शनिवार, 24 दिसंबर 2022

पेंशन एवं मुफ्त घोषणाएं

पुरानी पेंशन एवं मुफ्त चुनावी घोषणाएं देश के अधिकतर अर्थशास्त्री पुरानी पेंशन योजना एवं मुफ्त चुनावी घोषणाओं को देश की अर्थव्यवस्था के लिये घातक मान रहे हैं। यहां तक की कांग्रेस के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तक ने इसे गलत माना था। लेकिन आज सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस सत्ता पाने को चुनावी लाभ के लिये पुरानी पेंशन का लाभ दे रही है। यही हाल मुफ्त चुनावी घोषणाओं का है जो वोटों को लुभाने के लिये की जा रही हैं। हालांकि ये चुनावी घोषणाएं बाद में चुनावी राज्यों पर ही भारी पड़ रही हैं। हिमाचल प्रदेश में राजस्व का 80% पेंशन पर खर्च हो रहा है। बिहार में 60%, पंजाब में 35%, राजस्थान में 30%से ज्यादा राजस्व सिर्फ पेंशन पर खर्च हो रहा है। यदि सरकारी कर्मचारी का वेतन आदि जोड़ ले तो कुछ राज्यो में तो 90% तक इन्ही पर खर्च हो रहा है। जिसके कारण राज्यों के पास स्वास्थ, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन आदि पर खर्च करने को कुछ ज्यादा नहीं बचता। देश के करदाताओं का कर के द्वारा दिया गया धन अधिकांशतः पेंशन पर खर्च हो जाना देश हित में नही है। जानकारी मिली है की देश की सिर्फ 2% सरकारी कर्मचारी आबादी पर राजस्व का 12% धन खर्च देना किसी भी प्रकार से ठीक नहीं माना जा रहा है। इससे देश की अन्य जरूरतों के लिये धन की कमीं पड़ जाती है। देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, गरीबी उन्मूलन, राशन, स्कूल, अस्पताल आदि के कार्यों में कमी आती है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी तरह चुनावी लाभ के लिये मुफ्त घोषणाएं जैसे मुफ्त बिजली, पानी, लेपटॉप, स्कूटी आदि पर भी लगाम लगनी चाहिये। जिस पार्टी को जो देना है अपनी पार्टी फंड से दे, सरकारी धन का दुरूपयोग करने पर पाबंदी लगनी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर कानून बना देना चाहिए। सुनील जैन राना

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