रतिबन्ध के विरुद्ध नाथूराम गोडसे के भाई तथा गाँधी वध के सह अभियुक्त गोपाल गोडसे ने ६० वर्षों तक वैधानिक लडाई लड़ी और उसके फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायलय ने इस प्रतिबन्ध को हटा लिया तथा उस वक्तव्य के प्रकाशन की अनुमति दे दी।
नाथूराम गोडसे ने न्यायलय के समक्ष गाँधी वध के जो १५० कारण बताये थे उनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियोंको आतंकवादी कहा जाता है।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।
उपरोक्त परिस्थितियों में नथूराम गोडसे नामक एक देशभक्त सच्चे भारतीय युवक ने गान्धी का वध कर दिया।
न्य़यालय में चले अभियोग के परिणामस्वरूप गोडसे को मृत्युदण्ड मिला किन्तु गोडसे ने न्यायालय में अपने कृत्य का जो स्पष्टीकरण दिया उससे प्रभावित होकर उस अभियोग के न्यायधीश श्री जे. डी. खोसला ने अपनी एक पुस्तक में लिखा-
“नथूराम का अभिभाषण दर्शकों के लिए एक आकर्षक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना भावाकुल हुआ कि लोगों की आहें और सिसकियाँ सुनने में आती थींऔर उनके गीले नेत्र और गिरने वाले आँसू दृष्टिगोचर होते थे। न्यायालय में उपस्थित उन प्रेक्षकों को यदि न्यायदान का कार्य सौंपा जाता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने अधिकाधिक सँख्या में यह घोषित किया होता कि नथूराम निर्दोष है।”
तो भी नथूराम ने भारतीय न्यायव्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति की हत्या के अपराध का दण्ड मृत्युदण्ड के रूप में सहज ही स्वीकार किया। परन्तु भारतमाता के विरुद्ध जो अपराध गान्धी ने किए, उनका दण्ड भारतमाता व उसकी सन्तानों को भुगतना पड़ रहा है। यह स्थिति कब बदलेगी?
प्रश्न यह भी उठता है की पंडित नाथूराम गोडसे जी ने तो गाँधी वध किया उन्हें पैशाचिक कानूनों के द्वारा मृत्यु दंड दिया गया परन्तु नाना जी आप्टे ने तो गोली नहीं मारी थी … उन्हें क्यों मृत्युदंड दिया गया ?
नाथूराम गोडसे को सह अभियुक्त नाना आप्टे के साथ १५ नवम्बर १९४९ को पंजाब के अम्बाला की जेल में मृत्यु दंड दे दिया गया। उन्होंने अपने अंतिम शब्दों में कहा था…
यदि अपने देश के प्रति भक्तिभाव रखना कोई पाप है तो मैंने वो पाप किया है और यदि यह पुन्य हिया तो उसके द्वारा अर्जित पुन्य पद पर मैं अपना नम्र अधिकार व्यक्त करता हूँ
– नाथूराम गोडसे
2014 की पोस्ट
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