बार बार क्यों मारते हो रावण को ?
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प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष फिर एक बार
रावण के पुतले का दहन कर दिया गया।
इस कार्य में जुड़े सभी लोगो ने एक दूसरे
को बधाई दी और अगले वर्ष फिर से कैसे
रावण को नए तरीके से बनायेंगे और कैसे
नये तरीके से उसका दहन करेंगे इस सोच
के साथ विदा ली।
हम दशकों से यही देखते आ रहे हैं। लेकिन
रावण है की मरता ही नहीं। एक साल पूरा
होने से पहले ही फिर से जीवित हो उठता है।
इस साल तो एक नई बात ही सुनने -देखने में
आ रही थी की इस बार भयंकर बरसात की
वज़ह से रावण जल कर नहीं बल्कि डूबकर
मरेगा। लेकिन होनी बलवान है। रावण मरेगा
तो जलकर ही इस बात की पुष्टि आज हो गई।
समझ में नहीं आता की हम लोग कब तक ऐसे
ही रावण के पुतले बनाते रहेंगे और जलाते रहेंगे।
हम कभी भी यह क्यों नहीं सोचते हैं की हम
रावण को जलाते क्यों हैं ?चलो आज सोच भी
लिया तो पता चला की हम रावण को उसकी
बुराइयों को खत्म करने की प्रेरणा के कारण
जलाते हैं। लेकिन यह नहीं सोचते की दशकों
से रावण जलाकर भी रावण रूपी बुराइयाँ क्यों
नहीं खत्म हो रही। बल्कि यों कहिये की रावण
ने तो सिर्फ सीताजी के अपहरण का अपराध
किया था लेकिन आज तो कन्या रूपी न जाने
कितनी सीताजी का अपहरण ही नहीं बल्कि
बलात्कार तक हो रहा है।
जब तक हम अपने अंदर के रावण की बुराइयों
को नहीं खत्म करेंगे तब तक समाज में ऐसे ही
अपराधों का बोलबाला रहेगा। कभी तो हमें इस
बदलाव की ओर बढ़ना ही पड़ेगा। तब ही रावण
रूपी बुराइयाँ खत्म हो सकेंगी। रावण के पुतले
को नहीं बल्कि हम सबको अपने अंदर के रावण
को जलाना चाहिए। वही सही रूप में विजयदशमी
कहलायेगी।