गुरुवार, 19 दिसंबर 2019



यह विरोध नहीं बदले की भावना है ?
December 19, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
नागरिकता संशोधन बिल का जिस तरह सुनियोजित तरीके से विरोध हो रहा है उससे सभी को ऐसा लग रहा है की यह विरोध नहीं बदला है। मोदी सरकार में लगातार कई कानूनों का सफलता से पास हो जाना विरोधी दलों को रास नहीं आ रहा था। हताश  होकर इस बिल के बाद बिल का विरोध कम बल्कि मोदी सरकार को अस्थिर करने को देश भर में अनर्गल बयानों से हंगामा किया जा रहा है। सड़को पर धरने -आंदोलनकारियों से जब धरने की वजह पूछो तो उनमे से अधिकांश नहीं बता पाते की क्यों धरना दे रहे हैं। जिससे साफ़ पता चलता है की ये किराये के टट्टू हैं ,ये खुद नहीं आये बल्कि लाया गया है।
सभी दलों के बुद्धिजीवी जानते हैं की इस बिल से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन बदले की भावना से वे जानबूझकर बिल को देशहित में न बताकर भोलीभाली जनता को बरगला रहे हैं। शिक्षा संस्थानों में इस बिल का विरोध होने की वजह सिर्फ इतनी ही समझ में आती है की जरूर देश के कुछ संस्थानों में कुछ ऐसे बाहरी या विदेशी छात्र गैरकानूनी तरीके से रह रहे होंगे जो अब इस बिल के आने से पकड़े जायेंगे। अन्यथा इस बिल से किसी भी भारतीय के अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है।
देश की जनता देख रही है विरोध के ऐसे घिनौने तरीके को जिसमे देश की सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। इन कृत्यों से विरोधी दलों की साख कम ही होगी , लोगो का विश्वास कम ही होगा। ऐसा विरोध देशहित में नहीं है। *सुनील जैन राना *

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