शुक्रवार, 11 अगस्त 2017



बरसात में खाद्य पदार्थो की बर्बादी
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सरकारी स्तर पर किसानों की सहूलियत के लिए

सरकार अनाज आदि की खरीद करती है। खरीदा

हुआ अनाज सरकारी गोदामों में रखा जाता है।

लेकिन बहुत विडंबना की बात है की आज़ादी के

70 सालों बाद भी भारत में अनाज़ आदि के भण्डारण

के लिए उचित गोदाम नहीं हैं। जिसके कारण अधिक

खरीदा अनाज़ खुले में बाहर ही रखा छोड़ दिया जाता

है। उसपर तिरपाल आदि की भी उचित व्यवस्था नहीं

की जाती। बरसात में या बारिश आने पर खुला सामान

भीग जाता है। एक अनुमान के अनुसार प्रति साल ऐसी

बर्बादी करोड़ो -अरबों की होती है।

सरकारी गोदामों एफसीआई में इसी बर्बादी की आड़ में

घिनौना खेल भी होता है। घटिया क्वालिटी -घटतौली आदि

को बरसात में भीगा दिखाकर पूरी कर ली जाती है। कभी

सोशल मिडिया पर गोदामों में रहे गेंहू आदि को जानबूझ

कर पानी के पाइप से भीगता दिखाया जाता है। ऐसा कर

बाद में सड़े गेंहू को बीयर -शराब आदि कम्पनी को बेच

देते हैं और सरकार के खाते में सड़े गेहूं को उठवाने के

खर्चे भी डाल देते हैं।

भ्र्ष्टाचार में मेरा भारत महान है। सरकारी -गैर सरकारी

स्तर पर अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

ऐसी मानसिकता हो गई है अधिकांश भारतीयों की।

सरकार को यदि किसानों से उनके उत्पादन की खरीद

करनी है तो इसके लिए पर्याप्त गोदाम बनवाने चाहिए।

इससे भी ज्यादा जरूरी है जबाबदेही की। आज सरकारी

कार्यालयों में अनेक कार्य गलत हो रहे हैं। कोई कहने सुनने

वाला नहीं है। कानून इतने है की आम आदमी उनकी पूर्ति

सुविधा शुल्क देकर ही कर सकता है।

प्रत्येक वर्ष बारिश से या अन्य कारणों से अनाज या अन्य

वस्तु खराब हो जाने पर संबंधित अधिकारी की जबाबदेही

होनी ही चाहिए। 

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