अगस्त क्रान्ति
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आज़ादी की लड़ाई के ७५ वर्ष पूर्ण होने पर आज
संसद भवन में भारत छोड़ो आन्दोलन एवं अगस्त
क्रान्ति पर चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री मोदीजी ने कहा की आज़ादी के लम्हों
को पुनः दोहराने से हम सबको ऊर्जा मिलती है एवं
आज के युवा वर्ग को जानकारी मिलती है जिससे
जागरूकता आती है।
९ अगस्त १९२५ को काकोरी कांड हुआ था। अंग्रेजो
भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुवात हुई थी। इसे ही
अगस्त क्रान्ति का नाम दिया गया।
मोदीजी ने इस अवसर पर देश के १२५ करोड़ जनता
से देश के लिए कुछ कर गुज़रने का आह्वान किया।
देश को विकास के मार्ग पर आगे ले जाने में सबका
सहयोग जरूरी है।
सोनिया गांधी ने भी इस अवसर पर लिखा हुआ भाषण
पढ़ा। जिसमे आज़ादी की बात कम मोदी सरकार पर
आरोप ज्यादा थे। उन्होंने कहा आज़ादी की लड़ाई में कुछ
संगठनों (आरएसएस)का कुछ भी योगदान नहीं था।
उनके वक्तव्य से ऐसा लगा की जैसे सिर्फ जवाहरलाल
नेहरू का योगदान ही सबसे ज्यादा था।
आज के दिन जब आज़ादी की लड़ाई पर चर्चा होनी थी
सोनिया गांधी बीजेपी और आरएसएस से लड़ाई पर
उतर आयी। ऐसे मौके पर ऐसे बयान ठीक नहीं होते
हैं। सोनिया गांधी को यह भी सोचना चाहिये की आज
ऐसा क्या कारण हुआ की ७० साल पुरानी सबसे बड़ी
पार्टी सिमट रही है। देश के शीर्ष पदों पर बीजेपी और
आरएसएस वाले कैसे पदासीन हो रहे। राष्ट्रपति ,
उप राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री ,लोक सभा स्पीकर आदि पद
ना तो जबरदस्ती प्राप्त होते हैं और ना भ्र्ष्टाचार से प्राप्त
होते हैं। जनता कांग्रेस से क्यों दूर हो रही है और बीजेपी
से क्यों जुड़ रही है।
सिर्फ आलोचना से किसी का भला नहीं होता ,आत्ममंथन
भी बहुत जरूरी है।
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