मनरेगा और मिड दे मील में भ्र्ष्टाचार व्याप्त
December 25, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
भारत सरकार की दो प्रमुख योजना मनरेगा और मिड दे मील सदैव भी भ्र्ष्टाचार के कारण चर्चा में रही हैं। मनरेगा में भ्र्ष्टाचारके मामले अक्सर ही संज्ञान में आते रहते हैं। कागजों पर अधिक कार्य और अधिक मजदूरी का भुगतान और हकीकत में इसके विपरीत पाया जाना भ्र्ष्टाचार को ही दर्शाता है।
इसी तरह मिड दे मील योजना में भी भ्र्स्टाचार व्याप्त है। स्कूलों में बच्चों की ज्यादा उपस्तिथी दिखाकर ज्यादा भोजन के बिल बना देना और बच्चो के लिए बनाया गया भोजन गुणवत्ता के विपरीत होना अक्सर ही देखने -सुनने में आता रहता है। भोजन की गुणवत्ता तो दूर की बात बल्कि भोजन में कंकर -पत्थर ,कीड़े आदि का निकलना भी रोज समाचार पत्रों में छपता ही रहता है।
सरकार को इन दोनों परियोजनाओं का स्वरूप बदलना चाहिए। मनरेगा का नगद भूटान बंद कर आधारकार्ड से खाते में होना चाहिए एवं मिड दे मील का राशन बच्चो की उपस्तिथी के अनुसार उनके अभिभावकों तक पहुंचाना चाहिए। बेरोजगारों के लिए मनरेगा और अशिक्षित बच्चो की पढ़ाई को मिड दे मील अच्छी योजनाएं तो जरूर हैं लेकिन समाज में बैठे भ्र्स्ताचारियों पर नकेल कसनी भी बहुत जरूरी है तभी इन योजनाओं का लाभ वंचितों तक पहुंचेगा। * सुनील जैन राना *
इसी तरह मिड दे मील योजना में भी भ्र्स्टाचार व्याप्त है। स्कूलों में बच्चों की ज्यादा उपस्तिथी दिखाकर ज्यादा भोजन के बिल बना देना और बच्चो के लिए बनाया गया भोजन गुणवत्ता के विपरीत होना अक्सर ही देखने -सुनने में आता रहता है। भोजन की गुणवत्ता तो दूर की बात बल्कि भोजन में कंकर -पत्थर ,कीड़े आदि का निकलना भी रोज समाचार पत्रों में छपता ही रहता है।
सरकार को इन दोनों परियोजनाओं का स्वरूप बदलना चाहिए। मनरेगा का नगद भूटान बंद कर आधारकार्ड से खाते में होना चाहिए एवं मिड दे मील का राशन बच्चो की उपस्तिथी के अनुसार उनके अभिभावकों तक पहुंचाना चाहिए। बेरोजगारों के लिए मनरेगा और अशिक्षित बच्चो की पढ़ाई को मिड दे मील अच्छी योजनाएं तो जरूर हैं लेकिन समाज में बैठे भ्र्स्ताचारियों पर नकेल कसनी भी बहुत जरूरी है तभी इन योजनाओं का लाभ वंचितों तक पहुंचेगा। * सुनील जैन राना *
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