रविवार, 8 दिसंबर 2019

ऐतिहासिक जैसलमेर की यात्रा
पिछले पांच दिन भारत की शान राजस्थान के जैसलमेर की यात्रा पूर्ण की। यूँ तो राजस्थान के सभी बड़े नगर ऐतिहासिक और भव्य हैं लेकिन इनमें भी जैसलमेर अपने आप में अनुपम है। राजस्थान के सभी किलो और महलों में मंदिरो की बहुतायत है लेकिन अनेक जगहों पर जैन मंदिरो की भव्यता -दिव्यता अनुपम है।
जैसलमेर में पटवों की हवेलियां ऐतिहासिक हैं। ये पटवे जैन समुदाय के थे और व्यापारी थे। इनकी हवेलियां किसी राजमहल से कम नहीं हैं। पत्थर पर बारीक़ नक्काशी देखते ही बनती है। इसके अतिरिक्त किले के अंदर का महल और जैन मंदिर अद्भुत है। जैन मंदिर की भव्यता और दिव्यता देखते ही बनती है।  भारतवर्ष में माउंटआबू में दिलवाड़ा जैन मंदिर अपनी पत्थर की नकाशी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द हैं। रणकपुर के जैन मंदिर भी अपने आप में अनुपम हैं। इसी तरह जैसलमेर के किले में जैन मंदिर अद्भुत हैं। मंदिर में ६६६ प्रतिमाएं जिनका आज भी रोजाना पूजा -प्रक्षाल होती है अनुपम हैं। पत्थर के खम्बे -दीवारों पर हुई नक्काशी देखने योग्य है।
इसके अतिरिक्त जैसलमेर के अन्य दार्शनिक स्थल बेहतरीन हैं। लुद्र्वा में स्थित जैन मंदिर अनुपम है। रेगिस्तान में ऊंट पर सवारी या जीप में सवारी का अपना ही आनंद है। जैसलमेर से १५० किलोमीटर दूर बाड़मेर में कनोट माता का मंदिर जहां पाकिस्तान द्वारा अनेको बम गिराए गए थे फिर भी मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा दर्शनीय है। जैसलमेर से १७ किलोमीटर पर बना वार मैमोरियल सेना के साहस की कथा बयान करता है।
एक बार जरूर जैसलमेर की यात्रा करनी चाहिए।















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