प्याज ,टमाटर के बाद अब आलू रुलायेगा ?किसान ?
October 10, 2019 • सुनील जैन राना
देश के कुछ राज्यों में प्याज के दामों में बढ़ोतरी होने से जनता से ज्यादा मिडिया ने हंगामा मचाया। अब टमाटर और आलू के बढ़ते दामों पर मिडिया परेशान है। लिखा जा रहा है की अब प्याज और टमाटर के बाद आलू रुलायेगा।
अब इसमें समझने की बात यह है की किसी भी सब्जी या वस्तु के दाम बढ़ जाने या बहुत कम हो जाने पर किसानों को सुखी या दुखी होना चाहिए। कई बार ऐसा होने पर किसान सुखी या दुखी होते भी हैं। लेकिन उनसे ज्यादा मिडिया परेशान क्यों हो जाता है?यदि किसी वस्तु के दाम बढ़ रहे हैं तो किसान को फायदा होना दिखाना चाहिए जैसे जब किसी वस्तु के दाम कम होने पर किसान को दुखी दिखाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था की जान होता है किसान। किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले इसके लिए तो सरकार भी सदैव कार्यशील रहती है। ऐसे में मिडिया क्यों नहीं किसी फसल के दाम बढ़ने पर किसान की ख़ुशी दिखाता ?
यदि किसी फसल के दामों की बेहताशा बढ़ोतरी पर भी किसान को फायदा नहीं मिल रहा तब मिडिया को इसकी जांच पड़ताल कर कारण की हकीकत बयान करनी चाहिए और उसके निराकरण के संबंध में डिबेट आदि करानी चाहिए। महंगाई से किसान को ख़ुशी नहीं होती ,किसान को तो अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने से ख़ुशी होती है। फिर ऐसे में किसी वस्तु के बेहताशा दाम बढ़ने से किसे ख़ुशी या आमदनी हो रही है उस पर शिकंजा कसा जाना चाहिये। *सुनील जैन राना *
अब इसमें समझने की बात यह है की किसी भी सब्जी या वस्तु के दाम बढ़ जाने या बहुत कम हो जाने पर किसानों को सुखी या दुखी होना चाहिए। कई बार ऐसा होने पर किसान सुखी या दुखी होते भी हैं। लेकिन उनसे ज्यादा मिडिया परेशान क्यों हो जाता है?यदि किसी वस्तु के दाम बढ़ रहे हैं तो किसान को फायदा होना दिखाना चाहिए जैसे जब किसी वस्तु के दाम कम होने पर किसान को दुखी दिखाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था की जान होता है किसान। किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले इसके लिए तो सरकार भी सदैव कार्यशील रहती है। ऐसे में मिडिया क्यों नहीं किसी फसल के दाम बढ़ने पर किसान की ख़ुशी दिखाता ?
यदि किसी फसल के दामों की बेहताशा बढ़ोतरी पर भी किसान को फायदा नहीं मिल रहा तब मिडिया को इसकी जांच पड़ताल कर कारण की हकीकत बयान करनी चाहिए और उसके निराकरण के संबंध में डिबेट आदि करानी चाहिए। महंगाई से किसान को ख़ुशी नहीं होती ,किसान को तो अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने से ख़ुशी होती है। फिर ऐसे में किसी वस्तु के बेहताशा दाम बढ़ने से किसे ख़ुशी या आमदनी हो रही है उस पर शिकंजा कसा जाना चाहिये। *सुनील जैन राना *
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