हुर्रियत -अलगाववादी आदि
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कश्मीर में हुर्रियत -अलगाववादी आदि सभी संगठन और उनके
नेता भारत विरोधी रुख अख्तियार करते हैं। भारत के कानून इनपर
लागू नहीं होते। पाकिस्तान इनकी हर सम्भव मदद करता है या यों
कहिये की इनको पालता है।
पिछले 65 सालों में पिछली सरकारों ने भी कभी इनको खत्म करने
की कोशिश नहीं की। बल्कि इनकी मदद से कश्मीर से लाखों कश्मीरी
पंडितो आदि को निकाल दिया गया या मार दिया गया।
आज के हालात ऐसे हैं की कश्मीरी खाते भारत का हैं और गुण गाते
पाकिस्तान के हैं। जबकि कश्मीरी नेता जानते हैं की कश्मीरियों का
पाकिस्तान से जुड़ना अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है लेकिन
इनके नेता अपनी नेतागिरी में कश्मीर की जनता को बरगलाकर
उनका जीवन ही बर्बाद कर रहे हैं।
अब केंद्र में एक मजबूत सरकार है ,लेकिन अभी दोनों सदनों में पूर्ण
बहुमत ना होने के कारण बहुत से निर्णय नहीं ले पा रही है। जबकि
अब यह बहुत जरूरी हो गया है की कश्मीर के इन अलगाववादी नेताओ
को सरकारी मदद बंद हो और इनकी देश विरोधी हरकतों पर लगाम
लगाई जाये। ये नेता खुद तो मज़े से रहते हैं ,इनके बच्चे विदेशों में पढ़ते
हैं और कश्मीर की जनताको बरगलाकर सेना पर पत्थरबाज़ी करवा
रहे हैं।
सेना के कितने जवान वहाँ मारे जा चुके हैं तब भी देश के असहिष्णुता
वाले और मानवाधिकार वाले चुप रहते हैं लेकिन कोई पथ्तरबाज़ मारा
जाए तो ये सब बिल मे से निकलकर सेना का विरोध करने लगते हैं।
सुप्रीमकोर्ट भी पैलेटगन पर पाबंदी की बात तो करता है लेकिन सेना
पर हमला हो तो सेना क्या करे इसपर कुछ नहीं कहता।
हमारे देश की यही विडंबना है की भारत को विदेशियों से नहीं बल्कि
अपनों से ही ज्यादा खतरा लगता है ?
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