सोमवार, 30 सितंबर 2019
रविवार, 29 सितंबर 2019
शुक्रवार, 27 सितंबर 2019
ट्रम्प कितने विश्वासपात्र ?
September 27, 2019 • सुनील जैन राना
अमेरिका के ह्यूस्टन में २२ सितंबर को हुआ हाउदी मोदी कार्यक्रम अमेरिका और भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होने वाला कार्यक्रम हुआ। जिसमे पचास हज़ार से अधिक प्रवासी भारतीयों ने मौज मस्ती के लिए नहीं बल्कि महंगा टिकट लेकर शिरकत की। यह भारत देश एवं मोदीजी के लिए ऐतिहासिक गर्व करने वाली बात है।
यूँ तो भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में मोदीजी के कार्यो और नीतियों की सभी सराहना करते हैं। पिछले पांच वर्ष से अधिक समय से ही मोदीजी विश्व पटल पर छाए हुए हैं। लेकिन इस कार्यक्रम के बाद मोदीजी का मान सम्मान सम्पूर्ण विश्व में और ज्यादा बढ़ा है। महंगा टिकट लेकर किसी नेता को सुनने इतनी भारी भरकम भीड़ पहली बार ही देखने में आयी है।
इस कार्यक्रम की दूसरी बड़ी बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मौजूद रहना था। अमेरिका में ऐसा पहली बार ही हुआ होगा की वहां के वर्तमान राष्ट्रपति किसी बाहरी देश के प्रधानमंत्री का ऐसा स्वागत करें और जनता के बीच बैठकर उनको सुने। ऐसा होना मोदीजी और भारत के लिए भी गर्व की बात है। शायद इसका एक कारण यह भी हो सकता है की अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं और ट्रम्प को अमेरिका में स्थित बड़ी तादाद में प्रवासी भारतीयों के वोट की चाहना हो। कुछ भी हो जो हुआ वह बहुत बड़ी बात है। यह इतिहास के स्वर्ण पन्नो में दर्ज हो गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प एक कुशल वक्ता ,कुशल व्यापारी भी हैं। ट्रम्प ऐसे सुलझे हुए सौदागर भी हैं जो थोड़ा देकर ज्यादा लेना जानते हैं। अमेरिका की राजनीति में अनेको बार अपने बयानों से पलटी भी मार जाते हैं। अनेकों बार झूठ बोलने के आरोप भी उनपर लग चुके हैं। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति ओबामा जैसी गंभीरता भी उनमे कम ही दिखाई देती है। ऐसे में उनपर आँख मींचकर भरोसा करना कितना सही होगा यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ बातचीत पर उनके विरोधाभाषी बयान उनकी मानसिकता को दर्शाते हैं। ऐसे में यह देखना बहुत जरूरी हो जायेगा की भारत और मोदीजी के प्रति ट्रम्प कितने विश्वासपात्र साबित होंगे। *सुनील जैन राना *
यूँ तो भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में मोदीजी के कार्यो और नीतियों की सभी सराहना करते हैं। पिछले पांच वर्ष से अधिक समय से ही मोदीजी विश्व पटल पर छाए हुए हैं। लेकिन इस कार्यक्रम के बाद मोदीजी का मान सम्मान सम्पूर्ण विश्व में और ज्यादा बढ़ा है। महंगा टिकट लेकर किसी नेता को सुनने इतनी भारी भरकम भीड़ पहली बार ही देखने में आयी है।
इस कार्यक्रम की दूसरी बड़ी बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मौजूद रहना था। अमेरिका में ऐसा पहली बार ही हुआ होगा की वहां के वर्तमान राष्ट्रपति किसी बाहरी देश के प्रधानमंत्री का ऐसा स्वागत करें और जनता के बीच बैठकर उनको सुने। ऐसा होना मोदीजी और भारत के लिए भी गर्व की बात है। शायद इसका एक कारण यह भी हो सकता है की अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं और ट्रम्प को अमेरिका में स्थित बड़ी तादाद में प्रवासी भारतीयों के वोट की चाहना हो। कुछ भी हो जो हुआ वह बहुत बड़ी बात है। यह इतिहास के स्वर्ण पन्नो में दर्ज हो गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प एक कुशल वक्ता ,कुशल व्यापारी भी हैं। ट्रम्प ऐसे सुलझे हुए सौदागर भी हैं जो थोड़ा देकर ज्यादा लेना जानते हैं। अमेरिका की राजनीति में अनेको बार अपने बयानों से पलटी भी मार जाते हैं। अनेकों बार झूठ बोलने के आरोप भी उनपर लग चुके हैं। अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति ओबामा जैसी गंभीरता भी उनमे कम ही दिखाई देती है। ऐसे में उनपर आँख मींचकर भरोसा करना कितना सही होगा यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ बातचीत पर उनके विरोधाभाषी बयान उनकी मानसिकता को दर्शाते हैं। ऐसे में यह देखना बहुत जरूरी हो जायेगा की भारत और मोदीजी के प्रति ट्रम्प कितने विश्वासपात्र साबित होंगे। *सुनील जैन राना *
बुधवार, 25 सितंबर 2019
पचास हज़ार मंदिर क्यों बंद हुए ?
September 25, 2019 • सुनील जैन राना
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। कुछ बातें सिर्फ भारत में ही सम्भव हैं। यहां सभी जाति के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। गज़ब की संस्कृति है भारत की। विविधताओं का देश है भारत। कहते हैं हर कुछ कोस यानि दुरी पर बोली बदल जाती है यहां। फिर भी भारत जैसा भाईचारा इतनी जातियां होते हुए भी अन्यंत्र कहीं देखने को नहीं मिलता।
कश्मीर से धारा ३७० हटाए जाने का देश भर में स्वागत हुआ है लेकिन कुछ नेता लोग धारा ३७० हटाने का विरोध कर रहे हैं। ये वही नेता लोग हैं जिनकी रोजी रोटी बंद हो गई है। जिन्होंने कश्मीरी आवाम को मिलने वाली सहूलियतें खुद के पेट भरने में लगा डाली। देश की जनता को जिस प्रकार सरकारी सहायता मिल रही है उससे इन नेताओं ने कश्मीरी जनता को मरहूम रखा। बस पाकिस्तान के साथ दोस्ती रखते हुए कश्मीर को आतंक के साये में रखकर कश्मीरी आवाम को बरगलाया। इन नेताओ के खुद के बच्चे विदेशो में पढ़ते हैं और कश्मीरी बच्चों के हाथों में पत्थर देकर सेना के आगे भेज दिया। खैर अब धीरे -धीरे सब ठीक हो रहा है। शायद लाखों कश्मीरी पंडितो के साथ भी न्याय होगा और उनकी घर वापसी हो सकेगी।
विडंबना की बात यह है की ९० के दशक में आतंकियों ने कश्मीर से हिंदुओ का कत्लेआम कर बाकी को वहां से निकालने की प्रकिर्या में वहां स्थित हिन्दू मंदिरो को भी तहस -नहस कर दिया। बताया जाता है की लगभग पचास हज़ार मंदिर जिनमे से कुछ तोड़ दिए गए कुछ आतंक के साये में बंद हो गए। अब फिर से उन मंदिरो में घंटो की आवाज़ गूंजेगी।
भारत देश में बहुसंख्यक हिन्दुओ के साथ ऐसा होने पर भी आपस में भाईचारा कायम रहना ही भारतीय संस्कृति की महत्ता को दर्शाता है। मुठ्ठी भर लोग किसी भी धर्म के कुछ गलत कार्य कर जाते हैं लेकिन बाकि लोग फिर भी भाईचारा कायम रहे इसमें जुटे रहते हैं। इसी कारण भारतीय संस्कृति विश्व भर में अपनी अनूठी पहचान बनाये हुए है।
अब जब कश्मीर में भारतीय कानून पुनः लागू हो गया है तो सभी को समान अधिकार मिल गए हैं। कश्मीरी अवाम को अनेको सुहलियते ,रोजगार के नए आयाम मिलने लगेंगे। ऐसे में उन्हें भी चाहिए की वहां से निष्काषित हिन्दू पंडितो को पुनः उनकी जगह दिलवाने में उनकी सहायता करे। धर्म कोई बुरा नहीं होता ,हममे से ही कुछ लोग उसे बुरा बना देते हैं। भारत में सभी जाति के लोग आपस में एक दूसरे के पूरक हैं। मोदीजी भी सदैव १३० करोड़ भारतीयों के विकास की बात करते हैं। ऐसे में हमें भी आपस में मिलजुलकर रहना ही चाहिए। पुरानी बातों की बुराइयाँ अनदेखी कर नये भारत का निर्माण करने की ओर अग्रसर होना चाहिये। *सुनील जैन राना *
कश्मीर से धारा ३७० हटाए जाने का देश भर में स्वागत हुआ है लेकिन कुछ नेता लोग धारा ३७० हटाने का विरोध कर रहे हैं। ये वही नेता लोग हैं जिनकी रोजी रोटी बंद हो गई है। जिन्होंने कश्मीरी आवाम को मिलने वाली सहूलियतें खुद के पेट भरने में लगा डाली। देश की जनता को जिस प्रकार सरकारी सहायता मिल रही है उससे इन नेताओं ने कश्मीरी जनता को मरहूम रखा। बस पाकिस्तान के साथ दोस्ती रखते हुए कश्मीर को आतंक के साये में रखकर कश्मीरी आवाम को बरगलाया। इन नेताओ के खुद के बच्चे विदेशो में पढ़ते हैं और कश्मीरी बच्चों के हाथों में पत्थर देकर सेना के आगे भेज दिया। खैर अब धीरे -धीरे सब ठीक हो रहा है। शायद लाखों कश्मीरी पंडितो के साथ भी न्याय होगा और उनकी घर वापसी हो सकेगी।
विडंबना की बात यह है की ९० के दशक में आतंकियों ने कश्मीर से हिंदुओ का कत्लेआम कर बाकी को वहां से निकालने की प्रकिर्या में वहां स्थित हिन्दू मंदिरो को भी तहस -नहस कर दिया। बताया जाता है की लगभग पचास हज़ार मंदिर जिनमे से कुछ तोड़ दिए गए कुछ आतंक के साये में बंद हो गए। अब फिर से उन मंदिरो में घंटो की आवाज़ गूंजेगी।
भारत देश में बहुसंख्यक हिन्दुओ के साथ ऐसा होने पर भी आपस में भाईचारा कायम रहना ही भारतीय संस्कृति की महत्ता को दर्शाता है। मुठ्ठी भर लोग किसी भी धर्म के कुछ गलत कार्य कर जाते हैं लेकिन बाकि लोग फिर भी भाईचारा कायम रहे इसमें जुटे रहते हैं। इसी कारण भारतीय संस्कृति विश्व भर में अपनी अनूठी पहचान बनाये हुए है।
अब जब कश्मीर में भारतीय कानून पुनः लागू हो गया है तो सभी को समान अधिकार मिल गए हैं। कश्मीरी अवाम को अनेको सुहलियते ,रोजगार के नए आयाम मिलने लगेंगे। ऐसे में उन्हें भी चाहिए की वहां से निष्काषित हिन्दू पंडितो को पुनः उनकी जगह दिलवाने में उनकी सहायता करे। धर्म कोई बुरा नहीं होता ,हममे से ही कुछ लोग उसे बुरा बना देते हैं। भारत में सभी जाति के लोग आपस में एक दूसरे के पूरक हैं। मोदीजी भी सदैव १३० करोड़ भारतीयों के विकास की बात करते हैं। ऐसे में हमें भी आपस में मिलजुलकर रहना ही चाहिए। पुरानी बातों की बुराइयाँ अनदेखी कर नये भारत का निर्माण करने की ओर अग्रसर होना चाहिये। *सुनील जैन राना *
मंगलवार, 24 सितंबर 2019
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September 24, 2019 • सुनील जैन राना
श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र - सहारनपुर
देश में इंसानो के लिए तो बहुत से मानवीय कार्य होते हैं लेकिन असहाय पशु -पक्षियों के लिए देश बहुत कम चैरिटेबल संस्थाएं हैं। पशु -पक्षियों में भी पक्षियों के उपचार को निशुल्क अस्पताल हैं असहाय पशु में गोधन के लिए भी हिन्दू समाज दिखावे के लिए जाग्रत है लेकिन सड़क पर असहाय कुत्ते आदि के उपचार के लिए बहुत कम संस्थाएं हैं देश में।
सहारनपुर में लगभग १९६४ से श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद असहाय -आवारा घायल ,बीमार पशु -पक्षियों के निशुल्क उपचार और देखभाल में कार्यरत है। श्री दिगंबर जैन बालबोधनी सभा द्वारा संचालित श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र द्वारा हज़ारो पशु -पक्षियों की जान बचाई जा चुकी है। आवारा -असहाय घायल ,बीमार कोई भी पक्षी या पशु को बस संस्था में पहुंचा दो ,बाकी कार्य यानि उपचार ,देखभाल ,आवास ,भोजन ,पानी ,दवाई आदि सभी कुछ संस्था के कर्मचारी करते हैं। इसके अतिरिक्त मात्र दस रूपये की सहयोग राशि में पालतू पशु का उपचार भी कर दिया जाता है। जिसमें यथासम्भव दवाई आदि भी दे दी जाती है।
इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा नगर के मुख्य मार्गो पर बीझा ढोने वाले पशुओं के लिए पशु प्याऊ भी बनवाये गए हैं। पशु पक्षी कल्याण पखवाड़े लगाकर सड़क के किनारे निशुल्क शिविर भी लगाए जाते हैं जिसमे घायल -बीमार बोझा ढोने वाले पशुओ को रोक कर उनका निरीक्षण कर उपचार किया जाता है। निशुल्क दवाई -मलहम आदि देकर पशु पालको को अपने प्यारे कमाऊ पशु की देखभाल को जागरूक किया जाता है। उन्हें समय पर भोजन पानी आदि देने और बीमार होने पर उपचार कराने को भी जागरूक किया जाता है।
संस्था बिना किसी सरकारी सहयोग के कार्य कर के कार्य कर रही है। कुछ रचनात्मक सहयोग मिले तो और भी अधिक कार्य किये जा सकते हैं। हमे आम जनता का सहयोग भी अपेक्षित रहता है जो कम ही मिलता है। फिर भी हम जिव दया के कार्यो में जी जान से लगे रहते हैं। मैं सुनील जैन राना ,संयोजक - श्री दया सिंधु जिव रक्षा केंद्र , मुझे जीव दया के कार्यो की सराहना पर मुझे दो बार दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा विशिष्ट अवसरों पर * वह है बीमार -घायल पशुओं का मसीहा * से नवाज़ा। मैं चाहता हूँ इंसानो की भाँति असहाय पशु -पक्षियों के लिए भी अस्पताल खुलें। इंसानों के लिए तो बहुत प्याऊ बनते हैं ,बोझा ढोने वाले पशुओ के लिए भी मुख्य मार्गो पर पशु प्याऊ बनवाये जायें। धन्यवाद। सुनील जैन राना (संयोजक )
देश में इंसानो के लिए तो बहुत से मानवीय कार्य होते हैं लेकिन असहाय पशु -पक्षियों के लिए देश बहुत कम चैरिटेबल संस्थाएं हैं। पशु -पक्षियों में भी पक्षियों के उपचार को निशुल्क अस्पताल हैं असहाय पशु में गोधन के लिए भी हिन्दू समाज दिखावे के लिए जाग्रत है लेकिन सड़क पर असहाय कुत्ते आदि के उपचार के लिए बहुत कम संस्थाएं हैं देश में।
सहारनपुर में लगभग १९६४ से श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद असहाय -आवारा घायल ,बीमार पशु -पक्षियों के निशुल्क उपचार और देखभाल में कार्यरत है। श्री दिगंबर जैन बालबोधनी सभा द्वारा संचालित श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र द्वारा हज़ारो पशु -पक्षियों की जान बचाई जा चुकी है। आवारा -असहाय घायल ,बीमार कोई भी पक्षी या पशु को बस संस्था में पहुंचा दो ,बाकी कार्य यानि उपचार ,देखभाल ,आवास ,भोजन ,पानी ,दवाई आदि सभी कुछ संस्था के कर्मचारी करते हैं। इसके अतिरिक्त मात्र दस रूपये की सहयोग राशि में पालतू पशु का उपचार भी कर दिया जाता है। जिसमें यथासम्भव दवाई आदि भी दे दी जाती है।
इसके अतिरिक्त संस्था द्वारा नगर के मुख्य मार्गो पर बीझा ढोने वाले पशुओं के लिए पशु प्याऊ भी बनवाये गए हैं। पशु पक्षी कल्याण पखवाड़े लगाकर सड़क के किनारे निशुल्क शिविर भी लगाए जाते हैं जिसमे घायल -बीमार बोझा ढोने वाले पशुओ को रोक कर उनका निरीक्षण कर उपचार किया जाता है। निशुल्क दवाई -मलहम आदि देकर पशु पालको को अपने प्यारे कमाऊ पशु की देखभाल को जागरूक किया जाता है। उन्हें समय पर भोजन पानी आदि देने और बीमार होने पर उपचार कराने को भी जागरूक किया जाता है।
संस्था बिना किसी सरकारी सहयोग के कार्य कर के कार्य कर रही है। कुछ रचनात्मक सहयोग मिले तो और भी अधिक कार्य किये जा सकते हैं। हमे आम जनता का सहयोग भी अपेक्षित रहता है जो कम ही मिलता है। फिर भी हम जिव दया के कार्यो में जी जान से लगे रहते हैं। मैं सुनील जैन राना ,संयोजक - श्री दया सिंधु जिव रक्षा केंद्र , मुझे जीव दया के कार्यो की सराहना पर मुझे दो बार दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा विशिष्ट अवसरों पर * वह है बीमार -घायल पशुओं का मसीहा * से नवाज़ा। मैं चाहता हूँ इंसानो की भाँति असहाय पशु -पक्षियों के लिए भी अस्पताल खुलें। इंसानों के लिए तो बहुत प्याऊ बनते हैं ,बोझा ढोने वाले पशुओ के लिए भी मुख्य मार्गो पर पशु प्याऊ बनवाये जायें। धन्यवाद। सुनील जैन राना (संयोजक )
सोमवार, 23 सितंबर 2019
रविवार, 22 सितंबर 2019
जनसंख्या नियंत्रण जरूरी
September 22, 2019 • सुनील जैन राना
भारत में जनसंख्या नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। देश में जनसंख्या वृध्दि दर इतनी ज्यादा है की सरकार की कोई भी योजना पूरी होने तक नाकाफ़ी हो जाती है। ऐसे में देश में जनसंख्या वृध्दि / नियंत्रण पर बातचीत होनी ही चाहिए। सरकार द्वारा दूरगामी योजनाएं भी योजना बनाने के समय से पूरी होने तक जनसंख्या वृध्दि के मुकाबले कारगर नहीं रह पा रही हैं।
सरकार जनसंख्या के हिसाब से रहने को घर ,पढ़ने को स्कूल ,बीमारी के ईलाज को अस्पताल ,चलने को सड़कें आदि से लेकर बिजली -पानी -रोजगार के साधन सभी कम पड़ जाते हैं। पंच वर्षीय योजनाओं का भी यही हाल होता है। अब समय आ गया है की सरकार इस विषय पर बुद्दिजीवियों से ,विभिन्न सामाजिक संगठनों से ,विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत कर कोई हल निकाले। अन्यथा देश में से गरीबी और गरीब कम होने की बजाय बढ़ते ही जायेंगे। सिर्फ यही नहीं देश में बिजली -पानी अन्य संसाधनों की कमी से भी आम आदमी त्रस्त रहेगा। *सुनील जैन राना *
सरकार जनसंख्या के हिसाब से रहने को घर ,पढ़ने को स्कूल ,बीमारी के ईलाज को अस्पताल ,चलने को सड़कें आदि से लेकर बिजली -पानी -रोजगार के साधन सभी कम पड़ जाते हैं। पंच वर्षीय योजनाओं का भी यही हाल होता है। अब समय आ गया है की सरकार इस विषय पर बुद्दिजीवियों से ,विभिन्न सामाजिक संगठनों से ,विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत कर कोई हल निकाले। अन्यथा देश में से गरीबी और गरीब कम होने की बजाय बढ़ते ही जायेंगे। सिर्फ यही नहीं देश में बिजली -पानी अन्य संसाधनों की कमी से भी आम आदमी त्रस्त रहेगा। *सुनील जैन राना *
शनिवार, 21 सितंबर 2019
बरसात का पानी जाये धरती में
September 21, 2019 • सुनील जैन राना
देश में पहली बार कोई सरकार जल संग्रह के प्रति जागरूक हुई है। मोदीजी जल संरक्षण के लिए दूरगामी योजनाएं बना रहे हैं। देश में पानी की कमी अनेको राज्य में हो रही है। ऐसे में भविष्य में पीने का साफ़ पानी मिलना तो दूभर है काम चलाने लायक पानी भी मुश्किल से ही मिलेगा ऐसा प्रतीत हो रहा है।
देश में जनता को जल संग्रह के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस विषय में मेरा यह मानना है की यदि बरसात का पानी धरती में वापस पहुंचा सके तो भी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। यह कार्य सरकारी स्तर ही सम्भव हो सकता है। बरसात का पानी सभी घरों से नाली में बहकर नाले में जाता है फिर आगे कहां जाता है इसके लिए प्रयास करने होंगे। आगे जाने से पहले ही यदि पानी को धरती में जाने के रास्ते बनाये जाए तो पानी आगे व्यर्थ न होकर धरती में समाकर जल स्तर ऊपर आ सकता है। यह कार्य छोटे स्तर पर प्रत्येक जगह किया जा सकता है।
दूसरी बात यह की मनरेगा का पूर्ण इस्तेमाल नहरे बनाने में ही होना चाहिए। जिससे बाढ़ के पानी को नहरों के जरिये नदियों में छोड़ा जा सके और जहां पानी की अधिकता है उसे कम पानी की जगह मोड़ा जा सके। सरकार की जल संरक्षण योजना में उपरोक्त सुझाव यदि अच्छे लगे तो शामिल करने चाहिए। *सुनील जैन राना *
देश में जनता को जल संग्रह के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस विषय में मेरा यह मानना है की यदि बरसात का पानी धरती में वापस पहुंचा सके तो भी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। यह कार्य सरकारी स्तर ही सम्भव हो सकता है। बरसात का पानी सभी घरों से नाली में बहकर नाले में जाता है फिर आगे कहां जाता है इसके लिए प्रयास करने होंगे। आगे जाने से पहले ही यदि पानी को धरती में जाने के रास्ते बनाये जाए तो पानी आगे व्यर्थ न होकर धरती में समाकर जल स्तर ऊपर आ सकता है। यह कार्य छोटे स्तर पर प्रत्येक जगह किया जा सकता है।
दूसरी बात यह की मनरेगा का पूर्ण इस्तेमाल नहरे बनाने में ही होना चाहिए। जिससे बाढ़ के पानी को नहरों के जरिये नदियों में छोड़ा जा सके और जहां पानी की अधिकता है उसे कम पानी की जगह मोड़ा जा सके। सरकार की जल संरक्षण योजना में उपरोक्त सुझाव यदि अच्छे लगे तो शामिल करने चाहिए। *सुनील जैन राना *
शुक्रवार, 20 सितंबर 2019
वाहन के कागजात पुरे कराने को लग रही भीड़
September 20, 2019 • सुनील जैन राना
जब से यातायात नियमों में सख्ती हुई है तब से प्रत्येक वाहन स्वामी अपने वाहन के सभी कागजात ,अपना ड्राइविंग लाइसेंस और हेलमेट आदि की पूर्ति में लगा है। इन सभी बातों में खामी या लापरवाही वाहन स्वामी को भारी पड़ रही है।
वैसे तो इन नियमों में सख्ती होना सभी के लिए हितकारी ही है लेकिन भारतीय जनता को इतने कठोर अनुसाशन की आदत नहीं है। यह सब नियम सड़को पर हो रही बेहताशा दुर्घटनाओं में कमी तो लाएंगे ही साथ ही चोरी के वाहन ,चोरी के परमिट आदि पर भी अंकुश लगेगा
सरकार जनता के लिए कठोर नियम तो बना देती है लेकिन जनता की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखती। देश में हाईवे तो अच्छे बन रहे हैं लेकिन गाँव -देहात -शहर -नगरों की सड़को का हाल अच्छा नहीं है। जिनके कारण भी बहुत दुर्घटनाएं हो रही हैं। यातायात नियमो की अनदेखी पर भरी भरकम जुर्माना तो लगा दिया गया है लेकिन वाहन विभाग यानि वाहन रजिस्ट्रेशन कार्यालय में व्याप्त भ्र्ष्टाचार पर कोई नियम -कानून कार्य नहीं कर रहा है। दफ्तरों के बाहर दलालों की भीड़ लगी है जो सुविधाशुल्क लेकर तुरंत कार्य करवा देते हैं। आम आदमी सयंम कार्य करवाना चाहे तो धक्के खाकर भी मुश्किल से पूरा नहीं होता। सरकार को इस विभाग को दलालों पर भ्र्ष्टाचारियो से मुक्ति दिलवानी चाहिए।
कुछ कार्य तो जुर्माने की जगह ही किये जा सकते हैं जैसे हेलमेट न होने पर तुरंत हेलमेट दिया जा सकता है। जुर्माने की धनराशि से कुछ खामी पूरी करने की राहत दी जा सकती है। सबसे ज्यादा राहत तो पुलिस कर्मियों के गलत व्यवहार से दी जनि चाहिए। रोज रोज अनेको वीडियो में पुलिस कर्मी वाहन मालिकों से अभद्र व्यवहार करते और मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। एक आम आदमी पर हाथ उठाना बहुत गलत बात है। वाहन चैक करने वाली पुलिस सिर्फ यातायात पुलिस होनी चाहिए। जहां देखो जब देखो कहीं भी कोई पुलिसकर्मी चैकिंग के नाम पर उत्पीड़न करता नज़र आ जाता है। इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी होनी चाहिए। चालान काटे जाने पर तुरंत भुगतान की पाबंदी नहीं होनी चाहिए। चालान भुगतान का समय और जगह बताई जानी चाहिए।
जनता को भी चाहिए की वाहन सड़क पर लाने से पहले सभी नियम पुरे करे। हम विदेशों में जाकर यातायात नियमों को देखकर खुश होते हैं और कहते हैं की ऐसा हमारे देश में क्यों नहीं होता ?अब जब ऐसे नियम बनाये जा रहे हैं तो हम सबको उनका पालन करना ही चाहिये। तभी विदेशो की तर्ज पर भारत में भी सड़को पर चलना आसान हो सकेगा। *सुनील जैन राना *
वैसे तो इन नियमों में सख्ती होना सभी के लिए हितकारी ही है लेकिन भारतीय जनता को इतने कठोर अनुसाशन की आदत नहीं है। यह सब नियम सड़को पर हो रही बेहताशा दुर्घटनाओं में कमी तो लाएंगे ही साथ ही चोरी के वाहन ,चोरी के परमिट आदि पर भी अंकुश लगेगा
सरकार जनता के लिए कठोर नियम तो बना देती है लेकिन जनता की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखती। देश में हाईवे तो अच्छे बन रहे हैं लेकिन गाँव -देहात -शहर -नगरों की सड़को का हाल अच्छा नहीं है। जिनके कारण भी बहुत दुर्घटनाएं हो रही हैं। यातायात नियमो की अनदेखी पर भरी भरकम जुर्माना तो लगा दिया गया है लेकिन वाहन विभाग यानि वाहन रजिस्ट्रेशन कार्यालय में व्याप्त भ्र्ष्टाचार पर कोई नियम -कानून कार्य नहीं कर रहा है। दफ्तरों के बाहर दलालों की भीड़ लगी है जो सुविधाशुल्क लेकर तुरंत कार्य करवा देते हैं। आम आदमी सयंम कार्य करवाना चाहे तो धक्के खाकर भी मुश्किल से पूरा नहीं होता। सरकार को इस विभाग को दलालों पर भ्र्ष्टाचारियो से मुक्ति दिलवानी चाहिए।
कुछ कार्य तो जुर्माने की जगह ही किये जा सकते हैं जैसे हेलमेट न होने पर तुरंत हेलमेट दिया जा सकता है। जुर्माने की धनराशि से कुछ खामी पूरी करने की राहत दी जा सकती है। सबसे ज्यादा राहत तो पुलिस कर्मियों के गलत व्यवहार से दी जनि चाहिए। रोज रोज अनेको वीडियो में पुलिस कर्मी वाहन मालिकों से अभद्र व्यवहार करते और मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। एक आम आदमी पर हाथ उठाना बहुत गलत बात है। वाहन चैक करने वाली पुलिस सिर्फ यातायात पुलिस होनी चाहिए। जहां देखो जब देखो कहीं भी कोई पुलिसकर्मी चैकिंग के नाम पर उत्पीड़न करता नज़र आ जाता है। इस पर पूर्ण रूप से पाबंदी होनी चाहिए। चालान काटे जाने पर तुरंत भुगतान की पाबंदी नहीं होनी चाहिए। चालान भुगतान का समय और जगह बताई जानी चाहिए।
जनता को भी चाहिए की वाहन सड़क पर लाने से पहले सभी नियम पुरे करे। हम विदेशों में जाकर यातायात नियमों को देखकर खुश होते हैं और कहते हैं की ऐसा हमारे देश में क्यों नहीं होता ?अब जब ऐसे नियम बनाये जा रहे हैं तो हम सबको उनका पालन करना ही चाहिये। तभी विदेशो की तर्ज पर भारत में भी सड़को पर चलना आसान हो सकेगा। *सुनील जैन राना *
गुरुवार, 19 सितंबर 2019
मंगलवार, 17 सितंबर 2019
मोदी जी हैं तो मुमकिन है
September 17, 2019 • सुनील जैन राना
मोदीजी हैं तो मुमकिन है, यह कोई जुमला नहीं है। आज़ादी के बाद से अब तक सरदार पटेल के बाद मोदीजी ही ऐसे नेता हुए हैं जिनका मक़सद देश को जोड़ना,विकास के रास्ते पर ले जाना , देशद्रोहियों और भ्र्ष्टाचारियो के जेल भेजना आदि अनेक ऐसे कार्य उनकी प्राथमिकता में हैं। यह देश का सौभाग्य ही है की देश को मोदीजी जैसा प्रधानमंत्री मिला। भविष्यकर्ताओ ने पूर्व में यह भविष्वाणी भी कर रखी थी की देश को ऐसा सशक्त नेता मिलेगा जो भारत को सुपर पावर बना देगा। ऐसा ही सबकुछ होता दिखाई दे रहा है। आज आदरणीय मोदीजी का जन्मदिन है। हमारी अभिलाषा है की मोदीजी सौ साल तक स्वस्थ रहते हुए निरोगी जीवन जिये। देश को ऐसे प्रधानमंत्री दोबारा नहीं मिलेंगे। हम सब को उनके कार्यो और योजनाओं में सहभागी बनना ही चाहिए।
जय जिनेन्द्र मोदीजी ,आपको जन्मदिन पर हार्दिक शुभ कामनायें। निवेदक - सुनील जैन राना
जय जिनेन्द्र मोदीजी ,आपको जन्मदिन पर हार्दिक शुभ कामनायें। निवेदक - सुनील जैन राना
google पर हिंदी के प्रोत्साहन की लिए बनाई गई वेब साईट नवलेखा से जुड़े।
https://navlekha.withgoogle.com/intl/en/#!/overview
कुछ दिन पहले नवलेखा द्वारा पॉलटिकल पेट्रोल की वेब साईट निःशुल्क बनाई गई।
धन्यवाद नवलेखा।
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कुछ दिन पहले नवलेखा द्वारा पॉलटिकल पेट्रोल की वेब साईट निःशुल्क बनाई गई।
धन्यवाद नवलेखा।
सोमवार, 16 सितंबर 2019
शनिवार, 14 सितंबर 2019
शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
दसलक्षण धर्म में आज उत्तम शौच का दिन है
कुछ पुस्तकों में आज उत्तम सत्य भी बताया गया है
इस पर एक सुंदर हाइकु
उत्तम शौच
मन में पवित्रता
सुचिता लाऊँ
उत्तम शौच से तातपर्य मन की पवित्रता से है। जब तक हमारा मन निर्मल नहीं होगा तब तक धर्म की सार्थकता नहीं है। दसलक्षण के प्रथम चार दिन चार कषायो का अभाव करना चाहिए। क्रोध, मान ,माया , लोभ ये चारो कषाय के अभाव स्वरूप ही मन में पवित्रता आती है। इन चारो कषायो के वशीभूत होकर ही मानव पाप करता है। इन चारों कषायो का त्याग कर हम अपनी आत्मा की आराधना करें ,अपनी आत्मा को पवित्र करें। यही उत्तम शौच धर्म कहलाता है।
रविवार, 1 सितंबर 2019
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अलसी के फायदे
🍃 *Arogya*🍃 *अलसी के फायदे* *----------------* *1. बल वर्द्धक :* अलसी का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2 बार नियमित रूप से दूध क...