शुक्रवार, 30 जून 2017



चीन धमकी दे रहा भारत को
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मोदीजी की अमेरिका यात्रा और ट्रम्प से दोस्ती के चलते

चीन बौखला रहा है और बौखलाहट में भारत को धमकी

दे रहा है की भारत 1962 का युद्ध भूल गया क्या ?

आज चीन एक ताकतवर देश है जबकि भारत अभी अनेक

समस्याओं से जूझ रहा है। चीन में सरकार की हकूमत

चलती है जबकि भारत में सरकार के कार्यो का विरोध

होता है। चीन में जातिवाद की समस्या नहीं है जबकि भारत

जातिवाद की समस्याओं से घिरा है। चीन में मुस्लिम समुदाय

काफी संख्या में रहता है लेकिन सरकार के दबाब में। यहाँ

तक की चीन में अक्सर मुसलमानों को दाढ़ी रखने ,बुर्का

पहनने ,सड़को पर नमाज पढ़ने ,मस्जिदों में लाउड स्पीकर

लगाने आदि बातो पर पाबंदी लगा दी जाती है जबकि भारत

में लोकतंत्र  चलते सभी मजहबों को लगभग खुली छूट है।

सबसे बड़ी और अहम बात यह है की भारत में सरकार और

सेना को कुछ भी गलत कहने की  खुली छूट है जिसके कारण

भारत में बाहरी दुश्मनो से ज्यादा देश में ही दुश्मनों की फौज

है। जिनका कार्य सरकार के कार्यो का विरोध करना और सेना

पर पथराव करना है। इस कार्य में देश की ही कई राजनितिक

पार्टियां उनका साथ देती हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 

 इन सब बातों के बाद भी आज का भारत 1962 का भारत नहीं

है। आज का भारत किसी भी समस्या का समाधान करने या

मुकाबला करने में सक्षम है। सबसे बड़ी बात यह भी है की आज

कोई भी देश दूसरे देश पर आक्रमण नहीं कर सकता। UNO में

ऐसी कई संधियाँ होती हैं जिन्हे सभी देशों को मानना पड़ता है।

यह भी महत्वपूर्ण बात है की आज मोदीजी ने सारे विश्व में भारत

का नाम रोशन कर रखा है। अधिकांश देश मोदीजी के साथ हैं।

ऐसे में किसी की क्या मज़ाल जो भारत को धमकी दे।

भारत कभी भी किसी से गलत बात या गलत आचरण नहीं करता

बल्कि पाकिस्तान जैसे अदने देश चीन की शह पर और खुद चीन

भी समय समय पर आतंकी कार्यवाही या दादागिरी पूर्ण भाषा बोलते

हैं। यह ठीक नहीं है। भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे।



गुरुवार, 29 जून 2017



टमाटर महंगे हो गए G
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बहुत गज़ब हो गया है। देश के कुछ शहरों में

टमाटर महंगे हो गए। ऐसा कुछ मिडिया गला

फाड़ फाड़ कर चिल्ला रहा है।

पिछले काफी समय से आलू -प्याज -टमाटर

अपने निम्न स्तर यानि 5 से 10 रूपये किलो बिक

रहे थे। तब मिडिया चुप था।

समस्या मिडिया की नहीं है। मिडिया का कार्य तो

यही है की *हर रोज -नई खोज * समस्या तो यह

है की अनाज-फल-सब्जी आदि महंगी हो जाए तो

जनता की परेशानी और यदि सस्ती हो जाए तो

किसान को हैरानी।

यही समस्या इस समय देश में मुँह बाये उभर रही

है। सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर इसका कुछ

समाधान भी दिखाई नहीं दे रहा है। किसान मर

रहा है -आत्महत्या कर रहा है। इस पर देश में

जगह -जगह आगजनी -आंदोलन भी हो रहे हैं।

सरकार से किसानों का कर्ज माफ़ कराया जा

रहा है।

लेकिन फल-सब्जी -अनाज के मूल्य निर्धारण की

नीति बननी चाहिए। किसान को उसकी फ़सल का

उचित मूल्य मिलना ही चाहिए। सारा मुनाफा अक्सर

बिचौलिये खा जाते हैं।

बड़ा किसान तो जमींदार के जैसा पैसे वाला होता है।

लेकिन छोटा किसान अक्सर कर्ज में दबा परेशान ही

रहता है। बड़े किसान को बैंक से लोन आसानी से मिल

जाता है जबकि छोटे किसान को जल्दी लोन नहीं मिलता।

बड़ा किसान लोन न चुकाए तो उसका कुछ नहीं बिगड़ता

जबकि छोटे किसान को लोन न चूका पाने पर बैंक वाले

उसे परेशान कर देते हैं। उसके ओजार उठा ले जाते हैं।

किसानों की आत्महत्या का एक कारण यह भी है।

जय जवान -जय किसान का नारा फिर से बुलन्द होना

चाहिए। क्योकि दोनों से ही देश की आन -बान -शान है।

जय हिन्द -जय भारत। 

मंगलवार, 27 जून 2017



मोदीजी की विदेश यात्रा
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मोदीजी विदेश यात्रा पर हैं। अमेरिका में ट्रम्प से हुई

उनकी मुलाकात कई मायनों में अहम है। हालांकि

ट्रम्प का मिज़ाज ओबामा जैसा नहीं है। फिर भी ट्रम्प

ने अपने चुनावों से अब तक मोदीजी को अपना मित्र

ही बताया है।

मोदीजी की यात्रा के दौरान ट्रम्प ने पाकिस्तान में रह

रहे सलाउद्दीन को ग्लोबली आतंकी घोषित कर यह

भी जता दिया है की ट्रम्प पाकिस्तान में पल रहे आतंक

के विरुद्ध हैं। लेकिन ये कुछ बड़े विकसित देश हर बात

को अपने फायदे के तराजू में तोल कर बोलते हैं।

ये सभी विकसित देश हथियारों के सौदागर हैं और सदैव

अन्य किसी भी देश की सहायता के बदले अपने हथियार

बिकने चाहिए। हथियार तभी बिकेंगे जब किन्ही देशों में

आपस में संबन्ध ठीक नहीं होंगे।

बस यही बात इन बड़े देशों की दोस्ती के आड़े आती है।

मोदीजी को बहुत सावधानी से दोस्ती निभानी होगी। इनसे

हथियार खरीदते रहना होगा। तभी ये बड़े देश मदद करेंगे। 

शुक्रवार, 23 जून 2017



विपक्ष बनाम विरोध करना
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लगता है विपक्ष का कार्य सत्तापक्ष की हर बात का विरोध

करना ही है। इसी विरोध के कारण आज बीजेपी भी संकट

में है।

कांग्रेस के समय में लाये जा रहे Gst का बीजेपी ने विरोध

किया था। अब यही Gst बीजेपी के गले की हड्डी बन गया

है। देश भर का व्यापारी परेशान है। सरकार की कोई

तैयारी नहीं हैं। नियम -कानून कठिन हैं। 2 % व्यापारी

भी कम्प्यूटर नहीं रखते।

समस्या यह भी है की सरकार विदेशो की तर्ज पर कानून

बना देना चाहती है ,लेकिन अभी भारत में इंफ़्रास्ट्रक्चर

बाल्य अवस्था में ही है। नेट चलता नहीं ,बैंको तक के

सरवर डाउन रहते हैं। ऐसे में स्पीड से कार्य कैसे होगा ?

देश का अधिकांश व्यापारी वर्ग बीजेपी के साथ है ,लेकिन

अब लगता है जल्दी विद्रोह पर उतर आएगा।


गुरुवार, 22 जून 2017



राष्ट्रपति पद हेतू
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देश में विरोधाभास की राजनीति इतनी ज्यादा बढ़ गई है

की राष्ट्रपति पद जैसे पद के चुनाव में भी सिर्फ विरोध

करने हेतू विपक्ष ने मुकाबले को अपना उम्मीदवार

उतारा है।

NDA ने विपक्ष द्वारा कोई नाम ना प्रस्तुत करने के बाद

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द जी को अपने

उम्मीदवार के रूप में उतारा। क्योंकि कोविन्द जी दलित

वर्ग से हैं तो लगता था की सभी उनका समर्थन करेंगे।

लेकिन विपक्ष की विरोधाभास की राजनीति ने ऐसे उच्च

पद पर भी सिर्फ विरोध करने हेतू मीरा कुमार को UPA

उम्मीदवार के रूप में उतार कर यह जता दिया की

विपक्ष को दलित से कोई लेना देना नहीं बल्कि दलित को

मोहरा बना कर दलित के विरोध में दलित को भिड़वाना है।


हो सकता था यदि पहले विपक्ष मीरा कुमार जी का नाम

प्रस्तुत कर देता तो शायद NDA भी सहमति दे देता ?

लेकिन यह विडंबना की ही बात है की विपक्ष सिर्फ विरोध

करने को ऐसे उच्च पद की भी गरिमा धूमिल कर रहा है।



विचार 

बुधवार, 21 जून 2017



योग भगाये रोग
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आज अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर पूरी दुनिया में योग की

धूम मची। देश -विदेश में योग का डंका बजा।

योगगुरू बाबा रामदेव ने देश में योग की अलख जगाई।

इसी योग की पताका को मोदीजी ने विश्व भर में फ़हरा

दिया और 21जून को योग दिवस के रूप में घोषित करवा

दिया।

यह कोई सरल बात नहीं है। आलोचना करने वाले दोनों की

आलोचना करते हैं और खुद बीमार भी रहते हैं। देश के शीर्ष

पर बैठे मोदीजी और योगीजी जैसे तन -मन से निरोगी नेताओं

की दिनचर्या से हमें सबक लेना चाहिये।

बाबा रामदेव पर आरोप लगते हैं की इन्होने हज़ारों करोड़ का

साम्राज्य खड़ा कर लिया। कोई यह नहीं सोचता की इनके कारण

हमें देश में निर्मित खाद्य पदार्थ और आयुर्वेद की दवाइयाँ बेहतर

कवालिटी की और उचित मूल्य पर मिल रही हैं।

इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है की बाबा रामदेव कहते हैं

की जब सिर्फ योग के द्वारा निरोग रहा जा सकता है तो किसी भी

प्रकार की दवाइयाँ खाने की जरूरत ही नहीं है। उनका कथित

साम्राज्य जनता के लिए है। जनता को उचित मूल्य पर स्वदेशी

उत्पाद दे रहे हैं। पुरे साम्राज्य में उनका कुछ नहीं। व्यापार से

मिला मुनाफा जनहित में ही खर्च किया जाता है।

आज योग दिवस पर योग में लगे सभी नागरिकों -नेताओं -मंत्रियों -

योग गुरुओं को हार्दिक बधाई एवं साधूवाद के साथ जय जिनेन्द्र। 

गुरुवार, 15 जून 2017


जीएसटी लगने वाला है ?
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 जीएसटी एक जुलाई से लगने वाला है।

व्यापारी परेशान है क्योंकि अभी तक

कोई बताने वाला नहीं है की क्या बदलाव

होगा और उसे क्या करना है ?

यहाँ तक की बिल बुक का परफोर्मा कैसा

होगा किसी को नहीं पता ?

बुधवार, 14 जून 2017



सबसे बड़ा घोटाला
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कांग्रेस के UPA 2 को घोटालों के राज के रूप में पाया गया।

एक के बाद एक लाखों करोड़ के घोटाले सामने आये।

लेकिन मेरी नज़र में सबसे बड़ा घोटाला बैंक घोटाला कहा

जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।

पिछले कई दशकों से कॉर्पोरेट जगत और बैंक अधिकारियों

की मिलीभगत ने भारतीय अर्थ व्यवस्था को घुन की तरह से

अंदर ही अंदर खा डाला है।

जहाँ एक आम आदमी -किसान -मजदूर को छोटा सा लोन

भी नहीं मिल पाता था वहीं इन बड़े लोगो ने जनता का धन

बिना सुरक्षा कर्ज ले देकर उसे बट्टे खाते में डाल दिया।

यह सब बड़े घरानों -बड़े नेताओं -बड़े अधिकारियों की

सांठ -गाँठ के बिना सम्भव नहीं है।

अब मोदीजी की सरकार के आने के बाद इतनी भारी भरकम

धनराशि को वापस आता न देख वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक

के साथ मिलकर बसूलने का प्लान बनाया है।

इस वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में रिजर्व बैंक ने बताया की लगभग

7 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि देश के बड़े औद्योगिक

घरानों या बड़ी कम्पनियों के पास बकाया है। यह भी बताया की

अब इस पूरी धनराशि को बसूलना लगभग नामुमकिन ही है।

ऐसे लोन को बैड लोन -एनपीए आदि नामो से जाना जाता है।

अभी तक बैंक लोन ना चुकाने वाली बड़ी कम्पनियों के नाम

भी नहीं बताये जाते थे, पता नहीं क्यों ?अब वित्त मंत्री अरुण

जेटली ने पहली बार 12 कम्पनियों के नाम लोन सही उजागर

किये हैं जिन पर लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपया बकाया है

और जिसकी बसूली की प्रकिर्या तेज कर दी गई है।


उपरोक्त कथन और भी अधिक लम्बा और दहलाने वाला है।

हम यदि एक आम आदमी के नजरिये से सोचे तो भी हम यह

नहीं सोच सकते हैं की इस धनराशि से देश की 125 करोड़

जनता के लिए क्या -क्या नहीं हो सकता था ?

एक आम आदमी जानता है की यदि उसे बैंक से अपनी जरूरत

के लिए छोटा सा लोन भी चाहिए तो बैंक उसके घर तक के कागज

अपने पास बतौर गिरवी रखवा लेता है। आज वही  किसान आत्महत्या

कर रहा है जिसने बैंक से लोन लिया और उसे चुका नहीं पाया।

बैंक अधिकारी इन छोटे लोन वाले आम आदमी या किसान को

लोन ना चूका पाने पर इतना प्रताड़ित कर देते हैं जिसकी पूर्ति

आत्महत्या से होती है ?कितना भयाभय और शर्मनाक है यह ?

एक तरफ एसी कमरों में बैठ फर्जी कंपनियाँ बना करोड़ो -

अरबों का लोन दिया जा रहा है ,दूसरी तरफ आम आदमी -

किसान बेहाल है।

यह कोई छोटी बात नहीं है। अब सरकार को इन बड़े लोगो ,

फर्जी कम्पनियों के बर्तन तक बेच बसूली करनी चाहिए।

लेकिन इससे भी ज्यादा इन सबको लोन देने वाले अधिकारियों

को भी नहीं छोड़ना चाहिए जिन्होंने अपनी रिश्वत के बदले

जनता का धन बेगैरतों को बाट दिया।

लगभग 7 लाख करोड़ का बैंक npa कोई साधारण बात नहीं है।


मंगलवार, 13 जून 2017



कांग्रेस पतन की ओर ?
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देश के कई राज्यों में किसान आंदोलन हो रहे हैं और कई जगह कराये जा रहे हैं।

मोदीजी ने नेत्तृव में देश आगे बढ़ना चाहता है लेकिन एक के बाद एक समस्याएं

आ खड़ी होती हैं या उन्हें जानबूझ कर खड़ा किया जा रहा है।

आज़ादी के बाद से किसानों के लिए कांग्रेस ने क्या किया ?मध्य प्रदेश जैसे राज्य

जो पिछड़ों में गिने जाते थे आज शिवराज सरकार में प्रगति की राह पर चल पड़े

हैं। किसानों की फसल अब पहले से कई गुनी पैदावार में बदल गई है।

अब यही ज्यादा पैदावार परेशानी का सबब  रही है। दाम कम मिल रहे हैं। भंडारण

करने की छमता नहीं है। अब इस कारण किसान परेशान है। इसी परेशानी को

हवा देने का कार्य कांग्रेस और विरोधी कर रहे हैं।

किसानों का कर्ज माफ़ कर देने से समस्या का कोई समाधान नहीं है। छोटे किसान

का कर्ज माफ़ किया भी जाये  तो अमीर -बड़े  किसान का कर्ज क्यों माफ़ हो ?सिर्फ

कर्ज माफ़ी से किसानों का भला नहीं हो सकता है। उन्हें चाहिए अपनी फ़सल के

सही दाम। लेकिन इस कार्य में बिचौलिये अपनी कमीशन से बाज़ नहीं आते। सरकार

कोई दाम तय करे तो दुकानदार वह दाम देने को तैयार है लेकिन गुणवत्ता के साथ।

तातपर्य यह है की एक के साथ एक अनेक समस्याएं आपस में जुडी हैं। ऐसे में सरकार

क्या करे ?

सरकार कुछ करे या ना करे लेकिन कांग्रेस समेत विरोधी दलों ने किसानों को बरगलाना

शुरू कर दिया है। जो किसान पहले कभी तोड़ फोड़ नहीं करता था अब असामाजिक

तत्वों के साथ मिलकर आगजनी कर रहा है। जबकि इससे कुछ भी हासिल होने वाला

नहीं है।

देश की जनता सब देख रही है। विरोधी अब अन्य राज्यों में भी किसानों को बरगलाकर

हिंसा करवाने पर उतारू हो रहे हैं। किसान हो या जवान ,कांग्रेस दोनों को कमजोर करने

पर तुली है। कांग्रेस ने अपने 65 साल के राज में क्या किया ?क्यों आज भी किसान इतना

कमज़ोर है ?क्यों कांग्रेस के नेता सेनाध्यक्ष को सड़क का गुंडा बता रहे है ?क्यों कांग्रेस

के नेता अलगाववादियों से मिलीभगत रखते हैं ?क्यों कांग्रेस के नेता पाकिस्तान जाकर

मोदीजी सरकार को हटाने की बातकरति है ?क्यों JNU में देश विरोधी वक्तव्यों को

कांग्रेस साथ देती है ?

यह सब सिर्फ इसलिए की आज मोदीजी राज में देश बिना घोटालों के विकास की राह

पर चल पड़ा है। आज भी कांग्रेस के नए नए घोटाले उजागर हो रहे हैं। बिना किसी भेद

भाव के सबका साथ सबका विकास का प्रयास हो रहा है।

कांग्रेस अपने ही कार्यो से पतन की ओर जा रही है। अभी भले ही अराजकता फैला ले

लेकिन आने वाले समय में जनता खुद ही कांग्रेस मुक्त भारत का निर्णय ले लेगी ?


सोमवार, 12 जून 2017


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सहारनपुर हिंसा
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सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के कारण

पुनः 5 दिन के लिए नेट बंद कर दिया गया था।

अभी नेट खुला है।

हालांकि अब कोई वारदात नहीं हुई है फिर भी

सतर्कता हेतु नेट बंद कर दिया गया था। 

मंगलवार, 6 जून 2017



पर्यावरण दिवस
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अनेक दिवसों की तरह पर्यावरण दिवस भी आकर चला गया।

अनेक सामाजिक संस्थाओं ने जगह जगह पौधा रोपण किया।

कुछ संस्थाओं के द्वारा पर्यावरण बचाओ पर डिबेट की गई।

सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर कार्यक्रम हुए।

लेकिन आज से फिर वही रोजाना का कार्य शुरू। कल जिसने

जो पौधे लगाये थे उनकी देखभाल कौन करेगा पता नहीं ?

पानी बचाओ का नारा भी कल तक का था। पॉलीथीन पर पाबंदी

की बात जिसने कही थी आज वही पॉलीथिन में सामान लिए आता

दिखाई दिया। पेड़ ना काटे जाये कहने वाले नेताजी का टिंबर का

तगड़ा व्यापार है ,जहाँ रोज सैंकड़ो पेड़ के तने उनकी आरा मशीन

में काटे जाते हैं।

नदियों में गंदगी -मल -पॉलीथिन मत डालो यह नारा सरकार का है।

लेकिन पिछले ६५ सालों में गंगा जैसी नदी को ही जनता और सरकार

ने इतना प्रदूषित कर दिया है की अब गंगा को स्वच्छ करना ही कठिन

हो गया है। गंगा में जनता द्वारा कूड़ा -कचरा -पॉलीथिन डाल डाल कर

गंदगी से भर दिया है। वही दूसरी ओर कारखाने -फक्ट्रियों द्वारा गंगा

में इतना प्रदूषित पानी -कैमिकल -गंदगी बहाई जा रही है। सबसे बड़ी

समस्या सीवरेज का मल भी सीधे गंगा में बहाया जा रहा है।

दशकों से गंगा की सफाई के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च किये जा रहे

हैं। लेकिन कार्य कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। अब मोदीजी सरकार

में गंगा सफाई अभियान प्राथमिकता पर है। लेकिन तीन साल बीत

जाने के बाद भी अभी तक कुछ सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है।

दरअसल यह सिर्फ गंगा की बात नहीं बल्कि देश की अधिकांश

नदियों का यही हाल है।

जब तक नदियों के किनारे लगे कारखाने -फैक्ट्री और शहरों के

सीवरेज के पानी को बहाने की अलग व्यवस्था नहीं होगी तब तक

कुछ भी सुधार होने वाला नहीं है।

अहम बात यह भी है की पर्यावरण को बचाने का कार्य सिर्फ सरकार

का नहीं है। हम सबको भी इस कार्य में थोड़ा -थोड़ा योगदान जरूर

देना चाहिये। तभी पर्यावरण बचाया जा सकेगा। 

रविवार, 4 जून 2017



भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच
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आज टीवी पर भारत -पाकिस्तान का क्रिकेट मैच आ रहा है।

भारत खेल चुका  है अब पाकिस्तान खेल रहा है।

समझ में नहीं आ रहा की जिस नापाक देश से भारत में आतंक

फैलाया जा रहा है ,हमारे जवानों के साथ बर्बरता की जा रही है

उसके साथ क्रिकेट मैच क्यों ?

मैच में अभी हार जीत का पता नहीं की कौन जीतेगा ,लेकिन

सवाल तो यह है की हमारा खेल मंत्रालय /क्रिकेट के अधिकारी

और साथ में खिलाड़ी भी इतने निष्ठुर कैसे हो गए की मानवता

भी भूल गए ,सिर्फ धन कमाना ही उद्देश्य रह गया क्या ?

पुरे देश में इन नापाकियों के साथ खेल की भर्तस्ना हो रही है।

यदि ऐसे में भारतीय टीम हार गई तो क्रिकेट प्रेमी किस हद तक

चले जाये कोई सोच भी नहीं सकता।

भारत की खेलनीति ठीक नहीं है। केंद्र सरकार को नापाक के साथ

किसी भी प्रकार के संबन्ध एक हद तक ही रखने चाहिए ?

नेट सेवा बहाल
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सहारनपुर में आज 10 दिनों के बाद नेट सेवा बहाल हुई है।

पिछले महीने सहारनपुर में हुए जातीय दंगो के कारण

सम्पूर्ण नेट सेवा बन्द कर दी गई थी।

अब स्तिथी सामान्य हो जाने के बाद नेट सेवा बहाल कर

दी गई है। 

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...