क्यों बताते हो फार्मूला ?
November 21, 2019 • सुनील जैन राना • विचार
देश भर में मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने -बेचने पर खाद्य विभाग द्वारा अनेको पाबंदिया लगाने के बाद भी मिलावटी खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बन रहे हैं और बिक रहे हैं। खाद्य विभाग रजिस्टर्ड कंपनियों के खाद्य पदार्थो की जांच करती है जबकि सभी बाज़ारो में खुले घी -तेल -मसाले धड़ल्ले से बिकते दिखाई देते हैं।
मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री और बनाने पर मिडिया भी बहुत जागरूक रहता है। अक्सर तैयोहारों के समय मिडिया जनहित में जनता को सचेत करता है की मिलावटी खाद्य पदार्थो से बचें। खासकर त्योहारों के समय ही खाद्य विभाग मिलावटी खाद्य पदार्थो की धरपकड़ अभियान चलाकर जनता को मिलावटी वस्तुओं से राहत दिलवाते हैं।
इस सब कार्य में मिडिया की अहम भूमिका रहती है लेकिन इसमें विचारनीय बात यह है की खाद्य विभाग द्वारा पुलिस की सहायता से किसी भी मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने वाले कारखाने में बन रहा मिलावटी सामान तो दिखाते ही हैं साथ ही वहां कार्य कर रहे लोगो से मिलावट करने की विधि पूछकर बनाते हुए दिखा देते हैं। यह बहुत ही घातक कदम होता है।
हाल ही में टीवी के एक चैनल पर राजस्थान के अलवर में मिलावटी देशी घी बनाने का कारखाना पकड़ा गया। जहां पर मिलावटी देशी घी बनाकर विभिन्न कंपनियों के डब्बों में भरकर बाजार भेजा जा रहा था। ऐसी मिलावट करने वाले पर कठोर कार्यवाही होनी ही चाहिये। लेकिन उस स्थान पर पकड़े गए लोगो से मिलावटी देशी घी कैसे बनाया जाता है पुनः बनवाकर दिखाया गया जो बहुत ही घातक बात है।
देश में बेरोजगारों की कमी नहीं है। रोजगार न मिलने से अनेको लोग गलत कार्य करने से भी नहीं चूकते। ऐसे में कम लागत में ज्यादा मुनाफ़े वाले मिलावटी खाद्य पदार्थ के बनाने का फार्मूला मिलते ही कुछ बेरोजगार इसी कार्य को रोजगार बना लेते हैं। देश में सिंथेटिक दूध जो पहले कम ही बनता था मिडिया में बनाने के तरीके दिखाने के बाद ज्यादा बनने -बिकने लगा है। ऐसे ही अन्य मिलावटी खाद्य पदार्थ अब ज्यादा मांग के समय ज्यादा मात्रा में बनाये जाने लगे हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थ ही नहीं बल्कि कभी -कभी देशी बम -असले की कोई फैक्ट्री पकड़ी जाती है तो बम कैसे बनाते थे यह भी दिखा दिया जाता है?
जनहित में जिम्मेदार मिडिया को किसी भी गलत कार्य के करने -बनाने के तरीके को नहीं बताना -दिखाना चाहिये। ऐसा करने से असामाजिक तत्वों को घर बैठे गैर क़ानूनी रोजगार उपलभ्ध हो जाता है। * सुनील जैन राना *
मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री और बनाने पर मिडिया भी बहुत जागरूक रहता है। अक्सर तैयोहारों के समय मिडिया जनहित में जनता को सचेत करता है की मिलावटी खाद्य पदार्थो से बचें। खासकर त्योहारों के समय ही खाद्य विभाग मिलावटी खाद्य पदार्थो की धरपकड़ अभियान चलाकर जनता को मिलावटी वस्तुओं से राहत दिलवाते हैं।
इस सब कार्य में मिडिया की अहम भूमिका रहती है लेकिन इसमें विचारनीय बात यह है की खाद्य विभाग द्वारा पुलिस की सहायता से किसी भी मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने वाले कारखाने में बन रहा मिलावटी सामान तो दिखाते ही हैं साथ ही वहां कार्य कर रहे लोगो से मिलावट करने की विधि पूछकर बनाते हुए दिखा देते हैं। यह बहुत ही घातक कदम होता है।
हाल ही में टीवी के एक चैनल पर राजस्थान के अलवर में मिलावटी देशी घी बनाने का कारखाना पकड़ा गया। जहां पर मिलावटी देशी घी बनाकर विभिन्न कंपनियों के डब्बों में भरकर बाजार भेजा जा रहा था। ऐसी मिलावट करने वाले पर कठोर कार्यवाही होनी ही चाहिये। लेकिन उस स्थान पर पकड़े गए लोगो से मिलावटी देशी घी कैसे बनाया जाता है पुनः बनवाकर दिखाया गया जो बहुत ही घातक बात है।
देश में बेरोजगारों की कमी नहीं है। रोजगार न मिलने से अनेको लोग गलत कार्य करने से भी नहीं चूकते। ऐसे में कम लागत में ज्यादा मुनाफ़े वाले मिलावटी खाद्य पदार्थ के बनाने का फार्मूला मिलते ही कुछ बेरोजगार इसी कार्य को रोजगार बना लेते हैं। देश में सिंथेटिक दूध जो पहले कम ही बनता था मिडिया में बनाने के तरीके दिखाने के बाद ज्यादा बनने -बिकने लगा है। ऐसे ही अन्य मिलावटी खाद्य पदार्थ अब ज्यादा मांग के समय ज्यादा मात्रा में बनाये जाने लगे हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थ ही नहीं बल्कि कभी -कभी देशी बम -असले की कोई फैक्ट्री पकड़ी जाती है तो बम कैसे बनाते थे यह भी दिखा दिया जाता है?
जनहित में जिम्मेदार मिडिया को किसी भी गलत कार्य के करने -बनाने के तरीके को नहीं बताना -दिखाना चाहिये। ऐसा करने से असामाजिक तत्वों को घर बैठे गैर क़ानूनी रोजगार उपलभ्ध हो जाता है। * सुनील जैन राना *
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