सोमवार, 29 मई 2017

https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl

https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl


सहारनपुर में नेट सेवा बंद
------------------------------

सहारनपुर में हुए जातीय दंगो के कारण प्रशाशन ने

25 मई से नेट सेवा बंद कर रखी है।

हालाँकि अब माहौल ठीक है लेकिन प्रशाशन सतर्क

है ,जाँच जारी है।

मंगलवार, 23 मई 2017



विज्ञापन - बेबुनियाद
------------------------

टीवी पर अनेक कम्पनियों के विज्ञापन आते हैं। उनमें से कुछ विज्ञापन

तो इतने बेबुनियाद होते हैं की उन्हें बार बार देखना -झेलना ही होता है।

सीमेन्ट के विज्ञापन में अक्सर आपस में कुछ लोग लड़ते -झगड़ते दिखाते

हैं ,जिसका कोई ौचित्य नहीं है ?सीमेन्ट के एक विज्ञापन में दमदार खली

को दिखाते हैं। उसके वजन से दीवारें -छत टूट जाती हैं। पता नहीं बेचारे

ने कहाँ परवरिश पायी होगी। क्योंकि जिस घर में रहा होगा इसे तोड़ा होगा।

इतना बड़ा होने पर अब उसकी मौसी ने बताया की कौन सा सीमेन्ट घर

बनाने के लिए अच्छा है। भले ही मौसी का घर उस सीमेन्ट से न बना हो।



इसी तरह गोरेपन की क्रीम यदि वास्तव में गोरा करती तो भारत के दक्षिण

प्रदेशो में सबसे ज्यादा बिकती ?

बालों को लम्बे -मजबूत करने वाले तेल के विज्ञापन में जिस महिला को

दिखाते हैं उसने शायद ही उस तेल का इस्तेमाल किया होगा जिसका वह

विज्ञापन करती दिखाई देती है। क्योंकि उसके बाल तो बचपन से ही घने

व सुन्दर थे जब यह तेल आता भी नहीं था।

संडे हो या मंडे ,रोज खाओ अंडे। यह विज्ञापन तो शाकाहारियों के साथ

छल है। टूथपेस्ट विज्ञापनों में बड़ी -बड़ी कम्पनियाँ बताती हैं की उनके

टूथपेस्ट में नमक और नीम है ,लेकिन यह नहीं बताते की उनके टूथपेस्ट

में हड्डी का चूरा कितना है ?

यद्यपि विज्ञापनों के नियम -क़ानून हैं लेकिन लगता है साथ में सुविधाशुल्क

भी होगा ?

शनिवार, 20 मई 2017



हुर्रियत -अलगाववादी आदि
--------------------------------

कश्मीर में हुर्रियत -अलगाववादी आदि सभी संगठन और उनके

नेता भारत विरोधी रुख अख्तियार करते हैं। भारत के कानून इनपर

लागू नहीं होते। पाकिस्तान इनकी हर सम्भव मदद करता है या यों

कहिये की इनको पालता है।

पिछले 65 सालों में पिछली सरकारों ने भी कभी इनको खत्म करने

की कोशिश नहीं की। बल्कि इनकी मदद से कश्मीर से लाखों कश्मीरी

पंडितो आदि को निकाल दिया गया या मार दिया गया।

आज के हालात ऐसे हैं की कश्मीरी खाते भारत का हैं और गुण गाते

पाकिस्तान के हैं। जबकि कश्मीरी नेता जानते हैं की कश्मीरियों का

पाकिस्तान से जुड़ना अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है लेकिन

इनके नेता अपनी नेतागिरी में कश्मीर की जनता को बरगलाकर

उनका जीवन ही बर्बाद कर रहे हैं।

अब केंद्र में एक मजबूत सरकार है ,लेकिन अभी दोनों सदनों में पूर्ण

बहुमत ना होने के कारण बहुत से निर्णय नहीं ले पा रही है। जबकि

अब यह बहुत जरूरी हो गया है की कश्मीर के इन अलगाववादी नेताओ

को सरकारी मदद बंद हो और इनकी देश विरोधी हरकतों पर लगाम

लगाई जाये। ये नेता खुद तो मज़े से रहते हैं ,इनके बच्चे विदेशों में पढ़ते

हैं और कश्मीर की जनताको बरगलाकर सेना पर पत्थरबाज़ी करवा

रहे हैं।

सेना के कितने जवान वहाँ मारे जा चुके हैं तब भी देश के असहिष्णुता

वाले और मानवाधिकार वाले चुप रहते हैं लेकिन कोई पथ्तरबाज़ मारा

जाए तो ये सब बिल मे से निकलकर सेना का विरोध करने लगते हैं।

सुप्रीमकोर्ट भी पैलेटगन पर पाबंदी की बात तो करता है लेकिन सेना

पर हमला हो तो सेना क्या करे इसपर कुछ नहीं कहता।

हमारे देश की यही विडंबना है की भारत को विदेशियों से नहीं बल्कि

अपनों से ही ज्यादा खतरा लगता है ?


गुरुवार, 18 मई 2017



कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं
-------------------------------------

आज भारत को विश्व मंच पर बहुत बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है।

पाकिस्तान में कैद भारतीय कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान सरकार

द्वारा फांसी की सज़ा पर विश्व मंच ने रोक लगाकर पाकिस्तान को

फटकारा है।

इस पुरे प्रकरण  में हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वरिष्ठ वकील

हरीश साल्वे की मेहनत है। पुरे विश्व में पाकिस्तान की भर्तस्ना हो रही

है। लेकिन अभी इतना काफी नहीं है। जब तक कुलभूषण जाधव

सुरक्षित वापस भारत ना आ जाए तब तक कुत्ते के नक्शे जैसा -कुत्ते

की दुम जैसा टेहड़ा नापाक पर विश्वास करना ठीक नहीं है। 

गुरुवार, 11 मई 2017



दस रूपये का सिक्का और नोट
------------------------------------

देश भर के बाज़ारों में नोटबंदी के बाद से 10 रूपये का सिक्का

और नोट बहुतायत में आ गये हैं।

10 रूपये के सिक्के दो प्रकार के उपलब्ध हैं। दोनों ही डिज़ाइन

के सिक्के वैध हैं लेकिन जनता में एक डिज़ाइन के सिक्कों को

लेकर अवैध होने की भ्रान्ति हो रही है।

सरकार ने समय -समय पर इन दोनों डिजाइनों के सिक्कों को

सही बताते हुए जनता से अपील की जो इसे लेने से मना करे

उसकी शिकायत करें।

अब बात आती है 10 के नोट की। इतनी संख्या में 10 के नोट

चलन में आ गए की ज्यादा रकम होने पर उनको गिनना -रखना

आसान नहीं रहा। हर कोई लेने -देने से कतराने लगा है। बैंक भी

नहीं लेते। एक लाख की रकम बैंक में जमा कराओ तो कुछ बैंक

ज्यादा से ज्यादा 10 गड्डी ले लेते हैं।

इतनी ज्यादा संख्या में 10 के नोट चलन में होने के बावजूद सरकार

प्लास्टिक के 10 के नए नोट छापने की तैयारी में है। जबकि किसी

भी प्रकार के 10 के नोट या सिक्के की कोई जरूरत नहीं है। अगर

सरकार को प्लास्टिक की करेंसी छापनी ही है तो बड़े नोट के छापे।

प्लास्टिक का नोट 100 रूपये का बाज़ार में आये तो सभी उसका

स्वागत करेंगे।



बुधवार, 10 मई 2017

jainism muni imeges
jain muni imeges

पिछले कई सालो से मेरी फोटो उपरोक्त साईट पर
पूज्य मुनि महाराजो के साथ आ रही है। नीचे से शुरू
होकर प्रथम पेज पर प्रथम फोटो तक आयी है।
उपरोक्त फोटो में तीन ग्रुप फोटो एक साथ google
पर आयी हैं। तीनो में मेरी फोटो भी देख सकते हैं। 

मंगलवार, 9 मई 2017



खाद्य पदार्थों के नियम -कानून
----------------------------------

टीवी के जी बिज़नेस चैनल पर खाद्य पदार्थों के नियम -कानून

और अच्छाई -बुराई पर कार्यक्रम चल रहा है। बहुत उपयोगी

बातें बताई जा रही हैं।

लेकिन विडंबना यह है की हमारे भारत देश में नियम -कानून

का पालन करना आसान नहीं है। यहाँ की जनता -व्यापारी -

उत्पादक आदि सभी गुजारे लायक तरीका अपना लेते हैं।

आज के युग में फ़ास्ट फ़ूड का प्रचलन बहुतायत में चल रहा

है। बच्चे -बड़े सभी चाउमीन -पिज्जा -बरगर आदि बड़े शौक से

खा रहे हैं। बड़े नगरों में बड़ी कम्पनियाँ अच्छे क़्वालिटी का

सामान बनाती हैं लेकिन हमारे देश में अधिकांश जनता मध्यम

वर्ग से है। जो इस प्रकार के उत्पाद मोहल्लों में जगह -जगह

खड़े होने वाले ठेलों से खरीदकर खा लेती है।

देश में बेरोज़गारी के कारण बहुत से युवा खाने के सामान की

ठेली लगा लेते हैं। उनके सामान भी बड़ी कम्पनियों के मुकाबले

सस्ते होते हैं। इसकारण उन्हें रोजगार मिल जाता है और जनता

को उनकी पसंद का सामान सस्ते में मिल जाता है। यह बात

जरूर है की ऐसे ठेलों पर बिकने वाले सामान कितने सही हैं या

कितने गलत हैं इसका कोई पैमाना नहीं होता।

अब बात आती है खाद्य गुणवत्ता कानून की। पिछले कुछ सालो

में देश में इस ओर जागरूकता आयी है। सरकार ने भी जनता को

अच्छा खाद्य पदार्थ मिले इसलिए कई नए कानून बनाये हैं। यह

सब आज के बीमारियों के दौर में जरूरी भी था। आज अधिकांश

बीमारियां जंक फ़ूड जैसे खाद्य पदार्थों के कारण भी हो रही हैं।

अब समस्या यह ही की खाद्य विभाग ने कानून तो विदेशों के तर्ज

पर बना दिए हैं और लागु कर दिये है भारत देश में। जबकि अभी

हमारे देश में बने -बनाये अनेको कानूनों का किर्यान्वण हो पाना

ही सम्भव नहीं हो पा रहा है। देश की बड़ी कम्पनियॉ या विदेशी

कम्पनियाँ तो फिर भी ऐसे कानून की कुछ हद तक पूर्ति कर लेती

हैं लेकिन देश की छोटी कम्पनियाँ इन सब कानूनों की पूर्ति नहीं

कर पाती।

खाद्य पदार्थों के किर्यान्वण की मुख्य कम्पनी fassi ने अनेकों कानून

बना दिए हैं। जो सही ही हैं लेकिन उनका खामियाजा भी व्यापारियों

को भुगतना पद रहा है। किसी भी खाद्य उत्पादन पर 5 चीजें होना

बहुत जरूरी हैं। बैच नंबर ,डेट ऑफ़ पैकिंग ,डेट ऑफ़ एक्सपायरी

या बेस्ट बीफोर ,रेट एवं ISI या एगमार्क। अब जो कम्पनियाँ किसी

उचित जगह साफ़ साफ़ दिखने वाले शब्दों में यह सब लिख रही हैं

वह ठीक है लेकिन जो सब कुछ नहीं लिख रही या ऐसी जगह लिख

रही जिसे पढ़ना कठिन है उन पर कार्यवाही होनी चाहिए।

खाने के अनेक उत्पाद और दवाइयां जो मांसाहारी हैं उनपर लाल

निशान होना चाहिए और जो शाकाहारी उत्पाद है उनपर हरा निशान

होना चाहिए। लेकिन ऐसा भी पूर्णतया नहीं हो रहा है। अनेक पिज्जा

जैसे उत्पादनों में नॉनवेज प्रयोग होता है ,जिनपर कुछ कम्पनियाँ

कोड वर्ड जैसे E 176 आदि ही लिखती हैं जो शाकाहारियों के साथ

अन्याय है। अनेक ताकत की दवाइयां जिनमें नॉनवेज प्रयोग होता है

उनपर लाल निशान नहीं होता। ऐसे ही अनेक बातें हैं जिनकी पूर्ति

बड़ी -बड़ी कम्पनियाँ भी नहीं करती और उनका कुछ भी नहीं बिगड़

रहा है। दूसरी तरफ छोटी कम्पनी के खाद्य पदार्थ का सेम्पल सिर्फ

इसलिए फेल हो गया की उसने best before कैपिटल में नहीं लिखा

था जबकि बाकि सब कुछ यानि लिखने और क़्वालिटी में सब सही था।

ऐसे में छोटा उत्पादक परेशान होकर कभी -कभी कार्य ही बंद कर

देता है।

हमारे देश में सबसे बड़ी विडंबना यह भी है की जो उत्पादक अपने

नाम [पते से अपना उत्पादन बेच रहा है उसी पर सारे कानून नियत हैं।

जबकि अपना नाम पता होने के कारण वह गलत नहीं करता। दूसरी

ओर बिना नाम पते के खुले -घटिया क्वालिटी के खुले उत्पादनों पर कोई

कानून नहीं है। छोटे शहरों -गावों में अधिकांश यही उत्पाद बिक रहे हैं।

स्थानीय प्रशाशन को यह सब पता होता है लेकिन सुविधा शुल्क के चलते

सब जगह घटिया सामान बिक रहा है ?

आज ही टीवी पर खाद्य मंत्री श्री पासवान जी ने बताया की अब मंत्रालय

खाद्य पाउच के 40 %हिस्से पर उपरोक्त 5 -6 नियम लिखने जरूरी करने

जा रहा है। इससे क्या होगा ?जरूरी यह है की जो साफ़ साफ़ न लिखे

उस पर कार्यवाही हो। छोटी कम्पनियाँ जिन पर काफी मात्रा में ऐसे

पाउच बने हैं उनका क्या होगा ?उनको बेकार करना छोटी कम्पनी के

हित में नहीं होगा।

तम्बाकू -सिगरेट आदि के अधिकांश हिस्से पर वैधानिक चेतावनी लिखी

रहती है तो भी क्या हो रहा है। जिसे पीनी है पीता है। यदि सरकार को

 जनता की इतनी ही चिंता है तो तम्बाकू -सिगरेट -शराब सब पूर्णतया

बंद कर देनी चाहिये ?क़ानून ऐसे बने जो कारगर हो और सुलभ हों।

ज्यादा और कठोर कानूनों के कारण देश में उद्योग पनप नहीं रहे हैं।

हमारे देश अभी इस अवस्था में नहीं हैं की यहां विदेशो की तर्ज पर

क़ानून लागू किये जा सकें।

रविवार, 7 मई 2017



दिल्ली का केजरी -केजरी की दिल्ली
-----------------------------------------

अन्ना हज़ारे के परम् चेले केजरीवाल ने अन्ना के विचारों का

बहुत फायदा उठाया। इतना फायदा की अन्ना के भ्र्ष्टाचार

मुक्त भारत का सपना दिखाकर दिल्ली की गद्दी कब्जा ली।

लेकिन गद्दी पर बैठना और फिर सबको साथ लेकर दिल्ली

के लिए कार्य करना आसान नहीं था। उनकी लच्छेदार बातें

दिल्ली वालो को थोड़े दिन तो अच्छी लगी लेकिन फिर उनकी

इन्ही बातो से जनता उकता गई।

केजरीवाल ने दिल्ली के विकास का धन अपने विज्ञापनों में

फूँक डाला। उनके विधायक भी कम गुरु नहीं निकले। एक

एक कर कई विधायकों पर मुकदमें कायम हैं। आज ही उनके

एक मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल और सतेंद्र जैन पर जो

भ्र्ष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं वह यदि सत्य हैं तो तुरंत

केजरीवाल को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ?

दरअसल केजरीवाल की आप पार्टी कुछ ऐसे लोगो का समूह

है जो लोग राजनीति में आना चाहते थे लेकिन कोई पार्टी उनको

अपने दल में शीर्ष स्थान नहीं दे रही थी। अब ऐसे में इन लोगो में

अच्छे लोग भी हैं और गलत लोग भी पार्टी में घुस आये हैं।

अब केजरीवाल दिल्ली के CM पद पर 5 साल पुरे कर पाये यह

असम्भव सा ही लगता है। दिल्ली की गद्दी के बाद अन्य सभी

चुनावों में उनको हार ही मिली है। सिर्फ दूसरों पर आरोप लगाने

से अपने आप को सर्वथा नहीं बचाया जा सकता। 

शनिवार, 6 मई 2017



सरकारी पानी की टंकियाँ
------------------------------

देश के हर राज्य के हर शहर में जगह -जगह

पीनेके पानी की बड़ी -बड़ी टंकियां बनी हुई हैं।

इनमे से अधिकांश टंकियों का पानी भगवान

भरोसे ही पिया जा रहा है। शायद ही किसी आम

नागरिक ने कभी इन टंकियों की सफाई होते देखी

होगी। जिसने कभी देखी भी होगी तो वही जनता

होगा इनके अंदर का हाल। दशकों में एक बार होने

वाली सफाई के दौरान इन टंकियों में से मरे हुए पक्षी

बंदर आदि तक निकलते हैं ?

सरकार की दो तरफी नीति भी ऐसी है की उद्योगों में

प्रयोग होने वाले पानी की तो बेहताशा चैकिंग होती है।

जरा सी कमी पर पानी का सेम्पल फेल हो जाता है और

खुद सरकारी पानी की दुर्दशा पर कोई जबाबदेही नहीं ?

सरकारी पानी पीने से बहुत बीमारियां हो रही हैं। ऐसे में

स्वास्थ विभाग को पानी की टंकियों की नियमित सफाई

के बारे में भी सोचना चाहिए।

शुक्रवार, 5 मई 2017



बलात्कारियों को फाँसी
--------------------------

आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय में

निर्भया के दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई है।

देर से ही सही लेकिन बलात्कारियों को फांसी की

सज़ा से देश में हर्षमय वातावरण है।

निर्भया के चारों आरोपियों को फांसी की सज़ा से

अब बलात्कार की घटनाओं में जरूर कमी आयेगी।


लेकिन मै अक्सर ट्विटर पर बलात्कारी का अंग भंग

कर जेल में सड़ाने की बात लिखता हूँ। क्यों की देश

के अनेक राज्यों में अब रोज ही बलात्कार की खबर

सुनने को मिल जाती है ,आरोपी दबंग हुआ तो उसका

कुछ नहीं बिगड़ता अन्यथा भी मुकदमा लम्बा चलना

और जलालत झेलने से बचने के लिए अक्सर मुकदमा

ही कायम नहीं करवाया जाता।

अब तक कितने बलात्कारियों को फांसी मिली है,फांसी

तो दूर की बात जेल ही कितनो को हुई है। जब तक

बलात्कार की सज़ा अंग भंग और जेल नहीं होगी तब

तक बलात्कारियों में ख़ौफ़ नहीं होगा। 

छेदी -भेदी 

बुधवार, 3 मई 2017



कहाँ मर गए असहिष्णुता वाले ?
-----------------------------------

देश में जरा -जरा सी बात पर हल्ला मचाने वाले ,

देश विरोधी सोच वालो का साथ देने वाले ,जाति

विशेष पर हल्ला मचाने वाले पता नहीं कहाँ मर

गए अब जबकि कश्मीर में सेना पर पत्थरबाज़ी

हो रही है ,पाकिस्तान फिर से भारतीय जवानों के

साथ बर्बरता वाला सलूक कर रहा है।

सुकमा और कश्मीर में भारतीय जवान मारे जा

रहे हैं। सरकार सिर्फ नीति बनाने और निन्दा करने

में व्यस्त है। लेकिन जिन्हे देश में डर लगता था,जिन्हे

सरकार के विरुद्ध जरा सी आहत मिलते ही मुद्दा

मिल जाता था। आज उनमे से एक भी सेना के जवानों

के प्रति जबाबदेह नहीं हुआ।

इससे लगता है की अब सरकार को -सेना को बाहरी

दुश्मन से पहले इन देश के दुश्मनों से  निपटना चाहिये ?

इन्ही जैसे जयचंदो के कारण बार -बार भारत कमजोर

हुआ है। अब देश विरोधी बोलने वालों -साथ देने वालो -

सोच वालो पर सख्त कानून देशद्रोह की श्रेणी वाला

बने और पहले इनका ही इलाज होना चाहिए ?

वरिष्ठ नागरिक

*ध्यान से पढ़ें* *कृपया पढ़ना न छोड़ें* *👏जब बूढ़े लोग बहुत अधिक बात करते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे आशीर्वाद के...