शेयर बाजार - पैंट टाइट या पजामा ढ़ीला
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भारतीय शेयर बाजार का हाल चनावों के समय विभिन्न दलों के मुकाबले जैसा है। जिसमें सभी दल जीतने के
लिए पूरा जोर लगा देते हैं लेकिन फैसला किसी अन्य के पक्ष में आ जाता है।
व्यापारिक टीवी चैनलों पर शेयर विशेषज्ञ बैठ जाते हैं और विभिन्न शेयरों पर अपनी राय बताते हैं ,साथ ही अगले
दिन के लिए एक टिप भी बताते हैं। कार्यक्रम के अंत में अपने खुलासे में यह भी कहकर चले जाते हैं की आज
जो भी चर्चा हुई उन शेयरों में से कोई भी मेरे पोर्ट फोलियो में नहीं है। इसका क्या मतलब हुआ ?
सभी विषेशज्ञ अपने -अपने हिसाब से बताकर गला साफ़ कर निकल लेते हैं। यही नहीं एक ही दिन में यदि शेयर
बाजार बढ़ जाता तो लम्बे -लम्बे टारगेट बता देते हैं और यदि शेयर बाजार गिर गया तो ऐसे हताश हो जाते हैं की
जैसे भूचाल आ गया हो अर्थात पैंट टाइट या पजामा ढीला।
पिछले साल शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुँचा। आगे भी सभी तेज़ी के मूड में लग रहे थे। बस फिर क्या था
टीवी चैनलों पर कथित शेयर विशेषज्ञों ने फायदे वाले शेयर बताने शुरू कर दिए। दिवाली पर धन बरसाने वाले
शेयर ,नये साल पर उमंग भरे शेयर ,होली पर रंग -बिरंगे शेयर और अब गर्मियों में कूल -कूल शेयर।
अब जरा हाल ही में बताये इन सब शेयरों का हाल देख लो क्या हो गया ?दिवाली के शेयर का दिवाला निकल
गया ,नये साल के शेयर बेरंग हो गये ,होली शेयरों का दहन हो गया ,अब कूल -कूल शेयरों के बताने के बाद
से चीन -अमेरिका के वाक् युद्ध ने भारतीय शेयरों को तोड़ कर रख दिया। ऐसे में सभी विशेषज्ञ पजामा ढ़ीला
की बातें करने लगे और बताने लगे। लेकिन आज पजामा ढीला होने की बजाय पैंट टाइट हो गई। बिना वज़ह
ही निफ़्टी 196 पॉइन्ट बढ़ गया।
बेचारा निवेशक तो शायद अपने पैसे खोने को ही शेयर बाजार की तरफ दौड़ता है। मंदी हो या तेज़ी आम
निवेशक शायद ही कभी लाभ कमा पाता होगा।
*शेयर बाजार के एक कार्य में संशोधन होना बहुत जरूरी है *
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आज जिस रेट पर शेयर बंद हुआ कल उसी रेट पर खुलना चाहिए। फिर चाहे बढ़े या गिरे। प्रातः मार्केट खुलते
ही बेहताशा तेज़ी या बेहताशा गिरावट का क्या ओचित्य है ? इससे लगता है जैसे कुछ बड़े घराने मिलीभगत से
कार्य कर रहे हों। कायदे में ठीक यही है की कल का भाव खुले फिर चाहे कुछ भी हो। धन्यवाद।
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