बुधवार, 15 जनवरी 2025
कर्ज का जाल
कर्ज के जाल में जो उलझा वही अपने दिमागी सकून से गया और कुछ अपनी जान से गये।
अक्सर मध्यम और गरीब आदमी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए फाइनेंस कम्पनियों से लोन ले लेते हैं। जिसे वे समय पर चुकाने में असमर्थ हो जाते है। ऐसे में कर्ज देने वाली फाइनेंस कंपनी के लोग उसके घर आकर उसके साथ अभद्र व्यवहार तो करते ही हैं कभी कभी मारपीट भी कर देते हैं। उसका सामान उठाकर ले जाते हैं। ऐसे में कभी कभी ज्यादा उत्पीड़न से पीड़ित होकर लोन लेने वाला खुकुशी तक कर लेता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
गाँव- देहात में तो आज भी साहूकार प्रथा जिंदा है जो गरीब लोगों का , गरीब किसानों का खून चूसने से पीछे नहीं हटती। ये साहूकार लोग बहुत ऊंचे ब्याज पर लोन देते हैं। इसमें भी दुःखद बात यह है की लोन दी जा रही रकम में से एडवांस ब्याज काटकर बाकी रकम देते हैं। बदले में गरीब के घर का कागजात, किसान के खेत के कागजात अपने पास रख कर न जाने किन किन पेपरों पर उसका अंगूठा लगवा लेते हैं। समय पर ब्याज न चुकाने पर ब्याज पर ब्याज जोड़ते चले जाते हैं। जो गरीब ब्याज ही न चुका पा रहा हो वह मूल कहाँ से चुका पायेगा। ऐसे में एक दिन साहूकार उसके घर या खेत को अपने नाम करा लेते हैं। बहुत विडंबना की बात है यह।
सरकार को गरीबो और छोटे किसानों के लिये कुछ अलग से सुविधा देनी चाहिए। बड़े किसान तो आज जमींदार बन गए हैं। उनके खेत की कीमतें आसमान छू रही हैं। सारी कमाई टैक्स फ्री। सरकार इनके लिये बहुत कुछ सुविधा देती रहती है, फिर भी ये आंदोलन करते रहते हैँ। जो अक्सर राजनीति से प्रेरित होता है।
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