राष्ट्रपति पद हेतू
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देश में विरोधाभास की राजनीति इतनी ज्यादा बढ़ गई है
की राष्ट्रपति पद जैसे पद के चुनाव में भी सिर्फ विरोध
करने हेतू विपक्ष ने मुकाबले को अपना उम्मीदवार
उतारा है।
NDA ने विपक्ष द्वारा कोई नाम ना प्रस्तुत करने के बाद
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द जी को अपने
उम्मीदवार के रूप में उतारा। क्योंकि कोविन्द जी दलित
वर्ग से हैं तो लगता था की सभी उनका समर्थन करेंगे।
लेकिन विपक्ष की विरोधाभास की राजनीति ने ऐसे उच्च
पद पर भी सिर्फ विरोध करने हेतू मीरा कुमार को UPA
उम्मीदवार के रूप में उतार कर यह जता दिया की
विपक्ष को दलित से कोई लेना देना नहीं बल्कि दलित को
मोहरा बना कर दलित के विरोध में दलित को भिड़वाना है।
हो सकता था यदि पहले विपक्ष मीरा कुमार जी का नाम
प्रस्तुत कर देता तो शायद NDA भी सहमति दे देता ?
लेकिन यह विडंबना की ही बात है की विपक्ष सिर्फ विरोध
करने को ऐसे उच्च पद की भी गरिमा धूमिल कर रहा है।
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