आज हिन्दी दिवस है
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देश भर में कहीं हिन्दी पखवाड़ा मनाया जा रहा
कहीं डिबेट हो रही ,कहीं हिन्दी बचाओ के बैनर
आदि लगाकर हिन्दी को बचा लिया गया।
प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस पर ऐसा ही होता है। फिर
वही दिनचर्या शुरू हो जाती है जो अधिकांश हिन्दी
में ही होती है। महसूस तब होता है जब हमारे देश
के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति महोदय ही
पूर्ण हिन्दी भाषी नहीं हैं। हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री
मोदीजी के ट्विटर अकाउंट पर अधिकांश ट्विट भी
अंग्रेजी में होते हैं।
कुछ भी हो आज हिन्दी एक ऐसी भाषा बन गई है
जिसके बिना भारतीयों का गुजारा नहीं है। देश के
सभी राज्यों के निवासी कभी कभी भले ही गैर हिंदी
भाषी राज्य में हिंदी और हिंदी भाषियों की अवहेलना
करते हो लेकिन सत्य बात यह है की वे खुद हिंदी
समझते भी हैं और बोल भी लेते हैं।
यही नहीं आज के भौतिक युग में नेट के जमाने में
गूगल से लेकर सभी हिंदी में अपने कार्यक्रम आदि
लेकर आ रहे हैं। आज हिंदी भाषियों की बढ़ती तादाद
के कारण विश्व भर में हिंदी पर कार्य हो रहा है।
हिंदी के प्रयोग में शुद्ध हिंदी ही आड़े आती है। सरकारी
गैर सरकारी स्तर पर भी हिंदी इसी लिए पिछड़ जाती है
की शुद्ध हिंदी के शब्द समझ नहीं आते हैं। बैंक के लेनदेन
के ही शब्द जैसे आहरण -अदाता -निर्दिष्ट सीमा आदि अनेक
तकनीकी शब्दों के कारण हिंदी पिछड़ रही है। ऐसे में
अंग्रेजी के प्रचलित शब्द प्रयोग करने की छूट होनी चाहिए।
जैसे की पासबुक -चैकबुक -ATM कार्ड आदि। अब यदि
हम इन शब्दों को हिंदी में लिखना चाहेंगे तो क्या लिखेंगे ?
चैकबुक को हम हिंदी में क्या कहेंगे ?ऐसी परेशानियों का
उपाय यही है की अधिकांश शब्द हिंदी के हो अन्य कुछ
प्रचलित शब्द अन्य सभी भाषाओं के हों।
कुछ भी हो हिंदी अन्य सभी भाषाओं के माथे की बिंदी
जैसी तो है ही।
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