बुधवार, 14 जून 2017



सबसे बड़ा घोटाला
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कांग्रेस के UPA 2 को घोटालों के राज के रूप में पाया गया।

एक के बाद एक लाखों करोड़ के घोटाले सामने आये।

लेकिन मेरी नज़र में सबसे बड़ा घोटाला बैंक घोटाला कहा

जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।

पिछले कई दशकों से कॉर्पोरेट जगत और बैंक अधिकारियों

की मिलीभगत ने भारतीय अर्थ व्यवस्था को घुन की तरह से

अंदर ही अंदर खा डाला है।

जहाँ एक आम आदमी -किसान -मजदूर को छोटा सा लोन

भी नहीं मिल पाता था वहीं इन बड़े लोगो ने जनता का धन

बिना सुरक्षा कर्ज ले देकर उसे बट्टे खाते में डाल दिया।

यह सब बड़े घरानों -बड़े नेताओं -बड़े अधिकारियों की

सांठ -गाँठ के बिना सम्भव नहीं है।

अब मोदीजी की सरकार के आने के बाद इतनी भारी भरकम

धनराशि को वापस आता न देख वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक

के साथ मिलकर बसूलने का प्लान बनाया है।

इस वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में रिजर्व बैंक ने बताया की लगभग

7 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि देश के बड़े औद्योगिक

घरानों या बड़ी कम्पनियों के पास बकाया है। यह भी बताया की

अब इस पूरी धनराशि को बसूलना लगभग नामुमकिन ही है।

ऐसे लोन को बैड लोन -एनपीए आदि नामो से जाना जाता है।

अभी तक बैंक लोन ना चुकाने वाली बड़ी कम्पनियों के नाम

भी नहीं बताये जाते थे, पता नहीं क्यों ?अब वित्त मंत्री अरुण

जेटली ने पहली बार 12 कम्पनियों के नाम लोन सही उजागर

किये हैं जिन पर लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपया बकाया है

और जिसकी बसूली की प्रकिर्या तेज कर दी गई है।


उपरोक्त कथन और भी अधिक लम्बा और दहलाने वाला है।

हम यदि एक आम आदमी के नजरिये से सोचे तो भी हम यह

नहीं सोच सकते हैं की इस धनराशि से देश की 125 करोड़

जनता के लिए क्या -क्या नहीं हो सकता था ?

एक आम आदमी जानता है की यदि उसे बैंक से अपनी जरूरत

के लिए छोटा सा लोन भी चाहिए तो बैंक उसके घर तक के कागज

अपने पास बतौर गिरवी रखवा लेता है। आज वही  किसान आत्महत्या

कर रहा है जिसने बैंक से लोन लिया और उसे चुका नहीं पाया।

बैंक अधिकारी इन छोटे लोन वाले आम आदमी या किसान को

लोन ना चूका पाने पर इतना प्रताड़ित कर देते हैं जिसकी पूर्ति

आत्महत्या से होती है ?कितना भयाभय और शर्मनाक है यह ?

एक तरफ एसी कमरों में बैठ फर्जी कंपनियाँ बना करोड़ो -

अरबों का लोन दिया जा रहा है ,दूसरी तरफ आम आदमी -

किसान बेहाल है।

यह कोई छोटी बात नहीं है। अब सरकार को इन बड़े लोगो ,

फर्जी कम्पनियों के बर्तन तक बेच बसूली करनी चाहिए।

लेकिन इससे भी ज्यादा इन सबको लोन देने वाले अधिकारियों

को भी नहीं छोड़ना चाहिए जिन्होंने अपनी रिश्वत के बदले

जनता का धन बेगैरतों को बाट दिया।

लगभग 7 लाख करोड़ का बैंक npa कोई साधारण बात नहीं है।


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