रविवार, 17 अप्रैल 2022
राहुल गांधी क्यो ऐसे हैं
गांधी परिवार की कांग्रेस, जिसमें से अब लगातार कांग्रेस के दिग्गज किनारा कर रहे हैं। फिर भी कुछ दिग्गज लगातार चापलूसी में डूबे हैं। कांग्रेस के आका राहुल गांधी फिर भी नही समझ पा रहे हैं की उन्हें क्या समझना चाहिये? बस किसी भी सभा मे खुद से बोलना, क्या बोलना जिसका खुद को पता नहीं रहता। ऐसे कई प्रसंग हो चुके हैं की काफी देर तक बोलने के बाद उन्होंने क्या कहा, कुछ पता नही चलता। ऐसे -ऐसे बयान जिसका कोई सिर पैर ही नही होता।
हाल ही में एक पुस्तक के विमोचन पर बोले की मैं सत्ता के बिलकुल बीच मे पैदा हुआ हूँ लेकिन सत्ता में मेरी दिलचस्पी ही नही है। फिर कहते हैं की देश ने मुझे बिना वजह भरपूर प्यार दिया है। फिर कहते हैं देश ने मुझे बहुत जूते मारे, तब मैंने पूछा की ऐसा क्यों किया, तब देश ने बताया कि वह मुझे सिखाना चाहते हैं। एक तरफ कहते हैं कि मेरे पिता को जिन्होंने मारा मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं, दूसरी तरफ कहते हैं की यदि कोई मेरी बहन को मार देता तो मैं उसे मार देता। मतलब यह है की इन सब बातों का क्या अर्थ हुआ? पुस्तक के विमोचन से इन बातों का क्या सम्बन्ध था?
कहते हैं की संवैधानिक संस्थाओं पर आरएसएस का कब्जा हो गया है। एक बार खुद ही संवैधानिक पीएम का पत्र भरी सभा मे फाड़ दिया था। यूपी चुनाव में मायावती पर आरोप लगा दिया जिसके मायावती जी ने तुरंत खण्डन किया। हिंदुत्व का विरोध करते हैँ, खुद वोटों के लिये मन्दिरो में जाते हैं। पंजाब में सिद्धू के बारे में कहते हैं की इसे काटो तो जो खून निकलेगा वह भारतीय होगा, पास में बैठे सिद्धू भी घबरा गए होंगे। टुकड़े गैंग के साथ खड़े होते है और खुद को देशप्रेमी बताते हैं।
देश की आन बान शान को विश्वपटल पर ऊंचा उठाने वाले मोदीजी को बताते हैं चौकीदार चोर है, खुद बेल पर बाहर हैं। शायद इसीलिये खुद को पप्पू भी कह देते हैं। कुल मिलाकर यह नतीजा निकल रहा है की राहुल गांधी ने देश की जनता की नज़रों में खुद को ही गिरा सा दिया है। विपक्ष ही नही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी इनसे परेशान दिखाई देते हैं। कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार के अतिरिक्त कोई बन नही सकता और गांधी परिवार के रहते कांग्रेस उबर नही सकती, कुछ ऐसी परिस्तिथी हो गई है कांग्रेस की। जिन राज्यो में कांग्रेस का राज है वह भी वहां के स्थानीय नेताओं की बदौलत है न की गांधी परिवार के कारण। बार -बार लगातार हार के बाद भी राहुल गांधी हैं की कुछ समझते ही नहीँ, बल्कि और ज्यादा कन्फ्यूज होते जा रहे हैं।
सुनील जैन राना
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