कर्म की बातें तो रोज होती हैं
अब कुछ दिन धर्म की बातें हो जायें
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आज इन्सान कुछ कारणों से परेशान रहता है।
सब कुछ होते हुए भी और ज्यादा की चाहत
के कारण ही वह जाने -अनजाने चार कषायों
और पाँच पापों में उलझा रहता है।
चार कषाये -क्रोध ,मान ,माया ,लोभ
पाँच पाप -हिंसा ,झूठ ,चोरी ,कुशील ,परिग्रह।
आज हम सबसे प्रथम पाप क्रोध के विषय में चर्चा करेंगे।
*जैन धर्म* पर मेरे द्वारा लिखित पुस्तक से कुछ अंश ***
क्रोध से हानि पर कल चर्चा करेंगे। जय जिनेन्द्र।
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