गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

तीर्थ यात्रा का महत्व

तीर्थ यात्राओं से शरीर की बहुत सी नाड़ियां खुल जाती है ! तीर्थ यात्रा का महत्व उस समय अधिक बढ़ जाता है,जब आप तीर्थ यात्रा पैदल करें, इसलिए अधिकांश मंदिर नगर से अलग या तो निर्जन स्थान अथवा किसी पहाड़ी पर मिलेंगे। नंगे पैर तीर्थ यात्रा करने से पैरों के तलवों के एक्यूप्रेशर बिंदुओं में दाब पड़ता है, और शरीर तथा मस्तिष्क की अवरुद्ध नाड़ियां खुलती हैं। तीर्थ यात्राओं का १००% लाभ लेने के लिए तीर्थ यात्राओं के मध्य भोजन के रूप में फल या सलाद का अधिक प्रयोग करें और होटलों में फास्ट फूड ना खाएं या फिर पहाड़ी क्षेत्रों में होम स्टे करें वहां पर साधारण घर का भोजन उपलब्ध हो जाता है। वर्तमान समय में मनुष्य मंदिरों तक अपने वाहन ले जा रहे हैं जो कि तीर्थ यात्रा के शारीरिक और आध्यात्मिक महत्व को कम कर देता है। केवल उन्हीं मंदिरों मे तीर्थ यात्रा को करें जहां आपको कम से कम ५ किमी से अधिक पैदल चलना पड़े। पैदल चलने से शरीर के बहुत से रोग दूर होते हैं। ईश्वर भक्ति से मानसिक शांति मिलती है। मानसिक और शारीरिक कष्टों को अध्यात्म से जोड़ देने पर तीर्थ योग बन जाते हैं और शरीर को शुद्ध और निर्मल करते हैं। पर्वतों पर बने तीर्थों पर मनुष्य उपर नीचे चलते है, जिससे शरीर और फेफड़ों के सभी व्यायाम होते है, इसलिए अधिकांश मंदिर दूर पर्वतों के उपर मिलते हैं। पहाड़ी मंदिरों में जंगल होने के कारण वहां आक्सीजन की मात्रा भी अधिक होती है, और प्राण वायु भी शुद्ध होती है। बिना पैदल चलें तीर्थ का महत्व कम हो जाता है अतः पैदल ही तीर्थ करें घोड़े - पालकी और हवाई जहाज का प्रयोग केवल‌ वे लोग करें जो शारीरिक रूप से वृद्ध और पैदल चलने में असक्षम हैं।

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