बुधवार, 25 सितंबर 2019



पचास हज़ार मंदिर क्यों बंद हुए ?
September 25, 2019 • सुनील जैन राना
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। कुछ बातें सिर्फ भारत में ही सम्भव हैं। यहां सभी जाति के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। गज़ब की संस्कृति है भारत की। विविधताओं का देश है भारत। कहते हैं हर कुछ कोस यानि दुरी पर बोली बदल जाती है यहां। फिर भी भारत जैसा भाईचारा इतनी जातियां होते हुए भी अन्यंत्र कहीं देखने को नहीं मिलता।
कश्मीर से धारा ३७० हटाए जाने का देश भर में स्वागत हुआ है लेकिन कुछ नेता लोग धारा ३७० हटाने का विरोध कर रहे हैं। ये वही नेता लोग हैं जिनकी रोजी रोटी बंद हो गई है। जिन्होंने कश्मीरी आवाम को मिलने वाली सहूलियतें खुद के पेट भरने में लगा डाली। देश की जनता को जिस प्रकार सरकारी सहायता मिल रही है उससे इन नेताओं ने कश्मीरी जनता को मरहूम रखा। बस पाकिस्तान के साथ दोस्ती रखते हुए कश्मीर को आतंक के साये में रखकर कश्मीरी आवाम को बरगलाया। इन नेताओ के खुद के बच्चे विदेशो में पढ़ते हैं और कश्मीरी बच्चों के हाथों में पत्थर देकर सेना के आगे भेज दिया। खैर अब धीरे -धीरे सब ठीक हो रहा है। शायद लाखों कश्मीरी पंडितो के साथ भी न्याय होगा और उनकी घर वापसी हो सकेगी।
विडंबना की बात यह है की ९० के दशक में आतंकियों ने कश्मीर से हिंदुओ का कत्लेआम कर बाकी को वहां से निकालने की प्रकिर्या में वहां स्थित हिन्दू मंदिरो को भी तहस -नहस कर दिया। बताया जाता है की लगभग पचास हज़ार मंदिर जिनमे से कुछ तोड़ दिए गए कुछ आतंक के साये में बंद हो गए। अब फिर से उन मंदिरो में घंटो की आवाज़ गूंजेगी।
भारत देश में बहुसंख्यक हिन्दुओ के साथ ऐसा होने पर भी आपस में भाईचारा कायम रहना ही भारतीय संस्कृति की महत्ता को दर्शाता है। मुठ्ठी भर लोग किसी भी धर्म के कुछ गलत कार्य कर जाते हैं लेकिन बाकि लोग फिर भी भाईचारा कायम रहे इसमें जुटे रहते हैं। इसी कारण भारतीय संस्कृति विश्व भर में अपनी अनूठी पहचान बनाये हुए है।
अब जब कश्मीर में भारतीय कानून पुनः लागू हो गया है तो सभी को समान अधिकार मिल गए हैं। कश्मीरी अवाम को अनेको सुहलियते ,रोजगार के नए आयाम मिलने लगेंगे। ऐसे में उन्हें भी चाहिए की वहां से निष्काषित हिन्दू पंडितो को पुनः उनकी जगह दिलवाने में उनकी सहायता करे। धर्म कोई बुरा नहीं होता ,हममे से ही कुछ लोग उसे बुरा बना देते हैं। भारत में सभी जाति के लोग आपस में एक दूसरे के पूरक हैं। मोदीजी भी सदैव १३० करोड़ भारतीयों के विकास की बात करते हैं। ऐसे में हमें भी आपस में मिलजुलकर रहना ही चाहिए। पुरानी बातों की बुराइयाँ अनदेखी कर नये भारत का निर्माण करने की ओर अग्रसर होना चाहिये। *सुनील जैन राना *  

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