मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
अलसी के फायदे
🍃 *Arogya*🍃
*अलसी के फायदे*
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*1. बल वर्द्धक :*
अलसी का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2 बार नियमित रूप से दूध के साथ कुछ हफ्ते तक पीने से बल बढ़ता है।
*2. अनिद्रा (नींद का न आना) :*
अलसी तथा अरंड का शुद्ध तेल बराबर की मात्रा में मिलाकर कांसे की थाली में कांसे के ही बर्तन से ही खूब घोंटकर आंख में सुरमे की तरह लगायें। इससे नींद अच्छी आती है।
*3. कफयुक्त खांसी :*
भुनी अलसी पुदीने के साथ शहद में मिलाकर चाटने से कफयुक्त खांसी नष्ट होती है।
*4. मुंह के छाले :*
अलसी का तेल छालों पर दिन में 2-3 बार लगाने से छालों में आराम होगा।
*5. फोड़ा-फुंसी :*
अलसी को पानी में पीसकर उसमें थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टे दही के साथ फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है।
*6. कब्ज :*
अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिटती है।
*7. सिर दर्द :*
इसके बीजों को शीतल पानी में पीसकर लेप करने से सूजन के कारण सिर का दर्द, मस्तक पीड़ा तथा सिर के घावों में लाभ होता है।
*8. पीठ, कमर का दर्द :*
सोंठ का चूर्ण अलसी के तेल में गर्म करके पीठ, कमर की मालिश करने से दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
*9. कान का दर्द :*
अलसी के बीजों को प्याज के रस में पकाकर छान लें। इसकी 2-3 बूंदे कान में टपकाएं। इससे कान का दर्द एवं कान की सूजन दूर हो जाएगी।
*10. कान में सूजन और गांठ :*
अलसी को प्याज के रस में डालकर अच्छी तरह से पका लें। इस रस को कान में डालने से कान के अंदर की सूजन दूर हो जाती है।
*11. कान के रोग :*
कान का दर्द होने पर कान में अलसी का तेल डालने से आराम आता है।
*12. स्तनों में दूध की वृद्धि :*
अलसी के बीज 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ निगलने से प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
*13. शारीरिक दुर्बलता (कमजोरी) :*
1 गिलास दूध के साथ सुबह-शाम 1-1 चम्मच अलसी के बीजों का सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता दूर होकर पुष्टता आती है।
*14. पेशाब में जलन :*
अलसी के बीजों का काढ़ा 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से मूत्रनली की जलन और मूत्र सम्बंधी कष्ट दूर होते हैं।
*15. गठिया (जोड़ों) का दर्द :*
अलसी के बीजों को ईसबगोल के साथ पीसकर लगाने से संधि शूल में लाभ होता है।
*Dr. (Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*
मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
पुरानी यादें
एक जमाना था...
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे...
उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...
किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...
एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..
क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है..
ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....
इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....
🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे...
मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀......
😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...
😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं....
.इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...
😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......
और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....
वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई....
वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..
😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...
🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......
सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ...
😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,
😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था
🙏 और Most importantly , आज संकोच से निकलकर , दिल से अपने साक्षात देवी _देवता तुल्य , प्रात स्मरणीय , माता _ पिता , भाई एवं बहन को कहना चाहता हूं कि मैं आपके अतुल्य लाड, प्यार , आशीर्वाद , लालन पालन व दिए गए संस्कारो का ऋणी हूं 🙏,
🙏🏻☺😊
एक बात तो तय मानिए को जो भी👆🏻 पूरा पढ़ेगा उसे अपने बीते जीवन के कई पुराने सुहाने पल अवश्य याद आयेंगे।🙏🏻
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शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
वरिष्ठ नागरिक
*ध्यान से पढ़ें*
*कृपया पढ़ना न छोड़ें*
*👏जब बूढ़े लोग बहुत अधिक बात करते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे आशीर्वाद के रूप में देखते हैं: डॉक्टरों का कहना है कि सेवानिवृत्त लोगों (वरिष्ठ नागरिकों) को अधिक बात करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में स्मृति हानि को रोकने का कोई तरीका नहीं है। इसका एकमात्र तरीका है अधिक बातचीत करना। वरिष्ठ नागरिकों को अधिक बात करने से कम से कम तीन लाभ होते हैं।*
*👏पहला:--बात करने से मस्तिष्क सक्रिय होता है, क्योंकि भाषा और विचार परस्पर क्रिया करते हैं, खासकर जब तेजी से बोलते हैं, तो इससे स्वाभाविक रूप से सोचने की गति तेज होती है और याददाश्त में सुधार होता है। गैर-मौखिक वरिष्ठ नागरिकों में स्मृति हानि का खतरा होता है।*
*👏दो:_* *अधिक बात करने से तनाव कम होता है, मानसिक बीमारी से बचाव होता है और तनाव कम होता है। अक्सर बिना कुछ कहे हर बात दिल में रखने से घुटन और असहजता महसूस होती है, इसलिए बेहतर है कि बड़ों को ज्यादा बात करने का मौका दिया जाए।*
_*👏तीन* :_*वाणी चेहरे की सक्रिय मांसपेशियों का व्यायाम करती है, गले का व्यायाम करती है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाती है, और चक्कर और बहरेपन के छिपे खतरों को कम करती है, जो आंखों और कानों को नुकसान पहुंचाते हैं।*
_संक्षेप में,_*एक सेवानिवृत्त, यानी एक वरिष्ठ नागरिक के रूप में, अल्जाइमर को रोकने का एकमात्र तरीका जितना संभव हो उतने लोगों से बात करना और सक्रिय रूप से बातचीत करना है। और कोई उपाय नहीं है.*
*(10 वरिष्ठ नागरिकों को भेजना आपके लिए अच्छा है)*
शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
ध्वजारोहण
*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-*
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?
*पहला अंतर*
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।
जबकि
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।
*दूसरा अंतर*
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।
जबकि
26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं
*तीसरा अंतर*
स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।
जबकि
गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है।
*आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं आपसे आग्रह है ये अंतर अपने बच्चों को जरूर बताएं😊🙏😊
बुधवार, 13 नवंबर 2024
जुल्म की हद
खड़गे जी ये तो बता रहे हैं कि उनकी माँ और बहन को ज़िंदा जलाकर मार डाला गया पर ये नहीं बता रहे हैं उनको जलाया किसने।
आज़ादी के बाद, निज़ाम हैदराबाद को आज़ाद मुस्लिम देश बनाना चाहता था। वहाँ दलितों को जबरन मुसलमान बनाने का प्रोजेक्ट चला। राजकार और इत्तेहाद ने जुल्म की इंतहां कर दी। रेप से लेकर असंख्य हत्याएं की गई। गाँव के गाँव जला दिए गए।
उसी दौरान जला था बीदर जिले में वारावत्ती गाँव और वहीं जलाया गया था खड़गे जी की माताजी, चाचाजी और बहन को।
खड़गे बाल-बाल बचे थे।
बाबा साहब ने दलितों के नाम चिट्ठी लिखी कि निज़ाम के इलाक़ों से भागकर इधर आ जाओ, कुछ भी करना पर मुसलमान न बनना।
तब आगे आए सरदार पटेल और फिर जो हुआ वह इतिहास है।
आज खड़गे जी राजनीतिक कारणों से बोल भी नहीं पा रहे हैं कि कट्टरपंथी राजनीतिक इस्लाम ने उनके परिवार को ख़त्म कर दिया था।
साभार
शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024
गुणकारी गुड़
गुड के औषधीय गुण
गुड़ गन्ने से तैयार एक शुद्ध, अपरिष्कृत पूरी चीनी है। यह खनिज और विटामिन है जो मूल रूप से गन्ने के रस में ही मौजूद हैं। यह प्राकृतिक होता है। पर लिए ज़रूरी है की देशी गुड लिया जाए , जिसके रंग साफ़ करने में सोडा या अन्य केमिकल ना हो। यह थोड़े गहरे रंग का होगा।इसे चीनी का शुद्धतम रूप माना जाता है। गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया मे किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों मे गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है।
- देशी गुड़ प्राकृतिक रुप से तैयार किया जाता है तथा कोई रसायन इसके प्रसंस्करण के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे इसे अपने मूल गुण को नहीं खोना पड़ता है, इसलिए यह लवण जैसे महत्वपूर्ण खनिज से युक्त होता है।
- गुड़ सुक्रोज और ग्लूकोज जो शरीर के स्वस्थ संचालन के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन का एक अच्छा स्रोत है।
- गुड़ मैग्नीशियम का भी एक अच्छा स्रोत है जिससे मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को थकान से राहत मिलती है।
- गुड़ सोडियम की कम मात्रा के साथ-साथ पोटेशियम का भी एक अच्छा स्रोत है, इससे रक्तचाप को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है।
- भोजन के बाद थोडा सा गुड खा ले ; सारा भोजन अच्छे से और जल्दी पच जाएगा।
- गुड़ रक्तहीनता से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि यह लोहे का एक अच्छा स्रोत है यह शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर को बढाने में मदद करता है।
- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।
- गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और जस्ता होता है जो बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
- यह रक्त की शुद्धि में भी मदद करता है, पित्त की आमवाती वेदनाओं और विकारों को रोकने के साथ साथ गुड़ पीलिया के इलाज में भी मदद करता है।
- गुड़ शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है। सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है।
- यह खांसी, दमा, अपच, माइग्रेन, थकान व इसी तरह की अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से निपटने में मदद करता है। - यह संकट के दौरान तुरन्त ऊर्जा देता है।
- लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।
- गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है।
- यह व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।
- गुड़ शरीर में जल के अवधारण को कम करके शरीर के वजन को नियंत्रित करता है।
- उपरोक्त गुणों के अतिरिक्त गुड़ उच्च स्तरीय वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों को इससे लड़ने में मदद करता है, संक्षेप में कहें, तो गुड़ एक खाद्य पदार्थ कम, औषधि ज्यादा है।
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
सेंधा नमक
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ "
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine” ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
🙏🙏💐💐🇮🇳🇮🇳🚩🚩
शनिवार, 12 अक्टूबर 2024
प्राचीन भारत
जानिये #भारत भूमी के बारे मे विदेशियों की राय -----
1. #अलबर्ट #आइन्स्टीन - हम भारत के बहुत ऋणी हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभव नहीं हो पाती।
2. #रोमां रोलां (#फ्रांस) - मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत।
3. हू शिह (#अमेरिका में #चीन #राजदूत)- सीमा पर एक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीस सदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन को जीता और उसे प्रभावित भी किया।
4. #मैक्स मुलर- यदि मुझसे कोई पूछे की किस आकाश के तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहां जीवन की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुत किया गया, जो उसके भी प्रसंशा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया,तो मैं भारत का नाम लूँगा।
5. #मार्क ट्वेन- मनुष्य के #इतिहास में जो भी मूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसका भंडार अकेले भारत में है।
6. #आर्थर शोपेन्हावर - #विश्व भर में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारी और उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देता रहा है, और वही मृत्यु में भी शांति देगा।
7. #हेनरी ,#डेविड थोरो - प्रातः काल मैं अपनी बुद्धिमत्ता को अपूर्व और #ब्रह्माण्डव्यापी गीताके तत्वज्ञान से स्नान करता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक #विश्व और उसका साहित्य अत्यंत क्षुद्र और तुच्छ जन पड़ता है।
8. #राल्फ वाल्डो #इमर्सन - मैं भगवत #गीता का अत्यंत ऋणी हूँ। यह पहला ग्रन्थ है जिसे पढ़कर मुझे लगा की किसी विराट शक्ति से हमारा संवाद हो रहा है।
9. #विल्हन वोन #हम्बोल्ट- गीता एक अत्यंत सुन्दर और संभवतः एकमात्र सच्चा दार्शनिक #ग्रन्थ है जो किसी अन्य भाषा में नहीं। वह एक ऐसी गहन और उन्नत वस्तु है जैस पर सारी दुनिया गर्व कर सकतीहै।
10. एनी #बेसेंट -विश्व के विभिन्न धर्मों का लगभग ४० वर्ष अध्ययन करने के बाद मैं इस नतीजेपर पहुंची हूँ की हिंदुत्व जैसा परिपूर्ण, वैज्ञानिक, दार्शनिक और अध्यात्मिक धर्म और कोई नही ।
#viralreels #viralvideochallenge #धरोहर #हाईलाइट
शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024
रतन टाटा
श्रद्धांजली
मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।
जब एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय
अरबपति रतनजी टाटा से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा:
"सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली"?
रतनजी टाटा ने कहा:
"मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं, और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।"
●पहला चरण धन और साधन संचय करना था।
लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला जो मैं चाहता था।
●फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया।
लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती।
●फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण। वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था। मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था।
लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी.
●चौथा चरण वह समय था जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हील चेयर खरीदने के लिए कहा।
लगभग 200 बच्चे थे। दोस्त के कहने पर मैंने तुरन्त व्हील चेयर खरीद लीं।
लेकिन दोस्त ने जिद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हील चेयर भेंट करूँ। मैं तैयार होकर उनके साथ चल दिया।
वहाँ मैंने सारे पात्र बच्चों को अपने हाथों से व्हील चेयर दीं। मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी। मैंने उन सभी को व्हील चेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा।
यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हों।
मुझे उस दिन अपने अन्दर असली खुशी महसूस हुई। जब मैं वहाँ से वापस जाने को हुआ तो उन बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली।
मैंने धीरे से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने मुझे नहीं छोड़ा और उसने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को और कसकर पकड़ लिया।
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा: क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?
तब उस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।
उस बच्चे ने कहा था-
"मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं,
तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं।"
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियोंको छोड़ने के बाद आपको किसलिए याद किया जाएगा?
क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा, यह बहुत मायने रखता है ?
विनम्र श्रद्धांजलि
शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
ऐसे थे शास्त्री जी
*प्रेरक_प्रसंग*
दिन की आखिरी ट्रेन अगर स्टेशन से निकल गई तो फिर कल सुबह ही अगली ट्रेन मिलने की कल्पना किए एक बूढी महिला के पैर तेजी से स्टेशन की तरफ बढ़े जा रहे थे किंतु स्टेशन पहुंचते पहुंचते आखिर ट्रेन छूट गई तो महिला निढाल होकर एक बेंच पर बैठ गई,,उनके चेहरे पर चिंता के भाव थे,,
एक कुली ने इसे देखा और माँ से पूछा।
- माईजी, आपको कहाँ जाना था?
- मैं अपने बेटे के पास दिल्ली जाऊंगी....
- पर आज कोई ट्रेन नहीं माई अब कल सुबह मिलेगी।।
महिला बेबस लग रही थी तो कुली ने कहा,,,, माई अगर आपका घर दूर हो तो यहीं प्रतीक्षालय में आपके लेटने का प्रबंध कर दूं और भोजन भी आपको पहुंच जाएगा,कोई दिक्कत की बात नही है,,,,,,,,
वैसे दिल्ली में आपका बेटा क्या काम करता है???
माँ ने जवाब दिया कि उसका बेटा रेल महकमे में काम करता है।
माई आप जरा बेटे का नाम बताइए,, देखूंगा अगर संपर्क संभव होगा तो तार (प्राचीन भारत का टेलीफोनिक सिस्टम) से आपकी बात करवा दूंगा,,,,, कुली ने कहा,,,
- वह मेरा लाल है, मैं उसे लाल ही बुलाती हूं मगर
उसको सब लाल बहादुर शास्त्री कहते हैं !
(माँ ने जवाब दिया)
वृद्ध महिला के मुंह से उनके बेटे का नाम सुनकर कुली के पैरों तले जमीन खिसक गई वो अवाक रह गया,,भागकर स्टेशन मास्टर के कमरे में पहुंचा और एक ही सांस में पूरी बात कह सुनाया।
स्टेशन मास्टर तुरंत हरकत में आए कुछ लोगो से आनन फानन तार से बात की और अपने मातहतों के साथ भागकर बूढ़ी महिला के पास पहुंच गए,,,,,,,,
महिला को सादर प्रणाम कर स्टेशन मास्टर ने पूछा,,,,,, मां जी आपके बेटे ने कभी आपको बताया नही की वोह रेल महकमे में क्या काम करते हैं????
बताया था ना मुझे,,,बोला था की अम्मा मैं रेलवे के दिल्ली दफ्तर में छोटा सा मुलाजिम हूं!!
मां जी,,आपकी शिक्षा वा संस्कारों ने आपके बेटे को बहुत बड़ा वा महान बना दिया है,,जानना नही चाहेंगी की आपके बेटे जी रेल महकमे में कौन सा काम करते हैं??? स्टेशन मास्टर की बात सुनके महिला के चेहरे पर विस्मय के भाव थे......
मां जी,,,इस पूरे भारत में जितनी ट्रेन चलती है और जितने मेरे जैसे लाखों रेलवे के मुलाजिम हैं उन सबके वो मुखिया और अगुआ हैं,,वो भारत के माननीय रेल मंत्री है।।
स्टेशन मास्टर वा वृद्ध महिला के बीच चल रहे वार्तालाप के बीच ही स्टेशन का माहौल पूरी तरह बदल चुका था,,,सायरन की हुंकार के साथ जिले के पुलिस कप्तान जिला कलेक्टर सहित रेलवे पुलिस बल के जवान वा अधिकारी स्टेशन पर पहुंच चुके थे एंबेसडर कार भी आ चुकी थी।। वृद्ध मां को सलामी देते हुए उनको पूरे सम्मान के साथ रेलवे के सुरक्षा गार्डों के सुपुर्द कर शास्त्री जी के पास दिल्ली रवाना कर दिया गया।। बनारस के छोटे से स्टेशन पर चल रहे इस बड़े घटनाक्रम से दिल्ली दरबार में बैठा वो "छोटे कद का बड़ा आदमी" पूरी तरह अनजान था........
ऐसे थे भारत मां के सच्चे सपूत श्री लाल बहादुर शास्त्री जी❣️
आज उनकी 120 वीं जन्म जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की विनम्र श्रद्धांजलि
🙏🌹🌹🌹🙏
साहित्यिक पत्रिका से प्राप्त प्रेरक प्रसंग का आवर्धित संस्करण!
🙏🌹 जय सियाराम जी 🌹🙏 शुभ रात्री ।
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024
हिंदी ही हमवतन है
लुप्त होते गीत : एक ज्वलंत समस्या
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
साहित्यिक जिहाद के स्वनाम समर्थकों
जरा सोचिए और चिंतन-मंथन कीजिए।
वास्तव में गुपचुप - गुपचुप हिन्दी के
विरुद्ध एक "साहित्यिक जिहाद" चलता
आ रहा है । ग़ज़ल के हथियार से हिन्दी
काव्य की विधाओं की हत्या की जा रही
है । फिल्में, दूरदर्शन, आकाशवाणी तो
इस दिशा में अहम भूमिका निभा ही रहे
हैं, किंतु नाम, दाम के हाथों बिके हुए
हम लोग भी हिन्दी गीतों, दोहों, छंदों,
मुक्तकों,कुंडलियों,क्षणिकाओऔर गद्य
कविताओं आदि की हत्या करने में पीछे
नहीं हैं । जहां देखो, वहां १०-२० ग़ज़ल
कहने वाले निकल आयेंगे,भले ही उन्हें
ग़ज़ल की बहर, रुक्न, तख्ती, उरूज़,
रदीफ, काफिये का सही ज्ञान न हो ।
इन ग़ज़ल-गो के समक्ष हिन्दी काव्य के
नाम पर इक्का - दुक्का ही मिलेंगे जो
हिन्दी की उपरोक्त विधाओं को जिंदा
रक्खे हुए हैं । कुछ और वर्ष बाद जब
ये भी पूर्ववर्ती हिन्दी पोषकों, पालकों
की तरह चले जायेंगे तो हिन्दी काव्य
शास्त्र स्वत: ही समाप्त हो जाएगा ।
तब राजभाषा हिन्दी, राष्ट्रभाषा हिन्दी
और अंतरराष्ट्रीय भाषा हिन्दी के नारे
लगाते रहिएगा । आने वाली पीढ़ियां
गीतों को ढूंढती रह जायेंगी ।
🤔 🤔 🤔 🤔 🤔 🤔 🤔 🤔 🤔
---------------------- इंद्रदेव भारती
सोमवार, 30 सितंबर 2024
शनिवार, 28 सितंबर 2024
नालन्दा विश्वविद्यालय
।।----- नालंदा विश्वविद्यालय की कुछ खास रहस्य -----।।
नालंदा यूनिवर्सिटी - अभी तक के ज्ञात इतिहास की सबसे महान यूनिवर्सिटी ।
आज भले ही भारत शिक्षा के मामले में 191 देशों की लिस्ट में 145वें नम्बर पर हो लेकिन कभी यहीं भारत दुनियाँ के लिए ज्ञान का स्रोत हुआ करता था। आज सैकड़ो छात्रों पर केवल एक अध्यापक उपलब्ध होते हैं वहीं हजारों वर्ष पहले इस विश्वविद्यालय के वैभव के दिनों में इसमें 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक शामिल थे यानी कि केवल 5 छात्रों पर एक अध्यापक ..। नालंदा में आठ अलग-अलग परिसर और 10 मंदिर थे, साथ ही कई अन्य मेडिटेशन हॉल और क्लासरूम थे। यहाँ एक पुस्तकालय 9 मंजिला इमारत में स्थित था, जिसमें 90 लाख पांडुलिपियों सहित लाखों किताबें रखी हुई थीं । यूनिवर्सिटी में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के स्टूडेंट्स भी पढ़ाई के लिए आते थे। और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस दौर में यहां लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञानं, इकोनॉमिक, मेडिसिन समेत कई विषय पढ़ाएं जाते थे।
इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी । केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करते थे। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक प्रार्थना कक्ष तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी। इस यूनिवर्सटी में देश विदेश से पढ़ने वाले छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी थी ।
यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा इतनी कठिन होती थी की केवल विलक्षण प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे। यहां आज के विश्विद्यालयों की तरह छात्रों का अपना संघ होता था वे स्वयं इसकी व्यवस्था तथा चुनाव करते थे। छात्रों को किसी प्रकार की आर्थिक चिंता न थी। उनके लिए शिक्षा, भोजन, वस्त्र औषधि और उपचार सभी निःशुल्क थे। राज्य की ओर से विश्वविद्यालय को दो सौ गाँव दान में मिले थे, जिनसे प्राप्त आय और अनाज से उसका खर्च चलता था।
लगभग 800 सालों तक अस्तित्व में रहने के बाद इस विश्वविद्यालय को तहस नहस कर दिया ।।
ख़ुश वरिष्ठ नागरिकों के लिए 10 युक्तियाँ.❤️ 1. सुबह-सुबह, यदि आपकी नींद अलार्म घड़ी, मोबाइल फ़ोन, पक्षियों की चहचहाहट या अन्य शोर से खुल जाती है, तो ख़ुश हो जाइए और खुद को भाग्यशाली मानिएगा। इसका मतलब है कि आप अभी भी इस दुनियां का हिस्सा हैं। 2. जागने के बाद, थोड़ा पानी पिएं और उन लोगों को संदेश भेजें जिन्हें आप जानते हैं, प्यार करते हैं और जिनकी आप परवाह करते हैं। उन्हें नमस्कार करें, "सुप्रभात।" इसका मतलब है कि आप स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं और स्वस्थ हैं। आप एक नए और ख़ूबसूरत दिन की शुरुआत कर सकते हैं। 3. आपको दोस्तों से टेक्स्ट संदेश और कॉल प्राप्त होते हैं जो आपको एक साथ भोजन करने या दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए आमंत्रित करते हैं। इसका मतलब है कि आप मिलनसार हैं और लोगों के साथ आपके अच्छे संबंध हैं। आपके दोस्त अभी भी आपके बारे में सोच रहे हैं। 4. कभी-कभी, कुछ लोग आपकी बुराई कर सकते हैं या आपकी पीठ पीछे चुगली कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अभी भी उनके दिलों में बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे निश्चित रूप से जीवन में आपके जैसा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। आपको ख़ुश और भाग्यशाली महसूस करना चाहिएं। 5. यदि आप अधिक वज़न होने के बारे में चिंतित हैं, तो आप बहुत अच्छा खा रहे हैं, और आपका भोजन स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर है। चिंता मत करो। स्वस्थ जीवन, लंबे जीवन और मजबूत प्रतिरक्षा के बारे में सभी स्वास्थ्य संबंधी बातें भोजन पर आधारित हैं। बस नियंत्रण रखें और बाकी सब कुछ संयमित रखें। 6. यदि आप अक़्सर दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं, खाना खाते हैं, बातें करते हैं, यात्रा करते हैं और जगहें देखते हैं और आपके वातावरण में बदलाव आता है, तो यह साबित करता है कि आपके जीवन जीने के तरीके में कुछ मानक हैं। 7. यदि विपरीत लिंग को देखकर या उससे बात करते समय आपके मन में भावनाएँ आती हैं, तो शर्म महसूस नां करें। इसका मतलब है कि आप दिल से जवान हैं और बहुत स्वस्थ हैं। 8. यदि आप 65 पार कर चुके हैं तो ख़ुश और संतुष्ट रहें। एक विश्व सर्वेक्षण के अनुसार, 100 में से केवल 8 लोग ही 65 वर्ष से अधिक जीवित रहते हैं। 9. यदि आप बाहर जा सकते हैं और सामग्री खरीद सकते हैं और खाना बना सकते हैं, आप अच्छी तरह से देखते हैं, अच्छी तरह से सुनते हैं, टेक्स्ट संदेश भेजने के लिए अपने मोबाइल फोन का उपयोग करना जानते हैं, अपनी यादों के बारे में लिखते हैं, एक कहानी लिखते हैं, और ख़ुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं। आपका जीवन बहुत सफल रहा है. 10. यदि आप यह संदेश पढ़ रहे हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान है, तो आप बहुत खुश, संतुष्ट और संतुष्ट व्यक्ति हैं। यदि आप इस संदेश को दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप स्वार्थी नहीं हैं; आप दयालु हैं; आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मानव जाति की परवाह करते हैं और उससे प्यार करते हैं। आइए सेवानिवृत्त मित्र इस संदेश को पढ़ें और खुशियाँ फैलाएँ। 😇😊
ख़ुश वरिष्ठ नागरिकों के लिए 10 युक्तियाँ.❤️
1. सुबह-सुबह, यदि आपकी नींद अलार्म घड़ी, मोबाइल फ़ोन, पक्षियों की चहचहाहट या अन्य शोर से खुल जाती है, तो ख़ुश हो जाइए और खुद को भाग्यशाली मानिएगा। इसका मतलब है कि आप अभी भी इस दुनियां का हिस्सा हैं।
2. जागने के बाद, थोड़ा पानी पिएं और उन लोगों को संदेश भेजें जिन्हें आप जानते हैं, प्यार करते हैं और जिनकी आप परवाह करते हैं। उन्हें नमस्कार करें, "सुप्रभात।" इसका मतलब है कि आप स्पष्ट रूप से सोच सकते हैं और स्वस्थ हैं। आप एक नए और ख़ूबसूरत दिन की शुरुआत कर सकते हैं।
3. आपको दोस्तों से टेक्स्ट संदेश और कॉल प्राप्त होते हैं जो आपको एक साथ भोजन करने या दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए आमंत्रित करते हैं। इसका मतलब है कि आप मिलनसार हैं और लोगों के साथ आपके अच्छे संबंध हैं। आपके दोस्त अभी भी आपके बारे में सोच रहे हैं।
4. कभी-कभी, कुछ लोग आपकी बुराई कर सकते हैं या आपकी पीठ पीछे चुगली कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप अभी भी उनके दिलों में बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। वे निश्चित रूप से जीवन में आपके जैसा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। आपको ख़ुश और भाग्यशाली महसूस करना चाहिएं।
5. यदि आप अधिक वज़न होने के बारे में चिंतित हैं, तो आप बहुत अच्छा खा रहे हैं, और आपका भोजन स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर है। चिंता मत करो। स्वस्थ जीवन, लंबे जीवन और मजबूत प्रतिरक्षा के बारे में सभी स्वास्थ्य संबंधी बातें भोजन पर आधारित हैं। बस नियंत्रण रखें और बाकी सब कुछ संयमित रखें।
6. यदि आप अक़्सर दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं, खाना खाते हैं, बातें करते हैं, यात्रा करते हैं और जगहें देखते हैं और आपके वातावरण में बदलाव आता है, तो यह साबित करता है कि आपके जीवन जीने के तरीके में कुछ मानक हैं।
7. यदि विपरीत लिंग को देखकर या उससे बात करते समय आपके मन में भावनाएँ आती हैं, तो शर्म महसूस नां करें। इसका मतलब है कि आप दिल से जवान हैं और बहुत स्वस्थ हैं।
8. यदि आप 65 पार कर चुके हैं तो ख़ुश और संतुष्ट रहें। एक विश्व सर्वेक्षण के अनुसार, 100 में से केवल 8 लोग ही 65 वर्ष से अधिक जीवित रहते हैं।
9. यदि आप बाहर जा सकते हैं और सामग्री खरीद सकते हैं और खाना बना सकते हैं, आप अच्छी तरह से देखते हैं, अच्छी तरह से सुनते हैं, टेक्स्ट संदेश भेजने के लिए अपने मोबाइल फोन का उपयोग करना जानते हैं, अपनी यादों के बारे में लिखते हैं, एक कहानी लिखते हैं, और ख़ुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं। आपका जीवन बहुत सफल रहा है.
10. यदि आप यह संदेश पढ़ रहे हैं और आपके चेहरे पर मुस्कान है, तो आप बहुत खुश, संतुष्ट और संतुष्ट व्यक्ति हैं।
यदि आप इस संदेश को दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आप स्वार्थी नहीं हैं; आप दयालु हैं; आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो मानव जाति की परवाह करते हैं और उससे प्यार करते हैं।
आइए सेवानिवृत्त मित्र इस संदेश को पढ़ें और खुशियाँ फैलाएँ। 😇😊
गुरुवार, 26 सितंबर 2024
परमात्मा से मिलन
*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏*
*🌻मै कौन हूं ?🌻*
एक संन्यासी सारी दुनिया की यात्रा करके भारत वापिस लौटा था | एक छोटी सी रियासत में मेहमान हुआ।उस रियासत के राजा ने जाकर संन्यासी को कहा :- स्वामी !! एक प्रश्न बीस वर्षो से निरंतर पूछ रहा हूं कोई उत्तर नहीं मिलता।क्या आप मुझे उत्तर देंगे ?
स्वामी ने कहा :- निश्चित दूंगा।
उस संन्यासी ने उस राजा से कहा : नहीं !! आज तुम खाली नहीं लौटोगे | पूछो ?
उस राजा ने कहा : मैं ईश्वर से मिलना चाहता हूं | ईश्वर को समझाने की कोशिश मत करना | मैं सीधा मिलना चाहता हूं |
उस संन्यासी ने कहा :- अभी मिलना चाहते हैं कि थोड़ी देर ठहर कर ?
राजा ने कहा : माफ़ करिए !! शायद आप समझे नहीं | मैं परम पिता परमात्मा की बात कर रहा हूं ! आप यह तो नहीं समझे कि किसी ईश्वर नाम वाले आदमी की बात कर रहा हूं ;जो आप कहते हैं कि अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हो ?
उस संन्यासी ने कहा :- महानुभाव !! भूलने की कोई गुंजाइश नहीं है | मैं तो चौबीस घंटे परमात्मा से मिलाने का धंधा ही करता हूं | अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हैं,सीधा जवाब दें |
बीस साल से मिलने को उत्सुक हो और आज वक्त आ गया तो मिल लो |राजा ने हिम्मत की , उसने कहा : अच्छा मैं अभी मिलना चाहता हूं मिला दीजिए |
संन्यासी ने कहा:- *कृपा करो !! इस छोटे से कागज पर अपना नाम पता लिख दो ताकि मैं भगवान के पास पहुंचा दूं कि आप कौन हैं !!*
राजा ने लिखा-अपना नाम , अपना महल,अपना परिचय , अपनी उपाधियां और उसे दीं |
वह संन्यासी बोला कि महाशय , ये सब बाते मुझे झूठ और असत्य मालूम होती हैं जो आपने कागज पर लिखीं !!
उस संन्यासी ने कहा : मित्र !! अगर तुम्हारा नाम बदल दें तो क्या तुम बदल जाओगे ?
तुम्हारी चेतना,तुम्हारी सत्ता , तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरा हो जाएगा ?उस राजा ने कहा :- नहीं !! नाम के बदलने से मैं क्यों बदलूंगा ? नाम नाम है , मैं मैं हूं |
तो संन्यासी ने कहा : एक बात तय हो गई कि नाम तुम्हारा परिचय नहीं है , क्योंकि तुम उसके बदलने से बदलते नहीं | आज तुम राजा हो कल गांव के भिखारी हो जाओ तो बदल जाओगे ?
उस राजा ने कहा : नहीं,राज्य चला जाएगा,भिखारी हो जाऊंगा, लेकिन मैं क्यों बदल जाऊंगा ? मैं तो जो हूं | राजा होकर जो हूं,भिखारी होकर भी वही होऊंगा |
न होगा मकान,न होगा राज्य , न होगी धन- संपति,लेकिन मैं ? मैं तो वही रहूंगा जो मैं हूं |
तो संन्यासी ने कहा : तय हो गई दूसरी बात कि राज्य तुम्हारा परिचय नहीं है,क्योंकि राज्य छिन जाए तो भी तुम बदलते नहीं | तुम्हारी उम्र कितनी है ?
उसने कहा : चालीस वर्ष |
संन्यासी ने कहा : तो पचास वर्ष के होकर तुम दूसरे हो जाओगे ? बीस वर्ष या जब बच्चे थे तब दूसरे थे ?
उस राजा ने कहा :- नही | उम्र बदलती है,शरीर बदलता है लेकिन मैं ? मैं तो जो बचपन में था जो मेरे भीतर था,वह आज भी है |
उस संन्यासी ने कहा : फिर उम्र भी तुम्हारा परिचय न रहा,शरीर भी तुम्हारा परिचय न रहा |
फिर तुम कौन हो ? उसे लिख दो तो पहुंचा दूं भगवान के पास,नहीं तो मैं भी झूठा बनूंगा तुम्हारे साथ !! यह कोई भी परिचय तुम्हारा नहीं है|
राजा बोला :- तब तो बड़ी कठिनाई हो गई | उसे तो मैं भी नहीं जानता फिर ! जो मैं हूं,उसे तो मैं नहीं जानता ! इन्हीं को मैं जानता हूं मेरा होना |
उस संन्यासी ने कहा : फिर बड़ी कठिनाई हो गई क्योंकि जिसका मैं परिचय भी न दे सकूं,बता भी न सकूं कि कौन मिलना चाहता है ! तो भगवान भी क्या कहेंगे कि किसको मिलना चाहता है ?
तो जाओ पहले इसको खोज लो कि *तुम कौन हो?* और मैं तुमसे कहे देता हूं कि जिस दिन तुम यह जान लोगे कि तुम कौन हो ? उस दिन तुम आओगे नहीं भगवान को खोजने |क्योंकि खुद को जानने में वह भी जान लिया जाता है जो परमात्मा है |l
हरि बोल
*👉अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।*
*🌻हम बदलेंगे,युग बदलेगा।🌻*
*आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।*🙏💐
बुधवार, 25 सितंबर 2024
जैन समाज को बधाई
*नमन है समाज के इस प्रयास को*
दक्षिण अफ्रीका का देश नामीबिया भयंकर अकाल का सामना कर रहा है भुखमरी फैली हुई है
लोगों का पेट भरने के लिए नामीबिया की सरकार ने 700 से ज्यादा जंगली जानवरों को करने का आदेश दिया
इसमें 200 तो हाथी थे
यह खबर जब मीडिया में आई तब अहमदाबाद की जैन संस्था तपोवन यूथ ने नामीबिया दूतावास से बात करके 27 मेट्रिक टन अनाज नामीबिया भेजा
बदले में नामीबिया सरकार से लिखित में गारंटी लिया कि लोगों का इंसानों को खिलाने के लिए जंगली जानवरों की हत्या नहीं की जाएगी
इसके अलावा इस जैन संस्था तपोवन यूथ ने नामीबिया सरकार से कहा कि अगर भविष्य में इस तरह का आदेश न देने का नामीबिया सरकार गारंटी दे तो हम 500 मेट्रिक टन अनाज और भेजेंगे
आज इस बारे में खुद गुजरात के मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके तपोवन युद्ध संस्था की खूब तारीफ किया है और इस नेक काम में गुजरात सरकार भी पूरा सहयोग करेगी यह कहा है ।
मंगलवार, 17 सितंबर 2024
शनिवार, 14 सितंबर 2024
स्वस्थ्य रहें
🍃 *Arogya*🍃
*5 आदतें,जो आपको हमेशा रखेंगी थकान से दूर*
*---------------------------------*
*1. भरपूर पीएं पानी :*
गर्मी के मौसम में पानी की कमी से थकान होने लगती है और आप चाहें कितना भी आराम कर लें, आपके शरीर में थकावट बरकरार रहती है। नेचुरल हाइड्रेशन काउंसिल के शोधकर्ताओं के मुताबिक, कम पानी रक्त के स्तर को कम करता है, जिससे शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
*2. मोबाइल से तौबा :*
हर वक्त मोबाइल से चिपके रहने की आदत से तौबा कर लें। सोने से पहले फोन चेक करने की आदत से आपकी नींद खराब होती है क्योंकि सोने के दौरान भी आदमी की दिमाग में मोबाइल चलता रहता है। मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी दिमाग के लिए खतरनाक है और यह सुस्ती पैदा करती है।
*3. व्यायाम जरूरी :*
व्यायाम को थकान से जोड़ना सरासर गलत है, बल्कि व्यायाम ताजगी और भरपूर नींद लाने में काफी सहायक है। यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के एक शोध के मुताबिक, जो वयस्क हफ्ते में तीन दिन कम से कम 20 मिनट के लिए व्यायाम करते हैं। उन्हें थकान बिल्कुल भी नहीं होती है।
*4. भोजन करें जल्दी :*
देर रात में भोजन करने की आदत आपकी सुस्ती का कारण हो सकती है। कई लोग ऑफिस या पार्टी के चक्कर में देर रात तक खाना खाते हैं, जिससे रात में नींद में परेशानी होती है। इससे आपका पूरा दिन खराब हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, रात में जल्दी खाना आपको चुस्ती देता है।
*5. शराब को करें मना :*
कई लोगों का मानना है कि रात में शराब पीने से उन्हें अच्छी नींद आएगी। लेकिन इससे नींद खराब हो जाती है। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक, शराब का सेवन शरीर में सुस्ती पैदा करता है और रातभर आपकी नींद खुलती रहती है।
*Dr. (Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*
गुरुवार, 12 सितंबर 2024
देश खतरे में
Modi is playing in a defensive mode, as he would like to avoid any situation that has happened in our neighbouring countries. Rahul left for the USA last night to learn lessons from the agents of Deep State stalwarts to destabilize India and topple Modi.
*नरेंद्र मोदी चक्रव्यूह मैं फंस चुके हैं।*
सुशांत सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार ने अपने शो में बताया था कि असल में चक्रव्यूह कैसा है…?
इस चक्रव्यूह के बीच में मोदी है। मोदी के नाम पर भारत है। और भारत के नाम पर हिंदुत्व की बात करने वाला वो हिन्दू जो जातियों से ऊपर अपने धर्म और देश को रखता है। इस तरह मोदी के नाम पर मोदी के चारों ओर चक्रव्यूह सेट किया हुआ है।
*इसके सबसे पहले घेरे में है…* आर्थिक तंत्र पर चोट! ताकि भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा जाए। इसके लिए किसी हिडेनबर्ग की मदद लेकर कहा जाए कि भारत का बाजार फ्रॉड है। यहां से निवेश निकाल दो। LIC/SBI/HAL सब डूब रहे हैं। अपना पैसा हर जगह से निकाल दो और आगे भी निवेश मत करना।
*फिर दूसरे घेरे में है…* अग्निवीर जैसे मुद्दे! ताकि सेना में बगावत हो जाये। वो सेना ही है जो गृहयुद्ध या युद्ध के समय इस देश की रक्षा करेगी, तो उसे सरकार के खिलाफ भड़का दो ताकि वो भी गृहयुद्ध के समय तख़्तापलट करने में साथ दे।
*तीसरे घेरे में हैं…* किसान! ताकि उसे भड़काकर भारत की फ़ूड सप्लाई खत्म कर दो। एक देश भूखे पेट कितने दिन सर्वाइव कर सकता है…?
इस तरह अपने देश का पैसा, सेना और भोजन तीनों ब्लॉक कर दिए जो किसी भी युद्ध के समय महत्त्वपूर्ण हैं।
*फिर चौथे घेरे में है…* आरक्षण! कि इसके नाम पर हिन्दूओं को आपस में लड़ा दो और उनके अंदर भयंकर जातिवाद पनपा दो। इससे जब किसी युद्ध के समय उनसे एक होने की अपील की जाए तो वो आपस में ही एक-दूसरे को खत्म कर दें।
*पांचवे घेरे में है…* संविधान! संविधान को खतरे में बता दो कि इस देश में तानाशाही आ चुकी है और इससे पहले कि सरकार तुम्हें मारना शुरू करे, तुम स्वयं ही सरकार और उसके समर्थकों को चुन चुन कर मार दो वरना ये तुम्हे खत्म कर डालेंगे।
*छठे घेरे में…* फिर अल्पसंख्यक का मुद्दा ले आओ कि वो भी खतरे में हैं और यदि उन्हें खुद को बचाना है तो हमारा साथ दो और हमारी सरकार स्थापित करो, फिर हम सब मिलकर इनसे चुन चुन कर बदला लेंगे।
*और सातवें घेरे में हैं…* विदेशी ताकतें! कि तुम हमें फंडिंग करो, हमें प्लान समझाओ, कैसे कोई खलिस्तान करना है, कैसे कोई ईसाई देश नार्थईस्ट में करना है, कैसे कोई इस्लामी निजाम की बात केरल/बंगाल में करनी है, कैसे नार्थ बनाम साउथ में लड़ाना है, कैसे हिंदी/गैर हिंदी में बांटना है और फिर जब ये हो जाए तो विदेशी ताकतें लोकतंत्र बचाने के नाम पर इस देश में हस्तक्षेप करें जैसा वो अन्य देशों में करती हैं।
*इस तरह का सात घेरों का चक्रव्यूह है जिसके खिलाफ मोदी को*
मोदी की ताकत जनता का उन पर अटूट विश्वास है। और वर्तमान समय में हर वो चीज की जा रही है जिससे कि वो अटूट विश्वास टूट सके।
मोदी खत्म, तो उनकी आड़ में जितने भी हिन्दू फुदकते हैं और कांग्रेस से लेकर मजहब तक को गालियां देते हैं, फिर उन्हें खत्म किया जाएगा। राष्ट्रवाद को अपराध घोषित किया जाएगा। जुल्म के खिलाफ बोलने पर ही उठा दिया जाएगा। अन्य देशों से कोई कुछ नहीं बोलेगा जैसे आज बंग्लादेश पर नहीं बोलता, उल्टा कहता है कि सब फर्जी बातें हैं। पश्चिम बंगाल की तरह ही आवाज उठाने पर ही घर से उठा दिया जाएगा।
और सुप्रीम कोर्ट, वो स्वतः बचाने आएगा…?
सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी उसी तरह घेरा जाएगा जैसा बांग्लादेश में किया, तत्पश्चात उनसे इस्तीफा ले लिया जाएगा।
और इन सबका बहाना रहेगा कि तानाशाही के खिलाफ जनता ने बगावत कर दी है।
वो हिंदुत्व करने वालों को थोड़ी मार रहे हैं, वो तो भाजपा समर्थकों को मार रहे। जो मोदी का साथ देकर जुल्म का साथ देते थे। फलां टोपी वाले ने तो हिंदू को इसलिए काट दिया कि इतने सालों से उसका उत्पीड़न हो रहा था। फलां हिंदू लड़की को तो इसलिए उठाकर रेप कर दिया क्योंकि ये बेअदबी करती थी मजहब की। फलां हिंदू का घर तो इसलिए लूट लिया क्योंकि ये पूंजीवाद का समर्थन करता था और गरीबों को दुत्कारता था। फलां हिंदुओं से इसलिए इस्तीफा ले रहें कि ये सरकार के साथ तानाशाही में शामिल थे। फलां हिंदुओं पर इसलिए जजिया (सम्पत्ति) टैक्स इसलिए लगा रहें कि इन्होंने बहुत लूट मचाई हुई थी।
और ये सब अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं, बल्कि आपके पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रहा है, आपके राज्य बंगाल में हो रहा है, और कितने दर्जन देशों में इसका इतिहास है।
हाँ वो अलग बात है कि तुम गलतफ़हमी में रहो कि मेरे साथ नहीं होगा और तब तक मैं किसी महंगाई या टैक्स के नाम पर विधवा-विलाप करता हूँ और सबक सिखाने निकल पड़ता हूँ।
अतः हिन्दूओ अब जागो और अपने धर्म को, अपनी आनेवाली पीढ़ियों को बचाओ । एकजुट हो जाओ अपना स्वाभिमान जगाओ कब तक सोए रहोगे । जागो हिन्दू जागो। जाति पाति के चक्कर से बाहर निकलकर अपने , अपने परिवार, अपने समाज, अपने धर्म व अपने देश को बचाने के लिए एक हो जाओ। ये सब मतलबी नेता कोई भी साथ नहीं देंगे सब विधर्मियों के साथ मिल जाएंगे। ये मोदी जी ही हैं जिन की बजह से हम बच रहे हैं।
साभार
बुधवार, 11 सितंबर 2024
बुधवार, 4 सितंबर 2024
इच्छाएं कम करो
मैं जितने साल जी चुका हूँ,
उससे अब कम साल मुझे जीना है।
यह समझ आने के बाद
मुझमें यह परिवर्तन आया है:
**०१)** किसी प्रियजन की विदाई से अब मैं रोना छोड़ चुका हूँ क्योंकि आज नहीं तो कल मेरी बारी है।
**०२)** उसी प्रकार, अगर मेरी विदाई अचानक हो जाती है, तो मेरे बाद लोगों का क्या होगा, यह सोचना भी छोड़ दिया है क्योंकि मेरे जाने के बाद कोई भूखा नहीं रहेगा और मेरी संपत्ति को कोई छोड़ने या दान करने की ज़रूरत नहीं है।
**०३)** सामने वाले व्यक्ति के पैसे, पावर और पोजीशन से अब मैं डरता नहीं हूँ।
**०४)** खुद के लिए सबसे अधिक समय निकालता हूँ। मान लिया है कि दुनिया मेरे कंधों पर टिकी नहीं है। मेरे बिना कुछ रुकने वाला नहीं है।
**०५)** छोटे व्यापारियों और फेरीवालों के साथ मोल-भाव करना बंद कर दिया है। कभी-कभी जानता हूँ कि मैं ठगा जा रहा हूँ, फिर भी हँसते-मुस्कुराते चला जाता हूँ।
**०६)** कबाड़ उठाने वालों को फटी या खाली तेल की डिब्बी वैसे ही दे देता हूँ, पच्चीस-पचास रुपये खर्च करता हूँ, जब उनके चेहरे पर लाखों मिलने की खुशी देखता हूँ तो खुश हो जाता हूँ।
**०७)** सड़क पर व्यापार करने वालों से कभी-कभी बेकार की चीज़ भी खरीद लेता हूँ।
**०८)** बुजुर्गों और बच्चों की एक ही बात कितनी बार सुन लेता हूँ। कहने की आदत छोड़ दी है कि उन्होंने यह बात कई बार कही है।
**०९)** गलत व्यक्ति के साथ बहस करने की बजाय मानसिक शांति बनाए रखना पसंद करता हूँ।
**१०)** लोगों के अच्छे काम या विचारों की खुले दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसा करने से मिलने वाले आनंद का मजा लेता हूँ।
**११)** ब्रांडेड कपड़ों, मोबाइल या अन्य किसी ब्रांडेड चीज़ से व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना छोड़ दिया है। व्यक्तित्व विचारों से निखरता है, ब्रांडेड चीज़ों से नहीं, यह समझ गया हूँ।
**१२)** मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ जो अपनी बुरी आदतों और जड़ मान्यताओं को मुझ पर थोपने की कोशिश करते हैं। अब उन्हें सुधारने की कोशिश नहीं करता क्योंकि कई लोगों ने यह पहले ही कर दिया है।
**१३)** जब कोई मुझे जीवन की दौड़ में पीछे छोड़ने के लिए चालें खेलता है, तो मैं शांत रहकर उसे रास्ता दे देता हूँ। आखिरकार, ना तो मैं जीवन की प्रतिस्पर्धा में हूँ, ना ही मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी है।
**१४)** मैं वही करता हूँ जिससे मुझे आनंद आता है। लोग क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसकी चिंता छोड़ दी है। चार लोगों को खुश रखने के लिए अपना मन मारना छोड़ दिया है।
**१५)** फाइव स्टार होटल में रहने की बजाय प्रकृति के करीब जाना पसंद करता हूँ। जंक फूड की बजाय बाजरे की रोटी और आलू की सब्जी में संतोष पाता हूँ।
**१६)** अपने ऊपर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद के हाथ में पाँच सौ हजार रुपये देने का आनंद लेना सीख गया हूँ। और हर किसी की मदद पहले भी करता था और अब भी करता हूँ।
**१७)** गलत के सामने सही साबित करने की बजाय मौन रहना पसंद करने लगा हूँ। बोलने की बजाय चुप रहना पसंद करने लगा हूँ। खुद से प्यार करने लगा हूँ।
**१८)** मैं बस इस दुनिया का यात्री हूँ, मैं अपने साथ केवल वह प्रेम, आदर और मानवता ही ले जा सकूंगा जो मैंने बाँटी है, यह मैंने स्वीकार कर लिया है।
**१९)** मेरा शरीर मेरे माता-पिता का दिया हुआ है, आत्मा परम कृपालु प्रकृति का दान है, और नाम फॉइबा का दिया हुआ है... जब मेरा अपना कुछ भी नहीं है, तो लाभ-हानि की क्या गणना?
**२०)** अपनी सभी प्रकार की कठिनाइयाँ या दुख लोगों को कहना छोड़ दिया है, क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि जो समझता है उसे कहना नहीं पड़ता और जिसे कहना पड़ता है वह समझता ही नहीं।
**२१)** अब अपने आनंद में ही मस्त रहता हूँ क्योंकि मेरे किसी भी सुख या दुख के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूँ, यह मुझे समझ आ गया है।
**२२)** हर पल को जीना सीख गया हूँ क्योंकि अब समझ आ गया है कि जीवन बहुत ही अमूल्य है, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, कुछ भी कभी भी हो सकता है, ये दिन भी बीत जाएँगे।
**२३)** आंतरिक आनंद के लिए मानव सेवा, जीव दया और प्रकृति की सेवा में डूब गया हूँ, मुझे समझ आया है कि अनंत का मार्ग इन्हीं से मिलता है।
**२४)** प्रकृति और देवी-देवताओं की गोद में रहने लगा हूँ, मुझे समझ आया है कि अंत में उन्हीं की गोद में समा जाना है।
*देर से ही सही, लेकिन समझ आ गया है*
*शायद मुझे जीना आ गया है*
*मुझे लगता है, यह स्वीकार करने जैसा है।*
उद्योगों से ही नॉकरियाँ हैं
एटलस साइकिल का नाम सुना होगा आपने! एटलस साइकिल भारत का प्रतिष्ठित साइकिल ब्रांड हुआ करता था। गांव गांव एटलस की साइकिलें मिला करती थीं। पिछले दिनों इसका अंतिम फैक्ट्री जो साहिबाबाद, गाज़ियाबाद में स्थित था, बंद हो गया।
कल इसके मालिक रहे सलिल कपूर ने अपने तुगलक रोड, दिल्ली स्थित कोठी में आत्महत्या कर ली।
इसके पहले 2021 में सलिल कपूर की पत्नी नताशा कपूर ने भी आत्महत्या कर लिया था
Rags to Riches और फिर Riches to Rags का यह उदाहरण होगा। यह इस बात का उदाहरण होगा कि जैसे जैसे तकनीक बदलती है वैसे वैसे आपको भी बदलना होता है। जो नहीं बदलता है वह सरवाइव नहीं कर पाता।
कॉरपोरेट्स पर, उद्योगपतियों पर भी बहुत दबाव होता है, यह भी ध्यान रखने की बात है। देश में करोड़ों लोगों को रोजगार इन्ही उद्यामोंं के रास्ते आता है।
हम एक मिनट नहीं लगाते पूंजी और पूंजीपतियों को कोसने में। खैर!
क्रोध से मुक्ति
पति ने अपनी गुस्सैल पत्नी से तंग आकर एक दिन उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा, तुम्हें जब भी क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर आंगन की दीवार में ठोंक देना।
पत्नी को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील आंगन की दीवार पर ठोंक दी। यह प्रक्रिया वह लगातार करती रही।
धीरे धीरे उसकी समझ में आने लगा कि कील ठोंकने की व्यर्थ मेहनत करने से अच्छा तो अपने क्रोध पर नियंत्रण करना है और क्रमशः कील ठोंकने की उसकी संख्या कम होती गई।
एक दिन ऐसा भी आया कि पत्नी ने दिन में एक भी कील नहीं ठोंकी।
उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई। उसका पति बहुत प्रसन्न हुआ और कहा, जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एक बार भी क्रोधित नहीं हुई, ठोंकी हुई कीलों में से एक कील निकाल लेना।
पत्नी ऐसा ही करने लगी। एक दिन ऐसा भी आया कि आंगन की दीवार पर एक भी कील नहीं बची। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पति को बताई।
पति अपनी पत्नी को आंगन में लेकर आया और कीलों के छेद दिखाते हुए पूछा, क्या तुम ये छेद भर सकती हो?
पत्नी ने कहा, नहीं जी
पति ने उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा,अब समझ में आया, क्रोध में तुम्हारे द्वारा कहे गए कठोर शब्द, दूसरे के दिल में ऐसे छेद कर देते हैं, जिनकी भरपाई भविष्य में तुम कभी नहीं कर सकती।
जब भी आपको क्रोध आये तो सोचिए कि कहीं आप भी किसी के दिल में शब्दो के द्वारा कील ठोंकने तो नहीं जा रहे। समय के साथ कील तो निकल जायेगी लेकिन निशान नहीं जायेंगे।शिष्टता एवं विनम्रता को अपने व्यवहार का आभूषण बनाए।
सुप्रभात🙏
सोमवार, 2 सितंबर 2024
शुक्रवार, 30 अगस्त 2024
नाबालिग कौन?
नाबालिग की उम्र 15 साल की जाए
देश के कानून में नाबालिग 18 साल तक की उम्र वाला माना जाता है। नाबालिग को कानून में कई प्रकार की छूट दी गई है तो कई जगह बंदिस भी लगाई गई हैं।देश का कानून जब बना था तब की परिस्थितियों में और आज की परिस्थितियों में बहुत अंतर आ गया है। तब आम आदमी की जिंदगी ऐसी थी की मोटा खाना, मोटा पहनना, जल्दी सो जाना एवं प्रातः भी जल्दी उठना। आज के दौर में ये सब बातें बेमानी सी हो गई हैं।
भौतिक युग की चकाचौंध का असर भारत मे भी पड़ने लगा है। बच्चों की विचारधारा में बहुत परिवर्तन आ रहा है। बच्चों के पहनावे, खानपान और रहनसहन सभी मे बदलाव आ गया है। जब से मोबाईल आया है तब से तो बच्चे- बड़े सभी का हाल बेहाल है। जहां एक ओर मोबाईल से बहुत सुविधा हुई है वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिये घातक बन गया है।
आज देश मे बलात्कार की घटनाओं में बहुत बढ़ोतरी हो रही है। समाचार पत्र ऐसी घटनाओं से भरा रहता है। अक्सर यह पढ़ने सुनने में आता है की बलात्कारी नाबालिग है। इसलिए उसके साथ कठोर कार्यवाही नहीं कि जा सकती है। कितनी अजीब बात है, की जो बलात्कार करने के काबिल हो उसे किसी भी तरह की छूट क्यों दी जाये। आज के बच्चे गुजरे जमाने के बच्चें नहीं है। ये सब कुछ जानते हैं। अब नाबालिग की 18 साल की उम्र को 15 साल कर देना चाहिए। आज के दौर में 15 साल का बच्चा पुराने दौर के 18 साल के बच्चे की बौद्धिक जानकारी से ज्यादा जानता है, ज्यादा चतुर है।
सुनील जैन राना
हड्डियों से कट कट की आवाज़
🍃 *Arogya*🍃
*हड्डियों से आती है कट-कट की आवाज? ये 3 चीजें खाएं तुरंत मिलेगी राहत*
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*1. मेथी दाने*
मेथी दाने का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए रात को आधा चम्मच मेथी दाने पानी में भिगो दें, फिर सुबह मेथी दानों को चबा- चबा कर खाएं साथ ही इसके पानी को भी पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से हड्डियों से आवाज आना बंद होने में मदद मिलेगी।
*2. दूध पीएं*
हड्डियों से कट-कट की आवाज आने का मतलब ये भी हो सकता है कि उनमें लुब्रिकेंट की कमी हो गई हो। अक्सर उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या बढ़ने लगती है। इसलिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम देना बहुत जरूरी है। कैल्शियम के अन्य स्त्रोत लेने के अलावा भरपूर दूध पिएं।
*3. गुड़ और चना खाएं*
भूने चने के साथ गुड़ का भी सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। भुने चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने जरूर खाएं। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर हो जाएगी और कट-कट की आवाज आना भी बंद हो जाएगी।
*Dr. (Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*
गुरुवार, 29 अगस्त 2024
पुराने जमाने की यादें
एक जमाना था...
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे...
उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...
किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...
एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..
क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है..
ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....
इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....
🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे...
मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀......
😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...
😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं....
.इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...
😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......
और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....
वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई....
वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..
😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...
🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......
सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ...
😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,
😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था
🙏 और Most importantly , आज संकोच से निकलकर , दिल से अपने साक्षात देवी _देवता तुल्य , प्रात स्मरणीय , माता _ पिता , भाई एवं बहन को कहना चाहता हूं कि मैं आपके अतुल्य लाड, प्यार , आशीर्वाद , लालन पालन व दिए गए संस्कारो का ऋणी हूं 🙏,
🙏🏻☺😊
एक बात तो तय मानिए को जो भी👆🏻 पूरा पढ़ेगा उसे अपने बीते जीवन के कई पुराने सुहाने पल अवश्य याद आयेंगे।🙏🏻
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बुधवार, 28 अगस्त 2024
शनिवार, 24 अगस्त 2024
भारतीय रेल
भारतीय रेल, ऐसी ज्यादा-जनरल कम
भारतीय रेल प्रगति के पथ पर है। गत दस वर्षों में नई-नई रेल बनी हैं। रेलों की संख्या में इजाफा हुआ है। देश में रेल लाइनों में लगातार इजाफा हो रहा है। वन्देमातरम जैसी रेल देश की शान जैसी हैँ। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है की असामाजिक तत्व इस पर पत्थर बाज़ी कर देते हैं। हाल ही में रेल दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। जिसमें किसी साज़िस से इनकार नहीं किया जा सकता है। रेल पटरी पर बड़े-बड़े पत्थर और लकड़ी के स्लीपर रखे मिले हैं। जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और दुघर्टना का कारण बन रहे हैं।
भारतीय रेल में जहां कुछ खूबियां हैं वहीं कुछ खामियां भी हैं। रेल के डब्बो में टॉयलेट आदि साफ नही रहते। ऐसी 2 में भी टॉयलेट की हालत ठीक नहीं थी। इस बारे में गत वर्ष हम श्री सम्मेद शिखर जी गए थे तब शिकायत भी करी थी। कम्बल आदि देने वाले लड़को का व्यवहार ठीक नही रहता। पुरानी चादर दोबारा दे देते हैं। शिकायत करने पर कहते हैं कि जिससे शिकायत करनी हो कर लो। ऐसा व्यवहार रहता है अक्सर।
यह सब खामियां तो ठीक होनी ही चाहिए , लेकिन देश के जनरल डिब्बो में सफर करने वालो के लिये अभी बहुत सुधार की जरूरत है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रेल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उस अनुपात में जनरल डिब्बे भी बढ़ने चाहिये। जबकि अधिकांश रेलों में ऐसी डिब्बे ज्यादा होते हैं और जनरल डिब्बे कम होते हैं। जनरल डिब्बों की संख्या बढ़नी चाहियें।
एक बड़ी समस्या यह है कि स्लीपर या जनरल डिब्बों में सीट के अनुपात से ज्यादा टिकट दे दिये जाते हैं जो ठीक नहीं हैं। जनरल डिब्बों में 70 कई जगह 200 यात्रियों को टिकट बाटना जनहित में नहीं है। रेल मंत्रालय को जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। साथ ही ऐसी डिब्बों में हो रही खामियों को दूर करना चाहिए। रेल में मिलने वाले नाश्ते, भोजन की क्वालिटी में भी सुधार होना चाहिए। डिब्बो में चाय पकोड़े बेचने वालों की क्वालिटी को चैक करना भी बहुत जरूरी है।
सुनील जैन राना
शुक्रवार, 23 अगस्त 2024
उच्च वर्ग कौन?
*सरकार जवाब दे*
*इन उच्च जातियों में ऊँचा क्या है? ये संविधान जवाब दे !!!*
प्रश्न ये है कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्य, आदि को किस आधार पर ऊँची जाती वाला बोल कर सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। आज के दौर में ऐसा क्या है कि इन जाति में जो ऊँचा है, सरकारों को ये भी खुलासा करना चाहिए। जबकि ये जातियां अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, अगर *पाठ पूजा* करना, *पंचांग* पढ़ना, *हवन* करवाना (उनके पौराणिक व्यवसाय के कारण), *देश और समाज की सुरक्षा* करने, उनके सम्मान और अस्मिता की रक्षा करने मे *अपनी जान न्यौछावर करना*, देश समाज की *आर्थिक ढांचे को सुचारू रूप* से चलने और व्यवसाय करने को सवर्ण जाति कहा जाता है, तो मैं बताना चाहता हूँ कि आजकल मंदिर के पुरोहित मंदिर कमेटी के आधीन नौकरी करते हैं, जिन्हें बहुत ही अल्प वेतन पर रखा जाता है और मंदिर-कमेटी के सदस्यों के दबाव में रहना पड़ता है। सेना और पुलिस आदि में सभी जाति वर्ग के भर्ती होते हैं, व्यापार भी अब सभी वर्ग और जाति द्वारा किया जाता है,कई पुजारिओं पर अब तो गाली भी पड़ने लगी हैं , फिर किस प्रकार इन को उच्च बोल कर सरकारी नौकरी में / सरकारी स्कूल में / सरकारी स्कीमों में किसी प्रकार की *छूट* नहीं दी जाती।
इन की नई पीढ़ी जिन्हें किसी परीक्षा या इंटरव्यू में कोई रियायत नहीं मिलती, क्षमता होते हुए भी अपने से कम क्षमता वाले का चयन होते देखकर, वे आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं । क्या इस सविंधान ने मुगलों के जुल्म सहने का इनाम, मुग़लों से युद्ध लड़कर देश के लिए पूरे परिवार का शहीद होना, फिर मुगलों द्वारा जब ब्राह्मणों और क्षत्रियों को *काटा* जाता था, वैश्यों को लुटा जाता था, वेद पुराण, ग्रंथों को *जलाया* जाता था, तो ब्राह्मण ही था जिसे वेद पुराण *कंठस्थ* थे और वो जुल्म सहन करता हुआ भी छुप छुप कर अपने बच्चों को *मंत्र -* *हवन - क्रियाकर्म* की *विधि - मुंडन की विधि* - *गृह प्रवेश*, भूमि पूजन आदि सिखाता रहता था ताकि अपने देश की संस्कृति *जिन्दा* रह सके। वो क्षत्रिय होता था जो वन वन भटक भटक कर अपने बच्चे को घांस की रोटी खिला खिला कर देश की रक्षा का पाठ पढ़ाता था, ताकि इस देश की रक्षा हो सके और वह *हिन्दू धर्म* को बचा सके।गुरु साहिब के मासूम पुत्रो को चुनाया जाता था, उनके शहीद स्थल को खरीदने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके, अपने लिए कोई संतान ना उत्पन्न करके अपना वंश समाप्त करने का काम भी व्यवसाई वैश्य ने ही किया था। ऐसे प्रयासों से इन ने हिन्दू धर्म को बचा लिया जबकि एक हजार वर्ष मुग़लों और 200 वर्षों अंग्रेज़ों के *जुल्म* के बावजूद भारतियों को *हिन्दू* बनाये रखा और आज उन्ही जातियों का *अपमान* हो रहा है।
हम कोई विशेष सम्मान नहीं चाहते, परन्तु कम से कम *सरकारी* स्कीमों या *निजी* कार्य में बराबरी तो मिले, ये कैसी उच्च जाति व्यवस्था है कि उच्च बोल कर हमें प्रताड़ित किया जा रहा रहा है !!!
*सरकारें केवल इतना जवाब दे ब्राह्मण / क्षत्रिय / वैश्यों में ऊँचा क्या है और इसका आधार क्या है ???*
इस व्यवस्था ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम इन समाज को एकजुट करें और इस व्यवस्था को खत्म करें।
मंगलवार, 20 अगस्त 2024
झंडा फहराने की बात
*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-*
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?
*पहला अंतर*
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।
जबकि
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।
*दूसरा अंतर*
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।
जबकि
26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं
*तीसरा अंतर*
स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।
जबकि
गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है।
*आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं आपसे आग्रह है ये अंतर अपने बच्चों को जरूर बताएं😊🙏😊
सोमवार, 19 अगस्त 2024
शुक्रवार, 16 अगस्त 2024
पड़ोसी देश और भारत
पाकिस्तान, बंग्लादेश और भारत
पाकिस्तान एक ऐसा देश जिसमें सेना और सत्ता में बैठे हुक्मरानों की मौज रहती है जबकि अधिकांश आवाम भुखमरी के कगार पर रहता है। पाक सेना से त्रस्त बलूचिस्तान, पीओके अपनी आजादी की मांग करते रहते हैं। पाकिस्तान की सेना उनपर बहुत ज्यादा जुल्म ढहाती है। पाकिस्तान में जो भी सत्ता पर काबिज होता है फिर अगले टर्म में वह जेल में होता है। यही पाकिस्तान की नियति है। भृष्टाचार से कोई अछूता नहीं रहता। आज दुनिया मे पाकिस्तान को एक आतंकी देश के रूप में जाना जाता है।
बंग्लादेश जो कभी पाकिस्तान का हिस्सा था उसके पाकिस्तान से अलग होने के बाद से वह तरक्की के रास्ते पर चल निकला था। परंतु हाल की घटनाओं ने बंग्लादेश को भी पाकिस्तान की राह पर चलने वाला कट्टरपंथी देश की सूची में आ गया है। सत्ता परिवर्तन की लहर में वहां रह रहे हिंदुओ पर अत्याचार ने सम्पूर्ण विश्व का ध्यान बंग्लादेश की ओर गया है। सभी ने वहां हिंदुओ पर हो रहे अत्याचार की निंदा की है। अभी भी वहां हिंदुओ पर अत्याचार रुका नहीं है।
भारत एक ऐसा देश जहां सर्व धर्म समभाव की भावना रहती है, लेकिन भारत के कुछ राज्यो में कट्टरपंथी ताकते इस भावना में फ्लीता लगा रही हैं। बंग्लादेश से आये लाखों की संख्या में रोहिंग्या देश के कई राज्यो में बस गए हैं। भारत मे फैले भृष्टाचार के कारण उनके राशनकार्ड, आधार कार्ड भी बन जाते हैं। ये रोहिंग्या देश की सुरक्षा में बाधक हैं। देश को इनसे खतरा है। लेकिन कुछ राज्य इन्हें अपना वोट बैंक बनाकर रखते हैं। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। इसलिए हम सभी को भी देश की सुरक्षा में कोई सेंध न लगा दे इस बात की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
सुनील जैन राना
मंगलवार, 13 अगस्त 2024
रिटायर्ड आदमी
⛳⭕〽️ *रिटायर्ड बेचारा क्या करे*
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*1. रिटायर व्यक्ति अगर देर तक सोया रहे तो....*
*बीवी :* अब उठ भी जा इये ! आपके जैसा भी कोई सोता है क्या ? रिटायर हो गये तो इसका मतलब यह नहीं कि सोते ही रहियेगा....!
😐😐😐😐😐
*2. रिटायर व्यक्ति अगर जल्दी उठ जाये तो....*
*बीवी:* आपको तो बुढापे में नींद पड़ती नहीं, एक दिन भी किसी को चैन से सोने नही देते हो, 5:30 बजे उठ कर बड़ बड़ करने लगते हो। अब तो आफिस भी नहीं जाना है, चुपचाप सो जाइये और सबको सोने दीजिए.....!
😢😢😢 *३. रिटायर व्यक्ति अगर घर पर ही रहे तो....*
*बीवी:* सबेरा होते ही मोबाइल लेकर बैठ जाते हो और चाय पर चाय के लिए चिल्लाते रहते हो, कुछ काम अपने से भी कर लिया कीजिए । सब लोगों को कुछ न कुछ काम रहता है, कौन दिनभर चाय बना कर देता रहे। यह नहीं होता है कि जल्दी से उठकर नहा धोकर नाश्ता पानी कर लें, अब इनके लिए सब लोग बैठे रहें....!
😢😢😢
*4. रिटायर व्यक्ति अगर घर से देर तक बाहर रहे तो....*
*बीवी :* कहाँ थे आप आज पूरा दिन ? अब नौकरी भी नही है, कभी मुँह से भगवान का नाम भी ले लिया कीजिए...!
😢😢😢
*5. रिटायर व्यक्ति अगर पूजा करे तो...*
*बीवी :* ये घन्टी बजाते रहने से कुछ नहीं होने वाला। अगर ऐसा होता तो इस दुनिया के रईसों में टाटा या बिल गेट्स का नाम नहीं होता, बल्कि किसी पुजारी का नाम होता...!
😢😢😢
*6. अगर रिटायर व्यक्ति खाली समय में पैसा कमाने के लिए कुछ काम करे तो...*
*बीवी :* हर वक़्त काम, काम ,काम। हम क्या यहाँ पर बंधुआ मजदूर हैं जो सारा दिन काम करें और शाम को आपका इंतज़ार करें...?
😢😢😢
*7. रिटायर व्यक्ति अगर पत्नी को घुमाने के लिए ले जाए तो...*
*बीवी :* देखिये, सक्सेना जी अपनी बीबी को हर महीने घुमाने ले जाते हैं और वो भी स्विट्ज़रलैंड और दार्जिलिंग जैसी जगहों पर, आपकी तरह "हरिद्वार" नहाने नहीं जाते....!
😢😢😢
*8. रिटायर व्यक्ति अगर अपनी जिंदगी भर की बचत से नैनीताल, मसूरी, गोवा, माउन्ट आबू, ऊटी जैसी जगहों पर घुमाने ले भी जाए तो....!*
*बीवी :* अपना घर ही सबसे अच्छा, बेकार ही पैसे लुटाते फिरते है। इधर उधर बंजारों की तरह घूमते फिरो। क्या रखा है घूमने में ? इतने पैसे से अगर घर पर ही रहते तो पूरे 2 साल के लिए कपड़े खरीद सकते थे...! *9.रिटायर व्यक्ति पुराने गानों का शौक़ीन हो तो... !* *बीवी:* बुढ़ापे में गाने भाते हैं, कोई भजन या राम के नाम ही ले लिया करो.....!
*10.रिटायर व्यक्ति अगर मन बहलाने के लिए फोन करे तो....!* *बीवी :* दिन भर फोन पर लगे रहते हो, हम तो नहीं करते किसी को.....फोन! *11. रिटायर व्यक्ति बन ठन कर घर में रहे तो....!*
*बीवी :* बुढ़ापे में क्या सिंगार करते हो, घर में बहुएं क्या कहेंगी...!
🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼
*वाह रे! रिटायर आदमी*
सभी रिटायर्ड बंधुओं को समर्पित
सोमवार, 12 अगस्त 2024
गुरुवार, 8 अगस्त 2024
जैन धर्म
किसी भी विवादित भूमि (तीर्थ) पर
कब्ज़ा मुस्लिम का हुआ होता है।
हकदार हिंदू होते है उस जगह के,
दावा बौद्ध करते है की उनका मठ था पहले।
पर निकलती है जैनियों के तीर्थकर भगवान की प्रतिमाएं।
चाहे राम जन्म भूमि की खुदाई से प्राप्त जैन प्रतिमाएं हो।
जो रातों रात छुपा दी गई थी।
चाहे मथुरा के टीले की खुदाई से प्राप्त जैन प्रतिमाएं हो।
चाहे बद्रीनाथ में विराजमान प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा हो।
जो आज बद्रीनाथ हिंदू देव रूप में पूजी जाती है।
आदि बहुत से ऐसे विवादित तीर्थ स्थल है।
की अगर उनकी गहराई से खोज की जाए तो सभी जैन धर्म स्थल निकलेंगे।
मगर जैन समाज अहिंसक और शांतिप्रिय समाज है।
वो नही चाहता की किसी की धार्मिक भावना आहत हो।
इस कारण जो तीर्थ स्थल जा जुके उन्हे वापस नहीं मांगता।
मगर अब जैन समाज जाग चुका हैं।
अब अपने किसी भी जैन तीर्थ को
दूसरे धर्म तीर्थ स्थल मे नही बदलने दिया जाएगा।
जैनियों पंथों को त्याग दो।
और नियम लो की आप केवल जैन है।
तभी खुद को, अपने समाज को और अपने तीर्थ स्थलों को बचा सकोगे।
मिलकर रहो,
एक रहो।।
जय जिनेन्द्र 🌹🌹
जय हो चौबीस तीर्थकर भगवान की।🙏🙏
मंगलवार, 6 अगस्त 2024
जागो रे जागो
जलती रही जोहर में नारियां
भेड़िये फ़िर भी मौन थे।
हमें पढाया गया अकबर'' महान,
तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे।
🤨😟🤨😟
सड़ती रही लाशें सड़को पर
गांधी फिर भी मौन थे,
हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी,
तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे
🤨😟🤨😟
वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है
जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे
किन्तु वो रस्सी कहां है
जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे
🤨😟🤨😟
*"हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया...*
*कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया".*
*जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी....*
*क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी....!!!!*
🤨😟🤨😟
मंगल पांडे को फाँसी....❓
तात्या टोपे को फाँसी....❓
रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेज सेना ने घेर कर मारा.....❓
भगत सिंह को फाँसी....?❓
सुखदेव को फाँसी.....?❓
राजगुरु को फाँसी.....❓
चंद्रशेखर आजाद का एनकाउंटर अंग्रेज पुलिस द्वारा.....❓
सुभाषचन्द्र बोस को गायब करा दिया गया......❓
भगवती चरण वोहरा बम विस्फोट में मृत्यु.....❓
रामप्रसाद बिस्मिल को फाँसी....❓
अशफाकउल्लाह खान को फाँसी....❓
रोशन सिंह को फाँसी....❓
लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में .....मृत्यु❓
वीर सावरकर को कालापानी की सजा....❓
चाफेकर बंधू (३ भाई) को फाँसी....❓
खुदीराम बोस और मास्टर सूर्यसेन को फाँसी.....❓
ये तो कुछ ही नाम है जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम और इस देश की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया......❓
कई वीर ऐसे है हम और आप जिनका नाम तक नहीं जानते ......❓
एक बात समझ में आज तक नही आई कि भगवान ने गांधी और नेहरु को ऐसे कौन से कवच-कुण्डंल दिये थे.......❓
जिसकी वजह से अग्रेंजो ने इन दोनो को फाँसी तो दूर, कभी जेल तक नही कड़ाई नही की गई...❓
उपर से यह दोनों भारत के बापू और चाचा बन गए और इनकी पीढ़ियाँ आज भी पूरे देश के उपर अपना पेंटेंट समझती है.....❓
*गहराई से सोचिए❓❓* जिसने भी मुझे यह संदेश भेजा है,उसको धन्यवाद।।
*आप आगे भेजें या ना भेजे ये आप की मर्ज़ी !*
👉🏻 *पर ऐक सच्चा भारतीय जरूर आगे भेजेगा ।*
*एक सच्चा 🇮🇳भारतीय*
🚩 *वंदय वंदये मातरंम्* 🚩👍👍
सोमवार, 5 अगस्त 2024
शुक्रवार, 2 अगस्त 2024
संयमित जीवन
मैं जितने साल जी चुका हूँ,
उससे अब कम साल मुझे जीना है।
यह समझ आने के बाद
मुझमें यह परिवर्तन आया है:
**०१)** किसी प्रियजन की विदाई से अब मैं रोना छोड़ चुका हूँ क्योंकि आज नहीं तो कल मेरी बारी है।
**०२)** उसी प्रकार, अगर मेरी विदाई अचानक हो जाती है, तो मेरे बाद लोगों का क्या होगा, यह सोचना भी छोड़ दिया है क्योंकि मेरे जाने के बाद कोई भूखा नहीं रहेगा और मेरी संपत्ति को कोई छोड़ने या दान करने की ज़रूरत नहीं है।
**०३)** सामने वाले व्यक्ति के पैसे, पावर और पोजीशन से अब मैं डरता नहीं हूँ।
**०४)** खुद के लिए सबसे अधिक समय निकालता हूँ। मान लिया है कि दुनिया मेरे कंधों पर टिकी नहीं है। मेरे बिना कुछ रुकने वाला नहीं है।
**०५)** छोटे व्यापारियों और फेरीवालों के साथ मोल-भाव करना बंद कर दिया है। कभी-कभी जानता हूँ कि मैं ठगा जा रहा हूँ, फिर भी हँसते-मुस्कुराते चला जाता हूँ।
**०६)** कबाड़ उठाने वालों को फटी या खाली तेल की डिब्बी वैसे ही दे देता हूँ, पच्चीस-पचास रुपये खर्च करता हूँ, जब उनके चेहरे पर लाखों मिलने की खुशी देखता हूँ तो खुश हो जाता हूँ।
**०७)** सड़क पर व्यापार करने वालों से कभी-कभी बेकार की चीज़ भी खरीद लेता हूँ।
**०८)** बुजुर्गों और बच्चों की एक ही बात कितनी बार सुन लेता हूँ। कहने की आदत छोड़ दी है कि उन्होंने यह बात कई बार कही है।
**०९)** गलत व्यक्ति के साथ बहस करने की बजाय मानसिक शांति बनाए रखना पसंद करता हूँ।
**१०)** लोगों के अच्छे काम या विचारों की खुले दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसा करने से मिलने वाले आनंद का मजा लेता हूँ।
**११)** ब्रांडेड कपड़ों, मोबाइल या अन्य किसी ब्रांडेड चीज़ से व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना छोड़ दिया है। व्यक्तित्व विचारों से निखरता है, ब्रांडेड चीज़ों से नहीं, यह समझ गया हूँ।
**१२)** मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ जो अपनी बुरी आदतों और जड़ मान्यताओं को मुझ पर थोपने की कोशिश करते हैं। अब उन्हें सुधारने की कोशिश नहीं करता क्योंकि कई लोगों ने यह पहले ही कर दिया है।
**१३)** जब कोई मुझे जीवन की दौड़ में पीछे छोड़ने के लिए चालें खेलता है, तो मैं शांत रहकर उसे रास्ता दे देता हूँ। आखिरकार, ना तो मैं जीवन की प्रतिस्पर्धा में हूँ, ना ही मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी है।
**१४)** मैं वही करता हूँ जिससे मुझे आनंद आता है। लोग क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसकी चिंता छोड़ दी है। चार लोगों को खुश रखने के लिए अपना मन मारना छोड़ दिया है।
**१५)** फाइव स्टार होटल में रहने की बजाय प्रकृति के करीब जाना पसंद करता हूँ। जंक फूड की बजाय बाजरे की रोटी और आलू की सब्जी में संतोष पाता हूँ।
**१६)** अपने ऊपर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद के हाथ में पाँच सौ हजार रुपये देने का आनंद लेना सीख गया हूँ। और हर किसी की मदद पहले भी करता था और अब भी करता हूँ।
**१७)** गलत के सामने सही साबित करने की बजाय मौन रहना पसंद करने लगा हूँ। बोलने की बजाय चुप रहना पसंद करने लगा हूँ। खुद से प्यार करने लगा हूँ।
**१८)** मैं बस इस दुनिया का यात्री हूँ, मैं अपने साथ केवल वह प्रेम, आदर और मानवता ही ले जा सकूंगा जो मैंने बाँटी है, यह मैंने स्वीकार कर लिया है।
**१९)** मेरा शरीर मेरे माता-पिता का दिया हुआ है, आत्मा परम कृपालु प्रकृति का दान है, और नाम फॉइबा का दिया हुआ है... जब मेरा अपना कुछ भी नहीं है, तो लाभ-हानि की क्या गणना?
**२०)** अपनी सभी प्रकार की कठिनाइयाँ या दुख लोगों को कहना छोड़ दिया है, क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि जो समझता है उसे कहना नहीं पड़ता और जिसे कहना पड़ता है वह समझता ही नहीं।
**२१)** अब अपने आनंद में ही मस्त रहता हूँ क्योंकि मेरे किसी भी सुख या दुख के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूँ, यह मुझे समझ आ गया है।
**२२)** हर पल को जीना सीख गया हूँ क्योंकि अब समझ आ गया है कि जीवन बहुत ही अमूल्य है, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, कुछ भी कभी भी हो सकता है, ये दिन भी बीत जाएँगे।
**२३)** आंतरिक आनंद के लिए मानव सेवा, जीव दया और प्रकृति की सेवा में डूब गया हूँ, मुझे समझ आया है कि अनंत का मार्ग इन्हीं से मिलता है।
**२४)** प्रकृति और देवी-देवताओं की गोद में रहने लगा हूँ, मुझे समझ आया है कि अंत में उन्हीं की गोद में समा जाना है।
*देर से ही सही, लेकिन समझ आ गया है*
*शायद मुझे जीना आ गया है*
*मुझे लगता है, यह स्वीकार करने जैसा है।*
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अलसी के फायदे
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