मंदी के बावजूद परोपकार
December 13, 2019 • सुनील जैन राना • परोपकार
देश की आर्थिक व्यवस्था भले ही पूर्ण ऊंचाई पर न हो लेकिन आज भी अनेको कम्पनियाँ अच्छा मुनाफा भी कमा रही हैं और मुनाफ़े का कुछ हिस्सा परोपकार में भी खर्च कर रही हैं। देश में सूचीबद्ध कंपनियों ने सी एस आर यानि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व में परोपकार और जनहित कार्यो में अपने मुनाफ़े में से लगभग दो प्रतिशत धन खर्च कर रही हैं।
सरकार द्वारा २०१५ के वित्त वर्ष से सूचीबद्ध कंपनियों को नियत धनराशि देशहित ,परोपकार और कल्याणकारी कार्यो में खर्च करना अनिवार्य कर दिया था। तब से अब तक प्रत्येक वित्त वर्ष में इस धनराशि में लगातार इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष २०१९ में इस मद में कंपनियों द्वारा लगभग ११८६७ करोड़ रूपये खर्च किये गए जो अभी तक एक वित्त वर्ष में खर्च किये जाने की सर्वाधिक धनराशि है।
सी एस आर के मद से किया जाने वाला खर्च शिक्षा ,स्वास्थ ,महिलाओं ,बुजुर्गो, दिव्यांगों के अलावा गरीबी ,भुखमरी ,कुपोषण आदि से निजात पाने जैसे कार्यो में किया जाता है। इसके अतिरिक्त स्वच्छ भारत ,स्वच्छ जल जैसी योजनाओ में भी भागेदारी की जा सकती है।
बहुत अच्छा और प्रेरक कार्य है यह। हमारे देश की संस्कृति भी ऐसी ही रही है। धनवानों ने सदैव निर्धनों की सहायता की है। पुराने समय से ही धर्मशालाएं बनवाना ,चैरिटेबल अस्पताल -भोजनालय आदि खुलवाना ,गोशालाएं बनवाना आदि अनेक परोपकार के कार्य किये जाते रहे हैं। सरकार सबके लिए सब कुछ नहीं कर सकती। हम सभी को गरीबों -अनाथो के सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। याद रखिये मारने वाले से बचाने वाला अच्छा होता है और दानवीर सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है। *सुनील जैन राना *
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