मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019



उद्योगों के पानी की चैकिंग ,सरकारी पानी की नहीं ?
October 1, 2019 • सुनील जैन राना
देश भर में नये -नये कानूनों की भरमार हो रही है। मोदी सरकार के बाद से भ्र्ष्टाचार आदि पर नकेल कसी जा रही है लेकिन साथ में पर्यावरण -स्वास्थ संबंधी कानूनों में भी सख्ती की जा रही है। लेकिन जनता को यह सब अच्छा नहीं लग रहा है। जनता कहती है की कोई भी कानून बनाने से पहले सरकार उससे संबंधित सरकारी खामियां दूर करे। पर्यावरण ठीक रखने को पोलेथिन और  प्लास्टिक आदि पर बैन लगाने से पहले इसके विकल्प उपलब्ध करने चाहिए। सरकार खुद क्यों विदेशों से प्लास्टिक कचरा आयात करती है यह बताये ?
इसी तरह व्यवसायिक पानी के इस्तेमाल को पानी की गुणवत्ता की चैकिंग जरूरी है जबकि देश भर में आम आदमी को मिल रहा सरकारी पानी मानको के अनुरूप नहीं होता। देश भर में नगर -शहर -कस्बे -गाँव आदि में बनी पानी भंडारण की टंकियां क्या कभी किसी ने साफ़ होती देखी हैं ?शायद ही किसी ने अपने शहर में बनी अनेको पानी की टंकियों की सफाई होते देखी होगी। मैंने देखी थी एक बार बचपन में। लगभग ४५ साल पहले हमारे नगर की एक दो पानी भंडारण की टंकियों की सफाई की गई थी उसमे से अनेको मरे -गले -सड़े कबूतर -बंदर आदि के मृत शरीर भी निकले थे। उसके बाद आज तक कब ये टंकिया साफ़ हुई होंगी पता नहीं ?
कहने का तातपर्य यह है की आम जनता को तो प्रत्येक विभाग के कानूनों की पूर्ति करने को कहा जाता है लेकिन उन विभागों के अपने कार्य -कर्तव्य की पूर्ति विभाग करे ऐसा कभी सरकार कहते नहीं दिखती। जबकि यह दोनों बातें परस्पर पूरक हैं। सरकार को अपने विभागों को भी जनता की समस्या पूर्ति के लिए जागरूक करना चाहिए।                *सुनील जैन राना *

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