सोमवार, 6 जून 2022

समोसे की कथा

मैं समोसा हूँ छोटा सा तिकोना समोसा... ब्रह्माण्ड में किसी भी हलवाई की दुकान पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दुकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती....पहला तो हलवाई खुद और दूसरा मैं यानि कि समोसा ! मैं संसार की एकमात्र ऐसी रचना हूँ जिसके तीन कोने होने के बावजूद भी शान से सीना तान कर खड़ा हो जाता हूँ .....हलवाई की दुकान पर जब मुझे भर कर रखा जाता है तो तले जाने से पहले मैं और मेरा पूरा ग्रुप पंक्तिबद्ध रूप से यूँ ट्रे में खड़े दिखते हैं मानो सफ़ेद वर्दी पहने जवान सावधान की मुद्रा में खड़े होकर गार्ड ऑफ़ ऑनर दे रहे हों। अपने इसी शाही अन्दाज़ के कारण हज़ारों वर्षों से मैं स्नैक फ़ूड का अघोषित सम्राट हूँ और अपनी दो महारानियों यानी कि हरी चटनी और लाल चटनी के साथ फूडियों के दिलों में राज करता हूँ। मैं अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता.....एयरपोर्ट लाउंज की फैंसी लुटेरी स्नैक शॉप में Two samosas for two hundred rupees में भी मिलता हूँ और डाकखाने के सामने टीन के पतरे को तार से बाँध कर बनायी गई टपरी पर दस के दो में भी मिलता हूँ......ताज़ होटल की चाँदी की प्लेट में भी परोसा जाता हूँ और पुल के नीचे वाले ठेले पर अख़बार में लिपटा हुआ भी मिलता हूँ ......मतलब कुल मिला कर बड़े वाले सेठ जी और उनके घर का नौकर दोनों मेरा स्वाद लेते हैं... सड़क के किनारे किसी ठेले पर छोले और चटनी के साथ मेरा स्वाद लेते हुए नयी-नयी जॉब पर लगे हुए कूरियर कम्पनी के डिलीवरी बॉय के फ़ोन पर जब कॉल आती है और वो सामने से रिप्लाई करता है कि “मैं लंच कर रहा हूँ” तो क़सम से बहुत proud feel होता है.....बस यूं समझिये कि जहाँ कुछ भी खाने को नहीं मिलता वहां पर भी मैं यानी कि समोसा हमेशा प्राणरक्षक का काम करता हूँ। जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में मौत और दुकान में ग्राहक के आने का कोई निश्चित समय नहीं होता.... ठीक ऐसे ही मुझे खाने का भी कोई निश्चित समय नहीं है। ..आगरा, लखनऊ, बनारस, अलीगढ़, मथुरा में मुझे सुबह-सुबह नाश्ते में खाया जाता है.....देशभर की फ़ैक्टरियों, कम्पनियों की कैंटीन में तो मुझे दिन भर खाया जाता है.....स्कूल कॉलेजों की कैंटीन में मैं अनगिनत बनती-बिगड़ती प्रेम कहानियों का मैं गवाह बना हूँ..... इन कैंटीनों की कड़ाही में मेरा दिन भर उत्पादन होता ही रहता है ! लेबर को ओवरटाइम का पैसा भले ही बीस रुपए कम दे दो पर बीच में एक ब्रेक देकर चाय के साथ दो समोसा खिला दो फिर देखो कैसे लेंटर डलने का काम धांय धांय निपटता है। दिल्ली में मुझे मैश किए हुए आलू से भरा जाता है तो पंजाब में कटे हुए चौकोर आलुओं से.....मुम्बई वाले मुझे पाव के बीच में रख कर “समोसा पाव” बना देते हैं और चेन्नई-बैंगलोर वाले मेरा रूप बदल कर प्याज़ की भरावन के साथ मेरे खोल को envelope की तरह चपटा आकार देते हुए बंद करते हैं और बिल्कुल क्रंची रखते हैं.....वहीं भारत के बाहर खाड़ी देशों में मुझमें कीमा भर कर मांसाहारी रूप भी दिया जाता है तो दूसरी ओर Haldiram's International वाले मुझे मटर समोसा, काजू समोसा, पनीर समोसा आदि जैसे अठरंगी वेरायटी में बनाते हैं। देश भर में कहीं भी किसी स्कूल में निरीक्षक आ जाएँ, किसी कम्पनी में ऑडिटर आ जाएँ, दुकान पर कोई पुराना ग्राहक ख़रीदारी करने आ जाए तो चाय के साथ मेरा होना स्वाभाविक है......चाय के साथ चिप्स, बिस्किट, भुजिया कुछ भी हो पर अतिथि के लिए “अरे ! एक समोसा तो लीजिए” का आग्रह सम्बोधन एक सम्मान सूचक वाक्य माना जाता है। भारत के राष्ट्रीय स्नैक की पदवी के लिए चाहे तो कोई सर्वे करवा लीजिए या वोटिंग, मेरा दावा है कि इस पदवी पर मेरा चुनाव होना 100% पक्का है......यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व भर में मेरे करोड़ों चाहने वाले कह रहे हैं ! आपका अपना समोसा.....

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