दसलक्षण धर्म में आज उत्तम शौच का दिन है
कुछ पुस्तकों में आज उत्तम सत्य भी बताया गया है
इस पर एक सुंदर हाइकु
उत्तम शौच
मन में पवित्रता
सुचिता लाऊँ
उत्तम शौच से तातपर्य मन की पवित्रता से है। जब तक हमारा मन निर्मल नहीं होगा तब तक धर्म की सार्थकता नहीं है। दसलक्षण के प्रथम चार दिन चार कषायो का अभाव करना चाहिए। क्रोध, मान ,माया , लोभ ये चारो कषाय के अभाव स्वरूप ही मन में पवित्रता आती है। इन चारो कषायो के वशीभूत होकर ही मानव पाप करता है। इन चारों कषायो का त्याग कर हम अपनी आत्मा की आराधना करें ,अपनी आत्मा को पवित्र करें। यही उत्तम शौच धर्म कहलाता है।
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