रविवार, 24 जुलाई 2022
चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका
धोखेबाज़ चीन, पाकिस्तान एवं श्रीलंका
अहंकारवादी, विस्तारवादी,साम्राज्यवादी, धोखेबाज़ चीन पूरे विश्व मे अपने इन्ही कारणों से अपनी साख खोता जा रहा है। अपने धन और ताकत के सहारे विश्व के कई देशों को अपने मकड़जाल में उलझाकर उनको बर्बाद करने पर तुला रहता है। धन बल के कारण चीन कमजोर देशों को आर्थिक मदद के बहाने धन के एवज में उनके बंदरगाह एवं महत्वपूर्ण भूमियों को अपने कब्जे में लेकर वहाँ अपनी सैन्य शक्ति स्थापित कर धमकी देता रहता है। अनेक देश चीन के चंगुल में फसते जा रहे हैं।
चीन ऊपर से सहायता का दिखावा कर अंदर भितरघात में लगा रहता है। लेकिन अब उसकी यह नीति उसी पर भारी पड़ रही है। विश्व के कई देश उसके खिलाफ हो गए हैं। जिस प्रकार पाकिस्तान को आतंकी देश के रूप में देखा जाता है उसी प्रकार आज चीन को धोखेबाज़, मक्कार, विश्वासघाती देश के रूप में देखा जाने लगा है। जैसी करनी वैसी भरनी की कहावत चीन पर चरित्रार्थ हुई है। अप्रैल माह में चीन के हेनान प्रान्त में हुए बैंकिंग घोटाले ने चीन को सकते में डाल दिया है। चीन के एक बैंक से 6 अरब डॉलर गायब हो गए। जिसके बाद बैंक ने लोगो को उनका जमा पैसा देने से मना कर दिया। पैसा लेने वालों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि चीन को बैंक के बाहर बैटल टैंक लगा देने पड़े। भीड़ के हिंसक प्रदर्शन से चीन घबरा गया। यह एक बानगी उस धनवान चीन की है जो दूसरों पर अपने धन का भार डालकर मनमानी करता था।
पाकिस्तान की बात करें तो वहां भो बुरा हाल है। चीन के कर्ज में दबकर पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है। दुनिया का कोई भी देश पाकिस्तान को डॉलर देना नही चाहता है।यहां तक कि 56 मुस्लिम देश भी पाकिस्तान की मदद करने से इनकार कर दिए हैं। पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर है। कभी नियाजी कभी नवाजी सत्ता पर धावा बोल सत्तासीन हो रहे हैं।लेकिन जनता का भला करने में नाकाम हो रहे हैं।
यही हाल श्रीलंका का हो गया है।श्रीलंका भी चीन की कूटनीति में फंसकर दिवालिया हो गया है। श्रीलंका की आर्थिक तबाही का मुख्य कारण चीन का कर्ज ही है। चीन ने श्रीलंका को अपने धन के मकड़जाल में उलझाकर उसे दिवालिया कर दिया है। श्रीलंका की आर्थिक स्तिथी पर संयुक्तराष्ट्र मानवाधिकार ने श्रीलंका की आर्थिक स्थिति के लिये चीन के कर्ज को जिम्मेदार माना है। चीन की इस चाल से अनेको देश तबाही की तरफ बढ़ रहे हैं।
भारत पर भी चीन की निगाहें अच्छी नहीं हैं। लेकिन मोदी सरकार ने भारत देश की सुरक्षा-सम्प्रभुता के लिये अनेक कदम उठाए हैं। भारत भले ही चीन से अकेले सामना करने में सक्षम नहीं हो लेकिन आज मोदीजी के नेत्तरव में कई बड़े देश चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं।
सुनील जैन राना
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