गुरुवार, 26 सितंबर 2024

परमात्मा से मिलन

*🙏🌹ॐ सुप्रभात🌹🙏* *🌻मै कौन हूं ?🌻* एक संन्यासी सारी दुनिया की यात्रा करके भारत वापिस लौटा था | एक छोटी सी रियासत में मेहमान हुआ।उस रियासत के राजा ने जाकर संन्यासी को कहा :- स्वामी !! एक प्रश्न बीस वर्षो से निरंतर पूछ रहा हूं कोई उत्तर नहीं मिलता।क्या आप मुझे उत्तर देंगे ? स्वामी ने कहा :- निश्चित दूंगा। उस संन्यासी ने उस राजा से कहा : नहीं !! आज तुम खाली नहीं लौटोगे | पूछो ? उस राजा ने कहा : मैं ईश्वर से मिलना चाहता हूं | ईश्वर को समझाने की कोशिश मत करना | मैं सीधा मिलना चाहता हूं | उस संन्यासी ने कहा :- अभी मिलना चाहते हैं कि थोड़ी देर ठहर कर ? राजा ने कहा : माफ़ करिए !! शायद आप समझे नहीं | मैं परम पिता परमात्मा की बात कर रहा हूं ! आप यह तो नहीं समझे कि किसी ईश्वर नाम वाले आदमी की बात कर रहा हूं ;जो आप कहते हैं कि अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हो ? उस संन्यासी ने कहा :- महानुभाव !! भूलने की कोई गुंजाइश नहीं है | मैं तो चौबीस घंटे परमात्मा से मिलाने का धंधा ही करता हूं | अभी मिलना है कि थोड़ी देर रुक सकते हैं,सीधा जवाब दें | बीस साल से मिलने को उत्सुक हो और आज वक्त आ गया तो मिल लो |राजा ने हिम्मत की , उसने कहा : अच्छा मैं अभी मिलना चाहता हूं मिला दीजिए | संन्यासी ने कहा:- *कृपा करो !! इस छोटे से कागज पर अपना नाम पता लिख दो ताकि मैं भगवान के पास पहुंचा दूं कि आप कौन हैं !!* राजा ने लिखा-अपना नाम , अपना महल,अपना परिचय , अपनी उपाधियां और उसे दीं | वह संन्यासी बोला कि महाशय , ये सब बाते मुझे झूठ और असत्य मालूम होती हैं जो आपने कागज पर लिखीं !! उस संन्यासी ने कहा : मित्र !! अगर तुम्हारा नाम बदल दें तो क्या तुम बदल जाओगे ? तुम्हारी चेतना,तुम्हारी सत्ता , तुम्हारा व्यक्तित्व दूसरा हो जाएगा ?उस राजा ने कहा :- नहीं !! नाम के बदलने से मैं क्यों बदलूंगा ? नाम नाम है , मैं मैं हूं | तो संन्यासी ने कहा : एक बात तय हो गई कि नाम तुम्हारा परिचय नहीं है , क्योंकि तुम उसके बदलने से बदलते नहीं | आज तुम राजा हो कल गांव के भिखारी हो जाओ तो बदल जाओगे ? उस राजा ने कहा : नहीं,राज्य चला जाएगा,भिखारी हो जाऊंगा, लेकिन मैं क्यों बदल जाऊंगा ? मैं तो जो हूं | राजा होकर जो हूं,भिखारी होकर भी वही होऊंगा | न होगा मकान,न होगा राज्य , न होगी धन- संपति,लेकिन मैं ? मैं तो वही रहूंगा जो मैं हूं | तो संन्यासी ने कहा : तय हो गई दूसरी बात कि राज्य तुम्हारा परिचय नहीं है,क्योंकि राज्य छिन जाए तो भी तुम बदलते नहीं | तुम्हारी उम्र कितनी है ? उसने कहा : चालीस वर्ष | संन्यासी ने कहा : तो पचास वर्ष के होकर तुम दूसरे हो जाओगे ? बीस वर्ष या जब बच्चे थे तब दूसरे थे ? उस राजा ने कहा :- नही | उम्र बदलती है,शरीर बदलता है लेकिन मैं ? मैं तो जो बचपन में था जो मेरे भीतर था,वह आज भी है | उस संन्यासी ने कहा : फिर उम्र भी तुम्हारा परिचय न रहा,शरीर भी तुम्हारा परिचय न रहा | फिर तुम कौन हो ? उसे लिख दो तो पहुंचा दूं भगवान के पास,नहीं तो मैं भी झूठा बनूंगा तुम्हारे साथ !! यह कोई भी परिचय तुम्हारा नहीं है| राजा बोला :- तब तो बड़ी कठिनाई हो गई | उसे तो मैं भी नहीं जानता फिर ! जो मैं हूं,उसे तो मैं नहीं जानता ! इन्हीं को मैं जानता हूं मेरा होना | उस संन्यासी ने कहा : फिर बड़ी कठिनाई हो गई क्योंकि जिसका मैं परिचय भी न दे सकूं,बता भी न सकूं कि कौन मिलना चाहता है ! तो भगवान भी क्या कहेंगे कि किसको मिलना चाहता है ? तो जाओ पहले इसको खोज लो कि *तुम कौन हो?* और मैं तुमसे कहे देता हूं कि जिस दिन तुम यह जान लोगे कि तुम कौन हो ? उस दिन तुम आओगे नहीं भगवान को खोजने |क्योंकि खुद को जानने में वह भी जान लिया जाता है जो परमात्मा है |l हरि बोल *👉अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है।* *🌻हम बदलेंगे,युग बदलेगा।🌻* *आपका दिन शुभ एवं मंगलमय हो।*🙏💐

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