शनिवार, 30 सितंबर 2017



बार बार क्यों मारते हो रावण को ?
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प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष फिर एक बार

रावण के पुतले का दहन कर दिया गया।

इस कार्य में जुड़े सभी लोगो ने एक दूसरे

को बधाई दी और अगले वर्ष फिर से कैसे

रावण को नए तरीके से बनायेंगे और कैसे

नये तरीके से उसका दहन करेंगे इस सोच

के साथ विदा ली।

हम दशकों से यही देखते आ रहे हैं। लेकिन

रावण है की मरता ही नहीं। एक साल पूरा

होने से पहले ही फिर से जीवित हो उठता है।

इस साल तो एक नई बात ही सुनने -देखने में

आ रही थी की इस बार भयंकर बरसात की

वज़ह से रावण जल कर नहीं बल्कि डूबकर

मरेगा। लेकिन होनी बलवान है। रावण मरेगा

तो जलकर ही इस बात की पुष्टि आज हो गई।

समझ में नहीं आता की हम लोग कब तक ऐसे

ही रावण के पुतले बनाते रहेंगे और जलाते रहेंगे।


हम कभी भी यह क्यों नहीं सोचते हैं की हम

रावण को जलाते क्यों हैं ?चलो आज सोच भी

लिया तो पता चला की हम रावण को उसकी

बुराइयों को खत्म करने की प्रेरणा के कारण

जलाते हैं। लेकिन यह नहीं सोचते की दशकों

से रावण जलाकर भी रावण रूपी बुराइयाँ क्यों

नहीं खत्म हो रही। बल्कि यों कहिये की रावण

ने तो सिर्फ सीताजी के अपहरण का अपराध

किया था लेकिन आज तो कन्या रूपी न जाने

कितनी सीताजी का अपहरण ही नहीं बल्कि

बलात्कार तक हो रहा है।

जब तक हम अपने अंदर के रावण की बुराइयों

को नहीं खत्म करेंगे तब तक समाज में ऐसे ही

अपराधों का बोलबाला रहेगा। कभी तो हमें इस

बदलाव की ओर बढ़ना ही पड़ेगा। तब ही रावण

रूपी बुराइयाँ खत्म हो सकेंगी। रावण के पुतले

को नहीं बल्कि हम सबको अपने अंदर के रावण

को जलाना चाहिए। वही सही रूप में विजयदशमी

कहलायेगी। 


पिता -पुत्र विवाद या संवाद
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उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के मुखिया

मुलायमसिंह यादव और उन्हीं के पुत्र प्रदेश

के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मतभेद,

विवाद या अनोखे संवाद से सभी परिचित हैं।

समय बलवान होता है। एक समय था की सपा

के संस्थापक मुलायमसिंह की तूती बोलती थी।

लेकिन सत्ता की धमक में उन्हीं के पुत्र द्वारा

उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।


अब कुछ ऐसा ही बीजेपी के कद्दावर नेता एवं

पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा जी के Gst पर दिए

गए बयानों के बाद उन्ही के पुत्र जयंत सिन्हा जी

के पलटवार पर दिखाई दे रहा है। जहाँ एक ओर

बीजेपी के यशवंत सिन्हा जी बीजेपी सरकार के

आर्थिक नीतियों की धज्जियाँ उडानेमे लगे हैं वहीं

उनके पुत्र मंत्री अपने पिता का विरोध करते हुए

बीजेपी सरकार की नीतियों की सराहना में लगे

हैं।

इसीलिए कहते हैं की राजनीति में कोई किसी का

सगा या पराया नहीं होता। जैसा समय वैसी भाषा।


गुरुवार, 28 सितंबर 2017


देश में आर्थिक मोर्चे पर मन्दी
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देश भर में चर्चा चल रही है की मोदी सरकार

आर्थिक मोर्चे पर विफल रही है। पहले नोटबंदी

और अब Gst के कारण उद्योग धंधे मन्दी की

गिरफ़्त में हैं। रोजगार के मौके कम हो रहे हैं।

जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।

उपरोक्त सभी बातें लगभग ठीक ही हैं। लेकिन

सोचने की बात यह है की इन सबके लिए क्या

मोदीजी ही जिम्मेवार हैं ,हम सब नहीं ?

मोदीजी ने नोटबंदी इस लिए करी की जिससे

कालाधन पकड़ा जाए। लेकिन क्या यह सच

नहीं है की लगभग हम सभी का पुराने नोटों

में निहित कालाधन बदला नहीं गया ? क्या

बैंक वालो के द्वारा पुराने नोटों से नए नोट बदले

नहीं गए ?क्या जो गरीब लोग नोट बदलवाने के

लिए लम्बी लम्बी लाइनों में लगे थे वह नोट उन्ही

के थे या दिहाड़ी पर लगे थे ?

अब ऐसे ही Gst की बात भी ऐसी ही है। कांग्रेस

Gst ला रही थी तब बीजेपी ने अड़ंगा लगाया। अब

यही Gst बीजेपी के गले की फाँस बन गई लेकिन

क्या यह सत्य नहीं की यदि कांग्रेस Gst लाती तो

पहले साल उसे भी ऐसी ही परेशानी उठानी ही

पड़ती ?

सरकार तेल के दाम शायद इसलिए कम नहीं कर

रही की पिछली सरकारों के घाटे की भरपाई अब

दाम कम न करके कर रही हो।गैस पर से सब्सिडी

का बोझ कम करने और गरीब तक गैस पहुँचे  इस

वजह से अमीर उपभोक्ता से गैस की सब्सिडी छोड़ने

की अपील की गई।

रोजगार के मौके कम हो रहे हैं। यह बात सही प्रतीत

हो रही है। लगता है सरकार इस पर जल्दी ही सचेत

होगी। सरकारी स्तर पर भी नौकरियों के बहुत मौके

हैं। लगता है जल्दी ही सरकार भर्तियां शुरू करेगी।


इन सब बातों के आलावा यदि हम सरकार को दूसरे

नजरिये से देखें तो पिछले तीन सालों के कामकाज

में मोदी सरकार पर कोई भ्र्ष्टाचार का आरोप नहीं

है। विदेशों में भारत की छवि निखर कर आयी है।

मोदीजी का डंका पुरे विश्व में बज रहा है। पाकिस्तान

और चीन को मुँह तोड़ जबाब दिया जा रहा है। जबकि

कांग्रेस की सरकार में चीन से दबकर रहा जाता था।

मोदीजी का सबसे बड़ा मंत्र *सबका साथ सबका विकास *

के अनुसार कार्य हो रहा है। हालांकि विरोधियों को यही

बात पच नहीं रही है और विरोधी मौकों की तलाश करते

रहते हैं की कब कोई भूल हो और हल्ला मचाये।

वर्तमान की कुछ परेशानियों को कुछ समय सहन करे

तो यह निश्चित ही लगता है की भारत आने वाले समय

में एक महा शक्ति बन ही जाएगा।

                          चिन्तक   -    -   -     सुनील जैन राना 


बुधवार, 27 सितंबर 2017

बिजली चोरी 

बिजली व्यवस्था में सुधार
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मोदी सरकार में देश भर की बिजली व्यवस्था काफी सुधरी है।

बड़े शहर -छोटे शहर -कस्बे -गाँव सभी जगह बिजली की आपूर्ति

पहले से बहुत ज्यादा बढ़ी है।

पहले छोटे शहर -कस्बे -गाँव में बिजली कटौती बहुत ज्यादा होती

थी ,लेकिन अब सभी जगह पहले से बहुत ज्यादा बिजली मिल रही

है। सरकार बिजली चोरी रोकने के बहुत प्रयास कर रही है। मोदीजी

ने कहा भी है की यदि बिजली चोरी बंद हो जाए तो सभी को २४ घण्टे

बिजली मिल जाए।

बिजली बचाने का एक मुख्य तरीका यह भी हो सकता है की देश भर

में सड़को पर लगे लाखों -करोड़ो हेलोज़न यदि LED लाईट में बदल

दिए जाए तो बेहताशा बिजली बच सकती है। हालांकि सरकार इस

दिशा में कार्य कर भी रही है। दूसरी बात की सड़को पर लगे हेलोज़न

अक्सर अँधेरे से काफी पहले और प्रातः उजाला होने के काफी बाद

तक जले रहते हैं। यदि प्रतिदिन दो घंटे भी लाखों हेलोज़न ज्यादा

जलते हैं तो हिसाब लगाकर देखो की रोजाना कितनी बिजली व्यर्थ

जलती है। यह सिर्फ सरकार का ही दायित्व नहीं है बल्कि हम सभी

को अपने इलाके में लगे हेलोज़न को समय पर जलाने और समय पर

बंद करने चाहियें। 

रविवार, 24 सितंबर 2017



NGO =सेवा भावना या लूट के खाना
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देश में NGO की भरमार थी। मोदीजी के आने के बाद

कुछ कम हो गई। मोदीजी ने लगभग ३३ हज़ार NGO

में से लगभग २० हज़ार NGO पर पाबंदी लगा दी।

NGO से तातपर्य सेवा भावना से जनहित के कार्य करना

होता है लेकिन पिछले ६५ सालों में अधिकांश NGO द्वारा

सेवा कार्य हेतु प्राप्त धन स्वहित में लगाया जाने लगा। कोई

कहने सुनने वाला नहीं था। खुद भी खाओ और दुसरो को

भी खिलाओ। जिस कार्य के लिए धन मिला था उसे न करो।

देश में विदेशों से NGO के लिए बहुत मोटा धन आता था।

जो सेवा कार्य में खर्च ना होकर NGO के कर्ता धर्ताओ की

जेब में जाता था।

मोदी सरकार ने NGO की जाँच में दोषी पाए गए लगभग

२० हज़ार NGO बन्द करा दिए। बाकि के NGO भी जाँच

के घेरे में हैं। सही बात है गरीबों की भलाई के लिए मिला

धन गरीब के ही काम आना चाहिए। 

शनिवार, 23 सितंबर 2017



विभागीय सूचना -समस्या केंद्र बनें
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सरकार द्वारा अधिकांश सरकारी दफ्तरों से संबन्धित सुचना

या समस्या निवारण हेतु सोशल मिडिया यानि ट्विटर -फेसबुक

या वाट्सएप आदि पर अकॉउंट होने चाहिए। जिससे एक आम

आदमी अपनी परेशानी उस विभाग तक पहुँचा सके।

अक्सर हम सभी कहीं पर ठगे जाने या किसी के द्वारा उत्पीड़न

का शिकार हो जाने पर भी संबंधित विभाग या पुलिस चौकी जाने

से बचते हैं। जैसे पूर्व रेलवे मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने ट्विटर के द्वारा

आम आदमी की परेशानी का सम्भवतः हल निकाला था। इसी

प्रकार आम जनता से संबंधित विभागों को सोशल मिडिया पर

होना चाहिए।

कुछ बाते ऐसी हैं जैसे रेस्टोरेंट में खाने के बिल में Gst आदि

अन्य टैक्स लगे होते हैं लेकिन वह बिल असली नहीं होता। अब

यदि सेलटैक्स विभाग का अकॉउंट सोशल मिडिया पर होगा तो

उपभोक्ता बिल की फोटो सेलटैक्स के अकॉउंट पर पोस्ट कर

देता। इससे सरकार को फायदा यह होगा की फर्जी बिल बनने

बंद हो जायेंगे।

काश सरकार इसपर कुछ विचार करे। इससे उपभोक्ता को

भटकना नहीं पड़ेगा। मोबाईल के द्वारा ही शिकायत दर्ज हो

जाएगी। ऐसा सभी विभागों में हो सकता है। 

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017


सही है यार -सही नहीं है यार
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सरकारी विज्ञापनों में म्यूचलफण्ड का विज्ञापन

अक्सर दिखाया जा रहा है जिसमे म्यूचलफंड

में निवेश को *सही है यार* सही बताया गया है।


एक गरीब आदमी को ६००० का बोनस मिला

उसने अपने दोस्त से पूछा की कहाँ निवेश करूँ ?

तब उसका दोस्त उसे बताता है की म्यूचलफंड

में आँख मीचकर निवेश कर दे। सही है यार।

यह विज्ञापन कहाँ तक उचित है। क्या उसके

दोस्त की बात ठीक है या विज्ञापन की बात ठीक

है ?यह बहुत चिंतन का विषय है। हालांकि विज्ञापन

के आखिर में म्यूचलफंड के जोखिम की बात ना

पढ़े जाने वाले शब्दों में लिखी दिखाई जाती है।


सही है यार वाली बात बिलकुल सही नहीं है।

यदि उस गरीब को कुछ ही महीने में रुपयों की

जरूरत पड़ गई तो म्यूचलफंड वाले बिना बताये

उसकी धनराशि में से १%रकम काटकर दे देंगे।

बाजार का जोखिम ऐसा है की उस गरीब के ६०००

में बढ़ोतरी हो या ना हो लेकिन जरा सा शेयर बाजार

टूटते ही उसकी धनराशि में कितनी कमी आ जाए

कुछ नहीं पता। जैसे कल तक शेयर बाजार बुलंद

था लेकिन आज निफ़्टी के १५० प्वाइंट से ज्यादा टूट

गए। जिसका खामियाजा कल को ही उपभोक्ता को

भुगतना पड़ेगा।

म्यूचलफंड के जोखिम कौन पढ़ता है कौन ठीक से

बताता है। अधिकांश ब्रोकर अपने कमीशन में लगे

रहते हैं और पूरी बात नहीं बताते। खासकर गरीब

इंसान जिसे निवेश का स्वरूप ही पता नहीं होता वह

किसी की भी बातों में फस सकता है। गरीब आदमी

के लिए तो बैंक की एफडी ही सबसे सुरक्षित निवेश

है। म्यूचलफंड का जोखिम झेलना उसके बस की

बात नहीं है।

इसलिये *सही है यार *वाला विज्ञापन सही नहीं है।






बुधवार, 20 सितंबर 2017


अशर्फियाँ लुट रही -कोयलों पर मोहर लग रही
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देश में एक तरफ विकास का वातावरण बना हुआ है।

मोदीजी की नीतियाँ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी

सराही जा रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ देश में विकास

की गति तेज़ होने की बजाय कम होती दिखाई दे रही

है। आँकड़े बता रहे हैं की उद्योगों की ग्रोथ रफ्तार में

कमी आयी है। पहले नोटबंदी और अब Gst के कारण

कामधंधे मंदे हो रहे हैं।

अब बात करें जनता की तो जनता को महंगाई से राहत

तो जरूर है लेकिन गैस और तेल जैसी जरूरत की चीजों

ने राहत में सेंध लगा दी है। सरकारी तौर पर देंखे तो ऐसा

लगता है जैसे सरकार अशर्फियाँ लुटाने में परहेज़ नहीं

कर रही और कोयलों पर मोहर लगाने से भी नहीं चूक

रही।

बड़े घरानों पर लाखों करोड़ का एनपीए है यानि बैंको का

धन /लोन है। उनसे सरकार बसूल नहीं रही या बसूल नहीं

पा रही। जबकि जनता की राहत के कुछ हज़ार करोड़

पर पाबंदी लगा रही। आम जनता के घर घर में काम आने

वाली गैस पर से कुछ हज़ार करोड़ बचाने को जनता को

परेशानी में डाल रही।

ऐसी अनेक बातें हैं जो लिखी जा सकती हैं। सरकार की

एयर इंडिया जो सदैव घाटे में ही रहती है शायद भ्र्ष्टाचार

के कारण उसे उबारने के लिए हज़ारो करोड़ दे देगी लेकिन

भ्र्ष्टाचार पर लगाम फिरभी नहीं लगी ?जबकि अन्य निजी

विमानन कम्पनियाँ हमेशा लाभ में ही रहती हैं। ऐसे ही

सरकारी बैंक जो कॉर्पोरेट्स से मिलीभगत कर बसूला ना

जाने वाला लोन बाँट देते हैं। सरकार इनपर कार्यवाही नहीं

करती जबकि एक आम आदमी का छोटा लोन ना चूका पाने

पर बैंक उसके साथ ज्यादती कर बैठता है।

कहने का तातपर्य यह है की देश में ऐसा माहौल हो रहा है

जिससे लगता है की अशर्फियाँ लुट रही और कोयलों पर

मोहर लग रही।


रविवार, 17 सितंबर 2017



मोदीजी का जन्मदिन
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आज मोदीजी का जन्मदिवस है। हम मोदीजी को

हार्दिक शुभ कामनायें प्रेषित करते हैं।

ह्रदय के उदगार यह हैं की मोदीजी स्वस्थ रहें ,

ऊर्जावान रहें ,१५ साल भारत के प्रधानमंत्री रहें।



दिल से चाहते हैं की माननीय विवेकानंद जी की यह

भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हो। जय जिनेन्द्र। 

शनिवार, 16 सितंबर 2017



जब हर वस्तु पर टैक्स तो फिर क्यों इन्कमटैक्स ?
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सरकार जीवन में काम आने वाली हर वस्तु पर टैक्स बसूल रही है।

आम आदमी गरीब हो या अमीर हो सब समान रूप से प्रत्येक खरीद

पर टैक्स देता है। फिर क्यों सरकार इन्कमटैक्स बसूलती है।

Gst आने से पहले यह कहा जा रहा था की बस अब सारे टैक्स खत्म

Gst लागू। लेकिन जनता और व्यापारी अब इसे धोखा ही मान रहे हैं।

कुछ वस्तुओं पर Gst नहीं लगाया गया , क्योंकि Gst लगाने से उनकी

कीमत बहुत कम हो जाती। ऐसी मुख्य रूप से दो वस्तुऍ हैं। पहली

वस्तु शराब एवं दूसरी वस्तू तेल यानि की पेट्रोल-डीजल है।

यह दोगली नीति अब जनता में गुस्से के रूप में उभर रही है। आम

आदमी या व्यापारी जो पहले नोटबंदी से परेशान था और अब Gst

से परेशान है वह सरकार की इस दोगली नीति से अपने आप को

ठगा सा महसूस कर रहा है।

दुनिया भर में तेल के दाम कम हो रहे हैं लेकिन ऐसा क्या हो रहा है

भारत में की तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार ने जब से तेल

कम्पनियों को तेल के दाम निर्धारित करने का अधिकार दिया है तब

से लगातार तेल के दाम बढ़ाये जा रहे हैं ,ऐसा क्यों हो रहा है इसका

जबाब देने वाला कोई नहीं है। अब यह मनमानी जनता में उबाल ले

रही है। सिर्फ सरकार विरोधी नहीं बल्कि मोदी भक्त भी इस मनमानी

के खिलाफ सड़को पर उतरने की सोच रहे हैं। अच्छा यही है की सरकार

समय रहते इस मनमानी पर रोक लगाए और तेल को भी Gst के दायरे

में लेकर जनता को राहत प्रदान करे।

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017



पोलेथिन पर बैन
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देश के किसी ना किसी राज्य से पोलेथिन बैन

की खबरे आती रहती हैं। अभी हाल में महाराष्ट्र

में पोलेथिन पर पाबंदी लगाने के संकेत मिले हैं।


राज्य सरकारें बिना सोचे समझे अचानक ही ऐसे

निर्णय ले लेती हैं जिनपर पूर्ण रूप से अमल करना

मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता है।

आज के परिवेश में पोलेथिन हमारी जिंदगी में ऐसे

रच बस गई है जिससे लगता है की अब इसके बिना

गुजारा नहीं।

घर से थैला लेकर चलने की संस्कृति तो खत्म ही हो

गई है। अब तो दूध -फल -सब्जी से लेकर अन्य सभी

वस्तुएँ पोलेथिन में ही आती हैं। खाने पीने के उत्पाद

नमकीन -मसालें -बिस्कुट -दाल -चावल -घी आदि

सभी कुछ पोलेथिन में ही पैक होकर मिलता है।

सरकार को किसी भी चीज पर पाबंदी लगाने से पहले

उसके विकल्पों के बारे में जनता एवं व्यापारियों को

बताना चाहिए। पोलेथिन का विकल्प बताये सरकार।

तभी इसपर लगाई पाबंदी कामयाब होगी अन्यथा

अन्य राज्यों की तरह शुरू में हल्ला मचेगा ,कुछ की

धर  पकड़ होगी ,आंदोलन होंगे फिर धीरे धीरे सभी

पोलेथिन पर पाबंदी की बात भूल जायेंगे। 

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

 हिन्दी दिवस



   



हाइकु
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हिन्दी माँ जैसी
अन्य सभी भाषाएँ
बहनों जैसी

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आज हिन्दी दिवस है
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देश भर में कहीं हिन्दी पखवाड़ा मनाया जा रहा

कहीं डिबेट हो रही ,कहीं हिन्दी बचाओ के बैनर

आदि लगाकर हिन्दी को बचा लिया गया।

प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस पर ऐसा ही होता है। फिर

वही दिनचर्या शुरू हो जाती है जो अधिकांश हिन्दी

में ही होती है। महसूस तब होता है जब हमारे देश

के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति महोदय ही

पूर्ण हिन्दी भाषी नहीं हैं। हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री

मोदीजी के ट्विटर अकाउंट पर अधिकांश ट्विट भी

अंग्रेजी में होते हैं।

कुछ भी हो आज हिन्दी एक ऐसी भाषा बन गई है

जिसके बिना भारतीयों का गुजारा नहीं है। देश के

सभी राज्यों के निवासी कभी कभी भले ही गैर हिंदी

भाषी राज्य में हिंदी और हिंदी भाषियों की अवहेलना

करते हो लेकिन सत्य बात यह है की वे खुद हिंदी

समझते भी हैं और बोल भी लेते हैं।

यही नहीं आज के भौतिक युग में नेट के जमाने में

गूगल से लेकर सभी हिंदी में अपने कार्यक्रम आदि

लेकर आ रहे हैं। आज हिंदी भाषियों की बढ़ती तादाद

के कारण विश्व भर में हिंदी पर कार्य हो रहा है।

हिंदी के प्रयोग में शुद्ध हिंदी ही आड़े आती है। सरकारी

गैर सरकारी स्तर पर भी हिंदी इसी लिए पिछड़ जाती है

की शुद्ध हिंदी के शब्द समझ नहीं आते हैं। बैंक के लेनदेन

के ही शब्द जैसे आहरण -अदाता -निर्दिष्ट सीमा आदि अनेक

तकनीकी शब्दों के कारण हिंदी पिछड़ रही है। ऐसे में

अंग्रेजी के प्रचलित शब्द प्रयोग करने की छूट होनी चाहिए।

जैसे की पासबुक -चैकबुक -ATM कार्ड आदि। अब यदि

हम इन शब्दों को हिंदी में लिखना चाहेंगे तो क्या लिखेंगे ?

चैकबुक को हम हिंदी में क्या कहेंगे ?ऐसी परेशानियों का

उपाय यही है की अधिकांश शब्द हिंदी के हो अन्य कुछ

प्रचलित शब्द अन्य सभी भाषाओं के हों।

कुछ भी हो हिंदी अन्य सभी भाषाओं के माथे की बिंदी

जैसी तो है ही। 

बुधवार, 13 सितंबर 2017



तेल का खेल
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दुनिया भर में तेल के दाम कम हो रहे हैं

लेकिन भारत में तेल यानि पेट्रोल-डीजल

के दाम आसमान पर हैं।

जनता सोच रही थी की Gst के बाद तेल

के दाम कम हो जायेंगे लेकिन सरकार ने

तेल को Gst से बाहर रखा ही बल्कि तेल

कम्पनियों को ही तेल की कीमत प्रतिदिन

तय करने के अधिकार भी दे दिए।

अब जनता को यह समझ नहीं आ रहा की

डायनमिक प्राइस में रेट बढ़ ही रहे हैं कभी

कम भी तो होने चाहिये। १६ जून २०१७ से

लगातार तेल के खेल में जनता पिस रही है।


रविवार, 10 सितंबर 2017


रेयान स्कूल का प्रदुमन
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गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित स्कूल रेयान में प्रदुमन नाम के बच्चे की हत्या

दिल को दहला देने वाली है। यह हादसा अचानक हुआ या कोई सोची

समझी साज़िश हुई यह तो जांच का विषय है। लेकिन जो भी कुछ हुआ

वह बच्चों के भविष्य की विषम परिस्थितियों को ज़ाहिर करता है।

दुर्घटना के बाद बच्चों के अभिवावकों का क्रोधित होना स्वाभाविक ही

है ,लेकिन व्यर्थ की तोड़ फोड़ -आगजनी से भी कुछ हासिल होने वाला

नहीं है। जांच होनी चाहिये ,दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए और

भविष्य में किसी भी स्कूल में दोबारा ऐसा नहीं हो उसके उपाय होने

चाहिये।

कोई भी अच्छा स्कूल बच्चों की सुख -सुविधा ,जरूरत का ध्यान रखता

ही है। बच्चे सुरक्षित वातावरण में रहें इस बात का भी पूरा ध्यान रखा

जाता ही है। ऐसा हादसा होना अनहोनी जैसा ही है।

अनहोनी कहीं भी किसी भी के साथ हो सकती है। हम सब अपने घरों

में सुरक्षित रहते हुए भी सुरक्षित नहीं हैं यह आज के दौर का सत्य है।

किसी भी स्कूल के मालिक या प्रबंधक आदि स्कूल के हर कोने या हर

समय पहरा नहीं दे सकते। भले ही उनका खुद का बच्चा भी उनके ही

स्कूल में पढ़ता हो।

ऐसी अनहोनी भविष्य में न हो इसके उपाय सभी संस्थाओ को करने

ही चाहिए। अपने सभी कर्मचारियों का पुलिस से सत्यापन कराना ही

चाहिए। बिना परमिशन बाहरी व्यक्ति को अन्दर आने देना नहीं चाहिये।

अनहोनी जानबूझकर नहीं होती। ऐसे में हंगामा करना ,तोड़फोड़ करना ,

आगजनी करना जायज नहीं है। हो सकता था की ऐसी अनहोनी स्कूल

के प्रबंधक परिवार आदि के साथ भी तो हो सकती है। क्या फिर भी

बच्चों के अभिभावक ऐसे ही हंगामा करते ?यह चिंतन का विषय है। 

शनिवार, 9 सितंबर 2017



रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार
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रोहिंग्या मुसलमान लाखों की संख्या में

म्यंमार से बंग्लादेश से भारत आदि में अपनी

जान बचाने को भटक रहे हैं।

देश में कई जगह मुस्लिम संगठनों ने भी उन्हें

भारत में बसाने की वकालत की है। जबकि

अन्य अनेक संगठन उनको भारत में बसाने का

पुरजोर विरोध कर रहे हैं।

विश्व के लगभग १०० से अधिक देशों ने इन्हे अपने

यहाँ बसाने को मना कर दिया है। लगभग ५६ से

अधिक मुस्लिम देश भी उन्हें अपने देश में पनाह

देने को राज़ी नहीं हैं ?

इसका मतलब कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर है जो

इन्हे कोई अपने यहाँ पनाह देना नहीं चाहता ?

गुरुवार, 7 सितंबर 2017



जैन धर्म में दशलक्षण धर्म पूर्ण होने के

एक दिन बाद क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है।



जैन धर्म - जैन बुक
         रचियता
  सुनील जैन राना



बुधवार, 6 सितंबर 2017



दशलक्षण धर्म पर कुछ हाइकु
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जैन मनाते
दशलक्षण धर्म
मोक्ष मार्ग के
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पूजन करूँ
परम् शान्ति पाऊँ
मन्दिर जाऊँ
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झूठ -हिंसादि
कुशील - परिग्रह
पाप नसाऊँ
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मंगलवार, 5 सितंबर 2017



उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

दशलक्षण धर्म का दसवाँ और अंतिम दिन



जैन धर्म - जैन बुक

सुनील जैन राना 

सोमवार, 4 सितंबर 2017

रविवार, 3 सितंबर 2017



उत्तम त्याग धर्म

दशलक्षण धर्म का आठवाँ दिन


जैन धर्म -जैन बुक

सुनील जैन राना 

शनिवार, 2 सितंबर 2017



उत्तम त्याग धर्म

आज दशलक्षण धर्म का आठवाँ दिन है

इस बार एक तिथी बढ़ जाने से दशलक्षण धर्म

११ दिन मनायें जायेंगे। इसलिए उत्तम त्याग

धर्म की पूजा कल करेंगे। क्योकि आज ईद है

इस कारण हमनें धर्म के नाम पर पशुओं की

बलि जाने पर उन पशुओं की आत्मा शांति हेतु

शान्ति विधान किया।

जैनियों में दसलक्षण धर्म मनाते हैं लेकिन यदि

सभी मनुष्य १० धर्म अपनायें या १० कषाय-पापो

का त्याग करे जो सभी धर्मानुसार होती हैं तो हम

सभी का जीवन निर्मल बन जाये।









शुक्रवार, 1 सितंबर 2017



उत्तम तप धर्म

दशलक्षण धर्म का सातवाँ दिन




जैन धर्म - जैन बुक

सुनील जैन राना 

वरिष्ठ नागरिक

*ध्यान से पढ़ें* *कृपया पढ़ना न छोड़ें* *👏जब बूढ़े लोग बहुत अधिक बात करते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे आशीर्वाद के...