किसी का अहित नहीं तो आगजनी क्यों ?
December 17, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
नागरिक संशोधन बिल में जब किसी का अहित नहीं तो फिर आगजनी क्यों ? इस बिल की खिलाफत करने वाले लोगो द्वारा देश के कई राज्यों में तोड़फोड़ और आगजनी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई को मना करते हुए कहा की पहले छात्र हिंसा और उपद्रव रोकें। देश की सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती।
वास्तव में नागरिकता संशोधन बिल में किसी भी भारतीय के अधिकारों का हनन नहीं होता है। इसका विरोध सिर्फ कुछ विरोधी दलों की हताशा ही है। देशहित में लगातार कई ऐसे विधेयक पास हो जाना जिन्हे कांग्रेस समेत अन्य कई दलों ने अपने वोटबैंक के चक्कर में दशकों से लटका रखा था मोदी सरकार में उन सब पर आम सहमति से पास होने की मोहर का लग जाना इन कुछ विरोधी दलों को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस की सुप्रीमो सोनिया गांधी के धरने के बाद देश भर में हिंसा का वातावरण हो गया यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी के अहित न करने वाले बिल के खिलाफ भड़काने वाले बयान देना देशहित में नहीं है।
पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले कुछ दलों के कुछ नेता देश में शांति के वातावरण को अशांत करने में लगे हैं। वे ऐसे बाहरी लोगो के पक्ष में बोल रहे हैं जिन्हे उनके देश ही अपने यहां रखना नहीं चाहते ,ऐसे में भारत उन्हें शरण क्यों दे ?यह बिल खासकर पड़ोसी देशों के उन लोगो के लिए है जनका वहां उत्पीड़न हो रहा है और वे भारत आना चाह रहे हैं। इसमें हर्ज क्या है ?इसमें विरोधियो द्वारा यह दलील देना की इनमे मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया तो उन्हें यह बात समझनी चाहिए की ये तीनो मुस्लिम देश हैं जिसके कारण वहां के मुसलमानों के उत्पीड़न की कोई बात ही नहीं है। इन देशों में गैर मुस्लिमों की लगातार घटती संख्या और उनके उत्पीड़न के कारण ऐसा बिल लाया गया है।
सच बात तो यह है की इस बिल से किसी भी भारतीय को कोई परेशानी नहीं है ,परेशानी तो विरोधी दलों द्वारा बनाई गई है। जनता द्वारा सत्ता से बाहर हुए ऐसे नेता देश के विकास और शांति में बाधा डालकर तनाव पैदाकर लोगो को वोटो की राजनीति में बांटना चाह रहे हैं जो देशहित में नहीं है। * सुनील जैन राना *
वास्तव में नागरिकता संशोधन बिल में किसी भी भारतीय के अधिकारों का हनन नहीं होता है। इसका विरोध सिर्फ कुछ विरोधी दलों की हताशा ही है। देशहित में लगातार कई ऐसे विधेयक पास हो जाना जिन्हे कांग्रेस समेत अन्य कई दलों ने अपने वोटबैंक के चक्कर में दशकों से लटका रखा था मोदी सरकार में उन सब पर आम सहमति से पास होने की मोहर का लग जाना इन कुछ विरोधी दलों को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस की सुप्रीमो सोनिया गांधी के धरने के बाद देश भर में हिंसा का वातावरण हो गया यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी के अहित न करने वाले बिल के खिलाफ भड़काने वाले बयान देना देशहित में नहीं है।
पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले कुछ दलों के कुछ नेता देश में शांति के वातावरण को अशांत करने में लगे हैं। वे ऐसे बाहरी लोगो के पक्ष में बोल रहे हैं जिन्हे उनके देश ही अपने यहां रखना नहीं चाहते ,ऐसे में भारत उन्हें शरण क्यों दे ?यह बिल खासकर पड़ोसी देशों के उन लोगो के लिए है जनका वहां उत्पीड़न हो रहा है और वे भारत आना चाह रहे हैं। इसमें हर्ज क्या है ?इसमें विरोधियो द्वारा यह दलील देना की इनमे मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया तो उन्हें यह बात समझनी चाहिए की ये तीनो मुस्लिम देश हैं जिसके कारण वहां के मुसलमानों के उत्पीड़न की कोई बात ही नहीं है। इन देशों में गैर मुस्लिमों की लगातार घटती संख्या और उनके उत्पीड़न के कारण ऐसा बिल लाया गया है।
सच बात तो यह है की इस बिल से किसी भी भारतीय को कोई परेशानी नहीं है ,परेशानी तो विरोधी दलों द्वारा बनाई गई है। जनता द्वारा सत्ता से बाहर हुए ऐसे नेता देश के विकास और शांति में बाधा डालकर तनाव पैदाकर लोगो को वोटो की राजनीति में बांटना चाह रहे हैं जो देशहित में नहीं है। * सुनील जैन राना *
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