रविवार, 29 अप्रैल 2018

लालकिला बेचा नहीं ?
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सरकार द्वारा कुछ निर्णय अच्छाई के लिए लिए जाते हैं लेकिन विपक्ष को तो शायद सरकार की हर बात का विरोध करना ही एक मात्र उद्देश्य रह गया है। हाल ही में देश के कुछ ऐतिहासिक इमारतों को बड़े घरानो को
गोद देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसपर कुछ मिडिया और कुछ विपक्ष द्वारा आपत्ति की गई। मिडिया ने
तो ऐसा दिखाया की ;लालकिला २५ करोड़ में बेचा।
ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख हमेशा से सरकारी विभागों द्वारा ही होती रही है। लेकिन सिर्फ देखभाल के
अन्य कोई उपलब्धि कभी नहीं मिली।  अब सरकार एक तीर से दो निशाने लगाने जा रही है। एक तो सरकारी
धन की बचत होगी ,दूसरे इन ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल के साथ ही राष्ट्रीय -अन्र्राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्य
कर्मो के आयोजन होंगे। जिससे देश -विदेश में इन स्थलों की पहचान बनेगी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
ऐतिहासिक धरोहर जस की तस रहेगी ,उससे छेड़छाड़ की अनुमति नहीं दी जा रही है।

सुनील जैन राना , छत्ता जम्बू दास , सहारनपुर -247001 (उत्तर प्रदेश )भारत 

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