सोमवार, 16 दिसंबर 2019



नसबंदी कुत्तो की नहीं बल्कि ? https://www.facebook.com/jeevrakshakendr
December 16, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
किसी भी नगर -शहर -कस्बे -गांव के गली -मोहल्ले में खूंखार कुत्तो के आतंक से सभी परेशान हैं। कुत्तो की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना कठिन हो रहा है। कहीं -कहीं तो अब कुत्ते आदमखोर तक हो रहे हैं। अनेको जगह कुत्तो के आतंक से आम आदमी भयभीत हो गया है। इंसानो को कुत्ते के काटने की संख्या बढ़ती जा रही है।
सहारनपुर की ही बात करें तो इंसानो को कुत्ते के काटने की तादाद बहुत बढ़ गई है। सरकारी अस्पताल में निशुल्क इंजेक्शन लगाने की सुविधा भी उपलब्ध है फिर भी वह नाकाफ़ी है। नगर निगम द्वारा गतवर्ष कुत्तो की नसबंदी का अभियान चलाकर सैंकड़ो कुत्तो की नसबंदी कर लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों है।
नसबंदी में कुछ कुत्तो के तो अंग ही काट दिए गए। जीवदया के कार्यो में नगर की अग्रणी संस्था श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर का संयोजक होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूँ की ऐसा होना बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है। इसका पता हमें तब चला जब हम जनवरी माह में पशु पक्षी कल्याण पखवाड़े के दौरान खाताखेड़ी क्षेत्र में कुत्तो को दूध पिलाने ,ब्रेड खिलाने और घायल कुत्तो का उपचार करने के चल शिविर में कुत्तो को दूध पिला रहे थे। स्थानीय लोगो से पूछने पर पता चला की कुछ दिन पहले नगर निगम द्वारा कुत्तो की नसबंदी की गई थी।
इस संबंध में मैंने एक पत्र नगरनिगम और समाचार पत्रों को लिखा जिसमें कुत्तो की नसबंदी के बारे में सुझाव दिया था की भविष्य में कुत्तो की नसबंदी के बजाय कुतियो की नसबंदी की जाए। इससे दो फायदे होंगे प्रथम तो यह की नगर में कुत्तो की संख्या के मुकाबले कुतियो -फीमेल डॉग की संख्या एक चौथाई है। ऐसे में कम कार्य में एवं कम खर्च में अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा। द्वितीय बात यह भी है की यदि छोटी उम्र में ही कुतिया की पहचान कर नसबंदी की प्रकिर्या अपनाई जाए तो आने वाले समय में कुत्तो की बढ़ती संख्या पर भी लगाम लग जायेगी। मेरा सभी जगह के प्रशाशन से अनुरोध है की मेरे इस सुझाव पर विचार करें ,ठीक लगे तो इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश करें। जनहित के लिए उपयोगी। *सुनील जैन राना

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