रविवार, 3 जुलाई 2022
भारतीय संस्क्रति अपनाओ
*हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे...!*
*फिर हम वह अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं...?🤔*
*जरा इन पर विचार करें...🧐👇*
० यदि *मातृनवमी* थी,
तो Mother’s day क्यों लाया गया?
० यदि *कौमुदी महोत्सव* था,
तो Valentine day क्यों लाया गया?
० यदि *गुरुपूर्णिमा* थी,
तो Teacher’s day क्यों लाया गया?
० यदि *धन्वन्तरि जयन्ती* थी,
तो Doctor’s day क्यों लाया गया?
० यदि *विश्वकर्मा जयंती* थी,
तो Technology day क्यों लाया गया?
० यदि *सन्तान सप्तमी* थी,
तो Children’s day क्यों लाया गया?
० यदि *नवरात्रि* और *कन्या भोज* था,
तो Daughter’s day क्यों लाया गया?
० *रक्षाबंधन* है तो Sister’s day क्यों ?
० *भाईदूज* है तो Brother’s day क्यों ?
० *आंवला नवमी, तुलसी विवाह* मनाने वाले हिंदुओं को Environment day की क्या आवश्यकता ?
० केवल इतना ही नहीं, *नारद जयन्ती* ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है...
० *पितृपक्ष* ७ पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है...
० *नवरात्रि* को स्त्री के नवरूपों के दिवस के रूप में स्मरण कीजिये...
*सनातन पर्वों को अवश्य मनाईये...*
हमारी सनातन संस्कृति में मनाए जाने वाले विभिन्न पर्व और त्योहार मिशनरीयों के धर्मांतरण की राह में बाधक हैं। बस, इसीलिए हमारी धार्मिक परंपराओं से मिलते जुलते उत्सव कार्यक्रम मिशनरीयों द्वारा लाए जा रहे हैं।
ताकि आपको सनातन सभ्यता से तोड़कर धर्मांतरण की ओर प्रेरित किया जा सके...
अब पृथ्वी के सनातन भाव को स्वीकार करना ही होगा। यदि हम समय रहते नहीं चेते तो वे ही हमें वेद, शास्त्र, संस्कृत भी पढ़ाने आ जाएंगे!
इसका एक ही उपाय है कि, अपनी जड़ों की ओर लौटिए। अपने सनातन मूल की ओर लौटिए। व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइए। अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत कीजिये। जीवन में भारतीय पंचांग अपनाना चाहिए, जिससे भारत अपने पर्वों, त्यौहारों से लेकर मौसम की भी
अनेक जानकारियां सहज रूप से जान व समझ लेता है।
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