गुरुवार, 29 जून 2017



टमाटर महंगे हो गए G
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बहुत गज़ब हो गया है। देश के कुछ शहरों में

टमाटर महंगे हो गए। ऐसा कुछ मिडिया गला

फाड़ फाड़ कर चिल्ला रहा है।

पिछले काफी समय से आलू -प्याज -टमाटर

अपने निम्न स्तर यानि 5 से 10 रूपये किलो बिक

रहे थे। तब मिडिया चुप था।

समस्या मिडिया की नहीं है। मिडिया का कार्य तो

यही है की *हर रोज -नई खोज * समस्या तो यह

है की अनाज-फल-सब्जी आदि महंगी हो जाए तो

जनता की परेशानी और यदि सस्ती हो जाए तो

किसान को हैरानी।

यही समस्या इस समय देश में मुँह बाये उभर रही

है। सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर इसका कुछ

समाधान भी दिखाई नहीं दे रहा है। किसान मर

रहा है -आत्महत्या कर रहा है। इस पर देश में

जगह -जगह आगजनी -आंदोलन भी हो रहे हैं।

सरकार से किसानों का कर्ज माफ़ कराया जा

रहा है।

लेकिन फल-सब्जी -अनाज के मूल्य निर्धारण की

नीति बननी चाहिए। किसान को उसकी फ़सल का

उचित मूल्य मिलना ही चाहिए। सारा मुनाफा अक्सर

बिचौलिये खा जाते हैं।

बड़ा किसान तो जमींदार के जैसा पैसे वाला होता है।

लेकिन छोटा किसान अक्सर कर्ज में दबा परेशान ही

रहता है। बड़े किसान को बैंक से लोन आसानी से मिल

जाता है जबकि छोटे किसान को जल्दी लोन नहीं मिलता।

बड़ा किसान लोन न चुकाए तो उसका कुछ नहीं बिगड़ता

जबकि छोटे किसान को लोन न चूका पाने पर बैंक वाले

उसे परेशान कर देते हैं। उसके ओजार उठा ले जाते हैं।

किसानों की आत्महत्या का एक कारण यह भी है।

जय जवान -जय किसान का नारा फिर से बुलन्द होना

चाहिए। क्योकि दोनों से ही देश की आन -बान -शान है।

जय हिन्द -जय भारत। 

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